❤️ एपिसोड 11 – जब धड़कनों ने नाम माँगा
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1. एक शांत सुबह – लेकिन भीतर सवालों का शोर
नैना आज खिड़की के पास बैठी थी।
उसकी डायरी खुली थी…
लेकिन आज कोई कविता नहीं निकल रही थी।
उसकी आँखें दूर आसमान में कुछ ढूँढ रही थीं।
शब्द नहीं… शायद एक नाम।
आरव उसके पीछे आया —
चुपचाप — जैसे वो उसकी हर चुप्पी को पढ़ सकता था।
“क्या लिख रही हो?” उसने पूछा।
“कुछ नहीं…”
नैना ने धीमे से जवाब दिया।
“आज शब्द भी मुझसे सवाल पूछ रहे हैं।”
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2. आरव की बाँहें – लेकिन जवाब अभी अधूरे
आरव ने उसकी पीठ पर हाथ रखा।
“क्या सवाल?”
नैना ने कहा:
“हम क्या हैं, आरव?
क्या हम दो दोस्त हैं जो एक-दूसरे को छूते हैं?
या दो अजनबी हैं जो हर दिन एक नया रिश्ता गढ़ रहे हैं?
क्योंकि अब दिल पूछने लगा है –
कि क्या वो तुम्हें सिर्फ देखता है…
या किसी नाम से पुकार भी सकता है?”
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3. आरव की चुप्पी – जब दिल डरता है जवाब से
आरव ने कुछ देर चुप्पी साधी।
“मैं तुम्हें नाम से नहीं, एहसास से पहचानता हूँ नैना।
लेकिन अगर तुम्हारे दिल को अब एक नाम चाहिए,
तो… मैं डरता हूँ कहीं वो नाम हमें बाँध न दे।”
नैना की आँखें भर आईं।
“मैं बाँधने नहीं,
बस थम जाने की इजाज़त माँग रही हूँ।”
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4. लाइब्रेरी की पुरानी किताब – और एक रजिस्टर
उसी दोपहर नैना लाइब्रेरी पहुँची।
आरव नहीं आया था।
वो अकेली एक पुराने रजिस्टर की अलमारी में जा पहुँची,
जहाँ पुराने सदस्यों के नाम और उनकी लाइब्रेरी एंट्रीज़ दर्ज थीं।
एक नाम ने उसे ठहरा दिया:
> "आरव सिंह –
पहली बार आए: 10 जून
हर हफ्ते वही किताब निकालते हैं: 'खामोशी की भाषा'"
नैना मुस्कुराई —
“शब्दों से भागने वाला लड़का,
शब्दों में ही सबसे ज़्यादा मौजूद है।”
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5. घर की रसोई – और एक नई बात
शाम को आरव आया।
नैना किचन में थी —
हल्का सा संगीत बज रहा था,
और वह हरी चाय बना रही थी।
"चाय का स्वाद बदल गया है।" आरव ने कहा।
नैना मुस्कुराई:
"आज उसमें सवाल डाले हैं,
मीठा कम, और एक छोटा सा डर भी..."
आरव चुप रहा।
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6. पहली बार – आरव ने पूछा
“अगर तुम्हें हक़ मिले इस रिश्ते को एक नाम देने का,
तो क्या रखोगी?”
नैना ठहर गई।
उसने आरव की तरफ देखा:
**"मैं इसे कोई दुनियावी नाम नहीं दूँगी,
ना 'गर्लफ्रेंड', ना 'लिव-इन',
ना 'साथी', ना 'पार्टनर'…
मैं बस कहूँगी —
'मेरे होने की वजह'।"
आरव की आँखें नम हो गईं।
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7. एक कविता – जो जवाब बन गई
नैना ने अपनी डायरी खोली,
और वो कविता सुनाई जो उसने सुबह लिखी थी:
> "तुमने नाम नहीं लिया मेरा,
फिर भी मेरी धड़कन तुम्हारी आवाज़ से चलती है।
मैं तुम्हें पुकारती नहीं,
फिर भी हर मौन में तुम्हारा नाम गूंजता है।
अगर यह प्रेम नहीं, तो फिर क्या है?"
आरव ने धीरे से उसका हाथ पकड़ कर कहा:
“अगर तुम इजाज़त दो…
तो मैं आज तुम्हारा नाम पूरी आवाज़ में ले सकता हूँ।”
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8. पहली बार – आरव ने पुकारा ‘नैना’
आरव ने कहा:
“नैना…”
बस एक शब्द —
लेकिन नैना की आँखों से आँसू बह निकले।
वो एक शब्द जैसे उसकी पहचान बन गया हो।
“अब से… मैं सिर्फ तुम्हारा हूँ,
नाम भी मेरा… धड़कन भी मेरी।”
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9. एक खास मोमेंट – जब कोई तीसरा सुन रहा था
और तभी नैना को एक अजीब एहसास हुआ —
उसका हाथ अपने पेट पर गया।
एक धीमी-सी धड़कन…
एक बहुत ही हल्की कंपन…
“आरव…”
“क्या हुआ?” आरव घबरा गया।
नैना
ने उसकी हथेली पकड़कर अपने पेट पर रख दी।
"ये… पहली बार…"
आरव अवाक् रह गया।
उन दोनों की धड़कनों के बीच अब एक और धड़कन थी।
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🔚 एपिसोड 11 समाप्त – जब धड़कनों ने नाम माँगा