दिया अमन को किसी लड़की के गले लगे देखकर चिल्लाने लगी।
अमन दिया को देखकर हैरान व खुश हो गया।
और दिया को गले लगाने के लिए आगे बढ़ने लगे।
दिया - दूर रहो मुझसे और मुझे छूने की कोशिश भी मत करना।
अमन - दिया मुझे कुछ बोलने भी दो।
ये मेरी सहेली है - माया । माया मुझे बस जन्मदिन की बधाई दे रही थी।
तुम मेरा पहला प्यार हो ।
तुम सबसे पहले हो मेरे लिए।
मैं तुम्हारे अलावा किसी और के बारे में सोच भी नही सकता ।
माया- दिया, मैं तुम्हे नहीं जानती।
लेकिन तुम तो अमन को जानती हो।
तुम्हे भरोसा रखना चाहिए।
और दिया - इनसे मिलो ,ये है लव, मेरे पहले प्यार।
और दिया एक बात याद रखना कि हमेशा आँखों देखा सच नहीं होता।
दिया - अमन मैं डर गयी थी और मैं तुम्हे खोना नहीं चाहती।
अमन - दिया मैं भी तुम्हे खोना नहीं चाहता।
अमन - चलो , ये सब छोडो़ ।
ये बताओ कि तुम इतनी दूर अकेली कैसै आई?
दिया - बस आ गयी।
अमन - चलो हम कही घूमने चलते है और तुम्हे शोलापुर भी तो घूमा दू।
दिया - हाँ, अमन क्योंकि कल मुझे घर जाना है।
मेरे कालेज की छुट्टियाँ हो गयी है ।
अमन - दो दिन यहा रूक जाओ फिर हम दोनों साथ चलेगे ।
दिया - अरे , नहीं ।
कल मधु घर पहुंच जाएगी।
फिर मैं घर वालों को क्या जवाब दूंगी।
अमन - तुम चिंता मत करो।
चलो, मैं भी कल तुम्हारे साथ घर चलूगा।
दिया व अमन शाम को घूमते है ।
ढेर सारी बातें करते है।
अब समय हो गया दिया की बस का।
अमन भी दिया के साथ आ जाता है।
दिया को घर देखकर दिया की माँ बहुत खुश हो गयी।
दिया के पापा भी आए है ।
दिया की माँ - दिया तुम कितनी कमजो़र हो गयी हो ।
वहा कुछ खाने को नहीं मिलता क्या?
दिया - माँ पुरा दिन तो कालेज व ड्यूटी ये
में निकल जाता है ।
खाना खाने का समय नहीं होता। और वहा आपके हाथों जैसा स्वाद भी नहीं मिलता।
दिया की माँ दिया को अपने हाथों से खाना बनाकर खिलाती है।
दिया भी घर आकर बहुत खुश हो जाती है।
मानो दिया के आने के बाद घर चहक गया
हो।
दिया की ताई जी और ताऊ जी भी बाज़ार से दिया की पसंदीदा मिठाई ( जलेबी ) लेकर आते है।
सब मिलकर मिठाई खाते है ।
दिया के ताऊ जी दिया को फिल्म अभिनेता की नकल करने को बोलते है।
दिया नकल करती है और सब बहुत हँसते है।
सब उससे पढ़ाई के बारे में पूंछते है।
दिया - मेरी पढ़ाई बहुत अच्छी चल रही है।
और मैं घर आराम करने आई हूँ।
अब यहा पढ़ाई नहीं करूँगी।
दिया की बात सुनकर सब हँसने लगते है।
दिया का फोन बहुत देर से बज रहा है।
दिया की माँ - दिया तेरा फोन बज रहा है।
दिया - माँ, वो कंपनी वालों का फोन है।
[ ] दिया सबके साथ बैठी है पर मन ही मन अमन के बारे में सोच रही है। कि ये अमन बार -बार फोन कर रहा ।
दिया सबके सोने के बाद छुपकर अमन से बात करती है।
अमन - दिया, कल हम घूमने चलते है ना ?
दिया - नहीं , यहा किसी ने हमे देख लिया तो ।
अमन - तुम्हे चलना ही होगा। हम घर से दूर जाएगे जहा हमें कोई नहीं जानता होगा ।
और दिया ये मेरा जन्मदिन का उपहार है।
दिया - अरे, तुम समझो।
जब ताई जी ने मुझे तुम्हारे साथ देखा था तो याद करो कितना गुस्सा हुई थी।
उन्होने तो मुझे थप्पड़ भी मारा था।
और सभी घर वालों ने तो मुझ पर पाबंदिया लगा दी थी।
अमन दिया को बहुत मनाता है।
अगले दिन दिया मधु के घर जाती है और फिर वहा से अमन के साथ बाहर जाती है।
ये एक बहुत सुंदर सा मैदान है।
यहा झूले भी है।
दोनों बहुत अच्छा समय बिताते है।
दिया, दिया ।
दिया - अमन मुझे ऐसा लग रहा है कोई मुझे आवाज़ लगा रहा।
अमन - दिया तुम बहुत डरती हो।
यहा कौन आएगा।
दिया - तुम सुन नहीं रहा मैं तुम्हे कब से बुला रहा हूँ।
दिया चौंक जाती है और अमन का हाथ छोड़ देती है।
दिया के पापा - यहा क्या कर रही हो तुम?
कैसी लगी आपको ये कहानी ?
अगले भाग में देखते हैं आगे क्या होता है ।