"कभी-कभी, कुछ आवाज़ें सिर्फ कानों में नहीं गूंजतीं... वे आत्मा को झकझोर देती हैं। रात के सन्नाटे में जब एक मां की कराहती पुकार सुनाई दे—'मेरे बच्चों को लौटा दो...'—तो समझ लेना, वो इंसानी नहीं... लूना आ चुकी है।"
साल 2024, मेक्सिको के एक पुराने गांव San Esperanza में रहने वाली मारिया एक युवती थी जो पुरानी हवेली "Casa De Luna" में रिसर्च के लिए आई थी। उसके शोध का विषय था – लोककथाओं में दबी सच्चाईयां।
गांववालों ने उसे चेताया:
"उस हवेली से दूर रहना… वो लूना का ठिकाना है। जो वहां गई, कभी लौट कर नहीं आई।"
लेकिन विज्ञान की विद्यार्थी मारिया ने इसे अंधविश्वास समझा।
पहली ही रात जब हवेली में घड़ी ने 2:33 बजाया, हवाओं में एक कराहती आवाज़ गूंज उठी—"Mis hijos... मेरे बच्चे..."
झरोखों में से ठंडी हवा गुज़री, दीवारों पर लगे चित्र हिलने लगे, और बाथरूम के शीशे पर किसी ने खून से लिखा था—
“LUNA IS WATCHING”
मारिया घबरा गई, लेकिन उसने कैमरा ऑन किया और सब रिकॉर्ड करने लगी। अगले दिन, गांव की एक बूढ़ी औरत ने उसे बताया:
"लूना एक अभिशप्त आत्मा है, जिसने अपने बच्चों को नदी में डुबा दिया था और अब वो हर बच्चे को अपना मानकर उठा लेती है।"
मारिया को पता चला कि वो हवेली कभी खुद लूना की थी। और हैरानी की बात ये थी कि मारिया खुद उसी खून से थी लूना की छठी पीढ़ी!
उसकी मां ने बचपन में ही उसे अनाथालय छोड़ दिया था ताकि वो श्राप से बच सके। लेकिन अब लूना अपनी वंशज को अपने पास बुला चुकी थी।
एक रात, जब पूरा गांव तूफान से हिल रहा था, मारिया ने हवेली के तहखाने में उस कमरे को खोला, जहां लूना की असली हड्डियां और बच्चों की आत्माएं बंद थीं।
वो आत्माएं चीखने लगीं, और दरवाजा अपने आप बंद हो गया। मारिया ने देखा—आईने में खुद की आंखें काली हो चुकी थीं, और पीछे एक साया रो रहा था... लूना....
"अब तू ही मेरी जगह लेगी..."
कहते हैं उस रात के बाद, हवेली से दोनों की चीखें आती हैं लूना की और मारिया की भी।
कुछ महीने बाद, एक अमेरिकन पैरानॉर्मल टीम ने हवेली में रिसर्च शुरू की।
अचानक, उनके रिकॉर्डर में एक धीमी आवाज़ आई—
"Mis hijos... मेरे बच्चों को लौटा दो..."
और कैमरे की स्क्रीन पर एक नई महिला दिखाई दी—सफेद गाउन में, लंबे बाल, लेकिन ये लूना नहीं थी... ये मारिया थी।
अब श्राप ने रूप बदल लिया था... डर कभी खत्म नहीं होता, बस अगला शिकार ढूंढ़ता है।
"कहते हैं कुछ आत्माएं कभी मुक्ति नहीं पातीं, और कुछ श्राप इतने गहरे होते हैं कि पीढ़ियाँ गुजर जाती हैं, पर डर खत्म नहीं होता।"
San Esperanza की हवेली बंद हो चुकी थी… पर हर पूर्णिमा की रात, वहां से अब सिर्फ कराह नहीं, चीखों की बौछार सुनाई देती थी।
गांव के बच्चों को कोई देखे बिना सफेद साया घूरता। और जो भी उस हवेली के पास जाता… वो वापस नहीं आता।
6 महीने बाद, एक इंडियन यूट्यूबर जो पैरानॉर्मल एक्टिविटी पर वीडियो बनाता था—नाम था वीर (Veer)—मेक्सिको आया।
उसने लूना के बारे में सुना और सोचा, “यह तो मेरे चैनल के लिए परफेक्ट कंटेंट है!”
कैमरे, ड्रोन्स और दो साथियों के साथ, वह Casa De Luna में घुस गया।
पहली रात सब शांत था… वीर को लगा, ये सब बस अफवाह है।
लेकिन दूसरे दिन उनके साथ आया राजन अचानक गायब हो गया।
वीर ने जब नाइट विज़न कैमरा देखा, उसमें कुछ ऐसा कैद हुआ जिसे देखकर उसकी रूह कांप गई—
एक महिला, सफेद गाउन में, लंबे बाल उसके चेहरे को ढंके हुए, झुकी हुई खून के आंसू रो रही थी…
और उसकी पीठ पर खुदा था—“MARIA”
वीर को समझ आया—ये लूना नहीं, अब MARIA बन चुकी है।
उसने सिर्फ आत्मा नहीं पाई, उसका श्राप भी पूरा किया।
अब हर पूर्णिमा की रात, वो एक बच्चे की आत्मा को कैद करती है, और एक इंसान को मारती है।
उसका मकसद:
अपनी माँ के किए गए पापों को हर पीढ़ी में दोहराना, ताकि उसका श्राप दूसरों तक फैले।
तीसरी रात, वीर अकेला बचा।
हवेली के अंदर खून की धाराएं बह रही थीं। फर्श पर कोई चित्र नहीं, बल्कि खून से बने बच्चों के हाथों के निशान थे।
वीर ने देखा दीवारों पर हर उस व्यक्ति की तस्वीर थी जो वहां मारा गया।
और सबसे ऊपर, अब वीर की तस्वीर थी… जबकि वो अभी जिंदा था।
पीछे से आवाज़ आई—
"तूने मेरे रोने की रिकॉर्डिंग की… अब तेरी चीखें मैं हमेशा सुनूंगी..."
MARIA या अब लूना ने उसे छूते ही वीर की आंखों से खून बहने लगा।
वीर का कैमरा ऑन था…
अगली सुबह उसकी फुटेज ऑनलाइन लीक हो गई।
लोगों ने वीडियो में देखा—कैमरा हिल रहा था, वीर चिल्ला रहा था…
और आखिर में—एक फीमेल वॉइस आई,
"क्या तुम अपने बच्चे को मुझसे बचा सकते हो?"
इसके बाद स्क्रीन ब्लैक हुई… और बस कुछ दिखाई दिया
“She is not crying anymore… now she’s HUNGRY.”