साल 2020 — एक नई शुरुआत
12वीं की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। अब कॉलेज का समय था। मैंने अपने शहर से लगभग 25 किलोमीटर दूर एक कॉलेज में एडमिशन ले लिया। लेकिन मेरा सबसे खास दोस्त गोटी, जिसने 12वीं तक हर कदम पर मेरा साथ दिया था, उसने जॉब करने का फैसला किया और कॉलेज नहीं जा सका।
इस बात से मुझे बहुत दुख हुआ कि अब वो मेरे साथ कॉलेज में नहीं रहेगा। कॉलेज का माहौल नया था, दोस्त नए थे, और अब गोटी के बिना एक खालीपन सा लगने लगा था।
कॉलेज जाते हुए मुझे एक महीना ही हुआ था कि एक दिन गोटी का कॉल आया।
उसने कहा – "कैसा है भाई? कोई गर्लफ्रेंड बनाई कि नहीं?"
मैंने कहा – "अरे नहीं यार, मुझे ये सब पसंद नहीं।"
उसने कहा – "क्या बात कर रहा है! स्कूल में तो तुझे कहर पसंद थी ना?"
मैंने हँसते हुए कहा – "वो तो पुरानी बात थी यार।"
गोटी बोला – "झूठे! ऐसा बोल कि तू किसी को गर्लफ्रेंड बना ही नहीं सकता।"
मैंने चिढ़ते हुए कहा – "तू जानता है ना मुझे, ये कोई बात हुई?"
गोटी ने सीधा चैलेंज दे दिया – "अगर हिम्मत है तो एक गर्लफ्रेंड बनाकर दिखा!"
मैंने जवाब दिया – "ठीक है, लेकिन में अपने कॉलेज की किसी लड़की से नहीं... ऑनलाइन देखूंगा।"
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एक ऑनलाइन शुरुआत
फिर एक दिन मैंने इंस्टाग्राम पर एक लड़की की प्रोफाइल देखी। उसके बायो में उसके एक कॉलेज का नाम लिखा था।
जिसे पढ़कर में समझ गया कि वो लड़की भी मेरे ही शहर के बाबर कॉलेज में पढ़ती है।
यह जानकर मैंने एक फेक प्रोफाइल से उसे "Hi" मैसेज किया।
कुछ देर बाद उसने मैसेज देखा लेकिन कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने आगे लिखा – "आप तो Indian School से पढ़े हो ना?"
इस बार जवाब आया – "हाँ, लेकिन आप कौन? आपको कैसे पता? क्या आप मुझे जानते हैं?"
मेरे चहरे पर अब मुस्कान थी , क्योंकि ये तो मैंने बस अंदाजे से लिखा था और सच निकला।
मैंने जवाब दिया – "हाँ, मैं आपको जानता हूँ..."
हालाँकि सच्चाई कुछ और ही थी।
धीरे-धीरे हमारी बातचीत शुरू हुई।
मुझे उसका नाम पता चला – चहर।
कुछ ही दिनों में हमारी दोस्ती गहराने लगी। और अब हम एक-दूसरे को अच्छे से जानने लगे थे। सुबह से रात और फिर देर रात तक, हम चैट करते रहते। मैं अब अपनी असली प्रोफाइल से चहर से बात करने लगा था।
क्योंकि वो लड़की अब मुझें अच्छी लगने लगी थी हम खास दोस्त बन गए थे
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दोस्ती से गहराते रिश्ते
करीब एक महीना बीत चुका था।
अब हमारी बातें हर दिन की ज़रूरत बन चुकी थीं।
लेकिन मेरे मन में वो गोटी वाला चैलेंज घूमता रहता,
जो मैं चहर को जल्द से जल्द बताना चाहता था ताकी हमारी दोस्ती में कुछ भी झूठ ना हों ।
मैंने अब उस चैलेंज को भूलाकर उसे सच में एक दोस्त मान लिया था – एक खास दोस्त।
हमारी बातचीत अब बहुत गहरी हो चुकी थी। हम रात के 4–5 बजे तक बातें करते रहते। फिर एक दिन चहर ने मिलने की बात की। लेकिन मैंने कुछ बहाने बना दिए — "अभी नहीं, कुछ दिन बाद मिलते हैं।" क्योंकि मुझें ऐसा लगता था की मिलने से पहले हम जितनी ज्यादा फोन पर बात करेंगे उससे हम एक दूसरे समझ पाएंगे और हमारी दोस्ती और खास होती जाएगी
एक दिन जब मैं अपने कॉलेज से घर लौट रहा था, रास्ते में एक लड़की मुझे लगातार घूर रही थी। मैंने सोचा – "कौन है ये? क्यों घूर रही है?"
लेकिन घर पहुंचते ही चहर का मैसेज आया –
"आपकी बाइक महरून कलर की है ना? और आपने ग्रे शर्ट पहना था आज?"
मैं चौंक गया – "हाँ, लेकिन तुम्हें कैसे पता?"
तभी याद आया – रास्ते में जो लड़की मुझे घूर रही थी, वो चहर ही थी।
मैंने पूछा – "वो तुम ही थी?"
उसने हँसकर कहा – "हाँ यार! वैसे आप अच्छे लग रहे थे!"
मैंने कहा – "इतना कौन घूरता है यार?"
हम दोनों हँस पड़े।
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पहला तोहफा
एक दिन बातचीत के दौरान चहर ने कहा – "मुझे बॉयज की वॉचेस पसंद हैं।"
मैंने अपनी वॉच की फोटो उसे भेजी। उसे पसंद आई। मैंने सोचा – "क्यों न ये घड़ी उसे गिफ्ट कर दूँ?"
लेकिन मुझें अभी चहर से मिलना भी नहीं था ।
फिर मुझे याद आया कि चहर के कॉलेज में मेरा एक दोस्त पढ़ता है। मैंने उसके हाथों घड़ी और एक छोटा सा चॉकलेट बॉक्स भेज दिया।
सच कहूं तो उस दिन चहर का जन्मदिन भी था।
अगले ही दिन उसने मुझे मैसेज किया – "तुम्हारा गिफ्ट बहुत प्यारा था, मैं बहुत खुश हुई।"
उसके वो शब्द मेरे दिल में उतर गए।
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दोस्ती की झलक
अब मैंने अपने उसी दोस्त के साथ चहर के कॉलेज जाना शुरू किया। कभी-कभी चुपके से उसकी तस्वीर खींचकर उसे भेज देता।
वो कहती – "कॉलेज में ही हो कंहा छुपकर बैठे हो मुझसे मिलते तो हो नहीं और फोटो भेजते रहते हो! सिर्फ मुझ पर ध्यान रखने आए हो क्या?"
मेरे चहर से न मिलने पर चहर ने प्यार से मेरा नाम जुगनू रख दिया और बोली मेने कभी जुगनू को देखा नहीं है इसलिए अब तुम्हारा नाम भी जुगनू
यह सुनकर मेने भी चहर का नाम चिरकुट रख दिया चिरकुट नाम सुनकर चहर ने पूछा चिरकुट क्यू ये क्या होता हैं
मैने कहा - ये चिरकुट आप खुद पता करो ये क्या होता हैं
अब हम जब भी बाते करते तो एक दूसरे को जुगनू चिरकुट कहकर हि पुकारतें " ओय जुगनू ,ओय चिरकुट "
हमारी ये मस्ती भरी दोस्ती चलती रही।
अब डेढ़ साल बीत गए थे। हम रोज़ बातें करते, लेकिन कभी आमने-सामने नहीं मिले।
एक दिन मैं पार्क में बैठा था। कॉलेज की छुट्टी के बाद चहर उसी रास्ते से गुजर रही थी। उसने मुझे देख लिया और मेने भी उसे देख लिया था मुझें अभी चिरकुट से मिलना नहीं था इसलिए मे पार्क से बाहर निकलने लगा लेकिन वो भी जल्दी से सीधा मेरे पास आ गई।
और बोली -
"Hi! आज तो आमने-सामने मिल ही गए," उसने मुस्कराते हुए कहा।
मैं थोड़ा चौंका लेकिन फिर हँसते हुए बात करने लगा।
हम दोनों एक बेंच पर बैठकर काफी देर तक बातें करते रहे। जब वो जाने लगी तो मैंने कहा – "मैं छोड़ देता हूँ।"
मैंने उसे उसके घर की गली के पास छोड़ आया ।
अब हमारी मुलाकातें रोज़ पार्क में होने लगीं। लेकिन
एक दिन वो किसी शादी के लिए गाँव गई और बातचीत कम हो गई। उसने कहा – "गाँव में नेटवर्क की थोड़ी दिकत होती हैं। "
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वो जब गांव से वापस लौटी तो फिर मुझें पार्क में मिलने बुलाया। और फिर हम पार्क में मिले ।
बाते करते हुए
चहर ने पूछा – "हम बेस्टफ्रेंड ही हैं ना?"
मैंने कहा – "हाँ, इसमें पूछने की क्या बात है!"
वो बोली – "मुझे तुम्हें एक बात बतानी है।"
कुछ सेकंड रुकी… फिर कहा –
"मेरा एक बॉयफ्रेंड है।"
मैं हँसा – "झूठ! मजाक कर रही हो?"
उसने गंभीर होकर कहा – "नहीं, ये सच है। जब मैं गाँव में थी, एक लड़के ने मुझे प्रपोज़ किया और मैंने हाँ कर दी। वैसे भी हम तो सिर्फ दोस्त हैं।"
( मुझें अंदर ही अंदर बुरा लगा था क्युकी हम खास दोस्त है
और इस बात को कई दिन हो गए थे और उसने मुझें पहले नहीं बताया था ) फिर ,
मैंने कहा – "हाँ ठीक है, हम तो दोस्त ही हैं।"
लेकिन मैं वहाँ से उठने लगा। तभी उसने मेरा हाथ पकड़कर वापस बैठा लिया और कहा –
एक बात और है जो मुझे तुम्हें बतानी है की
"मेरी सहेलियों को लगता है कि तुम मुझे चाहते हो…"
मैं चुप था…
उसने कहा – "लेकिन मुझे नहीं लगता। मुझे समझ नहीं आता, मुझमें ऐसा क्या है जो तुम मुझे चाहने लगो।"
मैंने मुस्कराकर कहा – "सही कहा, हम तो सिर्फ अच्छे दोस्त हैं।"
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रात में चहर ने मैसेज किया – "क्या कर रहे हो जुगनू ?"
मैंने कहा – "खाना खा रहा हूँ, तुमने खा लिया?"
उसने कहा – हा लेकिन आज मैने "भिंडी की सब्जी बनाई थी, नमक ज्यादा हो गया। मम्मी ने डांट दिया।"
मैंने कहा – "दही मिला लो, टेस्ट बैलेंस हो जाएगा।"
वो हँस पड़ी – "तुम लड़के होकर इतना सब जानते हो?"
मैंने कहा – "मुझे खाना बनाना पसंद है।"
अगले दिन उसने पार्क में फिर मिलने बुलाया – और में जब वंहा पहुंचा तो
उसने कहा - ये लो टिफिन
मैने कहा - ये क्यू इसमें क्या है
उसने कहा - इसमें पोहें है जो मैने खुद ने बनाए है ओर ये मे अच्छे से बनाना जानती हू तो सोचा जुगनू को भी खिला दू
मैने कहा - इससे पहले मुझे "एक बात बतानी है…
हमारी दोस्ती ऐसे ही नहीं हुई। मेरा एक दोस्त है गोटी जिसने मुझसे एक चैलेंज किया था कि मैं गर्लफ्रेंड बनाऊँ। इसीलिए मैं इंस्टा पर तुमसे बात करने आया था। लेकिन
अब तुम मेरे लिए बहुत खास हो।
अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो माफ़ करना।
तुम चाहो तो दोस्ती खत्म कर सकती हो।"
वो थोड़ी देर चुप रही, फिर बोली – "कोई बात नहीं… हम अभी भी खास दोस्त ही हैं।"
और फिर कुछ दिनों बाद हम वापस पार्क में मिले तो
मैंने चहर से पूछा – "तुम्हारा बॉयफ्रेंड क्या करता है उसकी उम्र क्या होगी ?"
उसने बताया – वो मेडिकल की पढ़ाई कर रहा हैं उससे काफी बड़ा भी है।
यह सुनकर मुझे अच्छा नहीं लगा। क्योंकि
जब हम किसी को हमारे लिए चुनते हैं तो वो हमसे मेल खाना चाहिए – उम्र, सोच और समझ में। और ये बात मैने चहर को समझाई ।
फिर कुछ देर बाद हम घर के लिए निकले में चहर को उसके घर के पास छोड़ने गया जंहा चहर बाइक से उतरी और मुझें भी बाइक से उतरने को बोला और मे उतरा और मेरे उतरते ही चहर ने मुझें जोर से गले लगा लियाँ ,
गले लगाने के बाद वो वहाँ से घर जाने लगी लेकिन फिर मैने उसे आवाज दी रुकों - मुझें तुमसे कुछ कहना है
यह सुनकर उसने कहा - मत कहो कुछ बाते बिना कहे ही समझ जानी चाहिए
यह कहकर वो वंहा से चली गई
लेकिन मे वंहा कुछ देर ये सोचता रहा की क्या सच मे उसने ये समझ लिया जो में उसे कहना चाहता था (शायद हा )
अगले ही दिन हम पार्क में बैठे थे, तभी उसका बॉयफ्रेंड वहाँ आ गया शायद चहर ने ही उसे बुलाया हों
उसने चहर से कहा – "तू जा, मुझे इससे बात करनी है।"
यह सुनकर चहर वंहा से चली गई
फिर उसने मुझे धमकाया , अपने दोस्त को बुलाया
और कहा – "तू चहर से दूरी बना ले!"
मुझें इसकी भनक पहले से ही लग गई थी इसलिए
मैंने पहले ही फोन में ऑडिओ रिकॉर्डिंग ऑन कर दी थी।
कुछ देर उसकी बाते सुनने के बाद
मैंने कहा – "तुम दोनों ने एक-दूसरे को समझे बिना रिश्ता बना लिया। और इसमें सिर्फ तुम दोनों की गलती है, मेरी नहीं।"
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एक अंतहीन मोड़
फिर अगले ही दिन चहर के पापा का कॉल आया।
उन्होंने हमारे मैसेज पढ़ लिए थे ऐसा चहर ने बताया ।
गुस्से में बोले – "मेरी बेटी से बात करना बंद कर दों , वरना अच्छा नहीं होगा।"
मैंने कहा – "अंकल, हम सिर्फ दोस्त हैं।"
लेकिन उन्होंने बात सुने बिना कॉल काट दिया।
कुछ दिन बाद चहर का कॉल आया – "कॉलेज आओ, ज़रूरी बात है।"
मैं वंहा पहुँचा और खिड़की से क्लास देखा जंहा चहर, उसकी सहेलियाँ, बॉयफ्रेंड और उसके दोस्त सभी वंही थे।
इन सबको अंदर देख में बाहर ही खड़ा हो गया , और फिर कुछ देर बाद चहर क्लास के बाहर आई और , मेरा हाथ पकड़कर मुझें अंदर ले गई।
उसने मेरा फोन लिया, हमारी सारी कॉल रिकॉर्डिंग्स, फोटो और मैसेज डिलीट कर दिए।
फिर उसके बॉयफ्रेंड ने कहा - तुमने चहर को प्रपोज़ किया ?
मेने कहा - कब और किसने कहा ?
तभी चहर बोलती है - जब तुम मुझें घर छोड़ने चले थे तब तुमने मुझें प्रपोज़ किया था याद नहीं
मैने कहा - तब कब किया ! ऐसा कुछ नही हुआ है ।
चहर - नही तुमने किया है डायरेक्ट नहीं बोला लेकिन इन डायरेक्ट बोला है
मैने कहा - कोनसा डायरेक्ट , इन डायरेक्ट
चहर - तुमने क्या कहा था " में तुमसे कुछ कहना चाहता हूं "
याद आई । ये बात ?
में - मेरा मतलब ये नहीं था यार
( उस दिन जब ये बात मैने चहर से कही थी तब चहर ने बोला था की वो ये बात समझ गयी बिना कहे ही मुझें भी उस दिन ऐसा ही लगा था , लेकिन उसने इस बात को गलत समझ लिया।
जब चहर ने मुझें बाइक से उतर कर गले लगाया तब मुझे लगा की एक सच्चे और अच्छे दोस्त होने के नाते में उसे कहना चाहता था की - में लास्ट बार बोल रहा हू ना वो लड़का तुम्हारे लिए सही है ना ही तुम उसके लिए । फिर जो तुम्हे अच्छा लगे
यही बात में उसे कहना चाहता था ये बात उसकी निजी जिंदगी की थी इसलिए मैने सोचा कुछ भी सीधा कहने से पहले चहर से अनुमती लेनी चाहिए इसलिए मैने उससे कहा था की में तुमसे कुछ कहना चाहता हूं कहू ? लेकिन उसने मना कर दिया )
फिर वो बोली – "अब मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी… पापा नाराज़ हैं।"
फिर में उसे वो बात क्या थी वो बताऊ उससे पहले ही उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया
वो रोते हुए कॉलेज से चली गई।
मैं पीछे गया, उसे मनाने की कोशिश की – "तुम्हारे पापा से में बात कर लूंगा यार , अगर तुम्हें लगता हैं में गलत हू तो में तुम्हारे पापा के सामने तुम्हें सिस्टर बोल डूंगा यार ।"
लेकिन चहर ने कहा – "नहीं , अब कुछ नहीं हो सकता।"
और वो हमेशा के लिए चली गई…
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कुछ महीनों बाद
एक दिन मैं जब रास्ते से जा रहा था। तभी एक रिक्शा खड़ी दिखी जिसमें चहर बैठी थी।
उसने मुझे देखा… लेकिन उसने अपना चेहरा छुपा लिया।
उसे लगा की मैंने उसे नहीं देखा , लेकिन ऐसा नहीं था।
अब मैं और क्या ही करता, जब वो खुद मुझसे छुप रही हो।
अब में उससे जबरदस्ती क्या ही बात करू ।
जंहा तक मुझें लगता हैं की -
जब एक रिश्ता जबरदस्ती बचाना पड़े…
तो शायद उसे मुकम्मल नहीं अधूरा ही रहने देना बेहतर होता है।
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कुछ सवाल आज भी हैं…
क्या वाकई चहर मुझे सिर्फ एक खास दोस्त मानती थी?
या फिर उसके दिल में मेरे लिए कहीं न कहीं कोई जगह थी…
जो वो कभी खुद से भी स्वीकार नहीं कर पाई?
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उसकी सोच...
उसने जब मुझें पहली बार अपने बॉयफ्रेंड के बारे में बताया था तब उसने मुझसे कहा था की "में तुम्हें अपना बेस्ट फ्रेंड ही बनाना चाहती हूँ क्युकी बेस्ट फ्रेंड हमेशा साथ रहते है लेकिन
बॉयफ्रेंड से रिस्ता जल्दी टूट जाता है लेकिन
" तुम मेरे लिए खास हो। "
ये सुनकर में थोड़ा हैरान था...
क्युकी जो लड़की या लड़का ये मानते है की उनका बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड से रिस्ता जल्दी टूट सकता है लेकिन फिर भी वो एक ऐसा रिस्ता बनाते है जिसका उन्हें पता है की ये बोहोत जल्द टूट भी सकता है। फिर भी क्यों ?
क्या ऐसे लोगो को सिर्फ वो Husband और wife वाली feelings शादी से पहले चाहिए होती हैं। ( शायद हा )
जैसे - किसी लड़की को अपने बॉयफ्रेंड के दोस्तों से भाभी सुनना पसंद होता हैं ।
ये सब सोचकर एक ख्याल मेरे मन में और आता है की -
जो लड़की या लड़के को अपने प्यार (बॉयफ्रेंड , गर्लफ्रेंड)
पर हेमशा साथ रहने का विश्वास ही ना हो तो वो केसा प्यार ?
वो कभी प्यार नहीं होता जो तुम्हें पहली बार देखने पर कुछ लगें और और बिना साथ में समय बिताए ,एक दूसरे को बीना जाने
किसी को किसी से भी प्यार का इजहार करना ओर हा बोलना ये कभी सच्चे प्यार की जगह नहीं ले सकता
प्यार - ये तब होता हैं या होना चाहिए जब हम किसी को पहले से जानते हो उनके साथ हमने हमारा समय व्यतीत किया हो
लम्बे समय से एक दूसरे के साथ हो ।
" ये होता हैं प्यार " (वो नहीं जो तुम्हें आज ही उठकर प्यार का इजहार करे और तुम हा कह दो - क्योंकि तुम्हारे पास कोई बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड नहीं है । )
ये कहानी " हमारी दोस्ती के टूटने के साथ ही खत्म हो गई "
जैसा मैने सोचा था वो नहीं हुआ और मेरी पहली कहानी अधूरी रह गई ।
लेखक:
अंकु