🌸 तेरे मेरे दरमियाँ – एपिसोड 8
“जब रिश्ते सबकी नज़रों में आ जाएँ…”
🎭 इमोशंस, समाज का दबाव और मोहब्बत की असल परीक्षा…
---
“हमेशा साथ चलने का वादा करना आसान होता है,
लेकिन जब रास्ते सबकी नज़रों से होकर गुज़रते हैं —
तब मोहब्बत की असलियत सामने आती है।”
संजना और आरव के बीच अब सब कुछ साफ़ था।
एक-दूसरे को समझना, अपनाना… और साथ चलना।
लेकिन अब इस रिश्ते को सिर्फ उनके दिल ही नहीं,
कॉलेज, समाज, और परिवार की नज़रों से भी गुज़रना था।
---
📚 सीन: कॉलेज कैंपस – सोमवार सुबह
कॉलेज में पिछले दिन हुए Youth Cultural Meet की बातें हर तरफ़ थीं।
फेसबुक और इंस्टाग्राम पर आरव और संजना की स्टेज परफॉर्मेंस वायरल हो चुकी थी।
वीडियो के कैप्शन थे:
"Real Chemistry 💕"
"Best Couple Vibe!"
"Love on Campus ❤️🔥"
संजना जब कैंपस में दाखिल हुई, तो सबकी नज़रें उस पर थीं।
कुछ मुस्करा रहे थे, कुछ चौंक कर देख रहे थे, और कुछ… ताने दे रहे थे।
"इसीलिए लड़कियाँ टॉपर बनती हैं, ताकि लड़कों का दिल जीत सकें…"
"इतनी शरीफ दिखती है, और देखो काम क्या निकला!"
संजना ने कुछ नहीं कहा…
बस धीमे-धीमे लाइब्रेरी की ओर चल पड़ी।
---
🧠 सीन: लाइब्रेरी – चुप्पी में डूबा दोपहर
आरव वहाँ पहले से बैठा था। जैसे ही उसने संजना को देखा, वो मुस्कराया।
"कैसी हो आज?"
संजना चुप रही।
"सब ठीक है न?"
"नहीं, आरव… सब ठीक नहीं है।
लोग देख नहीं रहे कि हमारे बीच क्या है, वो बस ये देख रहे हैं कि हम साथ हैं।
तुम समझ सकते हो ये कैसा लगता है?"
आरव कुछ पल चुप रहा।
"मैं समझ सकता हूँ।
मैं भी सुन रहा हूँ — क्लासमेट्स के ताने, दोस्तों की बातें… और हां, कुछ प्रोफेसर तक जो कहते हैं —
‘लड़का अच्छा है, पर लड़की की इमेज अब वैसी नहीं रही।’"
संजना की आँखें भर आईं।
"तो क्या करें, आरव? क्या हम अब अलग बैठें? बात न करें? छिप-छिप कर मिलें?"
आरव ने उसका हाथ थामा और कहा:
"नहीं। हम अब जैसे भी मिलें, सच में मिलें।
हमने ये रिश्ता दुनिया को दिखाने के लिए नहीं बनाया था… पर अगर दुनिया देख रही है,
तो उन्हें हमारी सच्चाई भी दिखनी चाहिए।"
---
🏠 सीन: आरव का घर – रात 9:00 बजे
आरव की माँ चाय बना रही थीं।
"माँ, आप संजना से मिल चुकी हैं… कैसा लगा आपको?"
"बहुत समझदार लड़की है।
पर बेटा, आज पड़ोस की आंटी ने कहा — ‘आपके बेटे का कॉलेज में अफेयर चल रहा है?’
तुम समझ रहे हो ना, ये बातें बाहर कैसे जाती हैं?"
आरव सिर झुका गया।
"माँ, मैं संजना को सिर्फ पसंद नहीं करता…
वो मेरी ज़िंदगी है। लेकिन मैं उसे किसी गॉसिप का हिस्सा नहीं बनने दूँगा।"
माँ उसकी पीठ पर हाथ रखती हैं।
"तो फिर उस लड़की को इतना मज़बूत बनाओ कि वो इन बातों से ना डरे…
और खुद को इतना साफ रखो कि उसे दुनिया से डरने की ज़रूरत न पड़े।"
---
📞 सीन: संजना का फ़ोन – घर से कॉल
"बिटिया, सब ठीक है न?"
पापा की आवाज़ में चिंता थी।
"हाँ पापा, क्यों?"
"किसी ने मोहल्ले में फोटो भेजी… तुम स्टेज पर किसी लड़के के साथ…
सब लोग सवाल पूछ रहे हैं। क्या वो लड़का तुम्हारा दोस्त है?"
संजना ने गहरी साँस ली।
"पापा, वो सिर्फ दोस्त नहीं है।
वो मेरी ज़िंदगी का हिस्सा बन रहा है।
पर मैं आपको बिना बताए कुछ नहीं करूंगी।"
फोन के उस पार कुछ सेकेंड खामोशी रही…
फिर पापा बोले —
"मैं तुम पर यकीन करता हूँ बेटा… बस इतना ध्यान रखना कि कोई तुम्हारे विश्वास को हथियार न बनाए।"
---
🏫 सीन: कॉलेज डायरेक्टर की मीटिंग – मंगलवार दोपहर
आरव और संजना को ऑफिस बुलाया गया।
"कॉलेज का नाम बनाना भी ज़रूरी है… और बचाना भी।
आप दोनों मेधावी छात्र हो, लेकिन इन दिनों आपका नाम सोशल मीडिया पर किस रूप में वायरल है, ये देखना पड़ेगा।
हम आपसे अनुरोध करते हैं कि कुछ दिन पब्लिक अपीयरेंस कम करें।"
संजना की आंखों में आँसू थे।
आरव ने डायरेक्टर को देखा और बोला:
"सर, हम कभी कॉलेज में अनुशासन नहीं तोड़ते।
हम दोनों क्लासेस में समय पर होते हैं, इवेंट्स में योगदान देते हैं…
अगर साथ होना गुनाह है, तो सज़ा दीजिए… लेकिन ये मत कहिए कि हमें अपने रिश्ते पर शर्म आनी चाहिए।"
डायरेक्टर ने कुछ नहीं कहा…
बस फाइल बंद कर दी और बोले —
"आप जा सकते हैं।"
---
🌃 सीन: कॉलेज की छत – वही पुराना कोना
आरव और संजना फिर से वहीं थे, जहाँ पहली बार दिल की बात शुरू हुई थी।
"ये लड़ाई हमारी मोहब्बत की नहीं है, आरव… ये उस सोच से है जो किसी लड़की के प्यार को उसकी कमजोरी समझती है।"
"तुम चाहो तो दूर जा सकती हो, संजना… ताकि ये सब खत्म हो जाए।"
संजना उसकी आँखों में देखती है —
"मैं दूर नहीं जाऊंगी…
मैं तुम्हारा नाम अपनी इज़्ज़त के साथ जोड़ना चाहती हूँ — न कि किसी अफवाह की तरह छोड़ देना।"
आरव की आँखें भर आईं।
"शुक्र है… मोहब्बत अब भी इतनी मज़बूत है कि दुनिया उसके सामने बौनी लगती है।"
---
📖 सीन: डायरी एंट्री – रात 11:45
"जब मैं उसके साथ होती हूँ, मुझे अपने सवालों से डर नहीं लगता।
मुझे दुनिया की बातें कड़वी लग सकती हैं…
पर उसका साथ उस कड़वाहट को मिठास में बदल देता है।
अगर ये प्यार नहीं, तो और क्या है?"
---
💥 सीन: एक नया ट्विस्ट – कॉलेज मैगज़ीन टीम की मीटिंग
कॉलेज की मीडिया हेड, अदिति (जो पहले आरव की पार्टनर बनी थी) अब एक इंटरव्यू का प्रस्ताव देती है।
"हम अगले महीने का मैगज़ीन थीम बना रहे हैं — 'Campus Couples: Stereotype Vs Reality'
हम चाहते हैं कि आप दोनों अपनी कहानी बताएं।"
संजना हिचकिचाती है, पर आरव हामी भरता है।
---
📰 सीन: इंटरव्यू डे
मैगज़ीन टीम बैठी थी, सामने कैमरा, रिकॉर्डर, और कुछ सवाल:
"आप दोनों ने साथ रहने का फैसला तब किया, जब हर तरफ़ सवाल उठ रहे थे — कैसे संभाला?"
संजना ने जवाब दिया —
"हमें लगा था कि प्यार आसान होगा,
लेकिन हम सीख गए कि सच्चा प्यार तब सामने आता है जब लोग उसे गलत साबित करना चाहें।
हमने एक-दूसरे पर भरोसा करना चुना — दुनिया से ज़्यादा।"
आरव ने जोड़ा —
"अगर आज हम हार जाते… तो शायद कल हमारी जैसी कोई और मोहब्बत हिम्मत नहीं कर पाती।"
---
🔚 एपिसोड 8 समाप्त
🔔 अगले एपिसोड में:
मैगज़ीन पब्लिश होने के बाद संजना के परिवार का विरोध,
आरव की माँ की असमंजस और एक मुश्किल फैसला —
क्या वो अब भी एक-दूसरे के लिए खड़े रहेंगे?