IIT Roorkee - 10 in Hindi Love Stories by Akshay Tiwari books and stories PDF | IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 10

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IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 10

Part - 10 "जब मेरी आत्मा मंच पर थी"
(The Final Chapter of “ IIT Roorkee ”)


5 मार्च 2023 --
IIT Roorkee का सभागार खचाखच भरा हुआ था।
बैनर पर लिखा था..

"काव्य-श्रद्धांजलि, ‘श्रिनिका की आत्मा के नाम’
कविता संग्रह ‘Soul Letters’ का विमोचन"

मैं मंच के एक कोने में चुपचाप बैठा था --
ना कोई भाषण तैयार किया,
ना कोई शब्द, बस चुप चाप मन में एक ख़ामोशी 
थामे जैसे इस पल वो मेरे पास बैठी हो।

क्योंकि आज मैं बोलने नहीं आया था..
आज उसकी आत्मा बोलने वाली थी।


मंच पर रखी थी वह किताब -- Soul Letters

गुलाबी मखमली कपड़े पर,
जिसके पहले पन्ने पर सिर्फ़ तीन शब्द --

"तुम्हारे लिए, श्रिशय।"

किताब में उसकी लिखी हर कविता, हर शब्द, हर रचना 
मेरे लिए थी, मेरे बारे में थी, और अब.. सबके लिए थी।


 उद्घोषणा हुई..

“आज हम एक ऐसी आत्मा को याद कर रहे हैं,
जो शरीर से नहीं, मगर शब्दों से ज़िंदा है।
जो आज हमारे बीच मौजूद तो नहीं है लेकिन 
उसकी आवाज़ आज इस पूरे कक्ष में गूंजेगी।
आइए, कुछ कविताएं उस संग्रह से पढ़ी जाएं..”


पहली कविता - “जब तुम चुप थे”

 "जब तुम चुप थे,
 मैं सुनती थी तुम्हारी साँसों की कविता।
 जब तुम दूर थे,
 मैं जीती थी तुम्हारी यादों में।
 और अब जब तुम हो,
 तो मैं ज़िंदा नहीं हूँ..
 सिर्फ़ रह गई तुम्हारे नाम में।"

पूरे सभागार में सन्नाटा था।
लोग रो नहीं रहे थे,
लोग महसूस कर रहे थे।
किसी के चेहरे पर मुस्कान थी तो किसी के 
चेहरे पर एक कसक, 

 और फिर..

मैं मंच पर गया।
उसकी किताब हाथ में ली..
और कहा -

“यह कविता संग्रह नहीं.. यह उसकी आत्मा है।
और आज, वो मंच पर है --
 सबके सामने..
 सबसे सुंदर रूप में।”

ना जाने क्यों मेरे पैर आज कांप रहे थे आवाज़ में नमी थी
और दिल में उसके पास न होने का दर्द, क्योंकि जो 
सपने कभी साथ बैठ कर देखे थे, अब वो सिर्फ यादों में बसे थे। 

फिर मेरी नजर अंतिम पन्ने पर पड़ी --
जहां एक हस्तलिखित नोट था,


"अगर मेरी कविताएं एक भी इंसान के दिल को छू जाएं,
 तो समझना, मैं कहीं न कहीं आज भी ज़िंदा हूँ.."

 श्रिनिका -

उस दिन मंच पर जो तालियाँ बजीं --

वो मेरे लिए नहीं थीं,
वो किसी लेखक या प्रकाशक के लिए नहीं थीं..

वो आत्मा के लिए थीं।
जिसने प्रेम को शब्दों में बांधा,
और शब्दों को अमरता दी।


 समापन--

आज जब मैं बच्चों को कविता सिखाता हूं,
तो एक कहानी हमेशा सुनाता हूं:

"एक लड़की थी, जिसने प्रेम किया --
पूरे मन से, पूरे विश्वास से..
और जब वो चली गई,
तो सिर्फ़ याद नहीं,
एक पूर्ण जीवन दर्शन छोड़ गई।"

कभी कभी जीवन में कुछ ऐसे पल आपको मिल जाते हैं 
जिनके सहारे आप पूरी जिंदगी बिता देते हैं, मेरे लिए श्रीनिका भी ऐसी ही थी, जिसकी यादों के साथ जीना मुझे अच्छा लगने लगा हैं।

मै नहीं जानता कि प्रेम क्या होता हैं लेकिन मैं इतना जरूर कहना चाहूंगा आप लोगों से कि हा एक लड़की थी, जिसे मैं आज भी दीवानों की तरह प्यार करता हूँ, वो हर ख़्वाब हर पल हर धड़कन में सिर्फ वो बसी हैं।

मै रोज सुबह उठता हूं तो सिर्फ उसके लिए, उसके सपनो के लिए, सिर्फ व सिर्फ उसके लिए, अगर ये प्यार है तो हा मै उसे पागलों की तरह प्यार करता हूं और अपनी जिंदगी की अंतिम सांस तक सिर्फ उसे प्यार करूंगा, सिर्फ उसके सपनो के लिए जिऊंगा ताकि मुझमें वो जिंदा रहे, मेरी नज़रों से वो ये खूबसूरत दुनिया देखें।

और आज, जब आप ये आखिरी पंक्तियाँ पढ़ रहे हैं..
शायद आप भी उस आत्मा को महसूस कर पा रहे हैं,
जो अब कहीं दूर नहीं..

आपके दिल में है।

“The Story of Soul Love”
अब समाप्त नहीं होती..
बल्कि अब शुरू होती है --
हर उस दिल में, जो सच्चे प्रेम पर यकीन रखता है। ❤️
और आज भी उस निष्काम प्रेम को पूजता है❤️