IIT Roorkee - 2 in Hindi Short Stories by Akshay Tiwari books and stories PDF | IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2

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IIT Roorkee (अजब प्रेम की गज़ब कहानी) - 2

दोस्तों चलो इस कहानी को आगे बढ़ाते हैं — उस अधूरे प्यार को एक नई दिशा देते हैं। अब कहानी को ले चलते है कुछ साल बाद, जब ज़िंदगी की उथल पुथल में सब कुछ बदल गया था, लेकिन उस एक मुलाकात की बारिश अब भी दिल में बरस रही थी.... उस परी की वो मुस्कान, उसके झुमके की खनक मेरे कानो में आज भी गूंज रही थीं फिर मेरी जिंदगी ने 
एक ऐसी करवट ली कि मेरी पूरी दुनिया ही बदल गई ----

"वो एक झलक थी.... पर रूह बन गई,
बारिश की लड़की.... मेरी धड़कन बन गई।"



"बरसों बाद वो फिर मिली..." Part - 2


समय जैसे पंख लगाकर उड़ गया।
IIT रुड़की की वो गलियाँ, वो कैंटीन, वो बरसातें अब बस यादों का हिस्सा बन चुकी थीं। पढ़ाई खत्म हुई, प्लेसमेंट हुआ और फिर एक कॉर्पोरेट शहर बंगलौर की भागती-दौड़ती ज़िंदगी में सब कुछ बदलने लगा। लेकिन जो नहीं बदला, वो थी - उसकी एक झलक की तड़प, जो आज भी दिल में सहेजी हुई थी।

कई सालों तक उसके बारे में कुछ नहीं पता चला।
कभी सोशल मीडिया पर ढूँढा, मगर एक चेहरा जो दिल में बस गया हो — उसे वर्चुअल प्रोफाइल में कैसे ढूँढा जाए?

फिर एक दिन.… किस्मत ने फिर से वो दरवाज़ा खोला।

एक सेमिनार के लिए मुझे उत्तराखंड जाना पड़ा — उसी ‘देवभूमि में जहाँ से मेरी ये कहानी शुरू हुई थी।
एक सॉफ्टवेयर कंपनी में टेक्निकल टॉक देने के बाद मैं एक कॉफी शॉप में अकेला बैठा था, थका हुआ सा… और शायद थोड़ा खाली भी।
कॉफी का कप सामने था, लेकिन निगाहें कहीं दूर खोई थीं… अब भी कभी-कभी बारिश को देख कर उसका चेहरा याद आ जाता था।

तभी… एक जानी-पहचानी सी हँसी सुनाई दी।

मैंने धीरे से गर्दन घुमाई… और जैसे - वक्त वहीं ठहर गया।

वो थी…. वही लड़की--
थोड़ी बदली हुई, थोड़ी परिपक्व.… लेकिन आँखें अब भी वैसी ही बोलती थीं।
उसने पिंक कलर की साड़ी पहनी थी, एक कॉर्पोरेट आईडी उसके गले में टंगी थी, और हाथ में एक कॉफी का कप।
मैं कुछ पल तक बस उसे देखता ही रहा…. यकीन नहीं हो रहा था कि ये वही है — मेरी बारिश वाली लड़की।
मेरी आंखों में खुशी के आशू के साथ मन में एक अलग हलचल चलने लगी। मै उसे एकटक पहली बार की ही तरह देखे जा रहा था मेरे हाथ से काफी का कप गिर गया और उसकी नजर मेरे ऊपर पड़ी।

वो मेरी टेबल के पास आई.… और बोली--

"Excuse me…. क्या आप रुड़की से हैं?"

मैं मुस्कुरा पड़ा.…
"हाँ…. और आप शायद.… मेरी अधूरी कहानी हो।"

वो थोड़ा मुस्कुराई, थोड़ा चौंकी।
"क्या मतलब?"

मैंने गहरी सांस लेते हुए कहा,
"कभी एक बारिश वाली दोपहर में आपको कैंटीन के बाहर नाचते देखा था…. और फिर शायद वहीं से मेरी दुनिया बदल गई थी।"

उसने कुछ पल मुझे देखा.… फिर हल्के से कहा--
"तो तुम वही हो.… जो उस दिन मुझे बिना कुछ कहे बारिश में बस 
देखता रहा था?"

मैंने सिर झुका लिया,
"हाँ…. और फिर कभी कहने की हिम्मत नहीं हुई।"

वो बैठ गई--
हम घंटों बात करते रहे — कॉलेज, वो दिन, वो बारिश, हमारे रास्ते, 
हमारे सपने।
पता चला कि वो अब एक बड़ी टेक कंपनी में सीनियर डेवलपर है।
 उसने भी उस दिन को याद रखा था। कहा----

"तुम्हारी आँखों में कुछ ऐसा था.… 
जो आज भी वैसा ही है। शायद सच्चाई।"

उस दिन के बाद हमारी बातें शुरू हुईं…
 फिर मुलाक़ातें…. और फिर

बारिश एक बार फिर दोनों को करीब ला रही थी।
लेकिन इस बार ये अधूरी कहानी नहीं थी।

इस बार मैंने उससे कहा —
"मैं तुम्हें अब खोना नहीं चाहता.… क्या तुम ज़िंदगी भर की वो बारिश बनोगी, जो हर तपती दोपहर को सुकून दे सके?"

उसने हल्के से अपना हाथ मेरी हथेली में रख दिया.…
"मैं तो कब से इंतज़ार में थी कि तुम कहो…. 
अब कभी मत जाना।"

"मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि ये हक़ीक़त हैं या फिर कोई सपना,
मेरी जिंदगी आज मेरे साथ हैं मेरी आंखों से आशू गिरते देख वो रो पड़ी 
और मुझे गले लगा लिया, मैने उससे कहा अब कभी मुझसे दूर मत जाना 
मुद्दतो से मैने इस पल का इंतेज़ार किया है"

"कुछ अधूरी कहानियाँ वक़्त माँगती हैं….

जब वक़्त मिलता है, तो वो अधूरेपन से मुकम्मल 
मोहब्बत बन जाती हैं।"

सबका प्यार अगर मुकम्मल होता 
तो इश्क़ बेजुबानो में पहचाना जाता,

ये खुदा कुछ तो रहम कर इश्क़ के दुकानदारों पर,
बिन मुनाफे के बिकती हैं जिंदगी यहां पर!!

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Next part coming soon 🔜 🔜