IIT Roorkee - 4 in Hindi Love Stories by Akshay Tiwari books and stories PDF | IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 4

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IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 4



 "उसके बिना.... ये सफ़र"
(अधूरे ख़्वाब)


उसके जाने के बाद ज़िंदगी रुक तो नहीं गई..
लेकिन चलती भी नहीं थी।
हर सुबह सूरज की किरणें तो खिड़की पर आती थीं, 
पर कमरे में उजाला नहीं भरता था।
हर शाम की हवा अब भी वही थी — जो एक दिन मेरी बारिश वाली लड़की के बालों को छूती थी..
मगर अब वो हवाएं दिल को नहीं, सिर्फ यादों को सहलाती थीं, 
मुझे भिगो जाती थी।

"तेरे जाने के बाद, मेरा वजूद अधूरा है,
जैसे बारिश बिना बादल, जैसे नदियाँ बिना किनारा।"

मैंने उसका वादा निभाने की कोशिश की — मुस्कुराने की।
कॉरपोरेट की दुनिया में मैंने खुद को झोंक दिया, दिन-रात काम किया, खूब मेहनत की, सफलता हासिल की,
पर जब शाम होती…. दिल की दरारें और गहरी हो जातीं।

फिर एक दिन.… एक चिट्ठी आई।

उसके पापा ने भेजी थी।
उन्होंने लिखा था —

> "श्रिशय,
> श्रिनिका ने तुम्हारे साथ बिताए हर लम्हे को एक डायरी में लिखा था।
> हम तुम्हें वो सौंपना चाहते हैं —
> ताकि उसकी ज़ुबां आज भी तुम्हारे पास जिंदा रहे।"

मैं काँपते हाथों से वो डायरी खोली।

पहला पन्ना….

"श्रिशय,
तुमसे मिलना मेरी ज़िंदगी का सबसे हसीन हादसा था….
और तुमसे प्यार करना, मेरी रूह का सबसे सच्चा फ़ैसला।
अगर मैं न रहूँ.… तो इस डायरी को पढ़ लेना,
तुम्हें लगेगा मैं आज भी तुम्हारे साथ हूँ, कदम से कदम मिलकर
तुम्हारे साथ चल रही हूं तुम्हारी परछाईं बनकर"

हर पन्ना जैसे उसकी आवाज़ थी….
हर लाइन जैसे वो अब भी मुझसे बात कर रही हो।

मुझे नहीं पता था कि वो कोई डायरी भी लिखती हैं मुझे आज पता चला कि उसने बारिश की वो हमारी शाम को भी एक पन्ने में पिरोया था 
"आज एक पागल सा लड़का मुझे भीगते हुए एकटक देखे जा रहा था पर पता नहीं मुझे क्यू उसका यूं देखना गलत नहीं लग रहा था एक अजीब सी बेचैनी दिल में हुई थी उस दिन।"

"मिलके बिछड़ जाना आसान नहीं होता,
रूह के रिश्तों में बदन की जरूरत नहीं होती।"

उस डायरी ने मुझे फिर से जीना सिखाया।
मैंने उसकी कही एक-एक बात को जीवन का उद्देश्य बना लिया। 
और ठान लिया कि अब कोई दूसरी श्रीनिका ऐसे किसी से 
जुदा नहीं होगी।

मैंने अपने शहर में एक NGO खोला — "Shrinika Smiles" 
उसका नाम रखा।
जहाँ कैंसर से जूझ रहे बच्चों का इलाज करवाने और उनके लिए हँसी लौटाने की कोशिश करता हूँ।
हर बच्चा मुझे उसकी आँखों की चमक की याद दिलाता है।
हर मुस्कान जैसे वो खुद हो।

"वो कहती थी —
अगर मेरा होना किसी की मुस्कान बन सके,
तो मैं हर जन्म में अधूरी ही रहना चाहूँगी।"

अब जब भी बारिश होती है —
मैं उस NGO के बच्चों के साथ नाचता हूँ,
ठीक वैसे ही जैसे एक दिन मेरी परी नाच रही थी —
मासूम, कोमल, और मोहब्बत से भरी हुई।

"तू दूर सही, मगर मेरे एहसासों में शामिल है,
तेरी खुशबू मेरी साँसों में आज भी क़ायम है।"

मैं हर साल उस जगह जाता हूँ — IIT रुड़की के उसी मोड़ पर। 
जहां, एक बड़ा सा पेड़ हुआ करता था और उसपे लिखे,
उसके नाम को देखता हूं जो सालों पहले मैने लिखा था— "Shrinika"
जहाँ पर अब ग्रीन गाल नाम से रेस्टोरेंट चलता हैं, और आज भी उस पेड़ की हवा में उसकी हँसी गूंजती है।

"कभी वो थी मेरी ज़िंदगी की धड़कन,
अब उसकी यादें मेरी सांस बन गई हैं।"

आज भी जब कोई पूछता है —
"क्या आपने कभी किसी से सच्चा प्यार किया?"

मैं मुस्कुरा देता हूँ और कहता हूँ —

"हाँ, किया था..
वो अधूरा था, पर आज भी सबसे मुकम्मल है।
क्योंकि उसने मुझे जीना सिखाया,
और दूसरों की ज़िंदगी में उम्मीद बन कर जिंदा रहना सिखाया।"
वो आज भी मेरे दिल में जिंदा हैं, आज भी मेरी रूह सिर्फ उसकी है

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