Black Shadow in Hindi Horror Stories by Ashok Kumar books and stories PDF | काली छाया

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काली छाया

 1 – अँधेरे की पहली आहट

पहाड़ों के नीचे बसे छोटे से कस्बे भीमरपुर में, 16 वर्षीय रिया रहती थी—एक शांत, कम बोलने वाली, लेकिन भीतर से बेहद संवेदनशील लड़की।

उसकी आँखों में हमेशा एक गहरी उदासी झलकती थी, जैसे किसी ने उन आँखों से बचपन ही छीन लिया हो।

लोग कहते थे—“रिया के साथ कुछ तो है… हमेशा अकेली, हमेशा खामोश… जैसे किसी ‘काली छाया’ का बोझ उठाए हो।”

लेकिन किसी को नहीं पता था कि असल “काली छाया” उसके बाहर नहीं, उसके भीतर थी।

एक ऐसी छाया जो उसे रातों में जगाती,दिन में डराती,और उसके सपनों को तोड़कर उसे खाली कर देती।

भाग 2 – टूटा घर, टूटा बचपन

रिया के पिता शराब में डूबे रहते थे।माँ, जो खुद बीमार थी, कपड़ों की सिलाई करके घर चलाती थी।घर में गरीबी थी, लेकिन उससे बड़ा दर्द था— चिल्लाहट और खामोश रुदन का।

रिया जब छोटी थी, पिता कहते—“तेरे नसीब में अंधेरा ही है।”

यह वाक्य उसके मन में गहराई तक उतर गया।नतीजा—वह हर बुरे अनुभव, हर असफलता, हर असुरक्षा कोअपना नसीब समझ बैठी।

धीरे-धीरे उसने एक काली छाया बना ली—जो उसके हर कदम के पीछे चलती,और उसके हर सपने पर हक जमाए बैठी।

भाग 3 – स्कूल की दीवारों के पीछे का दर्द

स्कूल में रिया पढ़ने में अच्छी थी,लेकिन बोलती नहीं थी।

टीचर कहते—“रिया, तुम जवाब दो—तुम्हें सब आता है!”

लेकिन रिया की आवाज गले में ही बंद हो जाती।उसे लगता—“मैं बोलूँगी तो लोग हँसेंगे।”

यह डर कौन बोया था?वही “काली छाया”—जो कहती थी:

“तू कुछ नहीं कर सकती… तू बस डर के लिए पैदा हुई है।”

रिया चाहकर भी खुद को उस छाया से अलग नहीं कर पाती।

भाग 4 – अकेलापन, दर्द और ‘काली छाया’ का बढ़ना

रात के समय उसका कमरा बिल्कुल शांत होता।पर उसके मन में तूफ़ान चलता—

कभी पैर काँपने लगते,कभी दिल तेजी से धड़कने लगता,कभी अचानक बेचैनी घेर लेती।

वह रोती थी… बहुत रोती थी।पर आँसू भी छाया को कमजोर नहीं कर पाते थे।

धीरे-धीरे वह लोगों से दूर होने लगी।उसे लगता—दुनिया उसे समझ नहीं सकती।

और यह सच भी था।

भाग 5 – पहली किरण: अभि का मिलना

एक दिन स्कूल में नया छात्र आया— अभि।शांत, विनम्र, और दूसरों का दर्द समझने वाला।

अभि ने देखा कि रिया हमेशा अकेली रहती है।वह पास जाकर मुस्कुराया—

“तुम चाहो तो मुझे दोस्त मान सकती हो…नहीं चाहो तो भी कोई बात नहीं।”

यह शायद पहली बार था कि किसी ने रिया पर कोई दबाव नहीं डाला।छाया थोड़ी हिली… हल्की सी।

रिया ने सिर झुका कर ‘हाँ’ कर दी।

भाग 6 – दोस्ती की रोशनी

धीरे-धीरे रिया और अभि की दोस्ती गहरी हुई।अभि हर दिन उससे बातें करता—उसके डर समझने की कोशिश करता।

वह कहता—

“तुम जितनी टूटे हुए लगती हो, भीतर से उतनी मजबूत हो।तुम्हें बस खुद को पहचानना है।”

ये पहली दफा था—जब किसी ने रिया को कमज़ोर नहीं,बल्कि मजबूत कहा था।

उसकी छाया थोड़ा पीछे हटने लगी।

भाग 7 – माँ की आखिरी सीख

एक रात रिया की माँ की तबीयत बहुत बिगड़ गई।माँ ने काँपते हुए हाथों से रिया का चेहरा पकड़ा—

“री… अगर मैं चली जाऊँ…तो अपने डर को जीत लेना।अंधेरे से मत हारना।तू अंधेरा नहीं—रोशनी है।”

वह रात रिया के जीवन की सबसे बड़ी चोट थी।लेकिन माँ के शब्द उसके दिल में दीपक की तरह जल गए।

काली छाया पहली बार…कमज़ोर महसूस हुई।भाग 8 – खुद से लड़ाई

रिया ने खुद को बदलने की ठानी।

● वह सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई करने लगी।● योग सीखने लगी।● अभि ने उसे स्टेज पर बोलने की प्रैक्टिस करवाई।● वह धीरे-धीरे लोगों से बातचीत करने लगी।

पहले डर कांपता था,अब रिया का साहस।

पहले छाया पीछा करती थी,अब रिया उसके सामने खड़ी थी।

भाग 9 – छाया की आखिरी रात

बोर्ड परीक्षा से एक रात पहलेरिया को फिर वही घबराहट हुई—दिल धड़कने लगा, साँसें तेज हो गईं।

जैसे काली छाया फुसफुसा रही हो—

“तू नहीं कर पाएगी…मैं हमेशा तेरे साथ हूँ…”

रिया रो पड़ी।फिर शीशे में खुद को देखा और कहा—

“नहीं! तू मेरे अंदर की आवाज़ नहीं…तू मेरे डर का नाम है।और आज…मैं तुझे खत्म कर रही हूँ।”

और उसी पल छाया जैसे बिखर गई—जैसे वो सिर्फ रिया के डर का भ्रम ही थी।

भाग 10 – रोशनी की जीत

रिया ने परीक्षा उत्कृष्ट अंकों से पास की।वह कस्बे की टॉपर बनी।उसे शहर के कॉलेज में छात्रवृत्ति मिली।

लोग कहते थे—“ये वही रिया है…जो कभी बोल नहीं पाती थी?”

लेकिन रिया जानती थी—उसे किससे लड़कर ये जीत मिली है।

उसने भाषण में कहा—

“हमारे भीतर की ‘काली छाया’ डर है।जब हम उससे भागते हैं, वो हमें पकड़ लेती है।जब हम उससे लड़ते हैं—वो खत्म हो जाती है।”

और पूरा हॉल तालियों से गूँज उठा।उपसंहार – राख से उठती रोशनी

सालों बाद रिया एक काउंसलर बनी।वह उन बच्चों की मदद करती हैजो डर, अवसाद, अकेलापन और भावनात्मक पीड़ा से जूझते हैं।

रिया अब एक नाम नहीं—एक प्रेरणा थी।

कभी जो खुद अंधेरे से लड़ती थी,अब दूसरों के लिए रोशनी बन चुकी थी।🌟