✨UPSC - अंतिम परीक्षा, अंतिम क़सम✨
("कुछ इम्तेहान तुम्हारे दिमाग़ नहीं, तुम्हारे दिल की सच्चाई को परखते हैं... और ये वही इम्तहान था।")
अब वक्त आ गया है था उस अंतिम मोड़ का जहाँ मोहब्बत, मेहनत और मंजिल... तीनों एक साथ खड़े थे, और बस एक दरवाज़ा था- UPSC का इंटरव्यू, जिसके पार सिर्फ पद नहीं, एक साथ ज़िंदगी जीने की इजाजत भी छुपी है।
प्रीलिम्स और मेंस एक संघर्ष की जीत
दोनों ने दिन-रात की मेहनत के बाद UPSC Prelims और Mains पास कर लिए थे। अब सिर्फ इंटरव्यू बचा था। दिल्ली का दरियागंज, राजेंद्र नगर, और किताबों के बोझ के साथ अब दिलों पर भी एक दबाव था - अगर ये आखिरी पड़ाव पार हो गया, तो मोहब्बत को नाम और घर दोनों मिल जाएगा।
आरजू का आत्मविश्वास दानिश की हिम्मत
आरजू, जो अब तक SDM बन चुकी थी, हर दिन दानिश को इंटरव्यू के लिए तैयार करती।
आरजू - "अब तुम्हारी बारी है... इस बार मैं नहीं, तुम जीतो।"
दानिश - "मैं डर रहा हूँ आरजु।"
आरजू - "डर से लड़ने का काम मोहब्बत करती है... और मैं तुम्हारे साथ हूँ।"
दानिश - "अगर मैं फेल हो गया तो?"
आरजू - "तो हम दोबारा लड़ेंगे... लेकिन तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगी।"
इंटरव्यू की तैयारी - सिर्फ सवालों की नहीं
उनकी तैयारी अब सिर्फ़ polity, economy या ethics की नहीं थी अब वो खुद को इस देश के सामने एक काबिल इंसान के रूप में पेश करने जा रहे थे, जो सिर्फ टॉपर नहीं, एक संवेदनशील प्रेमी और ज़िम्मेदार नागरिक भी है।
अवनी वीडियो कॉल पर कहतीः
"भाई, उस इंटरव्यू रूम में तुम अपना डर नहीं, बल्कि आरजू भाभी की आँखों की चमक लेकर जाना।"
आप जानते ही हैं कि अवनी भी यूपीएससी की तैयारी कर रही होती है और उसका भी इस बार का इंटरव्यू शानदार हुआ है, अब वह अपने भाई को मोटिवेट कर रही है और अपनी होने वाली भाभी को भी कह रही है कि आप भी अपना इंटरव्यू अच्छे से देना बिना किसी भय संकोच के, साथ ही भाई का ख्याल रखना।
इंटरव्यू का दिन
UPSC भवन, धौलपुर हाउस, दिल्ली। एक हल्की ठंडी सुबह। दानिश ने सफेद शर्ट और नीली टाई पहनी थी। जेब में दो छोटी-छोटी तस्वीरें एक उन माता-पिता की जो उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे होते हैं कि हमारा बेटा अफसर बनकर आएगा, तो दूसरी मेरी उस आरजू की जो चाहती है कि हमारे लिए मैं सफल हो जाऊं।
दानिश - "मुझे हिम्मत दो आरजू।"
आरजू - "तुम्हें मोहब्बत दी है... हिम्मत अब मेरी मोहब्बत देगी ।"
दानिश के कदम कांपे नहीं। उसकी आँखों में वो भरोसा था, जो मोहब्बत के साथ लड़ाई लड़कर आता है।
इंटरव्यू के सवाल - और जवाबों में इश्क़
सवालः "आप IPS क्यों बनना चाहते हैं?"
दानिशः "ताकि कानून का पहरेदार बन सकूं... और हर वो रिश्ता, जो जात-धर्म की वजह से तोड़ दिया जाता है- उसे सुरक्षा दे सकूं।"
सवाल: "आपको सबसे बड़ी प्रेरणा कौन देता है?"
दानिशः "वो लड़की जो खुद से ज़्यादा मुझ पर भरोसा करती है।" (फिर चाहे वह मां हो या प्रेमिका, या हो बहन)
पैनल मुस्कुराया... और शायद पहली बार किसी इंटरव्यू में इतनी ईमानदारी दिखी होगी।
रिजल्ट से एक दिन पहले एक झील के किनारे
दोनों इंडिया गेट के पास एक शांत झील पर बैठे थे।
दानिश बोला: "कल रिजल्ट आएगा... अगर मेरा नाम नहीं हुआ?"
आरजू - "तो फिर नाम से फर्क नहीं पड़ेगा...हम फिर भी एक-दूसरे के रहेंगे।"
दानिश - "और अगर हुआ?"
आरजू - "तो फिर मैं दुल्हन बनने की तैयारी शुरू कर दूँगी।"
दोनों मुस्कुराए। और फिर एक लंबी चुप्पी... जिसमें कोई वादा नहीं था, बस एक अविश्वासहीन भरोसा था।
वह सुबह आ ही गई जिसमें नाम, इज्जत और मिलन सब तय होना था
UPSC रिजल्ट आया। दानिश का नाम All India Rank 96, IPS सेवा के लिए चयनित हो गया।
दानिश ने आरजू को फोन लगाया तो आरजू ने जब फोन उठाया,
दानिश बोला: "तैयार हो?"
आरजू - "किस लिए?"
दानिश - "एक IPS की दुल्हन बनने के लिए.....
आरजू - मैं तो कब से तैयार हूं दानिश तुम्हारी दुल्हन बनने के लिए। और एक और खुशखबरी सुनाऊं मुझे भी IAS मिल गया है All India Rank 75 के साथ।
तभी यकायक दानिश की मुंहबोली बहन अवनी का कॉल आया, उसने पहले इन दोनों की खुशी साझा की, फिर अपनी खुशी में इनको शामिल किया और बताया कि भईया-भाभी मैं भी IAS के लिए चयनित हो गई हूं। अब क्या था इन तीनों के साथ साथ परिवार वालों की भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, ऐसा लग रहा था मानो ज़िंदगी की सबसे बड़ी जंग जीत ली हो।
परिवारों की सहमति और मोहब्बत की जीत
जब दोनों सेवाओं में आए IAS और IPS बनकर, तो समाज ने धीरे-धीरे विरोध छोड़ दिया और सम्मान देना शुरू कर दिया। आरजू के पापा ने शादी के दिन हाथ पकड़कर कहा:
"अब समझ आया... तुमने सिर्फ लड़का नहीं चुना, एक साथी चुना है।"
दानिश की माँ ने भी रोते हुए आरजू को गले लगाया और कहा कि -"तू मेरी बहू नहीं, मेरी बेटी है।"
शादी की पहली रात, दानिश ने आखिरी बार अपनी डायरी में लिखाः "अब इश्क़ को नाम मिल गया, और नाम को मुकाम... UPSC पास किया... पर सबसे बड़ी जीत तो आरजू थी।"
अब संघर्ष जीत में बदल चुका था। अब मोहब्बत सिर्फ एक अहसास नहीं रही- वो जीवन बन चुकी थी, पहचान बन चुकी थी।
अब शुरू हुआ वह सफर जो IAS और IPS बनने के बाद का था, अब उनके सामने एक नई चुनौती ये थी कि प्यार को बनाए रखना है, वो भी तब जब दोनों अलग जिलों में पोस्टेड हैं, और जिम्मेदारियाँ भारी हैं।
(कैसे उन दोनों ने अपने काम और परिवार के बीच सामंजस्य स्थापित किया अब ये देखना दिलचस्प होगा)
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