रणजीत की आंखें अचानक चौक गईं।
सिक्योरिटी पाथ – ANACC का वो सेक्शन, जहाँ सबसे गुप्त हथियार, केमिकल्स और प्रयोग रखे जाते थे – तहस-नहस पड़ा था।
कुछ लॉकर्स टूटे हुए थे, सिक्योरिटी गार्ड्स ज़मीन पर बेहोश पड़े थे।
सबसे बड़ा झटका यह था कि लिक्विड ट्यूब गायब थी।
रणजीत का चेहरा तमतमा उठा।
“मेगाह्यूमन सीरम…” उसने बड़बड़ाया।
उसी समय पीछे से अजय आया।
“क्या हुआ मिस्टर डायरेक्टर?”
अजय की नज़र जैसे ही कमरे पर पड़ी, उसकी आंखें चौंधिया गईं। इतना बड़ा हादसा, और अलार्म तक नहीं बजा?
रणजीत ने अपने पास खड़ी महिला अधिकारी को आदेश दिया –
“इमरजेंसी डिक्लेयर करो। सभी ऑफिशियल्स को तुरंत मीटिंग हॉल में बुलाओ।”
अजय अब तक चुपचाप देख रहा था। लेकिन उसके भीतर सवाल उमड़ रहे थे।
रणजीत ने अचानक उसकी तरफ देखा,
“अजय, मुझे पता है कि तुम पूरी तरह तैयार नहीं हो। लेकिन तुम्हें एक मिशन पर जाना होगा।”
“मिशन? कैसा मिशन?”
“वो ट्यूब… उसमें मेगाह्यूमन सीरम था। अगर यह गलत हाथों में गया तो विनाश तय है। तुम्हें इसे वापस लाना होगा।”
---
🚨 मिशन की शुरुआत
कुछ ही समय बाद मीटिंग खत्म हुई। अजय का मिशन तय हो चुका था।
अजय अब एक विशाल टॉवर के सामने खड़ा था। चारों ओर टाइट सिक्योरिटी, हथियारों से लैस गार्ड्स, और खतरनाक मशीनें।
जैसे ही अजय गेट की तरफ बढ़ा, एक गार्ड ने उसे देख लिया।
“रुको! कौन हो तुम?”
गार्ड उसकी ओर भागा।
अजय ने बिना वक्त गँवाए अपने हाथ से एनर्जी बीम निकाली।
बीम गार्ड के शरीर से आर-पार हो गई।
अब पूरा टॉवर अलर्ट हो चुका था।
दर्जनों गार्ड्स ने अजय पर बंदूकें तान दीं।
अजय ने एक जोरदार एनर्जी ब्लास्ट किया।
धमाकों के साथ गार्ड्स हवा में उड़ते हुए गिरने लगे।
फिर विशाल मशीनगन्स और टर्रेट्स ने अजय को टारगेट कर लिया।
अजय ने ऊँची छलांग लगाई और एक-एक करके मशीनों को तोड़ डाला।
धड़ाम! धड़ाम! पूरे टॉवर में विस्फोट गूंजने लगे।
---
🛡️ असली प्लान
लेकिन अजय जानता था – यह सब एक ध्यान भटकाने का खेल है।
उसने अपने डिवाइस को टैप किया।
आसमान से एक हेलिकॉप्टर उतरा और चुपचाप दो एजेंट्स को टॉवर की छत पर ड्रॉप कर गया।
नीचे सभी की नजरें अजय पर थीं।
लेकिन ऊपर, वही एजेंट्स सीरम की तलाश में टॉवर के अंदर घुस चुके थे।
अजय का काम था – सबको व्यस्त रखना।
और एजेंट्स का काम – सीरम वापस लाना।
---
👤 रहस्यमयी आदमी
लड़ाई के बीच अजय ने नोटिस किया – टॉवर के एक ऊपरी हिस्से से कोई आदमी उसे बहुत गौर से देख रहा है।
उसकी आंखें जैसे अजय के आर-पार देख रही हों।
अजय ने फिर से डिवाइस चेक किया।
ग्रीन लाइट चमकी।
मतलब – मिशन सफल।
सीरम मिल चुका था।
अजय मुस्कुराया और डिवाइस का दूसरा बटन दबाया।
अचानक आसमान से एक त्रिकोणीय जेट उसकी तरफ उड़ता हुआ आया।
लेकिन तभी –
वही रहस्यमयी आदमी पलक झपकते जेट तक पहुंच गया।
धड़ाम! उसने एक पंच मारा।
पूरा जेट हवा में ही फटकर टुकड़े-टुकड़े हो गया।
अजय हक्का-बक्का रह गया।
अगले ही पल, चारों ओर से मुक्के बरसने लगे।
वो आदमी बिजली की तेजी से वार कर रहा था।
कुछ ही सेकंड्स में अजय बुरी तरह घायल होकर बेहोश हो गया।
---
⛓️ हाईटेक का सामना
जब अजय की आंखें खुलीं, वो घुटनों के बल ज़मीन पर था।
हाथ बेड़ियों से जकड़े हुए।
ऊपर से धुंधली रोशनी।
दोनों तरफ़ विशाल मशीनें गड़गड़ा रही थीं।
उसके सामने खड़ा था वही आदमी –
हाईटेक।
अजय मुस्कुराया,
“तो तुम हो मिस्टर हाईटेक। डायरेक्टर ने बताया था तुम्हारे बारे में। इंटरनेशनल चोर… जो दुनिया भर में इक्विपमेंट चुराकर बेचता है। मगर इस बार गलत पंगा लिया।”
हाईटेक ने भौंहें तरेरीं।
“तुम कौन हो?”
अजय चौंक गया।
“क्या?”
हाईटेक बोला,
“मैं तो एक चोर हूँ। हाँ, चुराता हूँ।
लेकिन तुम? तुम लोगों को मार रहे हो।
सोचो… नीचे जो सिक्योरिटी गार्ड्स मरे, उनके परिवारों का क्या?
क्या वो निर्दोष नहीं थे?”
अजय का चेहरा कड़ा हुआ, लेकिन मन डगमगा गया।
क्या वो सच में… गलत कर रहा था?
हाईटेक ने अपने आदमी को इशारा किया।
“ये शक्तियाँ तुम्हारे लायक नहीं।”
दोनों मशीनें ऑन हो गईं।
अजय का पूरा शरीर कांप उठा।
शक्तियाँ जैसे उसके भीतर से निचोड़ी जा रही थीं।
“Aaaaaaahhhhhh!” उसकी चीख गूंजी।
लेकिन तभी –
आसमान से एक स्पेसशिप से दो एरो निकले।
वे मशीनों से टकराए।
धड़ाम! दोनों मशीनें धमाके के साथ फट गईं।
अजय की बेड़ियाँ टूट गईं।
हाईटेक गरज उठा और अजय को जोरदार पंच मारा।
अजय टॉवर से नीचे गिरने लगा।
लेकिन गिरते हुए उसने आँखें बंद कीं।
मन को शांत किया।
और… वो हवा में रुक गया।
अब अजय उड़ रहा था।
---
🏠 वापसी और टूटन
ANACC हेडक्वार्टर में रणजीत ने आसमान में एक विशाल परछाईं देखी।
वो अजय था – उड़ते हुए।
रणजीत मुस्कुराया।
“तो अब वो उड़ भी सकता है…”
लेकिन अजय के चेहरे पर खुशी नहीं थी।
वो सीधा रणजीत के सामने उतरा।
“क्या आप सच में दुनिया का भला चाहते हैं, डायरेक्टर?”
रणजीत सन्न रह गया।
अजय ने कड़े स्वर में कहा,
“अगर भला चाहते हैं, तो इतने हथियार, इतनी मशीनें क्यों?
ये सब दुनिया में शांति नहीं, विनाश लाते हैं।”
रणजीत खामोश रहा।
फिर बोला, “तो प्रोफेसर गांधी जैसे लोग शांति से आतंक मचाते हैं?”
अजय गुस्से से कांप उठा।
“गांधी, गांधी, बस वही नाम!
आपका उससे सिर्फ इगो क्लैश है।
और मुझे आप अपने बदले का हथियार बना रहे हो।”
कुछ देर तक दोनों की आँखें भिड़ीं।
फिर अजय बोला,
“मैं जा रहा हूँ। अपने घर।
इन शक्तियों से छुटकारा पाने का कोई रास्ता निकाल लूंगा।
आपके टेस्ट की कीमत मेरे परिवार की जान हो सकती थी।”
इतना कहकर अजय वहाँ से चला गया।
---
💔 घर का सच
काफी देर बाद अजय एक बस में बैठा अपने गाँव लौट रहा था।
खिड़की से बाहर देखते हुए उसने अपने बचपन की यादें ताज़ा कीं।
जैसे ही गाँव पहुंचा, उसके कदम भारी हो गए।
वो रास्ता जिसे वो हज़ार बार चला था… अब अजनबी लग रहा था।
लेकिन सबसे बड़ा झटका तब लगा –
जहाँ उसका घर होना चाहिए था,
वहाँ बस मलबा पड़ा था।
ईंटें, लकड़ियाँ, टूटी दीवारें…
और एक कोने में बैठी उसकी बहन, आँसुओं में डूबी हुई।
अजय का दिल चीख उठा।
उसकी सांसें रुक सी गईं।
आख़िर किसने तोड़ा अजय का घर?
क्या अजय फिर से ANACC लौटेगा?
क्या हाईटेक सच में दुश्मन है… या रणजीत?
---Mayur pokale
📌 To be continued…