🌙 भाग 1: पहली झलक – एक स्क्रीन के पार
पाली की गर्मियों वाली दोपहर थी।
AC की ठंडी हवा के बीच, अंकित अपने कमरे में लेटा हुआ मोबाइल में इंस्टाग्राम स्क्रॉल कर रहा था।
वो लड़का जिसे सब "संजीदा", "शांत" और "दिल से थोड़ा अलग" कहते थे…
उसे न तो हर दिन नई reels पसंद आती थीं,
न लड़कियों की स्टोरीज़,
लेकिन उस दिन...
एक चेहरा उसके स्क्रीन पर ठहर गया।
अनाया।
नाम नया था, चेहरा और भी नया।
काले सूट में एक फोटो थी — बिल्कुल सिंपल, लेकिन आँखों में कुछ था...
कुछ मासूम, और कुछ अजीब जिद्दी-सा।
अंकित ने सोचा, "बस एक और लड़की होगी। छोड़ यार।"
लेकिन उँगलियाँ वहीं अटक गईं।
उसने प्रोफ़ाइल खोली —
Photos ज़्यादा नहीं थी, लेकिन जितनी थीं, उनमें सिर्फ चेहरे से नहीं...
दिल से कुछ झलकता था।
बस… वहीं से एक अनकही शुरुआत हो गई।
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📲 अगला कदम – Like नहीं किया।
अंकित ने Like नहीं किया।
क्योंकि वो चाहता था, "अगर ये कुछ असली है, तो खुद सामने आएगी।"
दिन बीतते गए।
कभी स्टोरी में उसका नाम देखना,
कभी "Follow back" पेंडिंग देखना।
एक दिन अचानक, एक स्टोरी आई —
पाली की किसी किताबों की दुकान की फोटो।
अंकित के दिल में हलचल हुई —
"ये तो यहीं की है…?"
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🛍️ भाग्य की पहली चाल – मार्केट में पहली बार
एक हफ्ते बाद, अंकित अपनी माँ के साथ पाली के पुराने बाजार में गया।
कपड़ों की दुकान के सामने खड़ा था,
तभी...
उसे कुछ जानी-पहचानी आँखें दिखीं।
सामने एक लड़की खड़ी थी, फोन में उलझी हुई, और एक हाथ में चाय का कुल्हड़...
वही आँखें। वही चेहरा। वही मुस्कान।
"अनाया?" – नाम खुद ही होंठों से निकला।
लड़की ने चौंक कर देखा…
कुछ सेकंड के लिए नज़रों का मिलना,
फिर एक हल्की सी हँसी…
और वो पल... ठहर गया।
कुछ नहीं बोला किसी ने, लेकिन दोनों का दिल बोला –
‘तू ही है।’
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🌙 भाग 2: पहली बात, पहली मुस्कान
उस दिन के बाद सब कुछ वैसे ही था,
लेकिन अंकित का मन... थोड़ा बदल गया था।
पाली की उस भीड़ में वो एक नज़्म जैसी थी –
"सामने होकर भी अनछुई..."
वो सिर्फ एक निगाह थी,
लेकिन अब हर रोज़ वो इंस्टाग्राम खोलने की वजह बन चुकी थी।
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📲 एक कहानी, एक जवाब
रात के करीब 10 बजे, अंकित अपने कमरे में बैठा था।
चाँद आधा था और स्क्रीन की रोशनी आँखों पर पड़ रही थी।
जैसे ही उसने इंस्टाग्राम खोला,
अनाया की नई स्टोरी थी।
स्टोरी थी —
> "कुछ लोग बस यूँ ही दिल में रह जाते हैं... बिना किसी नाम के..."
नीचे छोटा सा 🖤।
अंकित की उंगलियाँ कांपीं।
कुछ तो था इस लाइन में…
क्या ये कोई इशारा था?
उसने दिल थामकर एक सादा reply भेजा:
👉 “कभी-कभी नाम से ज़्यादा एहसास ज़िंदा रहते हैं।”
क्लिक।
सेंड।
अब इंतज़ार...
1 मिनट…
2 मिनट…
"अनाया is typing..."
दिल एकदम जोरों से धड़कने लगा।
फिर आया जवाब:
👉 "वाह... इतने गहरे लोग आजकल कहाँ मिलते हैं?"
अंकित की मुस्कान छुप नहीं पा रही थी।
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💬 पहला चैट
फिर बातों का एक सिलसिला शुरू हुआ —
धीरे-धीरे, दिन-रात।
उस रात पहली बार घंटों तक बात चली:
> अनाया – "तुम कुछ अलग हो…"
अंकित – "और तुम वैसी हो जैसी मैं किसी किताब में ढूंढता था…"
दोनों के बीच कभी हँसी, कभी चुप्पी,
और उन्हीं चुप्पियों में कई जवाब।
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☀️ अगली सुबह – रिया का सवाल
अगली सुबह, अनाया की सबसे अच्छी दोस्त रिया ने पूछा:
> "किससे मुस्कुरा रही है सुबह-सुबह? अब तो बता भी दे..."
अनाया हँसते हुए बोली –
> "बस... एक पागल है। शांत सा, समझदार सा। कुछ भी नहीं है… लेकिन दिल की बात समझ जाता है।"
रिया मुस्कुराई —
> "लगता है तुझे Instagram वाला crush हो गया है!"
अनाया चुप रही —
लेकिन आँखों की चमक सब बयां कर रही थी।
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🧠 दूसरी तरफ – अंकित और यश
अंकित भी चुप था, लेकिन यश, उसका जिगरी दोस्त कुछ भी नहीं छोड़ता।
> यश – "भाई ये रात 2 बजे तक किससे typing typing चल रही है?"
अंकित – "कोई नहीं… बस एक लड़की है। समझती है मुझे, सुनती है… शायद पहली बार ऐसा लग रहा है कि मैं important हूँ किसी के लिए।"
यश – "नाम?"
अंकित मुस्कराया –
> "अनाया।"
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💌 Conclusion इस भाग का:
अब बातें हो रही थीं, दिल जुड़ रहे थे
लेकिन अभी तक किसी ने कुछ कहा नहीं था।
दोनों के दिल में कुछ पनप रहा था,
जिसे शब्दों की ज़रूरत नहीं थी...
लेकिन क्या ये इमोशन जल्द ही जज़्बात में बदलेंगे?
या फिर... Ego की दस्तक इस मोहब्बत को चुप करवा देगी?
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🛍️ भाग 3: पहली मुलाक़ात, पहली झिझक
पाली की वही पुरानी बाज़ार...
जहाँ गर्मियों की छुट्टियों में रौनक कुछ ज़्यादा ही थी।
अंकित उस दिन अकेला निकला था।
ना किसी दोस्त के साथ, ना कोई मक़सद,
बस... शायद मन चाह रहा था कुछ देखने का… किसी को देखने का।
कहते हैं ना –
कुछ लोग मिलने नहीं, महसूस होने के लिए होते हैं।
और उसी भीड़ में,
वो दिखी...
अनाया।
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🌸 पहली मुलाक़ात – असली
काले सूट में, हल्का सा मुस्कुराता चेहरा,
कानों में झुमके और हाथ में कुल्हड़ की चाय…
वो हँस रही थी अपनी सहेली रिया से कुछ कहकर,
लेकिन अचानक उसकी नज़र अंकित पर पड़ी।
दोनों की आँखें मिलीं।
कुछ सेकंड ठहर गए…
शब्द नहीं, बस एक खामोश "हाय"…
अंकित थोड़ा झिझका, फिर उसने हल्की सी मुस्कान दी।
अनाया भी मुस्कुराई, लेकिन… थोड़ी चालाकी से।
जैसे कहना चाहती हो,
> "तो तुम हो वो, जो रात को इतना सोचते हो…"
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💬 बात नहीं हुई, लेकिन...
ना कोई हाथ मिलाया,
ना कोई “कैसे हो” पूछा…
लेकिन दिलों ने बात कर ली थी।
अनाया ने जाते हुए पीछे मुड़कर एक बार और देखा,
अंकित ने वहीं से सिर झुकाकर एक नामालूम इज़हार कर दिया।
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📲 रात को फिर...
उस रात इंस्टाग्राम पर पहला मैसेज अनाया की तरफ़ से आया:
> 🖤 "इतनी दूर क्यों खड़े थे आज…?"
अंकित –
> “क्योंकि पास आने की हिम्मत सिर्फ़ दिल में थी… होंठों में नहीं।”
अनाया –
> “दिल की हिम्मत को आवाज़ देनी चाहिए थी।
वैसे… आज पहली बार तुम सच में अच्छे लगे।”
अंकित –
> “और तुम… सच में वो लग रही थी जिसे देखकर इंसान दिन भूल जाए।”
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😏 रिया की शरारत
दूसरी तरफ रिया ने छेड़ा:
> “ओ हो हो! देख रही थी तेरी आँखें क्या कह रही थीं आज!”
“काला सूट भी तूने जान-बूझकर पहना ना?”
अनाया मुस्कराई लेकिन नज़रे झुकी थीं…
वो जानती थी…
कुछ तो है इस अंकित में।
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🧠 अंकित की सोच
यश से तो अंकित ने कुछ नहीं कहा,
लेकिन वो जानता था…
ये सिर्फ़ attraction नहीं है।
ये connection है।
जो आँखों से शुरू हुआ, और दिल में उतरता जा रहा है।
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☕ भाग 4: पहली लंबी मुलाकात और पहली ज़िद
वो पहली मुलाक़ात, जिसमें बात कम हुई थी —
अब दिल चाहता था वक़्त बिताने को, पास बैठने को, चुपचाप देखने को।
दोनों की बातों का सिलसिला बढ़ चुका था।
अब वो सुबह की गुड मॉर्निंग से रात की गुड नाईट तक एक-दूसरे की स्क्रीन पर होते।
और एक दिन…
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📍"पाल बालाजी" के पास पहली बार अकेले मिलना
अंकित ने कहा,
> “एक बात कहूं, सामने बैठकर बात करने का मन है।”
अनाया –
> “अभी? अकेले?”
“तुम्हें लगता है मैं इतनी आसानी से मिलने आ जाऊँगी?”
अंकित मुस्कुराया –
> “नहीं… लेकिन चाह तो सकता हूं ना?”
शाम को, अनाया का मैसेज आया:
> “मैं बालाजी के पास जा रही हूं रिया के साथ, अगर आ सको तो आ जाना।
लेकिन ये मत समझना कि मैं मिलने आई हूं, मैं ऐसे ही जा रही हूं…”
अंकित को समझ आ गया —
अनाया की ज़िद्दी मासूमियत शुरू हो चुकी है।
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🌇 पहली लंबी मुलाकात
बालाजी के पास एक छोटी-सी दुकान के बाहर की बेंच पर,
रिया थोड़ी दूर बैठी थी…
और अंकित और अनाया आमने-सामने।
पहली बार बिना स्क्रीन के सामने।
अनाया –
> “तुम्हें क्या लगता है, हर बात तुम जैसे सोचते हो वैसी ही होती है?”
अंकित –
> “नहीं… लेकिन तुम्हारी आँखें कुछ और कहती हैं।”
अनाया थोड़ा झुंझलाकर बोली –
> “अब हर बार मेरी आँखें ही क्यों बोलें? तुम्हारा दिल क्यों नहीं बोलता?”
अंकित चुप हो गया।
वो शांत स्वभाव का था।
वो बहस नहीं करता था,
बस महसूस करता था… और ज़रूरत पड़ने पर कह देता था।
उसने सिर्फ़ इतना कहा –
> “कभी-कभी जब दिल बहुत ज़ोर से चिल्लाता है, तब भी ज़बान चुप रह जाती है।”
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🧊 पहली झुंझलाहट
अनाया उठकर खड़ी हो गई –
> “तुम हर बार बातों को गहराई में क्यों ले जाते हो?”
“मुझे simple चीज़ें पसंद हैं…”
अंकित ने उसकी तरफ देखा –
धीरे से मुस्कुराया।
> “तुम simple नहीं हो अनाया।
तुम वो हो जो बिना कहे, किसी की ज़िंदगी बदल सकती हो… बस अपनी एक मुस्कान से।”
अनाया कुछ नहीं बोली, लेकिन चेहरा उसकी जिद और दिल के बीच उलझा दिख रहा था।
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🧃 जाते-जाते
रिया बोली –
> “चल अनाया, लेट हो रहा है।”
अनाया उठी, लेकिन जाते-जाते मुड़कर अंकित से कहा:
> “कल से बात मत करना, बहुत heavy हो तुम…”
अंकित बस हल्के से बोला –
> “ठीक है… लेकिन तुम heavy नहीं हो, तुम necessary हो।”
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📲 अगली सुबह
कोई गुड मॉर्निंग नहीं।
कोई स्टोरी व्यू नहीं।
कोई message नहीं।
Ego की शुरुआत हो चुकी थी।
लेकिन दोनों के दिल में वही सवाल –
> “क्या उसने मुझे मिस किया?”
“क्या मैं बस यहीं तक था?”
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🌥️ भाग 5: जब देखा उसे किसी और के साथ
तीन दिन बीत चुके थे।
ना कोई मैसेज आया, ना कोई रिप्लाई,
और ना ही एक-दूसरे की स्टोरीज़ पर कोई रिएक्शन।
अंकित अब भी उतना ही शांत था —
लेकिन उसकी आँखों में एक खालीपन था।
वो जानता था, अनाया की ज़िद अभी बोल रही है।
उसका दिल अब भी अनाया से जुड़ा था, लेकिन…
अब वो उसके पीछे नहीं भागना चाहता था।
और यही शांति,
एक दिन अनाया के अंदर आग बनकर जलने लगी।
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📲 Instagram की एक स्टोरी
शनिवार शाम।
अनाया अपने बिस्तर पर उल्टी लेटी हुई थी,
मोबाइल उसके सामने…
और दिल थोड़ा बेचैन।
उसने यूं ही इंस्टा खोला…
स्क्रॉल करते-करते स्टोरी सेक्शन तक पहुंची।
सान्या की स्टोरी।
कॉलेज का एक ग्रुप फोटो।
लेकिन उसमें एक चेहरा था…
अंकित।
सान्या के पास खड़ा,
कंधे से थोड़ा झुका हुआ…
एक स्माइल जो बहुत comfortable लग रही थी।
सान्या ने स्टोरी में लिखा था:
> “Chilling with the best humans 💛✨ #GoodVibes”
अनाया की आँखें वहीं रुक गईं।
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💢 जलन का वो पहला पल
उसने स्टोरी को फिर से देखा…
फिर ज़ूम करके देखा…
फिर देखा कि अंकित ने खुद सान्या की स्टोरी repost की है।
उसका दिल एक पल के लिए रुक गया।
> "इतना जल्दी…?"
"यानि अब मैं matter नहीं करती?"
ज़िद ने गुस्से की शक्ल ले ली।
उसने झटपट रिया को कॉल किया।
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📞 रिया और अनाया की बात
अनाया (गुस्से में):
> “रिया! तूने देखा वो सान्या की स्टोरी?”
“अंकित उसके साथ घूम रहा है… हँस रहा है!”
रिया –
> “देखा तो… पर यार वो तो कॉलेज की फ्रेंड है, ज़रूरी थोड़ी है कि कुछ चल रहा हो।”
अनाया (थोड़ा रुककर):
> “मैंने तो बस कहा था कि बात मत करना… इसका मतलब ये थोड़ी कि वो किसी और में interest लेने लगे।”
रिया –
> “मतलब तू अब भी चाहती है कि वो सिर्फ़ तुझमें interest रखे?”
अनाया चुप।
फिर धीमे से बोली –
> “मुझे बस… अच्छा नहीं लगा।”
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🌙 उस रात – अनाया का मैसेज
काफी देर सोचने के बाद,
अनाया ने अंकित को मैसेज किया:
> “सान्या के साथ अच्छे लग रहे थे।”
“अब मैं Outdated हो गई हूं क्या?”
अंकित ने देखा…
पढ़ा…
फिर थोड़ी देर बाद जवाब दिया:
> “तुमने कहा था बात मत करना।”
“मैंने मान लिया।”
> “पर जो इंसान दिल में रहता है,
वो कभी outdated नहीं होता, बस चुप हो जाता है।”
अनाया के हाथ काँपने लगे।
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😔 अंदर की तड़प
उस रात ना अनाया सो सकी, ना अंकित।
दोनों को जलन थी,
लेकिन प्यार उससे भी ज़्यादा था।
एक Ego थी जो ज़ुबान को रोक रही थी,
और एक दिल था जो हर सीन के पीछे बस उसी को ढूँढ रहा था।
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🌆 भाग 6: वो दिन जब सब सामने था
पाली का वही "City Square" —
रविवार की हल्की सर्दी और बाज़ार की चहल-पहल के बीच
एक कॉमन hangout spot बना हुआ था।
अंकित वहाँ पहले से बैठा था —
कॉलेज फ्रेंड्स के साथ, including सान्या।
वो हँस रहा था, मुस्कुरा रहा था,
लेकिन किसी ने गौर नहीं किया कि उसकी नज़रें बार-बार उस रास्ते की तरफ़ जाती थीं
जहाँ से अनाया आ सकती थी।
उसे उम्मीद नहीं थी कि वो आएगी…
लेकिन शायद किस्मत को यही मंज़ूर था।
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🚶♀️अनाया की एंट्री
अनाया आई।
रिया के साथ, हाथ में मोबाइल, और चेहरा शांत… लेकिन दिल में आग।
उसकी नज़र सीधी अंकित पर गई।
वो देख रही थी कैसे सान्या उसके कंधे पर हाथ रखकर हँस रही थी।
और अंकित… थोड़ा असहज होकर भी मुस्कुरा रहा था।
आग जल चुकी थी।
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💬 पहली नजर, पहला ताना
अंकित ने भी अनाया को देखा।
एक पल के लिए सब कुछ धीमा हो गया।
उसकी मुस्कान ठहर गई।
दिल कहा – "देखा… आ गई वो..."
लेकिन अनाया?
वो पास से गुज़री —
बिलकुल चुप।
ना हाय, ना हेलो।
बस एक सख़्त नज़र… और ताना देती हुई मुस्कान:
> "Enjoy कर लो सान्या के साथ… तुमपर अच्छा लग रहा है ये 'move on' वाला लुक।"
अंकित कुछ बोलना चाहता था…
लेकिन सामने इतने लोग थे,
वो सिर्फ़ खड़ा रहा – चुपचाप।
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🍂 सान्या की चाल
सान्या ने ये सब देख लिया था।
वो धीरे से अंकित के पास आई और बोली:
> “क्या बात है अंकित? वो लड़की तो बड़ी खास लग रही थी… कुछ है क्या?”
अंकित शांत था —
> “थी। लेकिन अब शायद सिर्फ़ जलन बची है।”
सान्या हल्का मुस्कराई।
> “अगर अब फ्री हो… तो शायद कोई और भी तुम्हारी केयर कर सकता है।”
अंकित को वो बात चुभी… लेकिन उसने जवाब नहीं दिया।
उसे अब समझ आने लगा था कि
सान्या के इरादे 'सिर्फ दोस्ती' वाले नहीं हैं।
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📲 रात को अनाया – अकेली, उलझी
रिया ने पूछा:
> “तू ठीक है ना? बहुत गुस्से में लग रही थी वहां…”
अनाया –
> “मुझे फर्क क्यों पड़ा रिया?
मैं ही तो कहती थी बात मत करना…”
रिया –
> “फर्क इसलिए पड़ा क्योंकि तूने उसे दिल से चाहा है…”
अनाया की आँखें भीग गईं।
“हाँ… चाहा है…
लेकिन क्यों लगता है जैसे अब वो किसी और का हो रहा है?”
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🌙 अंकित – अब उलझा, लेकिन साफ
उस रात अंकित ने यश को कॉल किया।
> “यार ये सान्या कुछ ज़्यादा ही आगे बढ़ रही है।”
“और मैं अब भी उसी अनाया में अटका हूं जो ज़िद्दी थी… लेकिन सच्ची थी।”
यश –
> “तो बात कर उससे? साफ-साफ।”
अंकित –
> “वो सामने से बात नहीं करती, जलती है… लेकिन बोलती कुछ नहीं।”
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🕊️ To Be Continued…
अब जब सान्या की feelings बढ़ रही हैं,
और अनाया अंदर ही अंदर टूट रही है,
क्या कोई फैसला होगा?
क्या अंकित साफ-साफ दोनों को अपने दिल की बात बताएगा?
या अब एक और तकरार इस मोहब्बत को बिखेर देगी?
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🌑 भाग 7: एक ख़बर जो सब कुछ बदल गई
कुछ रिश्ते बनते हैं धीरे-धीरे,
और कुछ... एक झटके में टूटते हुए लगते हैं।
लेकिन जो रिश्ता दिल से बना हो,
वो ना इतनी जल्दी बनता है... और ना इतनी जल्दी मिटता है।
लेकिन उस दिन...
कुछ ऐसा हुआ जिसने सब कुछ हिला कर रख दिया।
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🧾 अनाया के घर – एक रिश्ता आया
"बिटिया अब बड़ी हो गई है..."
ये शब्द जब अनाया के पापा ने कहे,
तो उसकी माँ ने मुस्कुराते हुए चाय सामने रख दी।
घर में रिश्ते की बात चल रही थी।
लड़का – आईटी कंपनी में,
शहर में अपना फ्लैट, गाड़ी, और एक सीधी-सादी फैमिली।
अनाया कुछ नहीं बोली।
बस सुनती रही...
उसका दिल कहीं और था…
लेकिन चेहरे पर ज़िद्दी चुप्पी थी।
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🕯️ रिया से दिल की बात
रिया ने पूछा –
> “तो मना क्यों नहीं कर देती?”
अनाया ने धीरे से कहा –
> “क्योंकि जिसे चाहिए था…
उसने तो मेरी जगह किसी और को अपनी स्टोरी में डाल दिया।”
रिया चौंकी –
> “तू अभी भी उससे प्यार करती है, ना?”
अनाया की आंखें भर आईं –
> “अगर ना करती… तो जलती क्यों?”
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📲 सगाई की अनाउंसमेंट
एक हफ्ते बाद,
Instagram पर रिया की स्टोरी थी —
> 🎉 "Anaya got engaged 💍✨
New chapter begins…"
बस इतना ही…
लेकिन अंकित ने देखा।
उसका दिल धड़कने से एक पल को रुक गया।
उसने स्टोरी फिर से देखी…
zoom करके देखा…
और फिर स्क्रीन को ब्लैंक होते हुए देखा।
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💔 अंकित – अंदर से टूटा
उसने यश को कुछ नहीं बताया।
सिर्फ़ मोबाइल साइड में रखा और खिड़की के पास बैठ गया।
आँखें बंद कीं… और उस पहली मुलाकात को याद किया।
वो हँसी, वो काला सूट, वो ताना मारने का अंदाज़… सब याद आया।
> “तो क्या... अब ये अधूरापन हमेशा के लिए रहेगा?”
“क्या वाकई ये ‘हम’ कभी था भी?”
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🧊 लेकिन अंकित शांत नहीं रहा
अगले दिन, कॉलेज में
सान्या फिर उसके करीब आई – हँसी, मज़ाक, बातें।
लेकिन अब अंकित की आँखों में कोई spark नहीं था।
उसने अचानक सान्या से कहा:
> “मैं तुमसे कुछ नहीं चाहता। कभी नहीं चाहता था।
और अगर तुम्हें कुछ और लगता है… तो माफ करना, मैं गलत इंसान हूं।”
सान्या हैरान रह गई।
अंकित ने अब पहली बार अपने दिल की बात साफ़ कही थी।
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🔥 अंत में – एक कॉल
उसी रात…
अनाया का फोन बजा।
स्क्रीन पर नाम था: अंकित
दिल काँपा।
फोन उठाया —
दूसरी तरफ से आवाज़ आई…
> “मुबारक हो…”
अनाया चुप…
> “लेकिन क्या तुम्हें वाकई ये चाहिए था?
या तुमने सिर्फ़ मुझे जलाने के लिए सगाई कर ली?”
अनाया की आँखों में आँसू आ गए।
> “तुमने तो पहले ही किसी और को चुन लिया था…”
अंकित —
> “कभी देखा तुमने मेरी स्टोरी में किसी और को अपनी जगह लेते हुए…
या बस अपनी ज़िद से देखा?”
लाइन कट हो गई।
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🕊️ To Be Continued…
अब जब सगाई हो चुकी है,
और अंकित ने दिल की बात कह दी है —
क्या ये कहानी अब यहीं थम जाएगी?
या फिर...
शादी से पहले कोई ऐसा मोड़ आएगा,
जो सब कुछ बदल देगा?
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🌪️ भाग 8: सान्या का इज़हार, रिया की उलझन
जब कोई दिल से हार रहा होता है,
तो दूसरा दिमाग से जीतने लगता है।
अब यही हो रहा था…
अनाया के दिल में हलचल थी।
और बाहर से —
सान्या धीरे-धीरे अपनी चाल चल रही थी।
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💬 कॉलेज में – सान्या और अंकित की बातचीत
कॉलेज की कैंटीन।
सान्या ने अकेले में अंकित को बुलाया।
> “मैं कब से सोच रही थी बोलूं…
लेकिन अब बर्दाश्त नहीं होता अंकित।”
अंकित चौंका:
> “क्या हुआ?”
सान्या की आँखों में सीधा इज़हार था:
> “मैं तुम्हें पसंद करने लगी हूं।
तुम्हारा साइलेंस, तुम्हारी केयर, तुम्हारा अलग-सा अंदाज़…”
> “और मैं जानती हूं तुम अब भी अनाया में अटके हुए हो —
लेकिन एक बात पूछती हूं…
क्या किसी ने तुम्हें इतना थकाया है जितना उसने?”
अंकित शांत रहा।
उसकी आँखें बोल रही थीं —
“थकाया है… लेकिन उसी ने दिल भी तो दिया है।”
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👭 दूसरी तरफ – रिया और अनाया
रिया और अनाया पार्क में बैठे थे।
अनाया –
> “तुने देखा ना, कैसे सान्या अंकित के और करीब हो रही है…”
रिया कुछ देर चुप रही।
फिर गहरी सांस लेकर बोली —
> “देख अनाया, मैं तेरा दोस्त हूं, लेकिन अब मैं तुझसे एक बात साफ कहना चाहती हूं।”
अनाया – “बोल।”
रिया –
> “शायद… इस बार तू गलत है।
अंकित हर बार तुझे समझने की कोशिश करता रहा,
लेकिन तू हर बार जिद पर अड़ी रही।”
> “कभी तुने खुद से पूछा,
उसने कब तुझे hurt किया?
कब किसी से flirt किया?
कब तुझे छोड़ा?”
> “और फिर भी तुने उसकी चुप्पी को इग्नोर कर दिया…
और Ego में सगाई कर ली?”
अनाया के चेहरे से रंग उड़ गया।
उसने कुछ नहीं कहा…
बस आसमान की तरफ देखा और एक लंबी सांस ली।
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🥀 दिल के अंदर की उलझन
रात को अनाया अकेली थी।
फोन उठाया —
अंकित का नाम देखा… फिर हटाया।
वो लड़ाई अब किसी और से नहीं, खुद से थी।
> “क्या सच में मैं सिर्फ़ ज़िद कर रही थी?”
“क्या मैंने प्यार की जगह अपना घमंड चुन लिया…?”
आँखों से आँसू गिर रहे थे,
लेकिन Ego अब भी चुप बैठा था — “मत मान, तू कमजोर नहीं।”
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🔥 सान्या का आखिरी वार
अगले दिन,
सान्या ने एक स्टोरी डाली —
> 💕 “कुछ लोग सिर्फ़ याद बन जाते हैं,
कुछ… जिंदगी बन जाते हैं।”
✨ #HeSaidYes
🎁 @ankit_
पूरा कॉलेज हिल गया।
कमेंट्स, रिएक्शन… हर तरफ़ हल्ला।
लेकिन…
अंकित ने ना स्टोरी repost की,
ना कोई जवाब दिया।
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😳 रिया की सच्चाई
रिया ने अनाया से कहा:
> “तू सोच रही है कि सान्या ने जो स्टोरी डाली वो सच्ची है?
अंकित ने repost तक नहीं किया!”
> “क्योंकि वो अब भी तुझसे जुड़ा है…
लेकिन तू… तू अब भी खुद से लड़ रही है अनाया।”
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🕊️ To Be Continued…
अब जब सान्या की सच्चाई सामने आने लगी है,
और रिया भी अब दिल से अनाया को समझाने लगी है —
क्या अनाया अब अपने फैसले पर दोबारा सोच पाएगी?
या फिर…
ये इमोशनल लड़ाई एक irreversible मोड़ ले लेगी?
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🌃 भाग 9: जब सब कुछ होते हुए भी कुछ अधूरा रह गया
ज़िंदगी में कभी-कभी सबकुछ पास होता है,
पर जो दिल में होना चाहिए —
वो ही नहीं होता।
अब अनाया के पास एक सगाई थी,
लोगों की बधाइयाँ थीं,
रील्स बनाने वाली सहेलियाँ थीं…
लेकिन…
जिसने उसकी ख़ामोशी को भी समझा था, वो अब पास नहीं था।
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📱 दिल की कॉल – लेकिन भेजी नहीं गई
उस रात
अनाया ने मोबाइल उठाया।
नंबर डायल किया — अंकित।
फोन बजता रहा…
लेकिन उसने कॉल कट कर दी।
> “क्या कहूं उससे?”
“कि जो सगाई मैंने गुस्से में की,
वो आज मेरी साँसों पर भारी है?”
“या ये… कि आज भी जब वो ऑनलाइन आता है,
मेरी धड़कनें बदल जाती हैं?”
---
💬 अंकित की चुप्पी
दूसरी तरफ,
अंकित अब भी वही था —
चुप, समझदार, लेकिन टूटता हुआ।
यश ने कहा:
> “अब भी उससे प्यार करता है?”
“तो क्यों नहीं बोल देता?”
अंकित ने बस इतना कहा:
> “कभी-कभी सामने वाला कुछ सुनना ही नहीं चाहता…
और मैं चिल्लाना नहीं जानता।”
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🖤 सोशल मीडिया पर एक नया वार
सान्या ने फिर एक स्टोरी डाली:
> "वो जो चुप रहते हैं,
वो सबसे ज़्यादा खेलते हैं दिल से।"
उसने @ankit_ टैग किया।
अनाया ने फिर देखा…
लेकिन इस बार…
उसके हाथ काँपे नहीं,
उसका दिल काँपा।
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🕯️ रिया का सामना
रिया इस बार अनाया के सामने खड़ी हो गई।
> “अब तुझे और कितना देखना है?
जब तक वो किसी और से शादी नहीं कर लेता तब तक?”
अनाया की आँखें भर आईं:
> “क्या मैं वाकई इतनी जिद्दी हूं रिया?”
रिया ने उसका हाथ पकड़ा:
> “नहीं यार… तू बस डर गई थी…
उस इंसान से जिसने तुझे बिन बोले भी पढ़ लिया था।”
> “लेकिन अब वक्त है,
कि तू खुद से और उससे — दोनों से सच बोले।”
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💔 रात का वो मोड़
उस रात…
अनाया ने आखिरकार
एक लंबा मैसेज लिखा अंकित को — दिल से।
> “मैं जानती हूं मैंने तुम्हें बार-बार गलत समझा।
मैं जानती हूं कि मैंने अपनी ज़िद को प्यार पर हावी कर दिया।
लेकिन आज भी अगर मैं किसी की स्टोरी सबसे पहले खोलती हूं…
तो वो तुम्हारी होती है।”
“और ये सगाई… ये बस एक reaction थी,
एक ग़लत फैसले की सज़ा मैं खुद भुगत रही हूं।”
“अगर अब भी कुछ बचा हो…
तो एक बार कुछ मत कहना —
बस आ जाना…”
सेंड।
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📲 Seen... लेकिन जवाब नहीं आया।
घंटों बीत गए।
अंकित ने मैसेज देखा…
लेकिन कोई रिप्लाई नहीं।
अनाया की आँखें नींद से भारी थीं,
लेकिन दिल जवाब की उम्मीद में जाग रहा था।
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🕊️ To Be Continued…
अब जब अनाया ने दिल से कबूल किया,
तो क्या अंकित अब चुप रहेगा?
या फिर…
कहानी अब उस मोड़ की तरफ़ बढ़ रही है,
जहाँ या तो सब मिल जाएगा —
या हमेशा के लिए खो जाएगा…
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🌫️ भाग 10: जब जवाब आया... लेकिन देर से
कुछ जवाब शब्दों में नहीं आते,
कुछ जवाब इंतज़ार में छुपे होते हैं।
अनाया ने वो लंबा मैसेज भेजा था…
जिसमें उसका डर, उसकी ज़िद, और उसका टूटा हुआ प्यार — सब खुलकर सामने था।
अंकित ने मैसेज "Seen" किया था।
लेकिन कोई रिप्लाई नहीं आया।
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🌙 तीन दिन – सबसे लंबी ख़ामोशी
तीन दिन बीत गए।
ना कोई मैसेज,
ना कोई कॉल,
ना कोई स्टोरी।
अनाया हर सुबह मोबाइल चेक करती,
रात को तकिए पर आँखें खोलकर लेटी रहती,
और सोचती…
> “अब तो मैंने सब कह दिया…
फिर भी उसने कुछ नहीं कहा?”
दिल टूटा नहीं था…
दिल खुद से गुस्सा था।
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🍁 वहीं दूसरी तरफ – अंकित
अंकित मोबाइल हाथ में लिए बैठा था।
हर शब्द उसने पढ़ा था… बार-बार।
लेकिन…
उसका दिल भी अब डरता था।
> “अगर मैं फिर से लौटूं…
और फिर से वही जिद मिले तो?”
यश ने कहा –
> “भाई, अगर उसे इतना कहने की हिम्मत हुई है,
तो तुझसे मिलने की भी हिम्मत होगी।”
अंकित चुप रहा।
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🧭 चौथा दिन – कुछ खास
पाली – शास्त्री नगर मंदिर
अनाया अपने घर वालों के साथ मंदिर गई थी —
जैसे रोज़ जाती थी।
मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए
उसका दिल बोझिल था।
लेकिन तभी…
किसी ने पीछे से हल्के से पुकारा —
> “अनाया…”
वो पलटी।
साँस जैसे रुक गई।
अंकित खड़ा था।
वही मुस्कान, लेकिन इस बार उसमें शांति नहीं, सवाल थे।
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💬 पहली बार – आमने-सामने फिर से
अनाया धीरे से बोली:
> “तुम... आ गए?”
अंकित –
> “तूने कहा था,
‘बस आ जाना’
…तो आ गया।”
अनाया की आँखों से आँसू बह निकले।
> “तूने इतने दिन क्यों नहीं जवाब दिया?”
“मैं डर रही थी कि तुने माफ़ नहीं किया…”
अंकित ने उसकी आँखों में देखा:
> “मैं जवाब ढूंढ रहा था —
कि क्या फिर से वही तकलीफ़ सह सकता हूं…
और फिर समझ आया —
तकलीफ़ से डरकर अगर तुझसे दूर रह गया…
तो सुकून कैसे मिलेगा?”
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🖤 अब दिल की बात – खुलकर
अनाया –
> “मैंने सगाई सिर्फ़ इसलिए की थी ताकि तुम्हें खोने से पहले तुम्हें खो दूं।”
“पर सच्चाई ये है…
मैं आज भी तेरी हूँ।”
अंकित –
> “और मैं… कभी तुझसे गया ही नहीं था।”
उसने पहली बार अनाया का हाथ पकड़ा – सबके सामने।
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🧾 सगाई तोड़ने की बात
उसी रात,
अनाया ने घर पर सबके सामने कहा:
> “मैं शादी नहीं कर सकती।
जिससे मैंने सगाई की, वो मेरे दिल का रिश्ता नहीं है।
और मैं अब और झूठ नहीं जी सकती।”
घर में तनाव हुआ।
माँ-पापा नाराज़ भी हुए।
लेकिन अनाया इस बार जिद्दी नहीं थी,
वो सच में ठान चुकी थी।
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📞 दूसरी तरफ – अंकित की शादी की भी बात चल चुकी थी…
लेकिन अब…
अंकित ने उस लड़की से खुद माफ़ी मांगी।
> “तुम बहुत अच्छी हो,
पर मैं वो रिश्ता नहीं निभा पाऊंगा जिसमें दिल किसी और का हो।”
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🕊️ To Be Continued…
अब दोनों ने अपने रिश्तों से बाहर निकलकर
एक-दूसरे की तरफ़ चलना शुरू किया है।
लेकिन क्या समाज, घरवाले, और पुरानी गलतफ़हमियाँ अब रुकावट बनेंगी?
या अब ये कहानी
वाकई अपने नाम की तरह — "अनकही" से "हमारी" बन जाएगी?
🌪️ भाग 11 – जब मोहब्बत के बीच में ज़हर घुल गया…
प्यार की राह में अगर कांटे हो,
तो चलना आसान होता है।
लेकिन अगर कोई
खुद ज़हर लेकर सामने खड़ा हो जाए…
तो दिल हार नहीं जाता —
डर जाता है।
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🧨 सान्या की आख़िरी चाल
पिछली मुलाक़ात के कुछ ही दिन बाद,
जब सबकुछ ठीक होने की तरफ़ जा रहा था…
अचानक एक मैसेज आया – सान्या का।
> “अगर तूने अनाया से शादी की ना अंकित,
तो मैं अपने आपको खत्म कर दूंगी।
और मेरा खून तेरे सिर होगा।”
साथ में एक फोटो भी आई –
जहर की शीशी लिए सान्या की तस्वीर।
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📵 अंकित टूट गया…
यश ने कहा:
> “भाई, ये लड़की पागल है, ब्लैकमेल कर रही है… तू डर क्यों रहा है?”
अंकित की आँखें डरी हुई थीं —
क्योंकि वो किसी की जान के बोझ के साथ ज़िंदगी नहीं जी सकता था।
> “मैं उससे प्यार नहीं करता यार…
लेकिन अगर उसे कुछ हो गया,
तो मैं खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाऊँगा।”
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📞 अनाया को कॉल
फोन बजा —
अनाया ने उठाया:
> “हां अंकित… बोलो।”
अंकित की आवाज़ में हलचल थी, टूटन थी:
> “हम नहीं हो सकते अनाया।
सब ठीक था… लेकिन अब नहीं है।”
अनाया सन्न।
> “क्या मतलब?”
अंकित –
> “मत पूछ… बस मान ले कि तू बहुत अच्छी है,
पर मैं अब तेरा नहीं हो सकता।”
लाइन कट।
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🕯️ अनाया की हालत
फिर वही पुराना अंधेरा,
फिर वही सवाल…
> “अब क्या मैंने देर कर दी?”
“या फिर… कोई फिर से मेरी किस्मत छीन ले गया?”
रिया पास थी… लेकिन इस बार चुप।
उसे खुद नहीं पता था कि अंदर क्या चल रहा है।
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🌑 एक रात बाद – अंकित का ब्लैकआउट
अंकित पार्क में अकेला बैठा था —
मोबाइल बंद, आँखें सुनी।
तभी यश आया:
> “भाई! वो लड़की पागल नहीं है,
ड्रामा कर रही थी। इंस्टाग्राम पर पार्टी करते हुए स्टोरी डाली है उसने!”
अंकित के हाथ से फोन गिरा…
वो कांप गया…
> “तो मैं… यूं ही डर गया?”
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😢 अनाया का टूटना और फैसला
उधर, अनाया अब भी इंतज़ार कर रही थी…
लेकिन अब इंतज़ार नहीं, बल्कि खुद से लड़ाई चल रही थी।
उसने रिया से कहा:
> “अगर वो गया… तो मैं खुद उसके घर जाऊंगी।
और पूछूंगी —
क्या अब भी डर के मारे प्यार को छोड़ेगा?
या आज अपने प्यार को बचा लेगा?”
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🕊️ To Be Continued…
अब जब सब कुछ बिखर गया है,
तो क्या वाकई “वो” फिर से जुड़ सकता है?
या अब मोहब्बत को
सिर्फ़ एक bold कदम ही बचा सकता है?
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🌩️ भाग 12: आखिरी मोड़… जहाँ या तो प्यार बचेगा, या सिर्फ़ यादें
कुछ मोहब्बतें हार जाती हैं,
क्योंकि डर जीत जाता है।
पर कुछ मोहब्बतें डर से आगे निकल जाती हैं,
क्योंकि दिल बोल पड़ता है —
"बस बहुत हुआ…"
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🌌 रात — जब अनाया ने फैसला किया
अब और नहीं…
अनाया ने आँसू पोंछे।
रिया को देखा और कहा —
> “कल उसकी शादी है ना?”
“तो मैं वहाँ जाऊंगी —
उसके सामने, सबके सामने…”
रिया हक्की:
> “पागल हो गई है क्या? वहाँ पूरा घर होगा, लड़की वाले होंगे…”
अनाया की आवाज़ में इस बार झिझक नहीं थी —
> “तो क्या हुआ?
मैं उसके लिए पूरी दुनिया से लड़ी,
अब उसके लिए एक शादी नहीं रोक सकती?”
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💒 अगला दिन – शादी का मंडप
हॉल सजा हुआ था।
अंकित सफेद शेरवानी में,
पर चेहरा फीका था।
दुल्हन की ड्रेस में लड़की मुस्कुरा रही थी,
लेकिन उसकी आंखों में वो सच्चा प्यार नहीं था —
जो अनाया की आँखों में था।
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📦 फेरों से पहले – एक तूफान आया
दूर से एक आवाज़ गूंजी…
> “अंकित!!”
सबका ध्यान उधर गया।
अनाया हॉल में घुस चुकी थी।
लाल सूट में, बिना किसी शर्म के,
वो एकदम सीधे मंडप के पास आकर रुकी।
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🧨 सन्नाटा…
सब चुप।
अनाया ने कोई बहाना नहीं बनाया,
सीधा बोल पड़ी —
> “अंकित, अगर आज तूने शादी कर ली…
तो तू सिर्फ़ किसी और की ज़िंदगी बर्बाद नहीं करेगा —
तू अपनी मोहब्बत की लाश भी उठाएगा।”
> “मैंने गलती की थी — माना।
लेकिन तूने भी डर कर पीछे हटकर मेरा हाथ छोड़ा था।”
> “आज मैं डर नहीं रही…
आज बोलने आई हूं —
तू मेरा है।”
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🤯 सबकी नज़रें अंकित पर
पूरा हॉल चुप।
अंकित उठा…
लड़की की तरफ़ देखा —
जो अब बिना बोले सब समझ चुकी थी।
वो खुद उठी, घूंघट हटाया, और मुस्कुरा कर कहा:
> “जाओ अंकित…
शादी वो करो, जहाँ सात फेरों में प्यार की कसमें हों —
मजबूरी की नहीं।”
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😢 अंकित का जवाब
अंकित धीरे से चला,
अनाया के पास आया,
उसके हाथ पकड़े और बोला —
> “मैंने कहा था ना —
बस तू बुला ले,
तो मैं आ जाऊंगा…”
“इस बार तू आई है —
तो अब कहीं नहीं जाऊंगा।”
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🎉 सबके सामने शादी
पंडित वहीं मौजूद थे,
फेरे वहीं हुए…
लेकिन अब इस बार
किसी ज़बरदस्ती की नहीं —
बल्कि सच्चे प्यार की शादी हुई।
♥️ भाग 13 – "पहली रात: सच्चाई, सुकून और सज़ा जो प्यार में बदल गई "
🛏️ कमरा हल्की रौशनी से भरा है…
दीवार पर हल्की सी रोशनी,
कमरे में गुलाब और चंदन की ख़ुशबू…
और बीच में — अंकित चुपचाप बैठा है।
शेरवानी अब भी आधी उतरी हुई…
आँखें कहीं दूर भटक रही थीं।
तभी दरवाज़ा बंद होता है…
अनाया धीरे से पास आती है, घूंघट आधा उतारते हुए।
> “क्या हुआ अंकित…
चुप क्यों हो? आज तो तुम्हारी शादी हुई है…”
अंकित हल्की सी मुस्कान देता है…
फिर कुछ सेकंड चुप रहता है।
> “कुछ कहना चाहता हूँ…”
अनाया पास बैठ जाती है।
अंकित की आवाज़ धीमी, लेकिन सीधी:
> “जिस दिन मैंने तुझसे कहा था कि हम नहीं हो सकते…
वो मेरा फैसला नहीं था।”
अनाया – चौंक कर:
> “तो फिर?”
अंकित –
> “सान्या ने मुझे ज़हर खाने की धमकी दी थी।
बोली – अगर मैंने तुझसे शादी की, तो वो अपनी जान ले लेगी।”
कमरे में सन्नाटा…
अनाया उठकर सीधी हो जाती है, हल्की तिरछी नज़र से देखती है।
> “तो तू डर गया?
और तूने मान भी लिया?”
> “इतना सरल और सीधा है रे तू अंकित…”
अब वो थोड़ा भावुक होकर बोलती है:
> “एक बार मेरे बारे में भी तो सोच लेता यार…
अगर मैं तेरी शादी ना रुकवाती,
तो तु किसी और से शादी कर लेता… और मेरा क्या होता, पागल?”
अंकित झुक कर बस देखता है – कुछ कह नहीं पाता।
अनाया अब मुस्कराती है — थोड़ी तकरार के साथ:
> “चल छोड़… आज हमारी पहली रात है।
और तूने जो किया उसकी सज़ा भी तुझे मिलेगी।”
अंकित – हल्की हँसी के साथ:
> “क्या सज़ा?”
अनाया – प्यार से आँखों में आँखें डालकर:
> “आज की रात मैं तेरी गोद में सिर रखकर सोऊँगी…
और तू… मेरी जुल्फों में अपनी अंगुलियों से पूरी रात मसाज करेगा।” 😌❤️
अंकित मुस्कराता है… और कुछ नहीं कहता।
बस चुपचाप अनाया को अपनी गोद में लेता है…
और उसका सिर सहलाता है — जैसे उस हर दर्द का जवाब उसकी उंगलियों में छुपा हो।
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🎵 बैकग्राउंड में मन ही मन बजता है:
> "कुछ अधूरी सी बातें थीं,
आज वो पूरी हो गईं...
अनकही थी जो मोहब्बत,
वो तेरी गोद में सो गई…"
Thank You for read my full story ♥️
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THE END ✨