cute relationship in Hindi Love Stories by Abhay Marbate books and stories PDF | प्यारा सा रिश्ता

Featured Books
Categories
Share

प्यारा सा रिश्ता

❤️ प्यारा सा रिश्ता ❤️

शहर की भीड़-भाड़ से दूर, पहाड़ियों के बीच बसा एक छोटा-सा कस्बा था — ‘सूरजपुर’। यहाँ लोग एक-दूसरे को नाम से नहीं, रिश्तों से जानते थे। "ये शर्मा अंकल की बेटी", "वो मिश्रा आंटी का बेटा" — यही पहचान थी।

इसी कस्बे में रहती थी आस्था, 22 साल की, चंचल और खुशमिजाज लड़की। उसकी मुस्कान में एक ऐसी सादगी थी, जो किसी के भी मन को छू जाए। वो हर किसी से बहुत जल्दी अपनापन बना लेती थी, जैसे जन्मों का साथ हो।

आस्था के घर के सामने रहने वाला अर्जुन 25 साल का, पढ़ाई पूरी कर अब दिल्ली में जॉब कर रहा था। लेकिन लॉकडाउन के कारण वो महीनों से घर पर था। बचपन में अर्जुन और आस्था की दोस्ती बहुत गहरी थी, लेकिन बड़े होने के साथ-साथ दोनों की बातें कम हो गई थीं।


---

पहली मुलाकात के बाद का बदलाव

एक शाम, जब आस्था छत पर कपड़े सुखा रही थी, तब अर्जुन ने पास वाली छत से आवाज दी —
"अरे! इतने साल बाद मुलाकात हो रही है और तुमने एक बार भी हैलो तक नहीं कहा।"
आस्था ने मुस्कुरा कर जवाब दिया — "आप इतने बड़े शहर वाले हो गए हैं, हमें छोटे लोगों को याद कहाँ रखते हो।"

ये बात सुनकर अर्जुन थोड़ा चुप हो गया, लेकिन उसके दिल में एक अजीब-सा अहसास हुआ। शायद, वो इस पुराने रिश्ते को फिर से जीना चाहता था।


---

धीरे-धीरे बढ़ता अपनापन

दिन बीतते गए। कभी अर्जुन आस्था की बालकनी से किताब उधार मांग लेता, तो कभी आस्था अर्जुन से गिटार बजाना सीखने पहुँच जाती। दोनों के बीच फिर वही पुराना हंसी-मज़ाक और नोक-झोंक लौट आई।

एक दिन बारिश हो रही थी। आस्था छत पर खड़ी होकर बूंदों का मजा ले रही थी। अर्जुन छाता लेकर आया और बोला —
"बीमार हो जाओगी, नीचे चलो।"
आस्था ने हंसते हुए कहा — "कुछ रिश्ते बारिश जैसे होते हैं, थोड़ी सी ठंड, थोड़ी सी भीगन… और ढेर सारा सुकून।"
अर्जुन उस पल को बस चुपचाप महसूस करता रहा।


---

एक अनकहा इकरार

कस्बे में अर्जुन के घर वालों ने उसके लिए शादी का रिश्ता ढूँढना शुरू कर दिया। यह खबर आस्था तक भी पहुँची। उसने अर्जुन से कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी आंखों में हल्की-सी बेचैनी अर्जुन समझ सकता था।

एक रात, बिजली चली गई। दोनों घरों की छत पर खड़े थे, सितारों को देखते हुए।
अर्जुन बोला —
"आस्था, रिश्ते खून के नहीं, दिल के होते हैं… और मेरा दिल कहता है कि हमारा रिश्ता हमेशा का है।"
आस्था ने हल्के से उसकी ओर देखा और मुस्कुरा दी —
"कुछ रिश्तों को नाम देने की जरूरत नहीं होती… बस महसूस किया जाता है।"


---

हमेशा का साथ

कुछ महीनों बाद अर्जुन की शादी तय हो गई… पर दुल्हन कोई और नहीं, आस्था ही थी। उनके परिवारों ने भी इस रिश्ते को सहमति दे दी, क्योंकि वो दोनों एक-दूसरे को बचपन से जानते थे और एक-दूसरे के बिना अधूरे थे।

शादी के दिन, आस्था ने धीमे से अर्जुन से कहा —
"देखा, मैंने कहा था न… कुछ रिश्ते हमेशा के लिए होते हैं।"
अर्जुन मुस्कुरा कर बोला —
"और वो रिश्ते सबसे प्यारे होते हैं।"


---

यह कहानी हमें सिखाती है कि रिश्तों की खूबसूरती उनके नाम में नहीं, बल्कि उस सच्चे अपनापन में है जो हम महसूस करते हैं। कुछ रिश्ते वक्त के साथ बदलते हैं, लेकिन उनकी गहराई हमेशा वही रहती है।