Tere Mere Darmiyaan - 4 in Hindi Love Stories by Neetu Suthar books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियाँ - 4

Featured Books
Categories
Share

तेरे मेरे दरमियाँ - 4


🎬 एपिसोड 4 – “तकरार की शुरुआत या साथ की सरगम?”


---

🕰️ [सीन 1: कॉलेज का प्रांगण – दोपहर 12:45]

हल्की बारिश थम चुकी थी, लेकिन मौसम में अब भी नमी थी। कॉलेज की इमारतें बारिश के बाद कुछ और चमक रही थीं। आसमान में बादल थे लेकिन बीच-बीच में धूप झांक जाती।
संजना अपनी क्लास से बाहर निकली, हाथ में नोट्स और माथे पर उलझन।

📸 कैमरा क्लोजअप:
उसके चेहरे पर तनाव साफ़ दिख रहा था।

प्रोफेसर की आवाज़ फ्लैशबैक में गूंजती है:
“संजना और आरव, तुम दोनों मिलकर डिबेट सेमिनार का इंट्रोडक्शन तैयार करोगे। मैं उम्मीद करता हूं कि ये सेशन सबसे प्रभावशाली होगा।”

🧕 संजना (बड़बड़ाते हुए):
"क्या इस कॉलेज में कोई और नहीं बचा क्या? हर बार वही आरव? अब तो भगवान भी मुझे उसी से मिलवाना चाहते हैं शायद…"

वो तेजी से कैंटीन की तरफ बढ़ती है, लेकिन तभी सामने से आरव आता है।


---

🧑‍🕶️ [सीन 2: कैंटीन के बाहर]

आरव हमेशा की तरह आत्मविश्वास से भरपूर था। सफेद शर्ट, नीली जींस, और वही मुस्कान जो अकड़ से ज़्यादा ताना लगती थी।

🧑‍🕶️ आरव (हल्के से मुस्कराते हुए):
"तो, फिर से हमारी जोड़ी बन ही गई, मिस टॉपर।"

🧕 संजना (आँखें तरेरते हुए):
"मैं तुम्हारे साथ कोई जोड़ी नहीं बना रही। ये कॉलेज का प्रोजेक्ट है, शादी का मंडप नहीं।"

🧑‍🕶️ आरव (हंसते हुए):
"इतनी नाराज़गी? चलो अच्छा है, काम जल्दी निपटेगा। वैसे तुम्हें गुस्सा करते हुए देखना भी एक टैलेंट है…"

📸 कैमरा पैन – संजना चुपचाप कैंटीन की तरफ मुड़ जाती है।
आरव एक पल के लिए रुकता है, फिर उसके पीछे चल देता है।


---

📚 [सीन 3: कॉलेज लाइब्रेरी – शाम 4:00 बजे]

टेबल पर किताबें फैली हुई हैं। दोनों आमने-सामने बैठे हैं।
संजना नोट्स लिख रही है, आरव उसे घूर रहा है — कभी-कभी पेन घुमा देता है, कभी सिर टिकाकर सोचने का नाटक करता है।

🧕 संजना (बिना देखे):
"अगर काम में ध्यान नहीं है तो निकल सकते हो। मैं अकेले भी कर लूंगी।"

🧑‍🕶️ आरव (थोड़ी गंभीरता से):
"इतना गुस्सा क्यों है तुममें, संजना? हर किसी से लड़ना ज़रूरी है क्या?"

🧕 संजना (आँखें उठाते हुए):
"क्योंकि मैंने सीखा है कि अगर आवाज़ नहीं उठाओगे, तो कोई तुम्हें सुनने के काबिल नहीं समझेगा।"

📸 कैमरा क्लोजअप:
एक पल को दोनों की आंखें मिलती हैं। उस नफ़रत के पीछे कुछ और छिपा होता है, लेकिन दोनों चुप हैं।


---

🚶‍♂️ [सीन 4: कॉलेज की सीढ़ियों पर – शाम 6:00 बजे]

लाइब्रेरी से निकलते हुए संजना के हाथ से उसके नोट्स गिर जाते हैं। हवा चलती है, पन्ने उड़ने लगते हैं।
आरव बिना कुछ बोले सब पन्ने इकट्ठा करता है और धीरे से उसे पकड़ाता है।

🧑‍🕶️ आरव (धीमे स्वर में):
"वैसे जब तुम गुस्से में नहीं होती, तब... काफी अलग लगती हो।"

🧕 संजना (पन्ने लेते हुए):
"मतलब मैं तुम्हारी पसंद नहीं हूं, यही कहना चाहते हो ना?"

🧑‍🕶️ आरव (हंसते हुए):
"कहना तो बहुत कुछ चाहता हूं, लेकिन लगता है तुम अभी सुनने के मूड में नहीं हो।"

📸 कैमरा स्लो मोशन:
संजना पलटती है, लेकिन उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान तैर जाती है।


---

🏠 [सीन 5: गर्ल्स हॉस्टल – रात 9:30]

संजना अपने कमरे में बैठी है। उसकी रूममेट पूजा पूछती है—

👧 पूजा:
"आज तो बड़ी चुप हो यार। सब ठीक है?"

🧕 संजना:
"पता नहीं... आज आरव कुछ अलग था। जैसे… जैसे उसमें कुछ था जो मैं पहले देख नहीं पाई।"

👧 पूजा (शरारत से):
"मतलब अब नफ़रत से मोहब्बत की शुरुआत?"

🧕 संजना:
"नहीं… ये मोहब्बत नहीं है। शायद… कन्फ्यूजन है।"

📖 वॉयसओवर (संजना की डायरी):
"कभी-कभी इंसान की आंखों में छिपे सवाल, उसके लफ्ज़ों से ज्यादा सच बोलते हैं। आज आरव की आंखों में सवाल था – क्या मैं वही हूं, जो वो समझता था?"


---

🔚 एपिसोड समाप्त – क्लिफहैंगर

📸 अंतिम दृश्य:
कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर एक नया सर्कुलर चिपका होता है –
“डिबेट इवेंट के लिए दोनों पार्टनर्स को जयपुर जाना होगा – 2 दिन के लिए कॉलेज टूर।”

🎵 Background Music: हल्का रोमांटिक सस्पेंस ट्यून

🧕 संजना की नजरें नोटिस पर टिक जाती हैं…
और एपिसोड धीरे-धीरे फेड आउट होता है।


---

👉 एपिसोड 5 में देखें:

क्या जयपुर का ये दो दिन का टूर, दोनों के रिश्ते में दूरी बढ़ाएगा… या कुछ और करीब ले आएगा?


---