Bandhan - 10 in Hindi Fiction Stories by Maya Hanchate books and stories PDF | बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 10

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बंधन (उलझे रिश्तों का) - भाग 10

10


रीकैप 

पिछले चैप्टर में पड़ा की आरोही किस तरह से नाराज हो जाती है ।फिर अरनव जी के समझाने पर उसे अपने गलती का एहसास होता है और वह सबसे माफी मांगती है तभी आरोही के पैरंट रमन जी सेमिलने आते हैं और वह भी सबसे माफी मांगते हैं। तभी सब लोग एक दूसरे से बातें करते हैं। तभी शिवाय को बच्चों का ध्यानआता है कि वह इतनी देर से दिखाई नहीं दे रहे हैं इतना सोचकर वार्ड से बाहर जाता है

अब आगे



शिवाय बाहर की तरफ आता है और अपना फोन जेब में से निकाल कर प्रणय को कॉल करता है प्रणय भी एक ही रिंग में कॉल उठाता है।

शिवाय पूछता है कि बच्चे कहां है और क्या कर रहे है।

प्रणय बोलता है कि , दोनों बच्चे होटल में है और उसके साथ खेल रहे हैं ,पर शिवाय को बहुत याद कर रहे है 

प्रणय बोलता है कि सर आप कब तक आओगे बच्चे आपको याद कर रहे हैं।

संन्नवि कुछ खाने के लिए तैयारी नहीं है आपको पता है ना की सन्नवी को खाना -खाना कितना इंपॉर्टेंट है।

अगर सन्नवी नहीं खाएंगी तो आर्य भी नहीं खाएगा प्लीज सर आप आ जाइए। 

प्रणय की बात सुनकर शिवाय गुस्से से बोला तुम अब तक यह बात बताना जरूरी नहीं समझते अगर मैं कॉल नहीं करता तो तुम मुझे बताते ही नहीं। इस वक्त शिवाय के बातों में घुसा साफ झलक रहा था

प्रणय बोला नहीं सर ,मुझे लगा कि आप की जरूरत वहां होगी , तो मैं बच्चों को आराम से संभाल लूंगा ,पर बच्चे संभालते नहीं संभाल रहे। 

और होटल अस्पताल से दूर भी नहीं है बस 5 मिनट का रास्ता है ।। क्या आप आकर दोनों बच्चों को समझा सकते हो प्लीज।

मेरी बात सुन  नहीं रहे है। 

शिवाय अपने गुस्से को शांत करते हुए बोला 15 मिनट में, मैं वहां पहुंच जाऊंगा  ,तब तक तुम बच्चों का  ख्याल रखना इतना बोलकर फोन कट कर देता है और वनराज को मैसेज सेंड करके वहां से चला जाता है। 

जैसे-जैसे रमन जी की न्यूज़ इंटरनेट पर फैल रही थी वैसे-वैसे हॉस्पिटल में लोगों का भीड़ भी  बढ़ रहा था।

बहुत से लोग रमन जी को गिफ्ट भेजते हैं और उन्हें गेट वेल सून का बोलकर उनसे मिलकर वहां से चले जाते हैं। 

ऐसे ही दो-तीन दिनों तक चलता  ही  जाता हैं। अब तक रमन जी बहुत रिकवर हो चुके थे ।उस दिन के बाद से आर्य और संन्नवि अस्पताल में नहीं आए क्योंकि शिवाय नहीं चाहता था कि संवि और आर्य को इन्फेक्शन  हो। 

3 दिन से लगातार प्रणय ही बच्चों का ध्यान रख रहा था और शिवाय घर वालों का। 

जब से शिवाय इंडिया आया है, वह घर ही नहीं गया है ।वह बस हॉस्पिटल से होटल होटल से हॉस्पिटल ही कर रहा था। 

वनराज अब बिजनेस पर ध्यान देने लगता है क्योंकि वह जानता था की शिवाय सब कुछ संभाल लेगा।

अरुण जी और खुशी जी को घर के लिए भेज दिया गया था अस्पताल में सुबह के समय शिवाय रहता था और रात के समय वनराज बाकी सब घर में थे। 

आरोही भी बीच-बीच में घर वालों को कॉल करके रमन जी का हाल-चाल पूछती थी। 

सारे घर वाले शिवाय  को घर ना आते देख बहुत ही ज्यादा परेशान थे कि क्यों शिवाय घर नहीं आ रहा है। 

कितनी बार सब ने उसे घर आने के लिए कहा था पर शिवाय घर आने  के लिए तैयार ही नहीं था। 

यह बात इशिता जी, रमन जी के कानों में पहुंचा देती है । शिवाय घर आने के लिए तैयार नहीं है ,तो रमन जी शिवाय को घर आने के लिए इमोशनल ब्लैकमेल करते हैं जिसकी वजह से शिवाय रमन जी के डिस्चार्ज के बाद उनके साथी घर जाएगा बोल देता हैं। 

शिवाय की इस बात पर सभी लोग बहुत खुश थे और शिवाय के आने की खुशी में रमन जी के ठीक होने की खुशी में भी घर में एक बड़ा सा पार्टी का इंतजाम करते हैं जिनमें देश के बड़े-बड़े बिजनेसमैन से लेकर पॉलीटिशियंस भी आएंगे सभी लोग पार्टी की तैयारी में जुट गए। 



एक हफ्ते बाद 

सुबह का वक्त अस्पताल में शिवाय रमन जी का डिस्चार्ज फॉर्मेलिटी पूरी कर रहा था ।शिवाय को घर में होने वाली पार्टी के बारे में कुछ पता नहीं था यह तो शिवाय के लिए सरप्राइज है। 

वनराज दोनों बच्चों को लेकर कार में बैठ जाता है शिवाय रमन जी को लेकर आता है उनके पीछे-पीछे प्रणय रमन जी के समान के साथ आता है। 

प्रणय सारा सामान कार के डिक्की में डाल देता है।

शिवाय धीरे से रमन जी को कार में बिठा देता है। 

और खुद भी कार में बैठ जाता है ।पर प्रणय  वही ठहरता है।

और कार का दरवाजा बंद कर कर उन सबका जाने का वेट करता है। 

प्रणय को कार में ना बैठे देख संन्नवि बोली चाचू आप हमारे साथ नहीं आ रहे हो क्या।?

प्रणय संन्नवि से बोला नहीं प्रिंसेस आप जाओ मैं यही होटल में रहूंगा। 

प्रणय की बात सुनकर रमन जी ,उस से बोले घर होते हुए तुम होटल में क्यूं ठहारोगे। 

चुपचाप गाड़ी में बैठो और घर चलो। 

रमन जी की बात सुनकर प्रणय बोलता है नहीं सर थैंक यू ।आपका यह बोलना ही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है पर मैं अपने बॉस के घर में कैसे रह सकता हूं।

मैं तो बस एक असिस्टेंट हूं। 

तो मैं आपके घर कैसे रह सकता हूं। 

प्रणय की बात सुनकर वनराज बोलता है पर शिवाय ने तो हमें कुछ और ही बताया है। 

प्रणय को वनराज की बात समझ नहीं आता और वह बोलता है ।मतलब क्या है सर? वनराज बोला तुम शिवाय के साथ तब से हो जब से शिवाय ने घर छोड़ा था तो ,तुम उसके एम्पलाई कैसे हुए तुम तो उसके छोटे भाई जैसे हुए और साथ में मेरे भी। 

प्रणय को रमन जी और वनराज की बात सुनकर अपने अपनों ,जैसा लगता है पर प्रणय नहीं चाहता था कि उसकी वजह से उसके बॉस के घर में कुछ भी प्रॉब्लम हो इसलिए वह जाने के लिए मना करता है। 

तभी शिवाय की आवाज आई लगता है तुम्हें तुम्हारी सैलरी नहीं चाहिए डॉन'टी वरी मैं तुम्हारे इस होटल का बिल नहीं भरूंगा तुम्हें अपना ही बिल खुद भरना होगा और हां तुम्हें होटल में इतना ही रहना का शौक है तो मैं तुम्हारी सैलरी को काट दूंगा। शिवाय यह बात बिना एक्सप्रेशन के साथ बोल रहा था वह भी सर्द लहजे में।

शिवाय की बात सुनकर , प्रणय बिना कुछ सोचे समझे कार का डोर खोलता है और कर में बैठ जाता है। 

शिवाय की बात सुनकर और प्रणय की हरकत देखकर वनराज और रमन जी जोर-जोर से हंसने लगते हैं। क्योंकि उन्हें पता था कि शिवाय को अपने फिलिंग्स को जताना नहीं आता है पर अपने फिलिंग्स को इतनी अजीब तरीके से जताते देख वह हंसने से नहीं रोक पाए हैं। 

प्रणय भी शिवाय को जानता था ।शिवाय उसे साथ चलने के लिए बोल रहा है। पर अपने इमोशंस को नहीं दिखाना चाहता है। 

प्रणय भी मन ही मन हंसने लगता है।

प्रणय को कार में बैठे देख सन्नवी भी सामने सीट से पीछे आने की कोशिश करती है और प्रणय के  गोद में बैठ जाती है।
और उस से पूछती है की चाचू हम लोग कहां जा रहे हैं।



ऐसे ही सान्नवि प्रणय से बातें कर रही थी। बीच-बीच में रमन और वनराज से भी ।

कार में संन्नवि के बात करने की आवाज और हंसने की आवाज ही सुनाई दे रही हैं 

पर दो जोड़ी आंखें लाल हो जाती है।

यह दो  जोड़ी आंखें किसी और कि नहीं आर्य और शिवाय की होती है। जो सान्नवि को ऐसे अपने आप को इग्नोर करते देखकर हो रही थी। 

क्योंकि आज तक शिवाय संन्नवि और आर्य के बीच में कोई आया ही नहीं है जब से इंडिया आए हैं तब से कोई ना कोई उन तीनों के साथ होता है या संन्नवि किसी ना किसी के साथ होती है ।

जिसकी वजह से तीनों को अपना क्वालिटी टाइम मिला ही नहीं अब जब मिल रहा है तब सान्नवी दोनों पर ध्यान नहीं दे रही है।

उन दोनों की आंखों में जलन साफ-साफ देखा जा सकता है जिसका मजा वनराज और रमन जी अच्छे से ले रहे हैं। 

उन लोगों ने पहली बार ऐसे बप और भाई देखा है जो अपनी बेटी और बहन के लिए इतना पजेसिव या कह सकते हैं कि प्रोटेक्टिव है।

 उन  दोनों बाप बेटे का आंखों में जलन देखकर रमन जी की और वनराज को बहुत ही ज्यादा हंसी आती है और उन दोनों को और जलाने के लिए वह और भी ज्यादा सान्नवी से बात करते हैं।

शिवाय को जब बर्दाश्त नहीं होता और वह सान्नवी को अपनी ओर खींच कर अपनी गोद में बीठाता है और पूछता है कि उसने खाना खाया या नहीं उन्होंने इंडिया कर क्या-क्या किया है। 

संन्नवि बड़ी खुश होकर बताती है ‌ कि वह प्रणय के साथ बहुत ही प्लेस पर घूमी है जैसे पार्क सुपरमार्केट रेस्टोरेंट और भी ज्यादा। 

सान्नवी को प्रणय कि इतनी तारीफ करते देखकर शिवाय पूछता है कि आप डैड से बात नहीं करोगी क्या।

तब से देख रहा हूं आप चाचू से ही बात कर रही हो। 

बीच में आर्य भी बोलता है यस डैड जब से इंडिया आए हैं तब से दीदी ने मेरे साथ खेल भी नहीं। जब देखो तब चाचू से ही बात करती है यू नो व्हाट जब से हम इंडिया है तब से आप दोनों मुझसे बात ही नहीं कर रहे हो। 

आर्य की बात सुनकर शिवाय को बुरा लगता है क्योंकि जो शिवाय उनके साथ 24 घंटे रहता है इंडिया आने के वजह से बहुत ही कम टाइम मिला रहा है। 

संन्नवि आर्य को घूलकर बोली क्या भाई आप भी जब भी स्कूल में रहती हूं तब भी आप मुझे किसी और से बात नहीं करने देते हो और घर में रहती हूं तो डैडी चाचू के साथ खेलने नहीं देते हैं ना ही बात करने ।

अब मैं चाचू से बात कर रही हूं तो आप शिकायत क्यों कर रहे हो। 

वनराज कर ड्राइव करते हुए ही शिवाय से बोला जब से तेरे बेटे को देखा है आज पहली बार अपना मुंह खोला है।

वरना यह तो तेरी तरह ही एक दो शब्द बोलकर चुप हो जाता है। 

संन्नवि भी वनराज के बातों में ऐसे हां मिलती है जैसे उसे वनराज की बातें समझ आ रही हो। 

येस बड़े पापा डैडी और भाई ने तो मुझे परेशान करके रखा है जब देखो तब मुझे किसी से बात करने ही नहीं देते नहीं खेलने 

तब तक कार कपाड़िया मेंशन में पहुंच गया।

कैसे होगी शिवाय आर्य और संन्नवि के आगे की जिंदगी।

ऐसा क्या हो गया की शिवाय की जो उसे अपने घर वालों को छोड़कर किसी और देश में जाना पड़ा।



आखिर क्यों शिवाय नहीं बताना चाहता अपने घर वालों को आर्य और सन्नवी के जन्म के बारे में। 



आखिर कौन है शिवाय कीबच्चों की मां।




स्पॉइल अलर्ट 



Shiva is welcome party. 



Third lead entry



Aarohi engagement 



dear readers please kahani Ko like kare aur comment Karen aapke comment karne se hi mujhe kahani Ko likhane mein Prerna milegi 



👫👫👫

New story

यह कहानी माया और इंद्रजीत की है इंद्रजीत जहां दुनिया में साइको बिजनेसमैन के नाम से जाना जाता है तो दूसरी तरफ माया एक जली आत्मविश्वास पूर्ण लड़की है यह कहानी आग और पानी की है क्या इंद्रजीत बदल देगा माया की जिंदगी या माया बदल देगी इंद्रजीत की जिंदगी क्या होगा इनका इश्क का अंजाम जाने के लिए पढ़ते रहिए इश्क की लाइब्रेरी,

यह कहानी है प्यार के दिवनों‌ की ,जाह मोहना और रोहन की ठाशन बजि की।

अभय क्यु‌ अंजलि की महोबत को इनकार कर था है तो राहुल और आरती आंख में चोली का प्यार . रुचि का ठरकि अंदाज,रितू का एक तरफ प्यार ‌।

क्या होगा इन के प्यार मूकमल । जाने के लिए पढ़ते रहिए इश्क की लाइब्रेरी ।
guys mujhe samajh nahin a raha hai ki main is kahani ka Naam Ishq ki library rakho ya kuchh aur change karke rakho aapke pass koi idea ho to batao na. 

aur han aaj ka episode kaisa laga please comment karke batana.
thank you।

यार रिव्यू दे दो।