🌸 “पल भर की मोहब्बत” 🌸
शहर की भागदौड़ से दूर, एक छोटा सा कस्बा था—जहाँ लोग धीरे चलते थे, दिल से मिलते थे और मोहब्बत अब भी जिंदा थी। उसी कस्बे में रहती थी आशी—एक सीधी-सादी, हंसमुख लड़की जो अपनी किताबों और सपनों में खोई रहती थी।🌸
एक दिन, कस्बे में एक बड़ा मेला लगा। पूरा शहर रंग-बिरंगी रौशनी से चमक रहा था। आशी अपनी सहेलियों के साथ मेले में घूमने निकली। तभी उसकी नजर पड़ी एक अजनबी पर। काले बाल, गहरी आँखें और मुस्कुराता चेहरा—कोई फिल्मी हीरो सा लगता था। नाम था उसका आरव।
दोनों की नजरें मिलीं, और वक्त जैसे थम सा गया। पहली बार किसी ने आशी को इस तरह देखा था, जैसे वो दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हो।
आरव ने मुस्कुराकर कहा—
“तुम्हें देखकर ऐसा लगा जैसे... मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था।”
आशी पहले तो शरमा गई, लेकिन फिर दोनों की बातें शुरू हो गईं। मेला, झूले, गोलगप्पे—हर पल जैसे कोई कहानी बुन रहा था। ऐसा लग रहा था मानो दोनों एक-दूसरे को बरसों से जानते हों।
आरव ने कहा—
“कभी कभी, जिंदगी हमें ऐसे लोग मिलवाती है जो पल भर में दिल के सबसे करीब आ जाते हैं।”
आशी के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। कहीं यह सब सपना तो नहीं?
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। मेले की आख़िरी घड़ी में आरव ने कहा—
“मैं यहाँ बस कुछ घंटों के लिए आया था... लौटना है मुझे।”
आशी के चेहरे से हँसी गायब हो गई।
“तो फिर ये सब क्या था?” उसने काँपती आवाज़ में पूछा।
आरव ने उसकी आँखों में देखा और बोला—
“यह मोहब्बत थी। शायद पल भर की, लेकिन सच्ची।”
वो चला गया। आशी के हाथ में एक छोटा सा कागज़ था, जिस पर लिखा था—
“अगर हमारी किस्मत में दोबारा मिलना लिखा होगा… तो हम ज़रूर मिलेंगे।”
वो रात गुजर गई, साल बीत गए... लेकिन वो मुलाकात हमेशा आशी के दिल में जिंदा रही। कभी-कभी, कुछ कहानियाँ पूरी नहीं होतीं—लेकिन उनका असर उम्र भर रहता है।वो एक पल था, पर जैसे पूरी ज़िंदगी ठहर गई थी। बारिश की हल्की फुहारों में स्टेशन पर खड़ी मैं, और सामने वही अनजान चेहरा—उसकी आँखों में एक अजीब सी मासूमियत थी। ट्रेन लेट थी और वक्त जैसे थम गया था। उसने एक हल्की सी मुस्कान दी और मैं मुस्कुरा उठी। दोनों अजनबी थे, लेकिन दिलों की जुबां कुछ और ही कह रही थी।
उसने झिझकते हुए पूछा, “भीग रही हैं, छाता चाहिए?” मैंने हँसते हुए मना कर दिया। फिर यूँ ही हल्की-फुल्की बातें होने लगीं। पसंद-नापसंद, किताबें, सपने और ज़िंदगी—सब कुछ कुछ ही पलों में बयाँ हो गया।
ट्रेन आई, मुझे जाना था। उसने बस इतना कहा, “शायद फिर कभी मिलें।” मैं कुछ कह नहीं पाई, बस मुस्कुरा दी।
वो पल बीत गया, लेकिन दिल में हमेशा के लिए बस गया। कई बार मोहब्बत के लिए उम्र नहीं चाहिए होती, बस एक नजर, एक मुस्कान और एक याद काफी होती है। वो “पल भर की मोहब्बत” ज़िंदगी भर के लिए याद बन गई।
“कुछ रिश्ते उम्र भर नहीं, बस पल भर के होते हैं… मगर दिल पर हमेशा के लिए छाप छोड़ जाते हैं।”
Woh mohabbat to bas ek pal ki thi… lekin yaad use pal ki zindagi bhar rahegi…”