क्या यही है पहला प्यार ? भाग - 4
दिया - मधु बता ना क्या रहा हमारी सहेली का परिणाम।
मेरा मन बैठा जा रहा है।
मधु - एक खुश खबर है और एक दुख देने वाली बात है।
मधु तू पहेली मत सुझाओ ।
मधु - अमन का परिणाम अच्छा रहा है पर उसे शोलापुर का कालेज मिला है।
हमारे कालेज से 400 किलोमीटर दूर।
यह सुनकर दिया सुन हो गयी और उसकी आँखों से आंसू बहने लगे।
दिया की माँ - दिया, क्या हुआ ? क्यों रो रही है तू।
दिया - माँ कुछ दिनों के बाद कालेज जाना है।
मैं तुम्हारे बिना कैसे रह पाऊगी।
दिया की माँ ने उसे गले से लगा लिया।
और समझाया कि कालेज ज्यादा दूर नही है वो हर सप्ताह घर आ सकती है ।
माँ ने कहा कि दिया को अगर छुट्टी नही मिली तो वो आ जाएगी मिलने।
दिया ने माँ को तो समझा दिया पर अमन का ख्याल उसे खाया जा रहा है।
दिया मधु के घर जाती है।
मधु - दिया तुम ठीक हो ना ?
तुम चिंता मत करो ।
मैंने अमन को घर के पास वाले मैदान में बुलाया है।
दिया - मधु को गले लगाती है और बधाई देती है।
दिया - मुझे क्षमा करना।
मैं अमन के ख्याल में तुम्हे बधाई देना भूल गयी।
मुझे बहुत खुशी है कि हम दोनों का एक ही कालेज में दाखिला हुआ।
बस मन अमन को लेकर बेचैन है।
मधु - मैं सब समझती हूँ।
चल अब अमन से मिलने।
मैदान में अमन को सामने देखकर दिया सुन हो गयी।
अमन - दिया, बधाई हो।
तुमने तो मुझसे भी अच्छे अंक लाए।
दिया तुम चिंता मत करो।
मैं तुमसे मिलने तुम्हारे कालेज आता रहूँगा और फोऩ से रोज़ हम बात करते रहेंगे ।
मैं तुम्हारा हमेशा साथ दूंगा।
दिया ये सुनकर अमन के गले लग गयी।
मानो दिया यही सुनना चाहती थी।
अब उसे कोई चिंता नहीं है।
मधु व दिया दोनों दिया के घर गये।
दिया अब खुश है ।
दिया जैसे ही घर जाती है तो ताई जी उसे बुलाती है।
ताई जी - मधु कैसी हो तुम ?
तुम्हे बहुत -बहुत बधाई।
मधु - बहुत बहुत शुक्रिया।
दिया की माँ - मधु आ- मैने आलू की टिक्की बनाई है ।
सब खुश होकर खाते है और मधु अपने घर चली जाती है।
दिया की ताई जी - दिया सुन कमरे में आना कुछ काम है।
दिया - कमरे में जाती है।
दिया की ताई जी - दिया आज में बहुत खुश हूँ।
दिया मैं तुम्हारे साथ बहुत सख्ती से पेश आयी।
कभी - कभी तो पढ़ाते समय मैंने तुम पर हाथ भी उठा दिया।
पर मैं हमेशा तुम्हारा भला ही चाहती हूँ।
मैं चाहती थी कि तुम अपनी माँ का सपना पूरा करे ।
वो बहुत पढ़ना चाहती थी पर उसकी कम उम्र में शादी हो गयी।
दिया की ताई जी - ये ले तेरे लिए एक उपहार।
दिया - आपका हक है मुझपर ताई जी।
ताई जी - ले अब उपहार ।
दिया - खुशी से कूद उठती है।
उसे नया फोन जो मिल गया।
दिया भाग कर अपनी माँ को दिखाती है।
दिया की माँ - अब खुश है।
हमेशा बोलती है कि ताई जी बहुत सख्ती करती है।
दिया - सबसे पहले मधु के पास फोन करती है।
और मधु से अमन का नं लेती है।
फिर अमन व दिया ढेर सारी बातें करते है।
अब 2-3 दिन तो दिया के कालेज के लिए जरूरी सामान खरीदने में लग जाता है।
दिया के पिता, ताऊ जी सब दिया को समझा रहे है कि कालेज में पढ़ाई व खाने - पीने का ध्यान रखना।
दिया की माँ दिया को देखकर खुश भी है और ये सोच रही कि पता नहीं अब अपनी बेटी से कब मिलेगी।
सुबह का समय है दिया के घर वाले दिया को कालेज छोड़ कर आते है।
मधु के घर वाले भी निश्चित है कि दोनों सहेली एक साथ है।
दिया अपने घर वालों को दु़खी मन से विदा करती है।
तभी दिया का फोन बजता है।
दिया - अमन कैसे हो तुम?
अमन अच्छा हूँ।
कल तुमसे मिलने आ रहा हूँ।
ये सुनकर दिया बहुत खुश हो जाती है।
दिया व अमन आजाद घूमते है ।
मधु , अमन व दिया खूब मस्ती करते है।
और अमन चला जाता है।
दिया उसे वादा करती है कि वो जल्दी ही आएगी उससे मिलने।
दिया व मधु कालेज जाते व पढ़ाई करते है।
मधु - दिया अमन का जन्म दिन आने वाला है।
तुम्हे जाना चाहिए।
दिया अमन के कालेज जाती है।
पर वहा अमन को किसी ओर लड़की से गले मिलते देख वो चिल्लाती है।
अमन
कैसी लगी आपको ये कहानी?
अगले भाग में देखते है क्या होता है।