📘 माफ़िया की नज़र में – Part 3: "किसी की निगाह में"
"कुछ नज़रें नफ़रत से नहीं, खौफ़ से देखती हैं… और वो खौफ़ तुम्हें घेर ले, इससे पहले पहचान लो—कौन दुश्मन है और कौन रक्षक।"अहाना की आँखों में अब भी रायान की वो ठंडी, गहरी नज़रें बसी थीं।
कैफेटेरिया में हुआ वाकया उसके ज़हन में बार-बार लौट रहा था। रायान की वो सख्त आवाज़, "छोड़ दो उसे," और फिर उसका वो अजीब सा सवाल—"तुम यहाँ अकेली रहती हो?"
उसके लफ्ज़ों में चेतावनी थी, लेकिन आँखों में कुछ और—जैसे वो उसे किसी अनजाने खतरे से बचाना चाहता हो।
या शायद वो खुद ही वो खतरा था।अहाना ने अपनी नोटबुक में लिखा था:
"वो मुझे डराता है, लेकिन उसका डर मुझे खींचता भी है। क्या ये गलत है?"
वो नहीं जानती थी कि उसकी ज़िंदगी अब एक ऐसी राह पर थी, जहाँ हर कदम पर सवाल और साये इंतज़ार कर रहे थे।
🌇 कॉलेज का तीसरा दिन
सेंट जेवियर्स कॉलेज का माहौल अब अहाना के लिए थोड़ा कम अजनबी लगने लगा था। लेकिन रायान की मौजूदगी ने सब कुछ और जटिल कर दिया था। वो हर जगह उसे महसूस करती थी—कॉलेज की गलियों में, क्लास की भीड़ में, और अपनी नींद में भी।सुबह वो लाइब्रेरी के एक शांत कोने में बैठी थी। सामने खुली किताब बस एक बहाना थी। उसका दिमाग रायान के इर्द-गिर्द घूम रहा था। मायरा की चेतावनी, निहारिका की गंभीर बातें, और वो कैफेटेरिया वाला हादसा—सब कुछ एक पहेली की तरह उलझ रहा था।तभी उसकी नज़र खिड़की के बाहर गई।
कॉलेज की चारदीवारी के उस पार, एक आदमी खड़ा था। साधारण से कपड़े, लेकिन उसकी चाल में एक अजीब ठहराव था। उसकी आँखें सीधे अहाना की तरफ थीं। वो नज़रें ठंडी थीं, लेकिन उनमें कुछ ऐसा था जो अहाना का दिल दहला गया।वो घबरा गई। उसने जल्दी से इधर-उधर देखा, लेकिन कोई परिचित चेहरा नहीं था। उसने सोचा शायद वो ज़्यादा सोच रही है। लेकिन जब उसने फिर से खिड़की की तरफ देखा, वो आदमी पलटकर भीड़ में गुम हो चुका था।"कौन था वो?" उसने खुद से पूछा। "क्या मैं सच में किसी खतरे में हूँ?"
उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। निहारिका की बातें अब और भारी लग रही थीं—"उसकी दुनिया में कदम रखा, तो वापस निकलना मुश्किल है।
"📞 माँ का फोन
शाम को अहाना अपने किराए के छोटे से कमरे में लौटी। उसका मन बेचैन था। उसने माँ को फोन मिलाया, शायद उनकी आवाज़ से उसे थोड़ा सुकून मिले।"माँ… बस ऐसे ही, आज क्लास में मन नहीं लग रहा था," उसने धीरे से कहा।
"सब ठीक है ना, बेटा?" माँ की आवाज़ में चिंता थी।
"हाँ… हाँ, सब बढ़िया है," अहाना ने झूठ बोला।लेकिन सच तो ये था कि सब कुछ उलझता जा रहा था। वो अजनबी, रायान की चेतावनी, और अब उसकी अपनी बेचैनी—सब कुछ उसे घेर रहा था। उसने फोन रखा और पापा की तस्वीर को देखा। "पापा, आप होते तो शायद मुझे समझ आता कि ये सब क्या है," उसने मन ही मन कहा।
🌌 रात का रहस्यरात के 8:30 बजे।
बाहर हल्की-हल्की बारिश की फुहारें पड़ रही थीं। अहाना अपने कमरे में अकेली थी, खिड़की से आती ठंडी हवा उसे थोड़ा सुकून दे रही थी। तभी दरवाज़े पर एक तेज़ खटखटाहट हुई।"कौन है?" उसने डरते हुए पूछा, दरवाज़े की तरफ बढ़ते हुए।"डिलीवरी, मैम!" एक भारी आवाज़ आई।"मैंने कुछ ऑर्डर नहीं किया…" अहाना ने हिचकते हुए कहा।"रायान सर ने भेजा है, आपके लिए।"ये सुनते ही अहाना के हाथ कांपने लगे। उसने धीरे से दरवाज़ा खोला। सामने एक लंबा-चौड़ा आदमी खड़ा था, बॉडीगार्ड जैसा हाव-भाव। उसके हाथ में एक छोटा सा पैकेट था।"ये क्या है?" अहाना ने पूछा, उसकी आवाज़ में डर और उत्सुकता दोनों थे।"रायान सर ने कहा—खोलकर देखिए, और हो सके तो कुछ देर बाद खिड़की बंद कर लीजिए।"वो आदमी बिना कुछ और कहे चला गया। अहाना ने दरवाज़ा बंद किया और पैकेट को कांपते हाथों से खोला।
📦 पैकेट का रहस्य
पैकेट में एक छोटा सा कागज़ का नोट था, जिस पर साफ़, सख्त लिखावट में लिखा था:
"10 बजे के बाद किसी पर भरोसा मत करना। – R"साथ में एक छोटा सा GPS ट्रैकर था, जो मोबाइल से कनेक्ट होने वाला था।अहाना का दिमाग सुन्न हो गया। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। "ये सब क्या है?" उसने खुद से पूछा। "रायान को मेरे बारे में इतना कैसे पता? और ये GPS ट्रैकर… क्या मैं किसी खतरे में हूँ?"उसने जल्दी से खिड़की की तरफ देखा। बाहर बारिश तेज़ हो रही थी, और सड़क सुनसान थी। लेकिन उसे फिर से वही अजीब सा एहसास हुआ—जैसे कोई उसे देख रहा हो। उसने तुरंत खिड़की बंद की और पर्दे खींच दिए।
🔥 रायान का अंधेरा
इसी वक़्त, दिल्ली के एक सुनसान वेयरहाउस में।
अंधेरे की सायों में रायान सिंगानिया खड़ा था। उसकी काली कोट ज़मीन पर पड़े चार आदमियों के पास पड़ी थी। वो चारों अधमरी हालत में थे, उनके चेहरों पर खौफ़ और खून के निशान।"तुमने कॉलेज के अंदर कदम रखा, सिर्फ़ इसलिए ज़िंदा हो," रायान की आवाज़ ठंडी थी, लेकिन हर शब्द में आग थी। "अगली बार मेरी नज़रों में आए, तो ये तुम्हारी आखिरी साँस होगी।"उसके एक इशारे पर उसके बॉडीगार्ड्स ने उन आदमियों को घसीटकर बाहर ले गए। रायान ने दीवार की तरफ देखा, जहाँ एक पुरानी तस्वीर टंगी थी। उसमें एक आदमी था—जिसका चेहरा अहाना के पापा से मिलता-जुलता था।"उस लड़की के पास अगर फिर से कोई गया," रायान ने धीरे से कहा, "तो ये शहर लहूलुहान हो जाएगा।"उसकी नज़रें अब सिर्फ़ एक नाम पर टिकी थीं—अहाना।
🌫️ रात का आखिरी झटका
अहाना अपने कमरे में बैठी थी, GPS ट्रैकर को बार-बार उलट-पलट कर देख रही थी। तभी उसे खिड़की के पास कुछ हलचल सी महसूस हुई। वो डरते हुए उठी और पर्दे हटाए।खिड़की के बाहर कोई नहीं था, लेकिन नीचे ज़मीन पर एक कागज़ पड़ा था। उसने डरते-डरते खिड़की खोली और कागज़ उठाया। उस पर पुरानी, फीकी स्याही से एक लाइन लिखी थी:"क्या तुम्हें पता है… कि रायान ने तुम्हारे पापा की कसम खाई थी?"अहाना का दिल जैसे रुक गया। उसका हाथ कांपने लगा, और कागज़ ज़मीन पर गिर गया।
"पापा… रायान… ये सब क्या है?" उसने खुद से पूछा।वो अजनबी, जो दिन में उसे देख रहा था, अब उसके कमरे के बाहर था। और अब ये कागज़…
क्या रायान उसका रक्षक था, या वो उसकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा खतरा?
💥 To Be Continued…
अहाना के सामने अब एक सवाल है—रायान सिंगानिया और उसके पापा का क्या रिश्ता था?
क्या वो GPS ट्रैकर उसकी सुरक्षा के लिए है, या किसी साज़िश का हिस्सा?
और वो अजनबी… क्या वो रायान का दुश्मन है, या कोई और?
Part 4 में होगा:
उस डायरी का राज़, जो अहाना की ज़िंदगी को उलट-पुलट कर देगा।
रायान और अहाना की पहली गहरी बातचीत।
एक कड़वा सच, जो उनकी ज़िंदगी की कड़ियों को जोड़ेगा।
अगर ये हिस्सा आपके दिल को छू गया, तो फॉलो करना न भूलें। क्योंकि अब कहानी और गहरी होगी, और हर नज़र एक नया राज़ खोलेगी।
Thankyou 🥰🥰 ...