❤️ बेइंतहा मोहब्बत ❤️
शहर की भीड़-भाड़, ट्रैफिक का शोर और धुएँ से भरी शाम… इन्हीं सब के बीच उसकी ज़िन्दगी में वो आई थी — आयशा।
रूद्र एक आम सा लड़का था — कॉलेज ख़त्म कर के एक छोटी सी जॉब में लगा हुआ, अपने सपनों को धीरे-धीरे पूरा करने की कोशिश करता हुआ। ज़िन्दगी सादी थी, लेकिन दिल में कहीं एक खालीपन था… और शायद उसी खालीपन को भरने के लिए किस्मत ने आयशा को उसकी राह में भेजा।
पहली मुलाक़ात
वो बारिश का मौसम था। रूद्र बस स्टॉप पर खड़ा था, हाथ में पुराना छाता और चेहरे पर थोड़ी थकान। तभी सामने से एक लड़की दौड़ती हुई आई, हाथ में फाइलें और बैग… शायद बारिश से बचने की कोशिश कर रही थी।
तेज़ हवा के झोंके से उसकी फाइलें उड़कर सड़क पर बिखर गईं।
रूद्र ने बिना सोचे समझे अपना छाता पकड़ते हुए उसके कागज़ उठाने में मदद की।
"थैंक्यू…" उसने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, और रूद्र उस मुस्कान में कहीं खो सा गया।
आयशा वहीं पास के एक ऑफिस में नई-नई जॉइन हुई थी। उस दिन के बाद, बस स्टॉप पर रोज़ मुलाक़ात होने लगी। धीरे-धीरे बातों का सिलसिला शुरू हुआ। और फिर… एक दिन, रूद्र ने महसूस किया कि वो आयशा का इंतज़ार करने लगा है — जैसे बारिश को धरती इंतज़ार करती है।
दोस्ती से मोहब्बत तक
कॉफी शॉप, पार्क, और ऑफिस के बाद घर जाते वक्त बस की लंबी सफ़र — इन सब ने उनके बीच एक अटूट रिश्ता बुन दिया।
आयशा अपनी लाइफ़ के बारे में बताती — कैसे वो एक छोटे से कस्बे से आई है, कैसे उसके सपने बड़े हैं, और कैसे उसने अपने दम पर यहाँ तक का सफ़र तय किया।
रूद्र उसे सुनता, और हर बार उसकी आँखों में एक अजीब सा जादू महसूस करता।
कुछ महीनों बाद, एक शाम, जब शहर की लाइट्स झिलमिला रही थीं, रूद्र ने हिम्मत जुटाई —
"आयशा… मुझे नहीं पता ये कैसे कहूँ, लेकिन… मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ।"
आयशा चुप रही, फिर धीमे से बोली —
"रूद्र… ये आसान नहीं है।"
उसकी आँखों में हल्का सा डर था। लेकिन रूद्र ने सिर्फ इतना कहा —
"मुझे सिर्फ तुम्हारा साथ चाहिए, बाकी सब मैं संभाल लूँगा।"
रिश्ते की चुनौतियाँ
प्यार आसान नहीं था।
आयशा के घरवाले एक सख़्त पारंपरिक सोच रखते थे, और उनकी नज़र में "लड़के और लड़की की दोस्ती" भी गुनाह थी।
जब उन्हें रूद्र के बारे में पता चला, तो आयशा पर दबाव डाला जाने लगा कि वो उससे दूर हो जाए।
रूद्र ने पहली बार आयशा को रोते हुए देखा।
"रूद्र… मैं तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करती हूँ, लेकिन मैं अपने परिवार को भी नहीं छोड़ सकती…"
उसका दिल टूट गया, लेकिन वो जानता था कि मोहब्बत सिर्फ पाने का नाम नहीं है — ये किसी की खुशी के लिए अपनी खुशी कुर्बान करने का नाम है।
कुर्बानी का फ़ैसला
कुछ हफ़्तों तक दोनों कम मिलने लगे। लेकिन एक दिन, आयशा ने रूद्र को मैसेज किया —
"क्या हम आख़िरी बार मिल सकते हैं?"
वो पार्क में मिले, वहीँ जहाँ पहली बार साथ में कॉफी पी थी।
आयशा की आँखें नम थीं, लेकिन उसके होंठों पर एक अजीब सी मुस्कान थी।
"रूद्र… मैं जा रही हूँ। पापा ने मेरी शादी पक्की कर दी है।"
रूद्र ने बस उसका हाथ थामा और कहा —
"अगर मोहब्बत सच्ची है, तो वो वक्त और दूरी से नहीं मिटती… बस खुश रहना।"
उस दिन, रूद्र ने उसे जाते हुए देखा — जैसे कोई अपना सबसे क़ीमती ख़्वाब खो रहा हो।
वक़्त का इम्तिहान
साल बीत गए।
रूद्र अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ गया, लेकिन आयशा की यादें कभी कम नहीं हुईं। वो जानता था कि मोहब्बत में मिलना ज़रूरी नहीं — बस दुआओं में नाम होना ही काफी है।
एक दिन, अचानक फेसबुक पर एक मैसेज आया —
"रूद्र… मैं ठीक हूँ। और हाँ, मैं अब भी तुम्हें दुआओं में याद करती हूँ।"
रूद्र ने मुस्कुराकर जवाब दिया —
"मैंने कहा था ना, बेइंतहा मोहब्बत कभी ख़त्म नहीं होती।"
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💌 मैसेज:
सच्चा प्यार हमेशा आसान नहीं होता। कभी-कभी मोहब्बत पाने के लिए नहीं, निभाने के लिए होती है… चाहे दूरी हो, हालात हो या मजबूरी — दिल का रिश्ता हमेशा ज़िंदा रहता है।
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