"Shrinika Smiles – जब उसकी मोहब्बत बनी दुनिया की उम्मीद"
(एक NGO की कहानी जो प्यार से जन्मा और उम्मीद से पनपा)
"Shrinika Smiles"....
नाम सुनते ही दिल एक अजीब सी सुकून भरी धड़कन से भर जाता है।
यह सिर्फ एक NGO नहीं…
ये उस लड़की की विरासत है, सपना हैं .. जिसने ज़िंदगी को अपनी आख़िरी साँस तक जीया .. मोहब्बत के साथ।
जब मैंने पहली बार इस NGO की नींव रखी थी, तो न मेरे पास बड़ी टीम थी, न ज्यादा पैसे थे।
सिर्फ उसकी डायरी थी.… और उसमें लिखी एक लाइन..
"अगर मैं किसी की मुस्कान बन सकूँ, तो मुझे हर दर्द मंज़ूर है।"
बस, उसी दिन मैंने तय किया ....
अब मैं किसी और की मुस्कान का जरिया बनूँगा.… उसकी याद में, उसके हर ख़्वाब को अपना ख्वाब बना लूंगा, और वो सब करूंगा जो मेरी जान करना चाहती थी।
"छोटे सपनों का बड़ा घर"....
पहली बार जब एक छोटी बच्ची, मायरा, मेरे पास आई ..
उसका सिर पूरी तरह से मुड़ा (गंजा) हुआ था। कीमोथेरेपी ने उसके बाल छीन लिए थे, पर उसकी आँखों में अब भी जीने की चाह थी, उस छोटी सी बच्ची में मैने एक उम्मीद देखी।
मैंने उसे एक रंगीन पतंग दी .. जिस पर लिखा था "उम्मीद उड़ती है"।
वो मुस्कुराई….
ठीक वैसे ही जैसे कभी मेरी जान श्रिनिका मुस्कुराया करती थी ..आँखों से।
उस दिन मुझे लगा ....
मैंने उसका सपना जी लिया।
"हर बच्चा…. जैसे एक कविता की तरह है"
मैंने NGO में एक खास कमरा बनवाया है ....
"Shrinika's Corner"
जहाँ बच्चे आकर अपनी कहानियाँ, कविताएँ, पेंटिंग्स बनाते हैं।
दीवारों पर श्रिनिका की बनाई गई पेंटिंग्स की ढेर सारी कॉपियां लगी है।
एक बच्चा, रोहन, जो बोल नहीं सकता, उसने एक दिन पेंटिंग में एक लड़का और लड़की बनाकर लिखा ....
"तुम गई नहीं, बस अब तस्वीरों में बोलती हो।"
मैंने वो पेंटिंग फ्रेम करवा दी ....
और NGO के गेट पर लगवा दिया।
"बारिशें अब भी आती हैं…."
मै उसका हर जन्मदिन उसी NGO में बच्चों के बीच रह कर मानने लगा।
हर साल श्रिनिका के जन्मदिन पर हम NGO में "Rain Dance Day" मनाते हैं।
बच्चे बारिश में नाचते हैं, मुस्कुराते हैं, और आसमान को देखते हुए चिल्लाते हैं ....
"Shrinika दीदी.… देखो हम हँस रहे हैं!"
श्रीशय भैया हमारा बहुत ख़्याल रखते हैं, वो आपको बहुत प्यार करते हैं
मैं दूर खड़ा, भीगी आँखों से देखता हूँ ....
जैसे वो भी वहाँ है, हवा में उसके आँचल की ख़ुशबू अब भी बसी है, जैसे वो मेरे कंधे पर हाथ रखे मेरे साथ खड़ी हो।
मुझे प्यार से कह रही हो श्रीशय तुमने मेरा सपना पूरा कर दिया, मुझे माफ़ कर देना मै तुम्हारे पास नहीं हूँ।
आंखों में आंसू होते हैं और दिल में दर्द, और उसके ख्वाबों
के लिए जीने की उम्मीद लिए फिर खुद से कहता हूं कि अभी तो बहुतों की हसी बनना है।
"कहानी अधूरी थी…. लेकिन प्यार सच्चा और पवित्र है"
NGO के बाहर एक बड़ा बोर्ड लगा है ....
जिस पर लिखा है..
"ये घर है उन सपनों का,
जिन्हें बीमारी ने डराया था, पर मोहब्बत ने बचा लिया।
यहाँ श्रिनिका आज भी मुस्कुराती है.… हर बच्चे की मुस्कान में।"
अब बहुत से लोग आते हैं .. मदद करने, साथ चलने….
कोई डॉक्टर बनकर, कोई शिक्षक, कोई कलाकार….
सब कहते हैं ..
"हम आपके NGO की आत्मा से जुड़े हैं। ये जगह सिर्फ इलाज नहीं, मुस्कुराना सिखाती है, नई उम्मीद, नए सफ़र की शुरुआत है ये जगह"
और मैं कहता हूँ ....
"क्योंकि ये NGO एक लड़की के नाम है,
जिसने आख़िरी साँस तक सिर्फ मोहब्बत ही बाँटी थी।"
ये NGO सिर्फ उसका सपना था जिसे मैने अपनी जिंदगी
बना लिया और हर एक जिंदगी जो मैने बचाई, उनकी हसी में अपनी जान श्रीनिका को महसूस करने लगा।
Next Part Soon....