Nadani Ek Prem Katha in Hindi Love Stories by Ashok Kumar books and stories PDF | नादानी

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नादानी

नादानी – एक प्रेम-कथा
लेखक: ChatGPT

गांव के स्कूल में पहली घंटी बजते ही बच्चों की भीड़ मैदान की ओर दौड़ पड़ी। उन्हीं बच्चों के बीच था अर्जुन – एक सीधा-सादा, किताबों में खोया रहने वाला लड़का। उसकी दुनिया में प्रेम का कोई स्थान नहीं था, न ही कोई ख्वाब जो उसे किसी और दुनिया में ले जाता।

पर जैसे हर कहानी में एक मोड़ आता है, अर्जुन की ज़िंदगी में भी वह मोड़ आया – उसकी मुलाकात हुई राधा से। राधा हाल ही में शहर से इस गांव में आई थी। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी – जैसे उसने दुनिया देखी हो, और फिर भी उसमें कुछ मासूमियत बाकी थी।

अर्जुन और राधा की मुलाकात पहली बार लाइब्रेरी में हुई। राधा ‘गीतांजलि’ ढूंढ रही थी और अर्जुन ने चुपचाप वो किताब उसे थमा दी। उनके बीच कोई संवाद नहीं हुआ, पर उस चुप्पी में एक अजीब सी गर्माहट थी – अनकही बातें, जो बस आँखों से कही गईं।

दिन बीते, मौसम बदले, और अर्जुन का मन अब किताबों से भटक कर किसी और ओर चल पड़ा। वह हर रोज़ स्कूल जल्दी पहुंचता, सिर्फ़ राधा की एक झलक पाने के लिए। और राधा? वो मुस्कुरा देती, और अर्जुन की दुनिया खिल जाती।

एक दिन राधा ने पूछा, "तुम इतना चुप क्यों रहते हो?"

अर्जुन ने हँसते हुए कहा, "शब्दों से डर लगता है… कहीं कुछ कह दिया तो तुम खो न जाओ।"

राधा मुस्कराई, "बोलोगे नहीं तो जानूंगी कैसे?"

उस दिन पहली बार अर्जुन ने महसूस किया कि प्रेम क्या होता है – वो धड़कनों की अनसुनी आवाज़, जो दिल के भीतर ही भीतर गूंजती रहती है।

पर हर प्रेम-कहानी का रास्ता सीधा नहीं होता। गांव की पुरानी सोच, राधा का शहर से आना, और अर्जुन का साधारण होना – सब एक दीवार की तरह खड़े हो गए।

राधा के पिता एक सरकारी अफसर थे। उन्होंने जैसे ही अर्जुन के बारे में सुना, उनका चेहरा सख्त हो गया। “हमने अपनी बेटी को पढ़ाने शहर भेजा था, ये गांव में प्रेम करने नहीं भेजा!”

राधा रो पड़ी। अर्जुन भी चुप हो गया। वो जानता था कि नादानी में शुरू हुआ यह प्रेम अब एक कठिन मोड़ पर आ चुका है।

एक दिन राधा ने अर्जुन को बुलाया। दोनों गाँव के पुराने पीपल के पेड़ के नीचे मिले।

"तुम्हें क्या लगता है अर्जुन, हम साथ हो सकते हैं?"

अर्जुन ने आसमान की ओर देखा और फिर कहा, "शायद नहीं, पर ये जो कुछ भी था… ये सच था, नादानी भरा सही, लेकिन दिल से था।"

राधा ने उसका हाथ थामा, "अगर ये नादानी है, तो मैं हर जनम यही करना चाहती हूँ।"

उस शाम राधा अपने पिता के साथ शहर लौट गई। अर्जुन वहीँ खड़ा रहा, पेड़ के नीचे, जैसे कोई सपना अधूरा रह गया हो।

वर्षों बीत गए। अर्जुन अब एक लेखक बन चुका था। उसकी पहली किताब का नाम था – "नादानी – एक प्रेम-कथा"।

लोगों ने पूछा, "ये कहानी इतनी सच्ची क्यों लगती है?"

अर्जुन मुस्कुराया, "क्योंकि इसमें कुछ भी गढ़ा नहीं गया… ये बस नादानी थी… मेरी और उसकी…।"

समाप्त
(शब्द संख्या: ~620)


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अगर आप– जैसे उनका शहर में दोबारा मिलना, अर्जुन का संघर्ष, या राधा का पत्र। बताएं अगर आप चाहें विस्तार से