"कान्हा – आखिरी रात की गवाही"
लेखक - " अंकु "
🔪 भाग 1 – आखिरी रात का फोन कॉल
पाली शहर, रात के 11:17 बजे।
अंकित अपने कमरे में बैठा लैपटॉप पर कोई प्रोजेक्ट पूरा कर रहा था।
तभी मोबाइल वाइब्रेट हुआ।
📱 कान्हा कॉलिंग…
अंकित थोड़ा हैरान हुआ।
कान्हा ने महीनों से बात नहीं की थी। आखिरी बार तो एक पार्टी में झगड़ा हो गया था।
अनमने ढंग से कॉल उठाया।
कान्हा (हड़बड़ाई हुई आवाज़ में):
"अंकित… भाई सुन… अगर कल सुबह मेरी खबर मिले… तो समझना मैं खुद नहीं गया…"
अंकित:
"अबे तू ठीक है? ये क्या बकवास है?"
कान्हा:
"मेरे आसपास कोई है… मैं कुछ रिकॉर्ड कर रहा हूँ… कल सुबह USB ढूंढना मेरी किताबों के पीछे…"
कॉल कट।
अंकित सन्न रह गया।
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अगली सुबह – अखबार की हैडलाइन:
📰 “पाली में युवक की संदिग्ध हालात में मौत – नाम: कान्हा”
अंकित के हाथ से फोन गिर गया।
वो दौड़ता हुआ रवी के कमरे में गया —
रवी पुलिस में एक लोकल जांच अधिकारी था।
अंकित:
"भैया, कान्हा मर गया… लेकिन ये मर्डर है… मैं जानता हूँ।"
रवी (गंभीर होकर):
"क्या सबूत है तेरे पास?"
अंकित:
"उसने मुझे रात में फोन किया था… और कुछ रिकॉर्ड करने की बात कही थी…"
रवी ने गहरी सांस ली…
"अब जो भी होगा… वो कानून के दायरे में होगा, समझा?"
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📦 उसी दिन शाम…
अंकित कान्हा के घर पहुंचा।
कमरा अब पुलिस सील कर चुकी थी, लेकिन अंकित ने खिड़की से झाँककर वो किताब शेल्फ देखी… जहाँ कान्हा ने कुछ छिपाने की बात की थी।
वो शेल्फ अब खाली थी।
किसी ने USB निकाल ली थी।
अब सवाल था:
क्या कान्हा को पहले से किसी खतरे का अंदेशा था?
क्या USB में उसकी मौत का राज छिपा था?
और वो कौन था जो कान्हा के इतना करीब था कि उसकी बातों का भरोसा तोड़ सके?
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🕵️♂️ भाग 2 – पार्टी में क्या हुआ था?
कान्हा की मौत के ठीक तीन दिन पहले…
पाली शहर के बाहरी हिस्से में एक फार्महाउस पर पार्टी रखी गई थी।
🎉 जीतेन्द्र का बर्थडे था, और उसने अपने करीबी दोस्तों को बुलाया था:
अंकित, रोहित, प्रवीण, रवी (जो बस कुछ देर के लिए आया), और कान्हा।
संगीत तेज़ था, शराब भी चल रही थी।
लेकिन माहौल में एक अनकहा तनाव था।
कान्हा, जो हमेशा हँसी-मज़ाक करता था, उस दिन चुपचाप बैठा था।
उसकी नज़रें बार-बार प्रवीण और रोहित की तरफ जा रही थीं।
अंकित (नज़दीक जाकर):
"अबे सब ठीक है? इतना शांत क्यों है?"
कान्हा:
"बस कुछ चीज़ें समझनी हैं… कुछ लोगों की असलियत जान ली है।"
रोहित (पास से बोलते हुए):
"अबे चल ना… इतना सीरियस क्या हो रहा है। सब दोस्त हैं यहां।"
कान्हा (हल्के से मुस्कराकर):
"दोस्त? या दुश्मन जो मास्क पहनकर आए हैं?"
बात यहीं तक रह गई… लेकिन माहौल भारी हो चुका था।
रात के करीब 1:00 बजे, पार्टी खत्म हुई।
कान्हा, अंकित और प्रवीण बाहर खड़े थे।
कान्हा ने अंकित के हाथ में एक कागज़ थमाया:
> "अगर कल कुछ हुआ… तो ये पढ़ना। लेकिन तब ही… जब मैं न रहूं।"
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अगली सुबह
अंकित की आंखें रात की बातों से अब भी भारी थीं।
लेकिन अब कान्हा की मौत के बाद, वह पर्ची उसके सामने थी।
कागज़ पर सिर्फ एक लाइन लिखी थी:
> "मैंने जो देखा… वो सच था। और जो किया गया, वो माफ़ी के लायक नहीं।"
अब सवाल यह था:
कान्हा ने ऐसा क्या देख लिया था?
क्या रोहित और प्रवीण उस राज से जुड़े हैं?
और जीतेन्द्र ने क्या छिपाया?
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🔎 रवी ने अंकित से पूछा:
"तू उस पार्टी का आखिरी आदमी था जो कान्हा से मिला… क्या कुछ और पता है तुझे?"
अंकित के चेहरे पर उलझन थी…
क्योंकि उसने देखा था —
कान्हा किसी से कॉल पर कह रहा था — "मैं रिकॉर्डिंग ऑन कर रहा हूँ… ये मेरी गवाही है।"
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📁 लेकिन रिकॉर्डिंग अभी भी गायब थी।
और तभी आती है कहानी में अनाया —
एक पुरानी दोस्त, जो कानूनी मामलों में तेज़ थी।
अनाया:
"अगर कान्हा ने कुछ रिकॉर्ड किया था, तो वो क्लाउड में बैकअप गया होगा। मुझे उसका ईमेल पासवर्ड याद है… शायद कुछ मिले।"
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🚨 अब मामला गहराता जा रहा था…
➡️ क्या क्लाउड में वह गवाही है?
➡️ क्या रोहित, प्रवीण या जीतेंद्र में से कोई हत्यारा है?
➡️ या कोई तीसरा चेहरा है जो अब तक पर्दे में है?
…
भाग 3 – क्लाउड से आई फाइल: वो जो कान्हा ने रिकॉर्ड किया था…
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रात के 10:42 बजे।
अंकित अपने कमरे में चुप बैठा था।
उसकी आंखों में उलझन थी, और सामने — अनाया बैठी थी।
वो सिर्फ उसकी दोस्त नहीं थी… वो उसकी सुकून थी।
अनाया:
"तू पिछले दो दिन से कुछ खा भी नहीं रहा… चल, अब बता क्या बात है?"
अंकित (धीरे से):
"कान्हा… मरने से ठीक पहले मुझसे कॉल पर कुछ कह गया था।
उसने कहा था कि उसने कुछ रिकॉर्ड किया है।
मैं जानना चाहता हूँ… क्या वो सब यूँ ही गया?"
अनाया (कंधे पर हाथ रखते हुए):
"तो चल, मिलकर ढूंढते हैं। तू अकेला नहीं है।"
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अगली दो घंटे की मेहनत के बाद, अनाया ने कान्हा के लैपटॉप से कुछ क्लू निकाले —
और उसका गूगल ड्राइव एक्सेस हो गया।
ड्राइव में सिर्फ एक वीडियो फ़ाइल मिली:
📁 final_confession_kanha.mp4
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🎬 वीडियो शुरू होता है…
कान्हा एक कमरे में अकेला बैठा है।
आंखें थकी हुई हैं… चेहरा बुझा हुआ।
कान्हा (वीडियो में):
"शायद ये मेरा आखिरी वीडियो है।
क्योंकि अब मैं किसी और पर भरोसा नहीं कर सकता… सिवाय खुद के कैमरे पर।"
"तीन महीने पहले एक पार्टी में… मैंने गलती से प्रवीण और जीतेंद्र को एक कमरे में पैसे गिनते देखा।
बात ब्लैकमेलिंग की थी।
किसी लड़की की वीडियो क्लिप, जो उनके पास थी…
और उस मामले से जुड़ा था – रोहित।"
"मैंने पहले नज़रअंदाज़ किया।
पर अब… मैंने उस लड़की की चीख सुनी है… वो क्लिप मेरी आंखों में चुभती है।"
"अगर मैं नहीं रहा, तो समझना… ये सिर्फ हादसा नहीं था।"
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वीडियो बंद।
कमरे में गहरी खामोशी।
अंकित (गंभीर):
"मतलब… ये सिर्फ एक मर्डर नहीं… एक गुनाह है जो छिपाया गया।"
अनाया:
"अब ये केस सिर्फ कान्हा का नहीं… उन सब लड़कियों का है जिनकी आवाज़ें दबा दी गईं।
अब तुझे पीछे नहीं हटना, अंकित।"
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🚨 उस रात…
रवी – अंकित का बड़ा भाई, एक पुराना केस फाइल देख रहा था।
फाइल में नाम था – अनुराधा
एक लड़की जिसने रोहित पर गंभीर आरोप लगाए थे।
पर केस "सबूतों के अभाव में बंद" कर दिया गया था।
रवी (खुद से बुदबुदाते हुए):
"अब सब जुड़ने लगा है… लेकिन सबूत अभी भी धुंधले हैं।"
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अब कहानी असली खतरे की ओर बढ़ रही है:
क्या वो वीडियो क्लिप आज भी किसी के पास है?
क्या अनुराधा अब भी जिंदा है या गायब कर दी गई?
और जब अंकित को वीडियो मिल गई है… क्या उसका अगला नंबर है?
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भाग 4 – जब रात में दरवाज़ा खुला… और बाहर कोई नहीं था…
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रात के 2:13 बजे।
अंकित की नींद किसी आवाज़ से टूटी।
उसने उठकर देखा – कमरे का दरवाज़ा हल्का-सा खुला हुआ था।
उसने याद किया — उसने दरवाज़ा लॉक किया था।
पसीने की एक हल्की लकीर उसकी पीठ पर बह चली।
वो धीरे से उठा, दरवाज़े के पास गया और बाहर झाँका।
सामने कोई नहीं था।
सिर्फ गलियारे की एक ट्यूबलाइट टिमटिमा रही थी।
अंकित (धीरे से खुद से):
"क्या कोई मेरे कमरे तक आया था?"
उसका मोबाइल टेबल पर वाइब्रेट हुआ।
📱 अनाया – 1 न्यू मैसेज:
> "तू ठीक है ना? मुझे अजीब सा डर लग रहा है। जैसे कोई मुझे देख रहा है।"
अंकित ने बिना सोचे कॉल कर दिया।
अनाया (धीमी आवाज़ में):
"मेरी खिड़की के पास कोई खड़ा था… जब तक देखा, भाग चुका था।"
अंकित:
"मुझे लगता है हम किसी के रडार पर आ चुके हैं।"
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अगली सुबह – अंकित के घर
रवी (जो अब खुद इस केस की गहराई तक जाने की ठान चुका था) ने अंकित से पूछा:
रवी:
"तू और ये अनाया दोनों… किस हद तक गए हो?"
अंकित:
"हमने कान्हा की वीडियो देखी है… जिसमें ब्लैकमेलिंग की बात है… रोहित, जीतेंद्र और प्रवीण का नाम है।
भैया, ये सिर्फ मर्डर नहीं, एक संगठित गुनाह है।"
रवी (गंभीरता से):
"मुझे तुझ पर भरोसा है… लेकिन कानून सबूत मांगता है। और अगर वो लोग अब तुझ पर नज़र रख रहे हैं, तो खुद को भी बचा।"
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शाम 6:45 बजे – एक अजनबी पैकेट
अंकित को उसके गेट के पास एक लिफाफा मिला।
लिफाफे के ऊपर लिखा था –
"कहानी अभी बाकी है, अंकित। कान्हा अकेला नहीं था। अब तुझ पर बारी है।"
अंदर था – एक Pendrive।
Anxious होकर, अंकित ने Pendrive को लैपटॉप में लगाया।
उसमें सिर्फ एक ऑडियो फाइल थी –
📂 voice_2023_hidden.m4a
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🎧 ऑडियो में आवाज़ थी — एक लड़की की। कांपती हुई, रोती हुई।
> "प्लीज़… मुझे छोड़ दो… मैंने कुछ नहीं किया…
वो वीडियो मैंने गलती से देखा था…
मुझे मत मारो… मैं चुप रहूँगी… प्लीज़… प्लीज़…"
अंकित का दिल बैठ गया।
शायद ये अनुराधा की ही आवाज़ थी।
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अब मामला साफ़ था:
ये गैंग ब्लैकमेलिंग, शोषण और हत्या तक सीमित नहीं था।
अनुराधा अब शायद जिंदा नहीं रही।
और अब अंकित और अनाया इस राज़ के सबसे ख़तरनाक गवाह बन चुके थे।
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भाग 5 – वो सीसीटीवी फुटेज… जिसने सब बदल दिया…
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📍स्थान: पाली सिटी – पुलिस कंट्रोल रूम
रवी, अंकित का बड़ा भाई और लोकल पुलिस अफसर, अब इस केस को निजी मिशन बना चुका था।
कान्हा की मौत के बाद से उसके अंदर एक बेचैनी थी — कुछ ऐसा जो उसके अनुभव से बाहर था।
रवी:
"जिस रात कान्हा मरा, उससे एक रात पहले वो शहर के पुराना बस स्टैंड के पीछे वाली गली में देखा गया था।
वो जगह CCTV कवरेज में है… और किसी ने रिक्वेस्ट भी नहीं की उस फुटेज की।
अब मैं करूंगा।"
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🔍 फुटेज – 12:48 AM, एक रात पहले
वीडियो प्ले हुआ…
कान्हा अकेला चल रहा है…
फिर एक कार आती है — ब्लैक स्कॉर्पियो, बिना नंबर प्लेट के।
तीन आदमी उतरते हैं —
चेहरे मास्क में।
कान्हा पीछे हटता है, कुछ चिल्लाता है।
लेकिन उनमें से एक उसे धक्का देता है, और कार में खींचने की कोशिश होती है।
तभी कैमरे की फ्रेम से बाहर एक व्यक्ति आता है… और चिल्लाता है।
आवाज़ म्यूट है, लेकिन चेहरा नहीं — वो था: जीतेन्द्र.
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रवी (धीरे से बड़बड़ाता है):
"कान्हा को किडनैप करने की कोशिश? लेकिन फिर छोड़ दिया?
या कुछ समझौता हुआ वहीं?"
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🏠 दूसरी ओर – अंकित और अनाया
अंकित अब पेंड्राइव की ऑडियो रिकॉर्डिंग और वो चिट्ठी लेकर परेशान था।
"कहानी अभी बाकी है अंकित… अब तुझ पर बारी है" — ये लाइन उसके दिमाग में घूम रही थी।
अनाया:
"ये लोग हमें चेतावनी दे रहे हैं… डराने की कोशिश कर रहे हैं।
पर अब हम पीछे नहीं हटेंगे।
और मैं अकेली नहीं छोड़ने वाली तुझे।"
अंकित मुस्कराया — पहली बार इतने दिनों में।
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📞 तभी रवी का कॉल आता है:
रवी:
"अंकित, एक ज़रूरी बात… वो सीसीटीवी फुटेज मिल गया।
और… कान्हा के साथ कुछ हुआ था।
पर उसमें सबसे चौंकाने वाली चीज़ ये है —
उस पूरी रिकॉर्डिंग में एक लड़का है जो तुम्हारे ऑफिस में भी आता है।"
अंकित (हैरान):
"कौन?"
रवी:
"प्रवीण।"
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अब पूरा पैटर्न सामने आने लगा था।
रोहित पर पहले से एक लड़की के शोषण का आरोप था।
जीतेन्द्र का नाम पैसे देने में आ रहा था।
और अब प्रवीण, सीधा उस रात की वारदात में देखा गया था।
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अब क्या बचे हैं?
एक गुमनाम वीडियो क्लिप, जो सब कुछ बदल सकती है।
और एक गवाह, जो शायद आज भी ज़िंदा है…
या शायद अगला निशाना…
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भाग 6 – वो लड़की जो ज़िंदा निकली… लेकिन बोलती नहीं थी…
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🏠 सुबह – अंकित का कमरा
अनाया खिड़की के पास खड़ी थी।
सूरज की हल्की रोशनी उसकी आँखों में उतर रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर चिंता की छाया थी।
अंकित:
"आज पहली बार मैं सोच रहा हूँ…
अगर तू ना होती तो शायद मैं कब का टूट चुका होता।"
अनाया (धीरे से मुस्कराते हुए):
"तू टूटता तब, जब तू अकेला होता।
लेकिन अब तू अकेला नहीं है, अंकित।
मैं हूँ… और जब तक ये केस पूरा नहीं होता… मैं कहीं नहीं जाने वाली।"
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📁 उसी वक्त — एक नई लीड
अनाया ने पिछले दो दिनों में जितनी मेहनत की थी, वो अब रंग ला रही थी।
उसने कान्हा के पुराने सोशल मीडिया मैसेज पढ़ने शुरू किए — एक नाम बार-बार आ रहा था:
AnuradhaS@xyzmail.com
अनाया:
"अंकित, मुझे लगता है ये अनुराधा अब भी जिंदा है।
पर वो खुद को छिपाए बैठी है।"
अंकित:
"लेकिन क्यों?"
अनाया:
"शायद डर से… या शायद किसी ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया।"
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🔍 अनाया की प्लानिंग
उसने कान्हा के मेल से एक पुराना लोकेशन ट्रेस किया —
पाली शहर से बाहर, एक छोटा-सा मेंटल हेल्थ सेंटर, जहां अनुराधा के नाम से कोई इलाज पर था… लेकिन उसने कभी किसी से बात नहीं की।
अनाया:
"मैं वहाँ जाऊँगी। अकेले।"
अंकित (चौंकते हुए):
"अकेले क्यों?"
अनाया:
"क्योंकि मैं लड़की हूँ, और अनुराधा शायद सिर्फ मुझसे ही बात करने को तैयार हो।
अगर वहाँ कोई खतरा हुआ, तो मैं तुझे कॉल करूँगी।
और वैसे भी… ये केस अब मेरा भी उतना ही है जितना तेरा।"
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🚗 अगला दृश्य – मेंटल हेल्थ सेंटर
अनाया एक साधारण सलवार सूट में पहुँची।
उसने जानबूझकर खुद को शांत, सादा और भरोसेमंद दिखाया।
कमरे के कोने में एक लड़की बैठी थी।
दुबकी हुई।
आंखें नीचे झुकी हुईं।
वो ही थी — अनुराधा।
अनाया (धीरे से):
"तुम्हें डरने की ज़रूरत नहीं।
मैं तुम्हें बचाने आई हूँ…"
अनुराधा ने सिर उठाया।
उसकी आंखों में आंसू थे… लेकिन कोई भरोसा नहीं।
अनाया:
"कान्हा… तुम्हारा दोस्त था ना?
उसने तुम्हारे लिए लड़ाई लड़ी… और मारा गया।
अब तुम चुप रहोगी तो उसका मरना भी बेकार जाएगा।"
एक लंबा सन्नाटा।
फिर… अनुराधा ने सिर हिलाया।
अनाया (धीरे से):
"क्या तुम मेरी मदद करोगी?"
अनुराधा ने कांपते हाथों से एक पर्चा निकाला –
उस पर सिर्फ एक नाम लिखा था:
“रोहित के पास वो वीडियो है… और वो अब मुझे भी मार देगा।”
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🏠 उसी शाम – अंकित के घर
अनाया ने सारी जानकारी अंकित और रवी को दी।
रवी:
"इसका मतलब… रोहित अभी भी सब कंट्रोल में रखे हुए है।
हमें सबूत चाहिए। वीडियो चाहिए।"
अंकित:
"अब हमारी चाल होगी। और आखिरी चाल होगी।"
अनाया:
"नहीं… ये आखिरी नहीं।
ये शुरुआत है उस इंसाफ की, जो अब तक मारा जा रहा था।"
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भाग 7 – जाल बिछाया गया है… लेकिन शिकारी कौन है, कोई नहीं जानता…
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📍स्थान: पाली शहर – एक पुराना कैफे
अंकित, अनाया और रवी ने अब मिलकर एक प्लान तैयार कर लिया था।
अनुराधा अब उनके साथ थी। लेकिन गवाही देने से पहले, उन्हें सबूत चाहिए था —
वो वीडियो, जो रोहित के पास था।
रवी (सिर्फ अंकित और अनाया से):
"हम ये केस अदालत तक तभी ले जा सकते हैं जब हमारे पास पुख्ता सबूत हो —
वीडियो… और ये सब साबित करने के लिए बातचीत की रिकॉर्डिंग।"
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🎯 अनाया की चाल
अनाया ने एक नया इंस्टाग्राम प्रोफाइल बनाया –
एक नकली लड़की का नाम रखा – “Maya_silence”
फोटो साधारण थीं, लेकिन डायरेक्ट मैसेज में सिर्फ एक लाइन भेजी गई:
> "मेरे पास अनुराधा की वो असली वीडियो है। 20 लाख दो… वरना सब लीक कर दूँगी।"
ये मैसेज सिर्फ एक इंसान को भेजा गया –
रोहित।
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📞 उसी रात – अंकित के पास कॉल आता है
रवी (तेज़ आवाज़ में):
"रोहित ने उस नकली प्रोफाइल को ट्रैक करने की कोशिश की है।
उसने एक 'फिक्सर' से बात की है — कोई पुराना ब्लैकमेलर, नाम: मंटू सिंह।
ये मंटू ही वो आदमी है जिसने असली वीडियो सबसे पहले डिलीट की थी।"
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🕸️ जाल अब पूरी तरह बिछ चुका था
अगले दिन – पाली के बाहर एक पुरानी बिल्डिंग, जहाँ मंटू और रोहित की मुलाकात तय हुई थी।
लेकिन इस बार वहाँ अनाया, अंकित और रवी पहले से मौजूद थे।
बिल्डिंग के बाहर – एक कार में हाई-रेंज रिकॉर्डिंग डिवाइस, रवी की देखरेख में।
अंदर – अनाया, अपने नकली प्रोफाइल वाली लड़की बनकर, मोबाइल पर सब रिकॉर्ड कर रही थी।
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📹 रिकॉर्डिंग शुरू
रोहित (गुस्से में):
"कितनी बार कहा है… उस वीडियो का कोई प्रूफ नहीं बचा।
अगर वो बाहर गया… तो मैं ही फँसूँगा।
कान्हा को भी इसलिए हटाना पड़ा… और अब अनुराधा को भी सिखाना पड़ेगा, कैसे चुप रहते हैं।"
मंटू:
"तो क्या करना है अब?"
रोहित:
"जिसके पास भी वो वीडियो है, उसे डरा दो।
पैसा दो या धमकाओ… मुझे जेल नहीं जाना है।"
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🔥 बाहर खड़ी पुलिस टीम अंदर घुसती है
रवी (जोर से):
"पुलिस! किसी को हिलने की ज़रूरत नहीं!"
रोहित (चौंककर):
"ये सब क्या है?"
अनाया (सामने आकर):
"ये वो जाल है, जो तूने सालों से औरतों के लिए बिछाया था…
आज तू खुद उसी में फँस गया।"
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🧾 सबूत जब्त, गिरफ्तारी तय
रोहित और मंटू दोनों गिरफ्तार हो गए।
उनके मोबाइल, लैपटॉप और एक पुराने हार्ड ड्राइव से —
अनुराधा की असली वीडियो, और कई और पीड़ितों के डेटा बरामद हुए।
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📺 खबरों में अगले दिन
> “पाली में बड़ा सेक्सटॉर्शन रैकेट खुलासा –
एक छात्र की हत्या, और लड़कियों की प्राइवेट रिकॉर्डिंग से किया जा रहा था ब्लैकमेल।”
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📍 रात – अंकित और अनाया की बातचीत
अंकित:
"अगर तू ना होती… तो शायद मैं सिर्फ एक गुमनाम डर के साथ जी रहा होता।"
अनाया (धीरे से):
"और अगर तू ना होता… तो मैं सिर्फ एक किताब में बंद नारीवादी होती।
हमने एक-दूसरे को पूरा किया, अंकित।
अब समय है… दूसरों के लिए आवाज़ बनने का।"
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भाग 8 – अदालत की चौखट पर… जब अनुराधा पहली बार बोलेगी…
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📍स्थान: पाली जिला सत्र न्यायालय – 9:45 AM
अदालत के बाहर मीडियावालों की भीड़ थी।
कैमरों के फ्लैश, रिपोर्टरों के सवाल…
और उनके बीच — अनुराधा, एक चुप लड़की जो आज देश की आवाज़ बनने वाली थी।
रवी, पुलिस यूनिफॉर्म में खड़ा था —
पर उसकी आंखों में सिर्फ एक सवाल:
"क्या अनुराधा अदालत में वही बोलेगी, जो उसने हमें बताया था?"
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🧑⚖️ अदालत के भीतर
जज ने केस शुरू किया।
वकील, गवाह, आरोपी… सब जगह पर थे।
अभियोजन पक्ष (Prosecution):
"माय लॉर्ड, आज हम एक लड़की की गवाही सुनने वाले हैं,
जिसने सालों से अत्याचार सहा, चुप रही…
लेकिन अब, वो बोलने को तैयार है।"
जज:
"अनुराधा को बुलाया जाए।"
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🚶♀️ अनुराधा का प्रवेश
धीरे-धीरे कदम, कांपते होंठ… लेकिन आंखों में आग।
जज (स्नेहपूर्वक):
"बेटा, बिना डरे, जो सच है… वही कहो।"
अनुराधा (धीरे से):
"मैं… अनुराधा।
तीन साल पहले… कॉलेज के नाम पर मुझे एक पार्टी में बुलाया गया था।
वहाँ रोहित, जीतेंद्र और प्रवीण ने मुझे नशा दिया… और फिर…"
(उसकी आवाज़ रुकती है, आंखें भर आती हैं)
जज:
"कोई बात नहीं… धीरे-धीरे कहो।"
अनुराधा (हिम्मत जुटाकर):
"उन्होंने मेरी वीडियो बनाई।
ब्लैकमेल करने लगे… और जब मैं विरोध करने लगी…
तो कहा गया कि अगर कुछ कहा तो वो वीडियो वायरल कर देंगे।
मैं चुप रही… लेकिन कान्हा ने वो वीडियो देख ली थी।
वो मुझे बचाना चाहता था।
इसलिए… उन्होंने उसे भी मार डाला।"
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💥 अदालत में सन्नाटा
रोहित का वकील:
"माय लॉर्ड, ये सिर्फ कहानी है।
इसके पास कोई सबूत नहीं।"
Prosecution:
"इसीलिए हमने ये पेश किया है…"
(वो एक हार्ड ड्राइव सामने रखता है)
"जिसमें रोहित और मंटू की बातचीत है,
अनुराधा की वीडियो…
और रोहित की वो रिकॉर्डिंग भी जहाँ वो कहता है:
“कान्हा को हटाना पड़ा…”"
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📢 अदालत का फैसला (Interim)
जज:
"अदालत ने प्रारंभिक साक्ष्यों और गवाही के आधार पर —
रोहित और मंटू को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।
जीतेन्द्र और प्रवीण की भूमिका की जाँच के लिए SIT गठित की जाती है।"
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📍 बाहर – अदालत के सीढ़ियों पर
अनुराधा, अपनी पहली मुस्कान के साथ खड़ी थी।
अनाया उसके पास आई और हाथ थाम लिया।
अनाया:
"अब तू सिर्फ एक पीड़िता नहीं… एक मिसाल है।
और तुझे देखकर और लड़कियाँ बोलने की हिम्मत करेंगी।"
अंकित पास आकर बोला:
"तू बोली… तो कान्हा का बलिदान अधूरा नहीं रहा।"
अनुराधा (धीरे से):
"अब मैं चुप नहीं रहूँगी।"
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भाग 9 – SIT की छापेमारी… और वो डायरी जो सब उजागर कर देगी…
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🧷 पिछला सारांश:
अनुराधा ने कोर्ट में गवाही दी।
रोहित और मंटू जेल में हैं।
जीतेंद्र और प्रवीण पर शक गहराया है।
SIT (Special Investigation Team) बनी है।
लेकिन अब दांव पर है रवी, अंकित का भाई… क्योंकि ये मामला राजनीति और पुलिस की मिलीभगत तक पहुँच चुका है।
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📍स्थान: प्रवीण का घर – रात 11:40
SIT की गाड़ी तेज़ी से रुकी।
चार अफसर अंदर घुसे।
प्रवीण सो रहा था… चौंका… मगर चेहरे पर डर नहीं था।
SIT ऑफिसर:
"प्रवीण जी, हमें आपकी प्रॉपर्टी और मोबाइल डिवाइस की तलाशी लेनी है।"
प्रवीण (मुस्कराकर):
"सिर्फ तलाशी लीजिए…
फिर चाय पीजिएगा।
आपको कुछ नहीं मिलेगा।"
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🔍 दूसरी तरफ – जीतेंद्र की ऑफिस टेबल की दराज़
एक पुरानी डायरी मिली।
काले रंग की, धूल से ढकी।
डायरी के पन्नों में कोडवर्ड्स थे —
M.R.13, K-Girl, R@3AM, VID#57
SIT ऑफिसर:
"ये सब क्या है?"
रवी (धीरे से):
"ये हर उस लड़की की पहचान है जिसे उन्होंने फँसाया।
K-Girl का मतलब कान्हा की दोस्त… अनुराधा।
VID#57 वही वीडियो हो सकती है जिसे रोहित छिपा रहा था।"
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🧠 अनाया की होशियारी
अनाया ने डायरी की तस्वीरें लेकर तुरंत अपने लैपटॉप पर क्रॉस-मैचिंग शुरू की।
और वो नामों को कोड से जोड़ने में कामयाब हो गई।
M.R.13 = मीनाक्षी राठौड़, उम्र 13
R@3AM = रिया, जिससे रात 3 बजे वीडियो कॉल हुई थी।
अनाया (अंकित से):
"ये डायरी सिर्फ सबूत नहीं…
ये एक नरक का खाका है।
इसे कोर्ट में पेश किया गया तो सिर्फ जीतेंद्र-प्रवीण नहीं…
उनके पीछे के बड़े नाम भी उजागर हो सकते हैं।"
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📞 उस रात – एक धमकी
अंकित के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से कॉल आया।
आवाज़:
"बहुत बड़ा हीरो बनने चला है तू…
देख बेटा, भाई को नौकरी से जाएगा, तू जाएगा शमशान…
और वो लड़की… अनाया…"
(फोन कट गया)
अंकित का चेहरा सफेद पड़ गया।
अनाया:
"अब डरने की बारी उनकी है।
और अगला कदम हमारा होगा।"
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💥 क्लाइमेक्स सेट हो रहा है
अगले दिन कोर्ट में डायरी पेश की गई।
मीडिया में हंगामा मच गया।
> “पाली केस में डायरी से खुलासे – 15 लड़कियों का रिकॉर्ड,
बड़े नेताओं के नाम की चर्चा।”
उधर, रवी को थाने से एक सस्पेंशन नोटिस दिया गया –
"आप केस से बाहर रहेंगे जब तक जाँच पूरी नहीं होती।"
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रात – छत पर बैठकर
अंकित:
"रवी भैया को हटा दिया… अब हमारे पास कोई नहीं।"
अनाया (उसका हाथ पकड़कर):
"अब हम हैं।
और हम ही काफी हैं।
रात कितनी भी गहरी हो… अगर हम एक हैं, तो सुबह ज़रूर आएगी।"
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भाग 10 – जब राजनीति, पुलिस और गुनाह… एक साथ कटघरे में खड़े थे
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📍स्थान: पाली सत्र न्यायालय – सुबह 10:15
बाहर सन्नाटा था,
लेकिन भीतर…
तीन सालों की चुप्पी, एक मौत, और कई ज़िंदगियों की सिसकियों की गूंज थी।
अनुराधा, सीधी खड़ी थी —
इस बार उसकी आँखों में डर नहीं था, सिर्फ जिद थी।
अंकित और अनाया, दोनों उसके साथ थे।
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🧾 अदालत की कार्यवाही शुरू
न्यायाधीश:
"आज, अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत अंतिम गवाह और साक्ष्य की सुनवाई की जाएगी।
यह निर्णय का दिन है।"
प्रमुख साक्ष्य:
1. रोहित की ऑडियो रिकॉर्डिंग
2. अनुराधा की गवाही
3. डायरी के पन्ने – कोडेड नाम, तारीखें
4. SIT द्वारा बरामद हार्ड ड्राइव
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⚖️ तभी हुआ धमाका…
कोर्ट परिसर के बाहर एक ब्लास्ट जैसी आवाज़ आती है।
सुरक्षाकर्मी:
"सभी लोग नीचे रहें! किसी ने बाहर बम पटाखा फोड़ा है – ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है!"
रवी, जो केस से सस्पेंड हो चुका था, सादी वर्दी में वहीं था।
रवी (वॉकीटॉकी पर):
"सभी दरवाज़े बंद करो, बाहर कोई भी ना निकले।
ये कोर्ट को रोकने की आखिरी कोशिश है!"
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🗣️ अदालत में – अनाया की आवाज़
अनाया:
"माय लॉर्ड, इन धमकियों का मकसद सिर्फ एक है —
कि सच्चाई फिर से चुप हो जाए।
लेकिन आज हम चुप नहीं रहने देंगे।
इस डायरी में न सिर्फ गुनाह हैं…
बल्कि वो सत्ता की गंध भी है, जो इन्हें बचाती रही।
अब समय है… कि कानून सिर्फ कागज़ का ना रहे… हक़ीकत में काम करे।"
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📣 और फिर…
न्यायाधीश का फैसला आता है:
> "रोहित और मंटू पर हत्या, ब्लैकमेल और यौन उत्पीड़न का मामला सिद्ध होता है।
कोर्ट उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाता है।
> जीतेंद्र और प्रवीण के खिलाफ भी मामले की सुनवाई जल्द शुरू होगी।
कोर्ट उनके सभी बैंक अकाउंट और प्रॉपर्टी सील करने का आदेश देता है।
> और रवी… को बहाल किया जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने पद से बढ़कर काम किया।"
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🎉 बाहर – मीडिया की बाढ़
> “पाली केस में ऐतिहासिक फैसला –
एक छात्र की मौत से खुला सेक्सटॉर्शन रैकेट
लड़की की गवाही बनी लाखों की आवाज़”
अनुराधा कैमरे के सामने खड़ी थी, लेकिन इस बार चुप नहीं थी।
अनुराधा:
"मैं बस यही कहूँगी…
कभी मत डरना।
क्योंकि जब तुम बोलते हो, तो हज़ारों की आवाज़ बनते हो।
और जब कोई तुम्हारे साथ होता है — जैसे मेरे साथ अंकित और अनाया थे —
तो दुनिया की कोई ताकत तुम्हें चुप नहीं करा सकती।"
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भाग 11 – जब अंधेरे में बैठे गुनहगार, आखिरी वार की तैयारी करते हैं…
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📍स्थान: जयपुर – एक गुप्त फार्महाउस
जीतेन्द्र और प्रवीण ज़मानत पर बाहर आ चुके हैं।
अदालत में डायरी और ऑडियो सबूत के बावजूद —
उनके पास ऐसा कुछ है जिससे वो खेल फिर से पलट सकते हैं।
प्रवीण (धीरे से):
"अब वक्त आ गया है… ‘अनाया’ और ‘रवी’ को खेल से बाहर करने का।
और सबसे पहले… उस लड़की को डराना होगा… अनुराधा को।"
जीतेन्द्र:
"हमारे पास अब भी एक trump card है –
वो CCTV footage जो कोर्ट में पेश नहीं हुई।
उसमें कान्हा की मौत को ‘accident’ दिखाया जा सकता है।"
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🕵️♀️ दूसरी ओर – अनाया का शक गहराता है
अनाया को पता चल गया था कि कोर्ट से बाहर कुछ चल रहा है।
उसने SIT की एक पुरानी फ़ाइल में से एक मिसिंग वीडियो क्लिप खोज निकाली –
वो क्लिप थी 14 सेकंड की, जिसे जानबूझकर फ़ोल्डर से हटा दिया गया था।
वीडियो में:
प्रवीण और एक पुलिस अफसर के बीच पैसों का सौदा।
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📱 अंकित की कॉल – अनुराधा को
अंकित:
"अनुराधा, तुम्हें आज रात किसी के साथ बाहर नहीं जाना है।
हमारे पास खबर है कि तुम्हें डराने की प्लानिंग हो रही है।
मैं और अनाया बस 30 मिनट में पहुँच रहे हैं।"
अनुराधा (काँपती हुई आवाज़ में):
"वो लोग फिर आ रहे हैं क्या?"
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🚨 उसी रात – अनुराधा के घर पर हमला
चार नकाबपोश लोग गाड़ी में आते हैं।
दरवाज़ा तोड़ने ही वाले होते हैं…
तभी बाहर एक जीप की आवाज़…
रवी, अंकित और अनाया, पुलिस टीम के साथ वहाँ पहुँच जाते हैं।
फायरिंग नहीं होती… लेकिन दो नकाबपोश भाग जाते हैं।
दो को मौके पर ही पकड़ा जाता है।
रवी (गुस्से में):
"अब अगर कोर्ट ने नहीं उठाया केस…
तो हम खुद नया केस दर्ज करेंगे –
हत्या की कोशिश का।"
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📂 अगली सुबह – कोर्ट में नया मोड़
SIT ने अदालत में एक वीडियो क्लिप,
कॉल रिकॉर्ड,
और पकड़े गए गुंडों की गवाही दी।
गुंडा #1:
"हमें जीतेंद्र ने 2 लाख रुपये दिए थे…
कहा था – 'बस लड़की को इतना डरा देना कि वो कभी कोर्ट न पहुँचे'।"
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⚖️ कोर्ट का कड़ा रुख
> "अदालत मानती है कि ये केवल धमकी नहीं,
बल्कि न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप और साक्ष्य छुपाने की कोशिश है।
अतः प्रवीण और जीतेंद्र की ज़मानत तत्काल रद्द की जाती है।"
> "अब इनपर हत्या की साजिश और साक्ष्य नष्ट करने का भी मुकदमा चलेगा।"
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🌙 कहानी के अंत की ओर…
रात को छत पर…
अनाया:
"अब तो सब खत्म हो गया ना?"
अंकित (धीरे से):
"अभी नहीं…
जब तक वो सारे लोग बेनकाब नहीं होते,
जो परदे के पीछे थे।"
रवी (गंभीर स्वर में):
"ये सिर्फ़ कान्हा का केस नहीं रहा…
ये एक सिस्टम के खिलाफ जंग है।
और अगला वार उनका नहीं… हमारा होगा।"
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भाग 12 – और परदे के पीछे बैठा वो आदमी सामने आया…
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📍स्थान: पाली – एक पुराना बंगला, सरकारी बोर्ड लगा है: "शिक्षा सेवा आयोग कार्यालय"
रवी के पास एक चिट्ठी आई थी, गुमनाम तरीके से।
उसमें सिर्फ एक लाइन लिखी थी:
> “जो खेल जीतेंद्र ने खेला… वो सिर्फ मोहरा था।
असली शतरंज उस आदमी ने बिछाई है जो शिक्षा की कुर्सी पर बैठता है।”
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🔍 अनाया और अंकित की खोज
अनाया ने हार्ड ड्राइव के डेटा से एक पुराना कॉल रिकॉर्डिंग निकाल लिया,
जिसमें प्रवीण फोन पर कह रहा है:
> "सर, अब अनुराधा कोर्ट पहुँच चुकी है।
अगला प्लान भेजिए।
रोहित और मंटू तो काम आ गए… पर ये केस अब बड़ा हो गया है।"
अंकित:
"सर? कौन 'सर'?"
अनाया:
"शायद वही, जो इस पूरे रैकेट का मास्टरमाइंड है… और जिसका नाम अब तक किसी केस में नहीं आया।"
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📞 रवी का खुलासा
रवी:
"वो आदमी है डॉ. रमेश गहलोत।
पाली शिक्षा विभाग का डॉयरेक्टर।
बाहर से समाज सेवक, लेकिन असल में लड़कियों का शोषण करने वाला एक संगठित गैंग का लीडर।
और जीतेंद्र, प्रवीण, मंटू सब उसी के लोग हैं।"
अनाया (साँस रोककर):
"तो कान्हा… उसी के रास्ते में आया था?"
रवी:
"हाँ।
कान्हा ने एक मेल किया था… NCERT को…
जिसमें रमेश गहलोत की संस्था में चल रहे 'इंटरव्यू स्कैम' और 'छात्राओं के शोषण' की जानकारी थी।
और दो दिन बाद… वो मारा गया।"
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🕯️ अनुराधा का बयान मीडिया में
अनुराधा, अब खुलकर बोल रही थी:
> “मैं जानती हूँ… सिर्फ उन चार लड़कों से कुछ नहीं बदलेगा।
असली अपराधी वो हैं जो कुर्सियों पर बैठे हैं।
मैं अब सिर्फ पीड़िता नहीं —
मैं अब जाँच की माँग करने वाली लड़की हूँ।
#JusticeForKanha अब सिर्फ ट्रेंड नहीं,
एक क्रांति है।”
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🎯 प्लानिंग – मास्टरमाइंड को बेनकाब करने का
अनाया, अंकित और रवी ने मिलकर एक स्टिंग ऑपरेशन की योजना बनाई।
अनाया बनी एक नई फर्जी छात्रा —
जो गहलोत के NGO में नौकरी के लिए इंटरव्यू देने जा रही है।
अंदर रिकॉर्डिंग डिवाइस, बटन कैमरा और माइक लगा हुआ था।
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📹 स्टिंग ऑपरेशन का नतीजा
डॉ. गहलोत की आवाज़ रिकॉर्ड हुई:
> "देखो बेटा, नौकरी तो सबको नहीं मिलती…
लेकिन अगर मेरे साथ थोड़ी ‘अच्छी बातचीत’ कर लो…
तो जॉइनिंग लेटर आज ही मिल जाएगा।"
उसके साथ प्रवीण और जीतेंद्र की WhatsApp चैट्स पहले से SIT के पास थी —
अब सब जुड़ गया।
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⚖️ कोर्ट में अंतिम कड़ी
SIT ने कोर्ट में सबूत पेश किए –
डॉ. गहलोत की रिकॉर्डिंग
इंटरव्यू स्कैम की डिटेल्स
और 6 अन्य पीड़िताओं की गवाही
अदालत का फैसला:
> "डॉ. रमेश गहलोत को:
छात्राओं के यौन शोषण, भ्रष्टाचार, और हत्या की साज़िश में
आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है।"
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🌅 कहानी की आखिरी सुबह
अनाया और अंकित, छत पर बैठे हैं।
अंकित:
"पता है, हम कभी ये केस सिर्फ कान्हा के लिए लड़ रहे थे।
पर अब ऐसा लग रहा है जैसे हम हज़ारों ‘कान्हा’ के लिए कुछ कर पाए।"
अनाया (मुस्कुराकर):
"और ये सब इसलिए हुआ…
क्योंकि एक दोस्त मरा नहीं था,
वो लड़ता रहा — हमारे ज़रिए।"
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❝
“कान्हा – आखिरी रात की गवाही”
अब खत्म नहीं होती…
अब हर शहर में, हर कॉलेज में, हर लड़की की आवाज़ बन चुकी है।
❞
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THE END ✨,