IMTEHAN-E-ISHQ OR UPSC - 6 in Hindi Love Stories by Luqman Gangohi books and stories PDF | इम्तेहान-ए-इश्क़ या यूपीएससी - भाग 6

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इम्तेहान-ए-इश्क़ या यूपीएससी - भाग 6

✨झगडे, अवनी और वो एक झप्पी✨

("मोहब्बत अगर सिर्फ मुस्कुराहटों में हो, तो कमजोर होती है-
उसमें कभी-कभी तकरार भी जरूरी है, ताकि पता चले कि रिश्ता कितना मजबूत है।")

एक छोटा-सा झगडा जो दोनों को बड़ा लगने लगा

उन दिनों पढ़ाई का दबाव भी बढ़ रहा था Prelims पास हो चुके थे, अब Mains की तैयारी की दौड़ शुरु थी। एक शाम दानिश ने आरजू को फोन कियाः

दानिश - "तुम आज लाइब्रेरी क्यों नहीं आई?"

आरजू - "बस... मन नहीं था। सर में दर्द था।"

दानिश - "कल भी नहीं आई थी। और... तुम्हारे नोट्स भी अधूरे हैं।"

आरजू - "मतलब? अब हर दिन तुम्हें जवाब देना है क्या?"

दानिश चुप हो गया।

थोड़ी देर बाद बोला:

"मैं बस पूछ रहा था... पर ठीक है। अगर ये भी बोझ लगे तो छोड़ दो फिर।" और उसने कॉल काट दिया।

पहली बार... आरज़ू को उसकी चुप्पी काटने लगी।

कुछ घंटों की दूरी, लेकिन दिल में हलचल

दोनों ने एक-दूसरे को मैसेज नहीं किया, कॉल नहीं किया, लाइब्रेरी भी नहीं गए। अब तक की हर सुबह जो मुस्कान से शुरू होती थी, अब सवाल से शुरू होने लगी थीः

"क्या मैंने ज्यादा कह दिया?"

"क्या उसे फर्क नहीं पड़ा?"

तब आई एक कॉल - लखनऊ से
यह कॉल अवनी की थी जो दानिश की मुंहबोली बहन है। अवनी लखनऊ में रहकर ही UPSC की तैयारी कर रही थी। बचपन से ही समझदार, थोड़ी मज़ाकिया और दानिश के मन की सबसे सच्ची पाठक है।

फोन उठाते ही बोली:

अवनी - "भाई, तुम्हारी आवाज़ में से आज 'आरजू' की कमी साफ सुन रही हूं। कुछ हुआ है?"

दानिश - "कुछ नहीं, बस थोडा डिस्टर्ब है सब।"

अवनी - "तुम दोनों इगो में पढ़ाई खराब कर लोगे। रिश्तों को टाइम पे संभालो, वरना अफसोस में लिखना पड़ेगा 'क्या होता अगर..."

दानिश कुछ नहीं बोला। पर उस रात उसकी आंखें नहीं लगीं।

फिर कॉल आया - आरज का

सुबह के 11:30 बजे थे, दानिश PG में अकेला बैठा था। फोन बजा तो दानिश ने झट से रिसीव किया -

आरजू - "कहाँ हो?"

दानिश "रुम पर। क्यों?"

आरजू - "मिलोगे?"

दानिश - "अभी?"

आरजू - "हां... अभी।"

दानिश "ठीक है... नीचे आ जाऊं?"

आरजू - "नहीं... मैं आ रही हूं।"

सफेद सूट, शांत आँखें - और वो एक झप्पी

आरजू आई।

सफेद सलवार सूट में... बाल खुले हुए, आँखों में नमी और चेहरे पर एक सीधा-सच्चा सवालः

आरजू - "क्या अब भी नाराज़ हो?"
दानिश - "नहीं... बस खुद से था। तुमसे नहीं।"

आरजू एक पल चुप रही... फिर धीरे से बोली:

"मुझे अच्छा नहीं लगा जब तुमने कहा कि अगर मैं बोझ लगता हूं तो छोड़ दो...

"तुम बोझ नहीं हो दानिश... बल्कि जब तुम नहीं होते हो, तो सब अधूरा लगता है।"

एक पल रुका सब कुछ। फिर दानिश ने पूछाः

"अच्छा एक झप्पी दे सकती हो?"

आरजू थोड़ी देर चुप रही, फिर धीमे से कदम बढ़ाए...और दोनों एक-दूसरे के सीने से लग गए। कोई नाम नहीं, कोई वादा नहीं बस एक झप्पी... और सब कह दिया।

वो दिन बीता, दोनों ने साथ डिनर किया, मोमोज खाए, और फिर आरजू को PG के पास छोड़ते हुए कहा -

दानिश- "हम झगड़ा कर सकते हैं... पर दूर नहीं जा सकते।"

आरजू - "दूर तो मैं भी नहीं जाना चाहती। और अगली बार अगर गुस्सा आए भी तो सीधे कह देना चलो झप्पी दे दो।" (हंसते हुए बोली)

रात को दानिश ने अपनी डायरी में लिखा:

"रिश्ते तकरार से नहीं टूटते.... वो तब टूटते हैं जब हम सुनना छोड़ देते हैं। और आरजू ने आज सुन लिया मुझे - बिना कुछ कहे।"

(अब रिश्ते की नींव और गहरी हो चुकी है। अवनी जैसे किरदारों ने इस मोहब्बत को समझा भी दियाथा, और सम्भाल भी लिया था। लेकिन आरजू ने अपना PG शिफ्ट कर दिया था, दूरी बढ़ती है लेकिन साथ नहीं छूटता। अब उनका रिश्ता सिर्फ मिलकर नहीं, मिलने की चाहत में भी जीने लगता है।)

प्रिय पाठकों से अनुरोध है कि फीडबैक अवश्य दें और इस सिरीज़ को बाधा रहित प्राप्त करने के लिए follow कीजिए।