Tere Mere Darmiyaan - 2 in Hindi Love Stories by Neetu Suthar books and stories PDF | तेरे मेरे दरमियाँ - 2

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तेरे मेरे दरमियाँ - 2

तेरे मेरे दरमियाँ की एपिसोड 2
"करीबियां या टकराव?"



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🌸 एपिसोड 2 – करीबियां या टकराव?

कॉलेज का दूसरा दिन था। संजना सुबह जल्दी उठ गई थी। बारिश थम चुकी थी लेकिन मौसम अब भी ठंडा था। उसने गुलाबी रंग का सूट पहना और हल्की सी चोटी बनाई। आरव से हुई पहली टकराहट अब भी उसके मन में घूम रही थी।

"कितना घमंडी था वो… और फिर भी उसके चेहरे पर कुछ था जो आँखें हटने नहीं देती थीं।"
संजना ने खुद से कहा और फिर झट से अपना बैग उठाकर हॉस्टल से निकल पड़ी।

कॉलेज पहुँचते ही नोटिस बोर्ड पर एक चौंकाने वाली सूचना मिली —

> "इंटरडिपार्टमेंटल प्रोजेक्ट जोड़ी के साथ करना होगा। जोड़ी का चयन कॉलेज ने पहले ही कर लिया है।"



उसने जैसे ही लिस्ट में अपना नाम खोजा, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं:

> Sanjana Sharma – Arav Malhotra



"ये क्या मज़ाक है?" वो गुस्से में बड़बड़ाई।

उसी वक्त पीछे से एक जानी-पहचानी आवाज़ आई, "लगता है किस्मत को हमारी जोड़ी पसंद आ गई है।"

वो मुड़ी — आरव मुस्कुरा रहा था।

"कॉलेज में सिर्फ ये नहीं सिखाते कि कैसे पढ़ो, ये भी सिखाते हैं कि कैसे दूसरों के साथ काम करो। अब तुम चाहो या न चाहो, हम साथ काम करने वाले हैं।"

"मैं डीन से बात करूंगी। जोड़ी बदलनी होगी," संजना बोली।

"तुम कर सकती हो… लेकिन क्या यकीन है कि कोई और तुम्हें झेल पाएगा?" उसने आँखें मटकाई।

संजना उसे घूरती रही, फिर बिना कुछ कहे वहाँ से चली गई।


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📚 लाइब्रेरी में पहली मुलाकात (शांति में)

प्रोजेक्ट का विषय था: "भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका का बदलाव"
आरव और संजना को एक साथ लाइब्रेरी में बैठकर काम करना था।

आरव ने अपने सामने किताबें फैला ली थीं, लेकिन उसकी निगाहें बार-बार संजना के चेहरे पर टिक रही थीं।

"तुम इतनी गुस्सैल क्यों हो?" उसने अचानक पूछा।

संजना चौंकी। "मैं गुस्सैल नहीं हूं। बस दिखावे से नफरत है। और तुम्हें देखकर वही दिखता है।"

आरव पहली बार चुप हो गया। फिर हल्के से बोला, "तुम पहली लड़की हो जिसने मुझसे ऐसे बात की है। सब लोग या तो डरते हैं या खुशामद करते हैं।"

"तो फिर तुम्हें शायद सच्चे रिश्ते की तलाश है?"
संजना का ये सवाल खुद उससे भी अनजाना था।

आरव थोड़ी देर चुप रहा, फिर बोला —
"शायद। पर मैं ये नहीं कह सकता कि तुम वही हो…"

"न ही मैं ये चाहती हूं कि तुम ऐसा सोचो," संजना ने मुस्कुराते हुए कहा।

एक अजीब सी शांति उन दोनों के बीच पसर गई।


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🏠 मल्होत्रा हवेली – आरव की माँ का रुख

राधिका मल्होत्रा अपने बेटे को लेकर हमेशा चिंतित रहती थीं। उसे लगता था कि आरव को किसी 'उचित परिवार' की लड़की से ही संबंध रखने चाहिए।

"तुम किसके साथ काम कर रहे हो?" उन्होंने डाइनिंग टेबल पर पूछा।

"एक लड़की है… संजना।"

"शर्मा? कौन शर्मा? उसका बाप क्या करता है?"

"मुझे नहीं पता माँ, और सच कहूं तो ज़रूरी भी नहीं।"

"तुम्हें ये सब ज़रूरी नहीं लगता होगा, लेकिन मैं जानती हूँ कि मल्होत्रा नाम की जिम्मेदारी क्या होती है।"

आरव ने सिर झुका लिया।
"मैं किसी से शादी नहीं करने जा रहा, बस प्रोजेक्ट है।"

"पर शुरूआत ऐसे ही होती है..." राधिका ने तीखी निगाहों से देखा।


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🕯️ रात – हॉस्टल में संजना की डायरी

> "आज आरव थोड़ा अलग लगा। उसकी आँखों में अकड़ नहीं थी, सवाल थे।
मैंने उसे इंसान की तरह देखा, किसी अमीर के बेटे की तरह नहीं।
क्या हम सच में प्रोजेक्ट से आगे भी कुछ बन सकते हैं? या ये सब एक भ्रम है?"




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📱 अगली सुबह – एक अनजाना मैसेज

संजना को फोन पर एक मैसेज आया —
"लाइब्रेरी में तुम्हारे लिए कुछ छोड़ा है — A"

वो चौंकी।
"ये आरव है?"

वो लाइब्रेरी पहुँची, तो अपनी टेबल पर एक गुलाब रखा था और एक चिट्ठी:

> "प्यार से नहीं, समझदारी से शुरू करते हैं…
प्रोजेक्ट के साथ दोस्ती भी कर सकते हैं क्या?" – आरव



संजना के चेहरे पर हल्की मुस्कान तैर गई।


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🔚 एपिसोड 2 समाप्त

अगला एपिसोड 3: “दोस्ती या धोखा?”
(जहाँ एक पुरानी तस्वीर उठाएगी कहानी में नया तूफान…)


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