Dhumketu - 2 in Hindi Fiction Stories by mayur pokale books and stories PDF | धूमकेतू - 2

Featured Books
Categories
Share

धूमकेतू - 2

अजय दौड़कर जाता हैं और नहाने से पहले जो पैंट उसने पहनी हुई थी उस पैंट के जेब मैं हाथ डालकर उस पत्थर को निकालता हैं। 
लेकिन अब वो पत्थर रात की तरह चमक नही रहा था।
 अजय अचंभित हो जाता हैं। 
थोड़ी देर पत्थर को निहारने के बाद अजय को लगता है कि यह बात छुपाई नहीं जा सकती किसी को तो बताके इसका तोड़ निकल होगा। तभी उसको अपने पुराने दोस्त अतुल की याद आती है। जो डॉक्टर होमी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में इंजीनियर था। 
अजय उसको कॉल लगाता हैं। 
अजय : पहचाना?
अतुल : तुझे नहीं पहचानूंगा तो किसे पहचानूंगा! बड़े दिनों बाद फोन किया है। कुछ खास हैं क्या?
अजय : अरे नहीं कुछ खास नहीं बस यू ही,
       (थोड़ी देर रुकने के बाद) तूने न्यूज देखी क्या? वो उल्कापिंड जो गिरे है।  
अतुल : है देखी ना
अजय : अरे एक उल्कापिंड मेरे घर के सामने भी गिरा था। जब मैने उलकापिंड को उठाया तो मैं किसी और ही जगह पर चला गया था, छोड़ने  बाद फिर वापस आया।
अतुल : भाई सुन यह कोई उल्कापिंड तो नहीं लग रहा  मुझे। हमें अभी तक रिसर्च की परमिशन नहीं मिली तब तक मैं कुछ नहीं कह सकता। जहापर भी वो उल्कापिंड गिरे है वहा के लोकेशन का सरकार को पता लग चुका  है। जब वो लोग आयेंगे तब उनको उल्कापिंड दे देना। 
ठीक है?
अजय : भाई मैं दे भी देता मगर उसमें जो चमक आ रही थी, वो नहीं आ रही। मैंने चेक करने केलिए थोड़ी जांच पड़ताल की तो पता चला कि बाकी के जो भी उल्कापिंड हैं उनकी रोशनी अभी भी वाई की वैसी हैं। 
जब वो लेने आयेंगे तो मैं क्या दूंगा उन्हें? वो सिर्फ एक पत्थर बन चुका हैं अब। 
अतुल : तुम मुझे उस पत्थर का फोटो भेजो मैं देखता हु क्या हुआ होगा। ठीक है?
अजय : ठीक है। 

  अजय फोन रखता हैं और तभी उसको घर के बाहर गाड़ी का आवाज आता है।  वो सरकारी अफसरों की गाड़ी थी। गाड़ियों मैं से  बीस से पच्चीस पुलिस निकलते हैं और फिर एक सीनियर ऑफिसर गाडी से बाहर आता हैं। वो अजय के पास जाकर उसे id कार्ड दिखाता है और कहता है "सॉरी सर मगर हमे आपके घर की तलाशी लेनी होगी। रात को जो उल्कापात हुआ है वो बहुत भयानक है। अगर  वो तिलस्मई पत्थर आपके पास हैं तो आप दे दे वरना हमे आपके घर की तलाशी लेनी होगी क्यों कि आपका अकेले का घर खेत में  हैं और कोई घर यहां पर नहीं हैं। अजय के पिताजी पूछते है "आप कैसे पत्थर की बात कर रहे है?
तभी अजय कहता है : तलाशी लेने कि जरूरत नहीं है
   (अजय अपना हाथ आगे करता है और वो पत्थर उस ऑफिसर को दिखाता हैं।)
ऑफिसर चौंककर कहता है "यह तो वो पत्थर नहीं लग रहा। यह चमक भी नहीं रहा। 
अजय : मुझे नहीं पता इसकी चमक को क्या हुआ हैं, मगर रात को चमक रहा था। 
        ऑफिसर उसके हाथ मैं से पत्थर लेता है और थोड़ा दूर जाकर एक फोन करता है।  
थोड़ी देर फोन पर बोलने के बाद ऑफिसर वीर की तरफ आता हैं। अभी हम जा रहे है मगर जब हम आपको पूछताछ के लिए बुलाएंगे तो आपको आना होगा। 
      इतना कहकर और वो पत्थर लेकर वो ऑफिसर वहां से चला जाता है।  
     ऑफिसर की गाड़ी 100 मीटर जाती हैं, और तभी दो मंजिला इमारत जितनी छलांगे मारते हुए एक जीव अजय के घर की तरफ आने लगता हैं। अजय और उस ऑफिसर की नजर एक साथ उस जीव की तरफ जाती हैं। वो दीखने मैं इंसान जैसा ही दिख रहा था। अजय के पास वो जीव आता हैं, अजय थोडा सहम जाता है। 
ऑफिसर भी गाडी रोक कर पुलिस को लेकर तेजी से अजय की तरफ बढ़ता है।  
वो जीव अजय की तरफ देखकर कहता है "ओह माय गॉड यू हैव मोर पॉवर्स देन मि।" 
अजय कुछ समझ नहीं पाता। तभी ऑफिसर वहां आता हैं। वो जीव ऑफिसर की तरफ देख कर कहता हैं, "ओह पुलिस...! Hhhhh पुलिस है तो क्या हुआ कुछ नहीं बिगाड़ सकते"।  

और तभी उस जीव के आंखो से लेजर बीम निकलती है और पुलिस की सारी गाड़िया जल जाती है।  
फिर वो जीव कहता है "देखा एक रात मैं ही सिख गया मैं सब कुछ।" 
अजय थोड़ा डरकर उससे पूछता है "कौन हो तुम?"
    पुलिस और अजय की फैमिली उस लेजर बीम के हमले से सवर पाती,
 तभी वो जीव अजय के सिर पर वार करता है। 

अजय बेहोश हो जाता हैं। और वो जीव अजय को लेकर छलांगे मारते हुए कही दूर ले जाता हैं।  


    कौन हैं वो शक्तिशाली जीव?
कहा लेके गया है अजय को ?
    क्या है उसके शक्तियों का राज?
और आखिर क्यों नहीं चमक रहा वो तिलस्मई पत्थर?
    जाने अगले भाग में, तब तक बन रहे हमारे साथ।
                             

                              लेखक_मयूर

  

     यह कहानी आपको समझने केलिए शुरू से ध्यान से समझनी पड़ेगी, आप इस कहानी में धीरे धीरे पात्रों से जुड़ते चले जाएंगे, कहानी में जगहों का पूरे तरीके से उजागर होना भी धीरे धीरे होगा। 




इसलिए बने रहे हमारे साथ कहानी में।