Dhumketu - 4 in Hindi Fiction Stories by mayur pokale books and stories PDF | धूमकेतू - 4

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धूमकेतू - 4


अजय एकदम सन्न रह गया।
उसके मन में सवालों का तूफ़ान उठने लगा — "ये अजनबी आदमी मेरे अपहरण के बारे में कैसे जानता है?"

वो शख्स मुस्कुराकर बोला,
"मुझे पता है, तुम्हारे मन में सवालों का बवंडर चल रहा है। चलो… कहीं और चलकर तुम्हारे सभी सवालों का जवाब देता हूँ।"

अजय कुछ पल सोच में पड़ा, फिर धीरे से हामी भर दी।


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गाड़ी में बैठते ही माहौल गंभीर हो गया।
थोड़ा सफर तय करने के बाद, वो आदमी एक विशाल बिल्डिंग की ओर इशारा करते हुए बोला,
"देखो, ये मेरा घर… और मेरा ठिकाना है।"

अजय ने उस बिल्डिंग की ओर देखा — सामने एक बड़ा बोर्ड था, जिस पर लिखा था:
Anti National Activity Counter Command Center (ANACC)

अजय की भौंहें चढ़ गईं। "ये आदमी आखिर मुझसे चाहता क्या है?"


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दोनों गाड़ी से उतरकर अंदर दाखिल हुए।
अजय ने चारों ओर नज़र दौड़ाई — बड़ी-बड़ी मशीनें, असंख्य कंप्यूटर, वैज्ञानिक और इंजीनियर काम में जुटे हुए।
उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी साइंस-फिक्शन फिल्म के सेट पर आ गया हो।

वो झिझकते हुए पूछ बैठा,
"आपने अभी तक अपना नाम नहीं बताया…"

वो आदमी मुस्कुराया,
"ओह, हाँ… मैं डायरेक्टर रणजीत, ‘अनेक’ यानी ANACC का हेड।"

रणजीत ने बताया कि सरकार ने इस डिपार्टमेंट को बाहरी खतरों को पहले से पहचानकर दुश्मनों को खत्म करने के लिए बनाया था।
समय के साथ, ये जगह और भी हाई-टेक हो गई — यहां अब अत्याधुनिक हथियार और वैज्ञानिक उपकरण बनाए जाते हैं।

लेकिन अजय के दिमाग में सिर्फ एक सवाल घूम रहा था —
"आप गांधी को कैसे जानते हैं?"

रणजीत की आंखों में हल्की उदासी तैर गई,
"क्योंकि… वो कभी मेरा दोस्त था।"


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रणजीत ने गहरी सांस लेते हुए कहा,
"लगभग 20 साल पहले, वो नया-नया वैज्ञानिक बनकर यहां आया था। उसके पास हमेशा प्लान A, प्लान B, प्लान C होते थे।
एक दिन उसने मुझे एक अजीब प्रोजेक्ट के बारे में बताया — इंसान के जीन्स को कुछ चुने हुए जंगली जानवरों के जीन्स से मिलाकर एक नया, ताकतवर जीव बनाना…
ऐसा जीव जिसमें हाथी की ताकत और इंसान की बुद्धि हो, या चीते की रफ्तार और इंसान की रणनीति।

उसका मानना था कि ऐसा करने से हमारे दुश्मन हमसे डरेंगे।
लेकिन बाकी वैज्ञानिक और सेना के अधिकारी इस विचार के खिलाफ थे।
फिर भी उसने चोरी-छुपे अपनी प्राइवेट लैब में दो इंसानों और दो जानवरों पर प्रयोग किया…
पर प्रयोग असफल हुआ। दोनों इंसानों की जान चली गई।

जब ये बात सामने आई, तो हमने उसे ANACC से निकाल दिया और वो 15 साल के लिए जेल भेजा गया।"


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अजय ने पूछा,
"लेकिन आपको कैसे पता चला कि मेरा अपहरण हुआ?"

रणजीत ने कहा,
"हमें खबर मिली कि प्रोफेसर गांधी के पास एक उल्कापिंड आया है।
हम उसे ट्रैक कर रहे थे… और तभी हमें तुम मिले।"


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अजय ने सीधा सवाल किया,
"तो आप मुझसे चाहते क्या हैं?"

रणजीत गंभीर स्वर में बोला,
"उस हादसे के बाद से तुम्हारे शरीर में एक ऊर्जा बह रही है।
हम नहीं चाहते कि तुम इसे गलत काम में इस्तेमाल करो।"

अजय ने ठंडी सांस ली,
"मैं तो बस इससे छुटकारा पाना चाहता हूँ।"

रणजीत ने जवाब दिया,
"हम कोशिश करेंगे। लेकिन अगर हम असफल रहे, तो तुम्हें हमारा साथ देना होगा — गांधी जैसे लोगों को रोकने के लिए।
क्योंकि वो अकेला नहीं है… कई और लोगों के पास भी ये शक्तियां पहुंच चुकी हैं।"


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अजय झल्ला उठा,
"मुझे इन लफ़ड़ों में नहीं पड़ना।
मेरा परिवार है, और सबसे प्यारा वही है। मैं सिर्फ उन्हें बचाऊंगा, दुनिया को नहीं!"

रणजीत ने आंखों में सख्ती लाते हुए कहा,
"अगर दुनिया नहीं बचेगी, तो तुम्हारा परिवार भी नहीं बचेगा।
सिर्फ मां-बाप और भाई-बहन ही परिवार नहीं होते… हमारा देश, हमारी धरती भी हमारा परिवार है।
अगर हम उसकी चिंता नहीं करेंगे, तो एक दिन सब खत्म हो जाएगा।"

रणजीत की बातों ने अजय के भीतर सवालों का तूफ़ान फिर से खड़ा कर दिया।


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"सोच लो, वरना सरकार तुम्हें गांधी जैसा समझकर जेल में डाल देगी,"
रणजीत ने चेतावनी दी।

आखिरकार अजय मान गया।
उसने घर फोन करके कह दिया कि उसे एक प्राइवेट कंपनी में जॉब मिल गई है।
फोटो भेज दीं, ताकि उन्हें यकीन हो जाए।


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15 दिन बाद…
अजय ने मार्शल आर्ट, योग, और अपनी शक्तियों को नियंत्रित करने की ट्रेनिंग ले ली थी।
अब वो खुद को किसी सुपरहीरो से कम नहीं समझ रहा था।

लेकिन एक दिन, रणजीत की नज़र सिक्योरिटी पाथ पर पड़ी —
एक लिक्विड ट्यूब गायब थी!




 प्रोफेसर गांधी का अगला कदम क्या होगा?
 उस लिक्विड ट्यूब में आखिर क्या है?
और किसने उसे चुराया?

जानने के लिए जुड़े रहिए — अगले एपिसोड में!

✍ लेखक — मयूर