(छाया और विशाल के बीच टीना की साजिश से पैदा हुई गलतफहमियाँ आखिरकार साफ़ हो गईं। विशाल को CCTV फुटेज से सच्चाई का पता चला और उसने टीना को सामना करने को कहा। छाया ने टीना को संयमित शब्दों में सब स्पष्ट कर दिया—विशाल अब उसका नहीं है। टीना टूट गई, लेकिन छाया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। विशाल खामोश था, पश्चाताप से भरा।
उधर, नित्या ने कॉलेज का पहला दिन अच्छे से बिताया और संयोगवश उसे ट्यूशन की नौकरी भी मिल गई।
एक तरफ रिश्तों की उलझन सुलझ रही थी, दूसरी ओर कुछ नई शुरुआतें हो रही थीं। अब आगे)
कार जल्दी ही खुराना हाउस पहुंच गई। आग्रह पूरे रास्ते टीना को देखता रहा, टीना का रो-रोकर बुरा हाल था। उसकी हालत भी ठीक नहीं लग रही थी। आग्रह दिल ही दिल में टीना को पसंद करता था, लेकिन जानता था कि टीना के मन में विशाल है, इसलिए उसने कभी अपनी भावनाएँ जाहिर नहीं कीं। आग्रह ने टीना को घर के अंदर छोड़ देना ही ठीक समझा।
विशाल टीना के दुःख से अंजान नहीं था, पर उसके किए पर अभी भी आहत था। वह कार में ही बैठा रहा। आग्रह कुछ देर बाद लौटा और सामने वाली सीट पर बैठ गया। अचानक विशाल ने आग्रह को गले लगा लिया और आंखें बंद कर बोला, "सॉरी।"
आग्रह ने हैरानी से विशाल को देखा। विशाल ने नज़रें झुकाकर कहना शुरू किया, "मैं जानता हूं कि तुम टीना को कितना पसंद करते हो, पर ये नहीं जानता था कि वह मुझसे..." शब्द वहीं अटक गए।
आग्रह ने दोस्ताना अंदाज़ में उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, "इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है, मेरे दोस्त।"
थोड़ी देर दोनों खामोश रहे। फिर आग्रह ने माहौल हल्का करने के लिए कहा, "चल यार, डिस्को चलते हैं।"
विशाल मुस्कुराया और कार डिस्को की ओर मोड़ दी।
15 मिनट में वे एक बेहद स्टाइलिश डिस्को पहुंचे, जहाँ 'एंजल डिस्को' बड़े चमकदार अक्षरों में लिखा था। वहां वीआईपी एंट्री ही थी, कई लोग बाउंसरों द्वारा रोके जा रहे थे। विशाल ने मोबाइल से स्कैन किया और दोनों अंदर चले गए। साफ था कि वह किसी रईस परिवार से ताल्लुक रखता है।
अंदर तेज़ म्यूज़िक और रंगीन रोशनी थी। कई लड़कियाँ उन्हें देख रही थीं, पर विशाल और आग्रह का ध्यान कहीं और था। उन्होंने एक बड़ी ड्रिंक की बोतल मंगाई। आग्रह ज़्यादा पी गया और वहीं झुक गया। विशाल ने संयम में रहकर पी, क्योंकि उसे ड्राइव करना था।
वह छाया के बारे में सोचता रहा, अपने किए पर शर्मिंदा महसूस कर रहा था। उसका हाथ बार-बार छाया का नंबर डायल करने को उठता, पर रुक जाता। कभी उसने छाया के "I love you" मैसेज डिलीट कर दिए, फिर ब्लॉक किया और अंत में नंबर ही बदल दिया। लेकिन आज उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो उसे इतना क्यों याद कर रहा है।
तभी आग्रह की बड़बड़ाहट से उसका ध्यान टूटा—वह टीना का नाम ले रहा था और कह रहा था, "मैं विशाल से कम नहीं हूँ... टीना..."
विशाल आग्रह की हालत नहीं देख पाया। उसने बाउंसर की मदद से आग्रह को कार में बिठाया और खुराना हाउस की ओर रवाना हुआ। आग्रह को उसके कमरे में लिटा कर वापस कार में बैठ गया। आग्रह का घर किसी महल से कम नहीं था।
अब वह अपने घर पहुंचा, गेट रिमोट से खुला। मां दरवाजे पर थीं। मुस्कुराते हुए वह ऊपर चला गया। मां से उसका रिश्ता औपचारिक सा था—सवाल-जवाब तक सीमित।
ऊपर जाकर नहाने के बाद वह बिस्तर पर लेट गया और किताब से एक फोटो निकाली—जिसमें आग्रह और वह बास्केटबॉल पकड़े खड़े थे। उसे बचपन याद आ गया जब वह होस्टल नहीं जाना चाहता था। रोते हुए आग्रह से मिला था। आग्रह ने कहा था, "रो लो, फिर खेलेंगे।" और बास्केटबॉल कोर्ट में दोनों ने साथ खेलने का सपना देखा था।
इन यादों के साथ उसे नींद आ गई। सुबह लेट उठा। फोन में टीना के कई मिस्ड कॉल थे, पर उसने ध्यान नहीं दिया और जॉगिंग पर निकल गया। वापस आकर नहाया, पौष्टिक नाश्ता किया और कॉलेज के लिए रवाना हो गया।
क्लास में न तो टीना थी, न आग्रह। उसने आग्रह को कॉल किया पर जवाब नहीं मिला। फिर उसने किंजल को कॉल किया—आग्रह की छोटी बहन।
"हैलो विशाल भाई!" उसकी आवाज सुनकर विशाल मुस्कुराया। "हैलो माय प्रिंसेस! आग्रह भाई कहाँ हैं?"
"सो रहे हैं, जगाऊं?"
"नहीं, रहने दो। जब जागें तो कह देना कि कॉल कर लें।"
क्लास के बाद वह बाहर आया। टीना के बहुत सारे मैसेज आए थे, पर उसने कोई जवाब नहीं दिया। तभी उसकी नज़र मैदान में छाया और काशी पर पड़ी। छाया किताबों में डूबी थी और काशी कुछ लिख रही थी। उसे सब कुछ धुंधला दिखा, सिवाय छाया के। थोड़ी देर बाद वह बास्केटबॉल की ओर बढ़ गया।
मैदान में खेलते हुए उसकी नज़र बार-बार छाया पर पड़ रही थी, जो अब काशी के साथ पास की सीट पर बैठी थी। छाया की निगाहें भी बार-बार विशाल की ओर जा रही थीं, पर वह नज़रें चुरा रही थी।
घंटी बजी, दोनों उठकर चल दीं। काशी बार-बार छाया को देखती रही।
"मुझसे प्यार हो गया है क्या मैडम?"
"शक्ल मासूम है मेरी, इसका मतलब ये नहीं कि मुझे कुछ समझ नहीं आता।"
"किस कोने से मासूम लग रही हो तुम?"
"मैंने देखा, तुम दोनों का नैन मटक्का चल रहा था।"
छाया मुस्कुरा कर पढ़ाई में लग गई। तभी चौधरी सर आ गए।
पढ़ाई के बाद ग्रुप स्टडी के लिए विनय का इंतज़ार हो रहा था। छाया वॉशरूम गई। वापसी में डैनी ने उसका रास्ता रोक लिया।
"क्या बदतमीज़ी है डैनी?"
"सुना है, विशाल के साथ लाइब्रेरी में बंद थी। क्या-क्या किया?"
छाया सख्त हो गई, "मेरे और विशाल के बीच कुछ नहीं। खबरदार आगे से बकवास की तो।"
डैनी ने उसकी कोहनी पकड़ने की कोशिश की। तभी विशाल ने उसे मुक्का मारा और कॉलर पकड़ लिया। भीड़ जमा हो गई।
"क्या बोला? फिर से बोल।"
"अरे छाया! इससे अच्छा तो मैं हूँ। ज्यादा पैसा, ज्यादा प्यार।"
विशाल और डैनी में लड़ाई होने वाली थी कि चिराग सर आ गए।
"काश तुम्हारे पास दिमाग और संस्कार भी होते।"
डैनी डर गया और भाग गया। भीड़ छँट गई।
काशी ने छाया का हाथ पकड़कर उसे ले चली। छाया पीछे मुड़-मुड़ कर विशाल को देख रही थी और विशाल उसे।
विनय ने पूछा, "तुम ठीक हो न?"
"हाँ, चलो पढ़ाई करें।"
"नहीं, आज तुम घर जाओ।"
"गलती डैनी की और सज़ा मुझे? ये तो नाइंसाफी है ठाकुर।"
सब हँसने लगे। ग्रुप स्टडी शुरू हो गई। दूर खड़ा विशाल भी मुस्कुरा रहा था।
फिर वह सोचने लगा—"मैंने तो टीना से कहा था किसी को न बताए... फिर ये सब कैसे?"
तभी आग्रह का कॉल आया। विशाल ने फोन उठाया, "अरे भाई! आज सोते रहोगे..."
पर आग्रह की बात सुनकर वह चौंक गया।
"कब? कैसे हुआ? तू वहीं रह, मैं आ रहा हूँ।"
उसका चेहरा सर्द हो गया। वह तेज़ी से कार में बैठा और कॉलेज से निकल गया।
छाया, इन सब से अनजान, पढ़ाई में डूबी रही।
...
1. क्या छाया सच में विशाल को माफ़ कर चुकी है, या उसकी ख़ामोशी में कोई और तूफ़ान छुपा है?
2. टीना की हार क्या उसकी कहानी का अंत है… या कोई नई चाल आने वाली है?
3. नित्या की ज़िंदगी में आया यह संयोग क्या उसे छाया और विशाल के अतीत से जोड़ने वाला है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "छाया प्यार की।''