Three best forever - 20 in Hindi Comedy stories by Kaju books and stories PDF | थ्री बेस्ट फॉरेवर - 20

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थ्री बेस्ट फॉरेवर - 20



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( >💜💜💜 मेरे प्रिय मित्रों प्रकट है आपका प्रिय मित्र बंकू धारावाहिक के अगले भाग के साथ पढ़ने के लिए प्रस्थान करे अन्यथा,,,आपके इस क्रू कर्म के लिए आपको दंडित किया जाएगा अब पढ़िए,,,🙏😝

"अबे तो काट ना ढिढोरा क्यू पीट रही" रीयू की बात सुन सभी हस पड़े। 
तो वहीं मस्तानी का मुंह फूला ली। अब आगे,,,,

"तुम दोनो अच्छे से समझ रहे हो वो क्यों ऐसा कर रही उसे तंग करना बंद करो" ज्ञानेद्रीय सर सख्ती से बोले।

"सर दोस्तों के बीच ऐसी नोक झोंक चलती रहती हैं प्लीज इन्हे ऐसे ही रहने दीजिए ना" मोहिंता मेम ने मासूमियत भरी मुस्कान बिखेर कर कहा। तो ज्ञानेद्रीय सर कुछ न बोल सके। 

तो वही उनकी इस चुप्पी का फायदा उठाते हुए  "हा मोहिंता मेम सही कह रही सर,,, क्या आप भी बच्चो के बीच बच्चे बन रहे चलने दीजिए ना जो चल रहा है" विजेंद्र सर झट से मेम  का पक्ष लेकर हस्ते हुए बोले।

तो वही उनकी बात किसी को खटक गई और वो खुद ज्ञानेद्रीय सर थे उन्हे ऐसा लग रहा था जैसे विजेंद्र सर  ने सबके सामने उनका मजाक उड़ाया है वो आग उगलते नजरों से विजेंद्र सर को घूरने लगे। 

अचानक माहौल गर्म और घुटन भरा होने लगा सभी की हालत खराब होने लगी की धन्य हो मस्ती का की अपनी बचकानी हरकत से सबकी जान बचा ली।
वो अपने हाथ में पकड़े प्लास्टिक के चाकू से सर खुजाते  हुए तोड़ दी और बोली "अरे यार तुम लोगो ने ये कौन से टूटेरा कंपनी का चाकू दिया है,,टच क्या किया टूट ही गया" 
उसकी इस बचकानी हरकत से सभी एकदम से नॉर्मल होकर उसे अजीब तरह से मुंह बनाकर घूरने लगे।

"टूट गया नही तोड़ा गया झल्ली कही की" प्रिंसिबल सर उसके सर पर टपली मारते हुए बोले। 

"कोई बात नहीं मेरा चाकू ले लो अल्ट्रा मज़बूत कंपनी का है" ज्ञानेद्रीय शांत भाव से बोले और पीठ पीछे से असली धार दार लौकी जीतना बड़ा चुरा निकाले सभी ये देख  सदमे से हक्के बक्के रह गए किसी की जबान तक नहीं खुली।
वही हमारी झल्ली मस्तानी चहकते हुए छुरा लपक ली और बोली "सब कुछ हॉरर तो केक कटिंग भी हॉरर होनी चाहिए की नही रियू मनी चलो हाथ पकड़ो" और तीनों छुरा घोपने की स्टाइल में केक कटिंग किए 

केक कट होते ही सभी साथ में happy birthday गाते हुए "Happy birthday to you dear मस्ती
नटखट चंचल चुलबुली सी तू मस्ती 
हरदम करती रहती तू मटर गस्ति
सबको तंग करके तू है हस्ती 
Happy birthday to you dear मस्ती
Happy birthday to you dear मस्ती,,,,"

सॉन्ग खत्म होते ही मस्ती सभी को केक खिला कर और सभी मस्ती को खिलाए इसी तरह केक समाप्त हो गया। 

"हो गया ना बर्थडे सेलीब्रेट अब चलो भागों अब अपने अपने रूम में जाके सो जाओ सुबह जल्दी उठ कर निकलना है"  प्रिंसीबल सर आदेश देते हुए बोले।

तो सभी अपना  मुंह लटकाए "क्याया,,,,,," 

ज्ञानेद्रीय सर "क्या?" 

सभी मरियर आवाज में "नहीई,, ई,, ई,,"

ज्ञानेद्रीय सर उन सबकी नकल करते
हुए "हा,, आ,, आ,," 

राहुल बोला "क्या प्रिंसिबल सर पार्टी तो अभी शुरू भी नहीं हुई और आप,,," 

धनेशी रिचा साथ में बोली "और आप good night का अनाउसमेंट कर रहे" 

उत्साह बोला "अभी तो भूतों प्रेतो वाला गाना बजाना भी नहीं हुआ सब कुछ इतना सुना सुना" 

तभी स्ट्रॉन्ग बोला "भूतो वाला? पर ये तो sad गाने की लाइन है ना" 

सभी हैरानी से "कौन सी?" 

स्ट्रॉन्ग अपनी बेसुरी आवाज में गाते
हुए "छनन से जो टूटे कोई सपना
जग सुना सूना लागे
जग सुना सूना लागे
कोई ना रहे अपना,,,, ये वाली कैसा लगा"

सभी कान पर हाथ रखे चिल्ला उठे "बेसुरे की दुकान" 

स्ट्रॉन्ग नाक मुंह सिकोड़ "इतना भी बुरा नहीं गाता" 

उत्साह हाथ जोड़े बोला "भाई हाथ जोड़ता हु दुबारा मत गाना क्युकी तेरा गाना सूनने की हिम्मत आम इंसानों में नहीं है" 

राहुल स्ट्रॉन्ग को घूरते हुए बोला "अबे आम आदमी को छोड़ इसका गाना सुन भूत प्रेत भी दुबारा आत्महत्या कर ले" 

स्ट्रॉन्ग मन में "क्या सच में इतना बुरा गाता हु मै एक बार खुद की आवाज सुन कर चेक करना पड़ेगा" 

रियू स्ट्रॉन्ग को घुर मुंह बिगाड़ते हुए "छे,,,सारे मूड की ऐसी की तैसी कर दिए" 

ज्ञानेद्रीय सर उन सबकी शिकायते सुन खीज उठे "सही तो बोल रहे प्रिंसिबल सर हो गया न्यू ईयर और बर्थडे सेलीब्रेट इतना काफी नही क्या अब क्या दिवाली होली भी यही मनाने का प्लान है" 
ज्ञानेद्रीय सर थे तो प्रिंसिबल सर की तरह कड़क फर्क बस इतना था की प्रिंसिबल सर इमोशन में बह जाते थे और ज्ञानेद्रीय सर इनके सामने कोई इमोशन नही टिकता

उनकी बात सुन सभी साथ में मुंह बिगाड़ते हुए "ये तो सरासर नाइंसाफी है हम मासूमों के साथ"

तो वही अब तक चुप रही मस्तानी अपना अलग ड्रामा सीन शुरू कर दी धनेशी से टकराते हुए ऐसा दिखाई जैसे उसे चक्कर आ रहा हो वो नीचे बैठकर बिचारी अभागन बनते
हुए बोली "आए हाए,,अरे इन सबका तो बस दिखावा है असली वाली मासुमियत तो अदरक लहसुन पत्थर कूट कूट कर मुझमें भरी है आज एक आभागन मासूम के जन्म दिवस पर इतना अत्याचार भला कौन कौन,,कौन करता है?" 
वो सीरियल की तरह एक शब्द को तीन बार रिपीट की तो 
ज्ञानेद्रीय सर बेपरवाही से "मैं,,,,"

उनकी इस बात पर मस्ती माथा पीटते हुए "राम राम राम जी कितने निर्दई है आप" 

वही सबके साथ ज्ञानेद्रिय भी उसकी नौटंकी आंखे फाड़े देख रहे थे।

लेकिन मनीष तो  है ही भोला भाला बुद्धू मस्ती के नक़ली आसू से भी पिघल गया और लगभग हाथ जोड़ते हुए ज्ञानेद्रीय सर के पैरो में गिर पड़ा और रोनी सूरत बनाए 
बोला "मेरी मासूम besti के खास दिन पर इतना निर्दई मत बनिए सरजी" 

ज्ञानेद्रीय सर बेपरवाही से "मनीष बेटा,,तेरा ये रोतलु थोपड़ा देख प्रिंसीबल सर पिघल सकते है मैं नही समझा मेरे पर दुबारा ट्राई करने की कोशिश की तो कॉलेज में रोतलू बना फिरता रहेगा" 

"क्या सर इतना ताम झाम क्यू किए? इंजॉय करने के लिए ना तो इंजॉय करने दीजिए ना बच्चो को क्यू मजा किरकीरा कर रहे " विजेंद्र सर उनकी बात का विरोध करने लगे। 

ज्ञानेद्रीय सर उन्हे खा जाने वाली नजरों से घूरे तो विजेंद्र सर भी उन्हे चालाक लोमड़ी की तरह घूर कर मुस्कुराए ये देख तो ज्ञानेद्रीय सर के आखों में गुस्से की ज्वाला और भड़क उठी।
माहोल फिर गर्म होते महसूस कर 
प्रिंसीबल सर मन में "दोनो के बीच फिर साइलेंट युद्ध न छिड़ जाए इसके लिए मुझे ही कुछ करना होगा" 


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( >💜💜💜 क्या करेंगे प्रिंसीबल सर ? जानेंगे next ep में मिलते हैं जल्द ही ढेर सारे इंटरटेनमेंट के साथ 😂