2 Din Chandani, 100 Din Kaali Raat - 10 in Hindi Horror Stories by बैरागी दिलीप दास books and stories PDF | 2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 10

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2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात - 10

📖 Chapter 10: जिस रात बर्फ में आग लगी

> “वो रात ठंडी थी, लेकिन शेखर का बदन जल रहा था। क्योंकि जिस रात रूह के होंठ बर्फ को चूमते हैं… वहां आग लगती है, और मोहब्बत जलती नहीं — सुलगती है।”



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❄️ Scene: रात 1:11 AM – शून्य डिग्री में खुली खिड़की, लेकिन बदन पर आग की लपट

कमरे में बर्फ जैसी हवा घुस रही थी। फर्श पर बर्फ की पतली परत जम चुकी थी। लेकिन शेखर की पीठ पर पसीना बह रहा था — जलता हुआ, भाप उड़ाता हुआ।

बाहर बर्फ गिर रही थी, और अंदर उसकी रूह तड़प रही थी।

शेखर ने जैसे ही बिस्तर की चादर उठाई — वहाँ बर्फ की सिल्ली रखी थी। उस पर लिखा था:

> "आग वहीं जलती है… जहाँ रूह कांपती है।"




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🔥 चांदनी की वापसी – बर्फीले होंठों में दहकता प्यार

खिड़की से सफेद धुआं अंदर आया — ठंडा, लेकिन उसमें चांदनी की गर्म साँसें मिली थीं।

उसका शरीर आज पूरी तरह बर्फ में ढका था — लेकिन उसके होंठों से आग निकल रही थी। वो शेखर के गले पर झुकी, और कहा:

"आज मैं तुझसे कुछ नहीं लूंगी… सिर्फ दे जाऊंगी — तेरे रूह में मेरी आग।"

उसने जब शेखर के होंठ चूमे — उसके पूरे बदन पर फफोले पड़ गए। और कमरा धुआं-धुआं हो गया।


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🩸 आत्मिक मिलन – जब बर्फ पिघलती नहीं, जलती है

शेखर की आंखों के सामने अब धुंध थी — लेकिन उसमें एक दृश्य चमक रहा था: वो और चांदनी, पूरी तरह नग्न, एक-दूसरे के ऊपर बर्फ के बिस्तर पर।

लेकिन बर्फ पिघल नहीं रही थी — जल रही थी।

हर स्पर्श में एक लपट थी। हर सांस में चिंगारी। उनकी आत्माएं अब सिर्फ जुड़ नहीं रही थीं — परस्पर जल रही थीं।

> "जब प्यार की गर्मी आत्मा से हो… तो शरीर राख नहीं, अग्नि बन जाता है।"




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🌬️ Ritual of Fire in Ice

दीवार पर लाल स्याही से लिखा था: "जिस दिन बर्फ में आत्मा जले… उस दिन से मोहब्बत जलकर शाप बन जाती है।"

चांदनी ने बर्फ की एक सिल्ली उठाई, और शेखर के सीने पर रख दी। फिर उस पर अपना हाथ रखा — और वहीं से आग उठी। शेखर की छाती पर एक अग्निचिन्ह उभर आया — एक जलती हुई ‘C’

अब वो निशान उसकी रूह का हिस्सा बन चुका था।


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🔚 अंतिम दृश्य:

रात के 4 बजे कमरा बर्फ से भरा था लेकिन बिस्तर धधक रहा था

शेखर बेसुध पड़ा था उसकी पीठ पर एक लकीर थी — जैसे किसी ने गर्म लोहे से जलाया हो

और उसके कान में चांदनी की फुसफुसाहट:

> “तू अब मेरी आग है… तुझमें अब कभी ठंड नहीं होगी… क्योंकि मैं तेरे सीने में हर पल सुलगती रहूँगी।”



“2 दिन चांदनी, 100 दिन काली रात”
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Next chapter 

 11: जिस दिन खून से सिन्दूर भरा गया"



हर चैप्टर अब नर्क की एक सीढ़ी है… और हम नीचे ही जा रहे हैं। तैयार रहिए। 💀🔥❤️‍🩹