(यह कहानी एक लोककथा और सच्चे घटनाक्रमों से प्रेरित है, जो मध्यप्रदेश के छोटे कस्बे चंदेरी और आसपास के गांवों में मशहूर है।)
सन् 1980 के आसपास की बात है। मध्यप्रदेश के चंदेरी नामक कस्बे में रात के समय कुछ अजीब घटनाएं होने लगी थीं। लोग रात को अपने घरों के दरवाज़े बंद करके सोते थे, लेकिन सुबह जब उठते तो पाते कि घर में से कोई न कोई आदमी गायब है। धीरे-धीरे पूरे कस्बे में एक ही नाम गूंजने लगा — "स्त्री"।
लोककथा के अनुसार, यह स्त्री एक नवविवाहिता थी, जो अपने पति से बहुत प्रेम करती थी। उसका पति एक दिन किसी मेले में गया और फिर लौटकर नहीं आया। स्त्री उसे खोजती रही — जंगलों, मेलों और गांवों तक। कहा जाता है कि किसी तांत्रिक के कारण उसे धोखा मिला और वह मार दी गई। वह आत्मा बन गई और तब से रात में अपने पति को खोजती फिरती है।
रात के अंधेरे में वह स्त्री घर-घर घूमती थी और धीरे से पुकारती थी:
"ओ पिया..."
(या कभी नाम लेकर पुकारती)
जो व्यक्ति उसका जवाब देता — वह कभी दोबारा दिखाई नहीं देता।
लोगों ने घर के बाहर "ओ स्त्री, कल आना" (या "स्त्री, कल आना") लिखना शुरू किया। मान्यता थी कि वह पढ़ना जानती थी, और वह पढ़कर अगली रात के लिए लौट जाती थी। यह तरीका काफी हद तक काम करता रहा और गांववालों ने इसे अपनाया।
1. 1986 में चंदेरी गांव में एक आदमी की लाश पेड़ से लटकी मिली — उसके कान और आँखें गायब थीं। ग्रामीणों ने इसे "स्त्री" की करतूत माना।
2. 1993 में एक शादी समारोह के बाद दूल्हा रहस्यमयी ढंग से गायब हो गया — उसकी खोज में महीनों लगे लेकिन वो कभी नहीं मिला।
3. 2001 में एक महिला की आत्मा दिखने की बात फिर से उठी, जिससे गांव में दहशत फैल गई।
कई तांत्रिक और ओझा आए — किसी ने उसे देवी का रूप बताया, किसी ने अपशकुन। एक बार एक तांत्रिक ने उसे पकड़ने की कोशिश की, परंतु उसकी खुद की मौत हो गई। कहा गया कि "स्त्री" सिर्फ पुरुषों को ही नुकसान पहुंचाती थी।
लोगों का कहना है कि स्त्री का चेहरा पूरी तरह साफ नहीं दिखता। उसका चेहरा एक धुंधली परछाई जैसा होता है — जैसे किसी पुराने शीशे में धुंधला चेहरा दिखाई दे रहा हो।
कभी-कभी उसका चेहरा बहुत सुंदर और मासूम लगता है, लेकिन जैसे ही कोई उसे जवाब देता है, उसका चेहरा भयानक और विकृत हो जाता है — आँखें लाल, चेहरा सूजा हुआ और होंठ फटे हुए।
उसकी आंखें इंसानों जैसी नहीं थीं।
वो लाल चमकती थीं, जैसे किसी जानवर की रात में चमकती हैं।
लोग कहते हैं — जो एक बार उसकी आंखों में देख लेता है, वो सम्मोहन में चला जाता है और फिर खुद पर काबू खो देता है।
वो अधिकतर लाल साड़ी में दिखती थी, जो खून से सनी हुई लगती थी।
कभी-कभी सफेद साड़ी में, जो भूतों की पारंपरिक छवि से मेल खाती है।
उसकी साड़ी पुरानी, फटी हुई और लगातार हवा में लहराती दिखती है — भले ही हवा न हो।
उसके काले, घने बाल बहुत लंबे थे — घुटनों से नीचे तक।
वे अक्सर बिखरे हुए रहते, जिससे उसका चेहरा ढँका होता।
जब वह किसी को देखती या हमला करती, तो बालों को पीछे फेंक देती थी — यह दृश्य अत्यंत डरावना बताया गया है।
स्त्री के पैर उल्टे होते थे — एड़ियाँ आगे की ओर।
और खास बात — वह ज़मीन पर नहीं चलती थी, वह कुछ इंच ऊपर हवा में तैरती थी।
जब वह चलती थी, तब कोई आवाज़ नहीं होती, लेकिन अचानक पीछे से “ओ पिया…” की आवाज़ आती।
कई लोगों ने कहा कि जब स्त्री पास होती है, तो
हवा ठंडी हो जाती है
आसपास की बत्तियाँ जलती-बुझती हैं
कहीं से गुलाब की खुशबू जैसी गंध आती है, जो अचानक बदबू में बदल जाती है
फिर सुनाई देता है — "ओ पिया..."
आज भी चंदेरी और उसके आस-पास के कुछ गांवों में लोग अपने घरों के बाहर "ओ स्त्री, कल आना" लिखते हैं। यह एक रिवाज की तरह बन चुका है डर, विश्वास और परंपरा का मिला-जुला रूप।
"स्त्री" की यह कहानी सिर्फ एक आत्मा की नहीं है, बल्कि ग्रामीण विश्वास, लोककथाओं और सामूहिक अनुभवों की डरावनी गवाही है। चाहे आप इसे अफवाह माने या सच्चाई — लेकिन चंदेरी की गलियों में आज भी रात को अकेले निकलने की हिम्मत कम ही लोग करते हैं।