Mera Rakshak - 22 in Hindi Fiction Stories by ekshayra books and stories PDF | मेरा रक्षक - भाग 22

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मेरा रक्षक - भाग 22

फार्महाउस की बालकनी से रणविजय हर एक पल मीरा को देख रहा था। उसकी नज़रें जैसे मीरा पर ही थम गई थीं, मानो अगर उसने एक बार भी नज़र फेर ली तो सपना टूट जाएगा और मीरा फिर से उसकी ज़िन्दगी से चली जाएगी। वो एकटक उसे देखता रहा, जैसे कोई अपना बिछड़ा हुआ हिस्सा देख रहा हो।

तभी पीछे से एक मासूम सी आवाज़ आई, "आप... आप रणविजय सिंह राठौड़ हैं?"

रणविजय ने धीरे से मुड़कर देखा, सामने मीरा का भाई शिवा खड़ा था। उसकी शक्ल हूबहू मीरा जैसी मासूमियत लिए हुए थी। रणविजय ने उसके सवाल पर हल्के में सिर हिला दिया।

शिवा हैरान रह गया। उसे यकीन ही नहीं हुआ कि वो शहर के सबसे खतरनाक माफिया के सामने खड़ा है। वो डर और घबराहट में जोर से चिल्ला उठा, "दीदी... दीदी... दीदी!"

मीरा दौड़ती हुई शिवा के पास आई, "क्या हुआ शिवा? कहीं दर्द हो रहा है क्या? क्या हुआ बोल?"

मीरा का ध्यान रणविजय की ओर गया ही नहीं। उसका सारा ध्यान बस शिवा पर था। रणविजय ने जब मीरा को इतने करीब से देखा, तो उसकी धड़कनें तेज़ हो गईं। उसका शरीर काँपने लगा, और कानों में मीरा की वो आवाज़ गूंजने लगी—"तुम जानवर हो रणविजय... जानवर।"

शिवा ने रणविजय की ओर उंगली करके कहा, "दीदी... हम माफिया के घर में हैं।"

मीरा ने रणविजय की ओर देखा। रणविजय उसकी आँखों में नहीं देख पाया। वो नज़रें झुकाए खड़ा रहा, जैसे कोई गुनहगार हो।

शिवा घबराया हुआ बोला, "दीदी हमें यहाँ से चलना चाहिए, ये जगह बहुत ख़तरनाक है।"

मीरा ने उसे शांत किया, "शिवा, जब तक मिस रोज़ी ठीक नहीं हो जातीं, हम यहाँ से नहीं जा सकते।"

फिर मीरा ने शिवा को बताया कि वो रणविजय को पहले से जानती है और मिस रोज़ी उसकी मां जैसी हैं। उनकी ममता ने मीरा को बाँध रखा है, इसलिए वो उन्हें छोड़कर नहीं जा सकती।

मीरा ने एक बार फिर रणविजय की ओर देखा, फिर शिवा का हाथ पकड़कर नीचे चली आई। रणविजय वहीं जड़ हो गया था, मानो उसके पाँव ज़मीन में धँस गए हों। वो हिल भी नहीं पाया।

जॉन, मिस रोज़ी को लेकर उनके कमरे में चला गया। मीरा ने शिवा को उनका कमरा दिखाया और फिर सब अपने-अपने कमरों में आराम करने चले गए।

शाम हो चुकी थी। मिस रोज़ी को ताजी हवा के लिए गार्डन में लाया गया। मीरा भी अपने कमरे से बाहर आई और शिवा के कमरे में गई। लेकिन वहां शिवा नहीं था।

"शिवा... शिवा... कहाँ है तू?" मीरा ने आवाज़ दी। फिर एक बॉडीगार्ड से पूछा, "आपने शिवा को देखा?"

"सॉरी मैम, हमने नहीं देखा," बॉडीगार्ड ने जवाब दिया।

मीरा परेशान होकर गार्डन में गई जहाँ जॉन और मिस रोज़ी बैठे थे।

"आओ मीरा," मिस रोज़ी ने स्नेह से बुलाया।

"मिस रोज़ी, जॉन... आप में से किसी ने शिवा को देखा है? वो अपने कमरे में नहीं है।"

जॉन ने कहा, "हां, शिवा को मैंने रणविजय के रूम में जाते देखा , शायद वो रणविजय के साथ होगा"

ये सुनते ही मीरा का दिल धड़क उठा। वो बिना कुछ कहे भागती हुई रणविजय के कमरे की तरफ गई। कमरे का दरवाज़ा खोला... और जो उसने देखा, उसे देखकर मीरा के होश उड़ गए।