पार्ट 10
रात गहरी हो चुकी थी। हवाओं में अजीब सी सर्दी थी, जबकि मौसम में ठंड का नाम तक नहीं था। नंदिनी अपने कमरे में बार-बार करवट बदल रही थी। दिन भर के हादसों ने उसके मन को झकझोर दिया था—वो खून, वो टीका, और वह अजनबी औरत जो अचानक मंदिर के पिछवाड़े मिली थी।
अचानक, खिड़की पर टक-टक की आवाज हुई। नंदिनी का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। वह धीरे से उठी और परदे के पीछे से झाँका—बाहर अंधेरे में एक परछाईं खड़ी थी। उसकी आकृति धुंधली थी, पर हाथ में कुछ चमक रहा था… शायद एक चाकू!
"क…कौन?" नंदिनी की आवाज काँप गई।
परछाईं ने धीरे से कहा, "अगर जान बचानी है तो कल रात 12 बजे पुराने कुएँ के पास आना… अकेली!"
नंदिनी कुछ कह पाती, उससे पहले ही वो आकृति अंधेरे में गुम हो गई। उसके हाथ-पैर ठंडे पड़ गए। वह सोच में डूब गई—क्या यह किसी साजिश का हिस्सा है? और अगर यह सच है, तो उस कुएँ पर क्या मिलेगा?
अगले दिन सुबह, उसने मोहिन को इस बारे में बताने की कोशिश की, लेकिन वह किसी जरूरी काम में उलझा हुआ था। उसकी नजरें भी अजीब थीं, जैसे वो नंदिनी की बात टाल रहा हो।
दिन जैसे-तैसे बीता और रात आई। घड़ी ने 11:45 दिखाया। नंदिनी ने एक टॉर्च और मोबाइल उठाया और चुपके से घर से निकल पड़ी। रास्ता सुनसान था, पेड़ों की परछाइयाँ जैसे उसके हर कदम का पीछा कर रही थीं।
पुराने कुएँ के पास पहुँचकर उसने इधर-उधर देखा—सन्नाटा था, सिर्फ झींगुरों की आवाजें। तभी उसके पीछे किसी के कदमों की आहट हुई। उसने मुड़कर देखा—वो वही अजनबी औरत थी, जिसके माथे पर लाल टीका था… लेकिन यह टीका लाल नहीं, गाढ़े काले रंग का था।
औरत ने धीमे स्वर में कहा, "तुम जिस पर भरोसा कर रही हो, वही तुम्हें खत्म करना चाहता है।"
नंदिनी चौंक गई—"तुम किसके बारे में बोल रही हो?"
औरत ने कोई जवाब नहीं दिया, बस अपने पर्स से एक पुरानी, खून से सनी तस्वीर निकाली और नंदिनी के हाथ में रख दी।
टॉर्च की रोशनी में नंदिनी ने देखा… तस्वीर में वही मंदिर था, वही कुआँ, और… मोहिन, जिसके कपड़े खून से लथपथ थे!
नंदिनी के हाथ से तस्वीर गिर गई। वो कुछ बोल पाती, उससे पहले कुएँ के अंदर से किसी के चीखने की आवाज आई… और अचानक, कुएँ से लाल पानी बाहर उछल पड़ा जैसे किसी ने खून उसमें उड़ेल दिया हो।
नंदिनी का गला सूख गया। वह पीछे हटने लगी, लेकिन तभी किसी ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया। उसने टॉर्च घुमाई—यह मोहिन था, और उसके चेहरे पर एक डरावनी मुस्कान थी।
"तुम बहुत ज्यादा जान चुकी हो, नंदिनी… अब तुम्हारा नंबर है।"
अगले ही पल टॉर्च उसके हाथ से गिर गई और अंधेरा छा गया…कमरे में फैली हल्की-सी नमी और अजीब-सी गंध मानो कोई पुराना राज़ बयां कर रही थी। पूजा ने जैसे ही अलमारी का तीसरा खांचा खोला, वहां से एक पुरानी डायरी गिरकर ज़मीन पर आ गई। उसके पन्ने पीले पड़ चुके थे, लेकिन आखिरी पन्ने पर लिखा एक ही वाक्य उसकी रूह कंपा गया—
"अगर ये राज़ बाहर आया… तो खून बहना तय है।"
पूजा ने डायरी उठाई ही थी कि पीछे से एक परछाईं उसके कंधे पर झुकी और ठंडी आवाज़ आई,
"जिसे समझने की कोशिश कर रही हो, वो सच्चाई… तुम्हें ज़िंदा नहीं छोड़ेगी।"
वो मुड़ी, लेकिन वहां कोई नहीं था। डर और जिज्ञासा के बीच उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। उसने जल्दी-जल्दी पन्ने पलटे—हर पन्ना खून, धोखे और एक खतरनाक साज़िश का इशारा कर रहा था।
इतने में बाहर से दरवाज़ा ज़ोर से बंद होने की आवाज़ आई। पूजा दौड़कर बाहर गई, लेकिन गली खाली थी। तभी उसके फोन पर एक अज्ञात नंबर से मैसेज आया—
"तुम्हारे पास सिर्फ़ 24 घंटे हैं, वरना अगला खून तुम्हारा होगा।"
पूजा के हाथ कांप गए। वह समझ गई थी कि यह खेल अब सिर्फ़ अतीत का नहीं, बल्कि उसके वर्तमान और भविष्य का भी है। और जिस सच्चाई को वह तलाश रही है… शायद वही उसकी मौत की वजह बने।
लेकिन पूजा ने तय कर लिया—
"खून का टीका सिर्फ़ एक किस्सा नहीं… ये मेरी ज़िंदगी का अधूरा सच है, और मैं इसे पूरा करके ही दम लूँगी।"
उसने डायरी को अपने बैग में डाला और बाहर कदम रखा… अनजान कि इस बार उसके हर कदम पर कोई नज़र रख रहा है।