2 Din Chandani, 100 Din Kaali Raat - 4 in Hindi Horror Stories by बैरागी दिलीप दास books and stories PDF | 2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 4

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2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 4

"2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात"
का अगला spine-chilling, emotionally twisted और darkly funny चैप्टर —

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📖 Chapter 4: जो लड़की आईना नहीं देखती थी

> "उसे अपनी शक्ल से डर लगता था… क्योंकि जो आईने में दिखता था, वो कभी उसकी आँखों में नहीं दिखा।"
और एक रात… आईना खुद दरक गया।



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🕓 Scene: रात 1:17 AM – रूम में हल्की रौशनी, दरवाज़ा आधा खुला

शेखर एक पुरानी अलमारी से चांदनी की छोड़ी हुई डायरी निकाल रहा था।
पन्ने टूटे-फूटे थे। कुछ पेज गीले, और कुछ जले हुए।

आखिरी सही-सलामत लाइन पर उसकी नज़र अटक गई:

> "मुझे आईना मत दिखाना, शेखर…
क्योंकि आईने में जो चेहरा दिखता है, वो मेरा नहीं होता।"



उसका गला सूख गया।


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⏳ Flashback – जब चांदनी ने आईना तोड़ा था

एक दिन, दोनों उसके फ्लैट पर अकेले थे।

"तू इतनी सुंदर है, फिर आईना क्यों नहीं देखती?"
शेखर ने पूछा।

"क्योंकि जो मैं देखती हूँ… वो तुझसे प्यार नहीं करता।"

"मतलब?"

"मतलब… आईने में मेरा चेहरा मेरा नहीं होता। वहाँ कोई और होती है… जो मुझसे जलती है।"

और उसी पल, उसने दीवार पर टंगा आईना उठाया… और जमीन पर पटक दिया।

क्रैश!
आईना टूटा — और एक पल के लिए दोनों को उसमें 3 चेहरों की परछाईं दिखी।


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🧟‍♀️ Back to Present – आईने की वापसी

शेखर ने जब आँखें मलकर देखा — वही टूटा आईना उसके कमरे की खिड़की के पास रखा था।

“ये तो हमने फेंक दिया था…”

उसने आगे बढ़कर उसे उठाया —
और जैसे ही आईना सीधा किया…

उसमें चांदनी की तस्वीर थी — आंखों से खून बहता हुआ, होंठों पर हँसी, और गले पर फांसी का निशान।


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😨 मोबाइल Notification:

📲 Chandni ❤️ sent a photo
Caption: "तेरे रूम में जो आईना है, उसमें मैं हूं।
देखना है, या डरना है?"


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😂 Funny Horror – देवा का आईना ज्ञान

अगले दिन सुबह:

देवा कमरे में घुसा — शेखर बिस्तर पर बैठा घूर रहा था आईने को।

देवा: "भाई, तू आईने से शादी करने वाला है क्या? तुझे घूर रहा था पूरे 10 मिनट से।"

शेखर: "इसमें चांदनी है..."

देवा (हँसते हुए): "भाई, आजकल लड़कियाँ insta filter से निकल कर आईने में आ गई हैं क्या?"

शेखर: "ये मज़ाक नहीं है। रात को उसी आईने ने… मेरी तस्वीर दिखाई, जिसमें मैं लटका हुआ था।"

देवा: "तेरा तो खुद का डर ही वायरल हो गया है!"


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🧠 Flashback – मिस्ट्री ऑफ नो-मेकअप चांदनी

एक रात दोनों लॉन्ग ड्राइव पर थे।
शेखर ने पूछा —
"तू कभी मेकअप क्यों नहीं करती?"

"क्योंकि जो मेरा असली चेहरा है, वो दुनिया झेल नहीं पाएगी।"

"ऐसा क्या है उस चेहरे में?"

"वो चेहरा कभी इंसानी था ही नहीं… बस तुमने देख लिया, इसलिए अब इंसान जैसा दिखता है।"

शेखर ने तब सोचा — ये सिर्फ उसका डार्क ह्यूमर है।
अब समझ आ रहा था, वो ह्यूमर नहीं… हिंट था।


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🧪 Baba Narmal’s Advice

शेखर फिर से बाबा नर्मल के पास गया।

"बाबा, वो आईने में है!"

बाबा: "मतलब अब वो तेरी आँखों से नहीं, तेरे रिफ्लेक्शन से देखती है।"

"क्या करूँ?"

"आईने को लाल सिंदूर से ढक दे। और याद रख —
अगर आईने में किसी दिन तू खुद को पलटते हुए देखे… तो भाग जा। वो तू नहीं होगा।"


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📚 Chapter Climax – The Mirror Scene

रात 2:02 AM

कमरे में हल्की नीली रौशनी थी।
आईना दीवार पर लगा था — और उसके सामने एक कुर्सी रखी थी।

शेखर ने मोबाइल कैमरा ऑन किया —
और लाइव देखा आईने में खुद को बैठा हुआ… लेकिन खुद बिस्तर पर था।

"ये कैसे…?"

आईने वाला शेखर मुस्कराया —
“अब तू बाहर है… और मैं अंदर। अब मैं तुझसे प्यार करूँगा… तेरी ही शक्ल में।”

शेखर ने दौड़कर आईना फोड़ना चाहा —
लेकिन…

आईना टूटा नहीं। हाथ उसका आर-पार चला गया।

अब आईने के अंदर उसका "दूसरा रूप" हँस रहा था… और पीछे चांदनी खड़ी थी — उसका हाथ पकड़े हुए।


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🔚 अंतिम लाइन:

> **"वो लड़की आईना नहीं देखती थी…
क्योंकि जो देखता था, वो सच नहीं था।

और अब, शेखर खुद को देखकर चीख रहा था।
क्योंकि जो आईने में था — वो अब आईना नहीं, ‘वो’ बन गया था।"**