Is this first love? Part 2 in Hindi Short Stories by anmol sushil books and stories PDF | क्या यही है पहला प्यार? भाग -2

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क्या यही है पहला प्यार? भाग -2

दिया अपनी ताई जी को देखकर हैरान हो गयी।
ताई जी दिया को लेकर कोचिंग ले गयी।
दिया को बहुत चिंता हो रही है।
दिया, ताई जी दिया के अध्यापक से मिलते है।
दिया के अध्यापक दिया को देखकर हैरान हो जाते है कि दिया आज कक्षा में आई ही नहीं।
ये सुनकर ताई जी का गुस्सा सांतवे आसमान पे चढ़ गया।
दिया के अध्यापक - मैड़म, अच्छा है आप आ गयी।
हम आज दिया की शिकायत करने के लिए फोन करने वाले थे। दिया का कक्षा में ध्यान नही रहता। उससे कोई भी सवाल पूछते है तो हमेशा गलत जवाब देती है।
और आज तो उसकी सहेली ने बताया कि उसकी तबीयत खराब है। 
दिया की ताई जी - दिया अभी अध्यापक से क्षमा माँगो । वो जोर से चिल्लाई। दिया एकदम सहम गयी। दिया ने क्षमा माँगी 
ताई जी दिया को घर लेकर आती है।
घर पहुंचते ही वो दिया की माँ और ताऊ जी को सब बताती है।
दिया की माँ रोने लगती है बोलती है हमने मुझे पर भरोसा किया ।
दिया बोलती है, नही माँ आप रो मत।
दिया की ताई जी - दिया, एकदम चुप ।
तेरी ही वजह से रो रही है तेरी माँ।
दिया की माँ अब चुप हो।
ये हमारी ही ढील का असर है।
दिया - माँ, चुप हो जाओ।
एक तेज़ आवाज़ आती है।
दिया की ताई जी ने दिया को एक थप्पड़ लगाया।
दिया कांप गयी।
दिया की ताई जी उसे अच्छी डांट लगाती है।
दिया की माँ - दीदी, सही किया आपने । इसके साथ सख्ती से ही पेश आना होगा।
दिया की माँ - तेरे पिता जी शहर में इतनी मेहनत कर रहे है और तुझे शर्म नही आती।
दिया की माँ - आज के बाद मैं ही तुम्हे छोड़ ने व लेने जाँऊगी।
दिया की ताई जी - और मैं रोज़ तेरा काम देखूंगी।
जैसे छोटी कक्षा में देखती थी ।
तेरे भरोसे तो देख लिया।
दिया चुप -चाप खड़ी रही।
दिया की ताई जी - और हाँ, आज तुझे जब ही सोने को मिलेगा जब तू मुझे कक्षा का सारा काम याद करके सुनाएगी।
दिया की माँ - और तुझे तभी कुछ खाने को मिलेगा।
दिया की माँ - हमारा मुँह मत देख और अपनी किताबें लेकर आ।
दिया की ताई जी दिया को पढा़ती है।
और रात के 12 बजे दिया का काम खत्म होता है। दिया की माँ उसके लिए खाना लाती है और उसे समझाती भी है। सभी सो जाते है।
पर दिया सोच रही कि वो अब अमन से कैसे मिलेगी।
दिया का मन बहुत बेचैन हो गया।
सोचते -सोचते पता नही कब उसकी आँख लग गयी ।
सुबह दिया की माँ ने उसे 5 बजे पढ़ने के लिए उठा दिया।
दिया के मन में अमन का ही ख्याल है।
दिया की माँ उसे कोचिंग छोड़ ने जाती है।
दिया की आँखें अमन को ढूँढ रही है।
अमन आया।
अमन - दिया तुम ठीक हो।
कल क्या हुआ।
दिया - सब ठीक है। बस माँ छोड़ने व लेने आएँगी।
अमन - मैं तो ये सोच कर खुश हूँ कि उन्होने तुम्हारा कोचिंग आना नहीं छुड़- वाया।
दिया - तुम मेरी इतनी चिंता करते हो और दिया मंद- मंद मुस्कुराने लगी।
समय बीतता गया ।

ताई जी ने दिया के साथ बहुत मेहनत की।
अब दिया ने बहुत मेहनत की। बस दिया चाहती है कि उसका व अमन का एक ही काँलेज़ मिले मेडिकल की पढ़ाई के लिए।
अब परीक्षा भी हो गयी ।
परीक्षा का परिणाम भी आ गया है। दिया की ताई जी - दिया तेरा परिणाम आ गया ।
जल्दी रोल नं ला ।
दिया बहुत घबरा जाती है।
आइए आगे देखते है अगले भाग में।