Meaning of Meera Prem - 8 - Surprise in the pit... in Hindi Drama by sunita maurya books and stories PDF | मीरा प्रेम का अर्थ - 8 - गढढे में जाए सरप्राइज...

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मीरा प्रेम का अर्थ - 8 - गढढे में जाए सरप्राइज...

सुधा के मुंह से मीरा के अपहरण की बात सुनके सब शोक हो गए... सब अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से सुधा की तरफ देखने लगे... मीरा भी हेरान होकर सुधा को देख रही थी फिर अपनी स्वालिया नजरो से माधव की तरफ देखने लगी। मीरा को अपनी तरफ ऐसे देख माधव अपने हाथ हवा मे लहराते हुए मीरा को समझाने की कोशिश करने लगा......उसने सुधा की तरफ देखा और आंखे दिखाते हुए बोला... अरे क्या बकवास कर रही हो तुम...फिर मीरा की तरफ देखते हुए बोला...... अरे मीरा ऐसा कुछ नहीं है मेरी बात मानो..

माधव की बात काटते हुए सुधा बोली...अच्छा ऐसा कुछ नहीं है तो इनको साथ क्यों लेके आएं.. सुधा माधव के दोस्तों की तरफ इशारा करते हुए बोली।.....

माधव भी गुस्से में बोला...ये मेरे दोस्त है और ऐसा कुछ नहीं है ठीक है जैसा तुम बोल रही। तुम्हें मैरे  दोस्त कहाँ से किडनैपर्स लग रहे  है....सुधा कुछ बोलती इससे पहले ही माधव ने उसको रोका और बोला... और अब तुम चुप रहो समझो मुझे मीरा से बात करनी है।.....ये कहकर वो मीरा से बोलने लगा...मीरा सच में विश्वास करो ऐसा कुछ नहीं है जैसा सुधा ने कहा....   मीरा अभी भी माधव को सावलिया  नज़रों से देख रही थी......माधव ने मीरा से कहा...मीरा ठीक है मैं बता ही देता हूं फिर एक लंबी सांस छोड़ते हुए बोला......मीरा ये सब तुम्हारे जन्मदिन के लिए है हमने यानि की सुधा और मैंने तुम्हारे जन्मदिन के लिए एक सरप्राइज प्लान किया था इसमें मेरे दोस्तों ने मेरी बहुत मदद की है.. और इस बारे में सुधा को कुछ नहीं पता कि सरप्राइज आखिर क्या है ?.....

तभी  माधव के दोस्तों में एक ने  कहा...गलत किया तुमने माधव इसके बारे में इसको भी बता दिया होता तो ज्यादा अच्छा होता कम से कम हमपर कोई इल्जाम तो नही लगता ....

.माधव के दोस्त ने ये बात सुधा की तरफ देखते हुए कहीं थी.....सुधा ने उसकी तरफ देखा मुंह चिढ़ाया तो उसने भी जवाब में उसको गुस्से से घूर के देखा.... उसकी बात पर हामी भरते हुए माधव ने कहा.... हां सही कह रहे हो लेकिन समय भी तो बहुत कम था।......

तो फिर मीरा ने माधव की तरफ देखा और अपने दोनो हाथ हवा में लहराते हुए और अपने चेहरे पर सीरियस एक्सप्रेशन लाते हुए इशारे में बोली...  अच्छा तो कहाँ है मेरा सरप्राइज?....  

माधव ने मीरा को देखा और उसके चेहरे के एक्सप्रेशन देख और मुस्कुरा के बोला.... सरप्राइज़ है पर यहां नहीं उसके लिए तुम दोनो को मेरे साथ चलना होगा .......ये बात सुनके मीरा कन्फ्यूज होके माधव को देखने लगी....तभी सुधा ने मीरा की बाजू पकड़ी और मीरा को पीछे खींचते हुए बोली...नहीं हम दोनों तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाएंगे......

माधव समझाते हुए फिर बोला... अरे यार जैसा सोच रहे हो वैसा कुछ नहीं है...हम लोग शरीफ हैं.. फिर मीरा की तरफ देखते हुए बोला...... जबतक तुम दोनो मेरे साथ भी चलोगी तभी तो पता चलेगा की मैं सरप्राइज को यहां नहीं ला सकता अगर ला सकता तो ले आता। पर ऐसा होना मुमकिन नहीं।   उसकी बात सुनके मीरा ने भी अपना सर ना में हिलाते हुए माधव के साथ जाने से मना कर दिया।  

अरे यार एक बार चलो तो सही विश्वास करो वो सरप्राइज़ तुम्हें अच्छा लगेगा ........ माधव लगभग गिड़गिडाते हुए बोला.....लेकिन सुधा और मीरा ने फिर से अपना सर ना में हिला दिया........ये देख माधव निराश हो गया और मुंह लटकाते हुए बोला...अरे यार मैंने सोचा था कि तुम्हें सरप्राइज दूंगा और अच्छे से बर्थडे विश करूंगा। लेकिन तुम चल ही नहीं रही  मेरे साथ।  हमने इतनी मेहनत की लेकिन क्या फ़ायदा...सारी मेहनत बर्बाद हो गई ......ये कहते हुए माधव ने अपने दोनों हाथ कमर पर रख के खड़ा हो गया.... उसकी बात सुनके मीरा और सुधा एक दूसरे को देखने लगी......मीरा फिर चलकर माधव के पास आई......माधव को जब एहसास हुआ कि मीरा उसके पास आई है तो वो सीधा होके उसके सामने खड़ा हो गया और गिड़गिड़ाते हुए बोला....मीरा मेरा या मेरे दोस्तों को कोई ग़लत इरादा नहीं है हम तो बस तुम्हें एक अच्छा सरप्राइज़ देना चाहते थे.. लेकिन तुमको ग़लत फ़हमी हो गई ......

मीरा ने माधव की तरफ घूरते हुए इशारों में बोलना शुरू किया.......अच्छा ! अगर तुम्हारा ऐसा कुछ इरादा नहीं था तो तुमने इस सरप्राइज के बारे में सुधा को क्यों नहीं बताया। तुम दोनों ने  मिलकर सरप्राइज प्लान करने का फैसला किया था .........मीरा की बात सुन माधव अपनी आंखें बड़ी करके मीरा को देखने लगा... मीरा की कहीं गई बात माधव कुछ-कुछ समझ आई थी और कुछ-कुछ उसके सर से ऊपर निकल गई...वो कन्फ्यूज होके मीरा को देख रहा था और अपने एक हाथ से अपना सर खुजा रहा था.... और उसके साथ ही उसके दोस्त भी उसकी तरफ  कन्फ्यूज होके देख रहे थे....तभी मीरा ने इशारे में माधव से पूछा...क्या हुआ बताओ भी?......मीरा ध्यान से माधव के चेहरे को देखने लगी...., 

तो फिर माधव ने मीरा की तरफ देखते हुए कहा.... मीरा मुझे तुम्हारी कुछ बात तो समझ आई कि क्या कहना चाहती हो लेकिन कुछ नहीं.... एक बार  रिपीट कर सकती हो.....माधव की बात सुन मीरा ने अपने माथे पर अपना एक हाथ मार लिया और फिर पीछे मुड़ के सुधा की तरफ देखने लगी... फिर सुधा आगे आई और मीरा के पास खड़ी होके बोली......

अरे पागल वो कह रही है कि... अगर हम दोनों ने मिल कर सरप्राइज प्लान किया था तुम्हें मुझे इस बारे में बताना चाहिए था .......सुधा की बात सुन माधव  मीरा की तरफ देखते हुए बोलने लगा... अरे मैंन नहीं बता सका। क्योंकि मेरे पास टाइम  बहुत कम था इसलीये नही बता पाया  ......

तो फ़िर मीरा ने इशारे में माधव से कहा ........तो फिर अब बता दो सरप्राइज़ क्या है। कहां है दिखाओ...मीरा की ये बात माधव ने  समझी ली थी, क्योंकि सुधा कुछ कहती थी, इसे पहले जवाब में माधव ने बोला था...मीरा कैसे बता दू वो एक सरप्राइज है नहीं बता सकता है .......

माधव की बात सुनके मीरा निराश होके गुस्से से इशारे में बोली...अरे गढढे में जाए  सरप्राइज...अगर नहीं बताया तो मैं नहीं जाने वाली तुम्हारे साथ कहीं भी। फिर तुम्हारा सरप्राइज़ का भी क्या फ़ायदा.....ये कहकर मीरा मुँह फूला के अपने दोनो हाथ आपस में बांध के खड़ी हो गई ..इस बार माधव मीरा के एक्सप्रेशन देख के ही समझ गया मीरा अब गुस्सा हो गई है....... ये देख माधव अपने हाथ हवा मे अपने हाथ लहराते हुए मीरा को शांत करते हुए बोला... अच्छा अच्छा मैं बताता हू लेकिन तुम शांत हो जाओ प्लिज़....... फिर एक गहरी सांस छोड़ते हुए उसने मीरा की तरफ देखा और बोला... मैं तुम्हें उदयपुर की सारी अच्छी जगह घुमाना चाहता था। हर वो जगह ले जाता में तुम्हें जहां तुम जाना चाहती हो......इतना कहकर माधव चुप हो गया...

माधव की बात सुन मीरा खड़ी होके माधव को देखने लगी।   फिर हाथ हवा में लहराते हुए इशारे में मीरा ने माधव से कहा।     अच्छा तुम्हें कैसे पता कि मैं कहां जाना चाहती हूं?...मीरा की बात सुनके माधव ने अपनी आँखे चुराते हुए मीरा से कहा.... वो दरसल मैंने तुम्हारी डायरी में देख लिया था... वो सारी जगह जो उदयपुर में है लेकिन इतने समय तक यहां रहने का बादभी तुम घूमी नहीं। तो फिर मैंने सोचा कि तुम्हारे जन्मदिन पर मैं तुम्हें  घुमा दु .....वो सारी जगह जहां तुम्हें जाना था... लेकिन अब क्या फ़ायदा उसका तुम्हें सरप्राइज़ देना था लेकिन सब बेकार हो गया...माधव अपना मुँह लटका के खड़ा हो गया .........

तभी सुधा ने बोला.......तो फिर क्या तुम मीरा की किडनैपिंग नहीं करने वाले थे?......सुधा की ये बात सुनके माधव ने अपने नजरों से उसको एक तेज़ लुक दी ......फिर अपनी बात बदलते हुए सुधा बोली... अरे अगर ऐसा था तुम्हें मुझे इस बारे में बताना चाहिए था ना ........

सुधा की बात पर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए माधव बोला ......... मैंने बताया ना मुझे टाइम नहीं मिला। तुम्हारी तरह मैं कॉलेज में घुमने नहीं आता समझी मुझे ढेरो काम होते है ... और तुम बार-बार ये किडनैपिंग किडनैपिंग कर रही हो .. मैं इतने टाइम से आ रहा हूं। तुम लोग के साथ रहते हुए महीने भर से जयादा हो गया है मुझे तुम्हें अब भी यही लगता है क्या मैं कोई ऐसी हरकत करूंगा .......

माधव की बात पर सुधा ने अपने दोनों हाथ आपस में बांधते हुए अपनी एक आइब्रो को उठाए हुए बड़े ही एटीट्यूड से बोली......हम्म. कुछ लोग तो सालो साथ रहते हुए ऐसा कर जाते हैं......ये बात सुनते हुए माधव जो सुधा से थोड़ी दूर पर खड़ा था उसने अपनी मुट्ठिया बांधी और सुधा की तरफ गुस्से से बढ़ने लगा... माधव आगे बढ़ता उस्से पहले ही मीरा अपने हाथ फैलाए माधव के सामने आ गयी .....माधव ने मीरा को सामने से हटाते हुए बोला......हट जाओ मीरा सामने से तुम्हारी फ़्रेंड का मुँह कुछ ज्यादा चलता है......इसको तो मै बताता हू......

 तभी सुधा भी लड़ने के मूड में चिल्लाते हुए बोली... अरे तुम क्या बताओगे मैं ही तुम्हें बता दूंगी हद्द है अपने दिल की बात बोलने में  भी दिक्कत है... हट जाओ मीरा ये लड़ना चाहता है आओ 2 2 हाथ करने के लिए........तभी मीरा मुड़ी और सुधा को तेज़ नज़रों से घूरते हुए अपने होठों पर उंगली रख कर सुधा को चुप रहने के लिए कहा.........फिर पलट का माधव को रोकने लगी मीरा ने माधव के सीने पर अपना हाथ रखा और अपना पूरा जोर लगाते हुए माधव को पीछे करने लगी....माधव को जब ये एहसास हुआ कि मीरा का हाथ उसके सीने पर है अचानक उसका गुस्सा जैसे चूमन्तर हो गया ...और वो  अपनी जगह पर रुक गया। मीरा जो लगातार चलती आ रही थी माधव के सीने  से टकराई मीरा को संभालने के चक्कर माधव का बैलेंस बिगड़ा और  दोनों नीचे जमीं पर गिर गए...दोनो जमीन पर गिरे  हुए थे। माधव का एक हाथ मीरा की कमर पर और एक हाथ मीरा के सर के पीछे था.....वही मीरा माधव के ऊपर थी उसकी आंखें बंद थी. मीरा का चेहरे माधव के सीने पर और दोनो हाथ भी सीने पर।  वही मीरा के कुछ बाल माधव के चेहरे पर ....जिसकी भीनी-भीनी महक आ रही थी.... और मीरा को अपने इतने करीब महसूस कर माधव ने एक बार तो ये सोचा कि वो मीरा को अपने अंदर ही समा ले।  लेकिन उसने अपने दिल की भावनाओं पर काबू पाते हुए मीरा से धीरे से कहा.... मीरा तुम ठीक तो हो ना....

माधव की धीमी आवाज मीरा के कानो में पड़ी तो मीरा ने अपनी आंख खोली...तब जाके मीरा को एहसास हुआ कि किस हाल में है। मीरा को जब ये एहसास हुआ कि वो कहा है तो उसने धीरे से अपना सर उठाया मीरा के हाथ में अभी भी माधव के सीने पर जिसे वो माधव की धड़कनो को महसूस कर रही थी।  मीरा सर उठाकर माधव को देखने लगी.... दोनो की आँखे टकराई, दोनो का चेहरा एक दूसरे के काफी करीब थे.और होठ इतने करीब थे  जिससे उनको एक दूसरे की गरम सांसे भी महसूस हो रही थी...मीरा के आधे खुले होठ। बड़ी बड़ी पलकों वालो आँखे माधव को देख रही थी...मीरा भी आज माधव की तरफ खिंची चली जा रही थी...माधव की मस्कुलर बॉडी थी..माधव की पर्सनैलिटी से मीरा काफी इंप्रेस थी लेकिन वो कभी इस बात को जाहिर नहीं करती थी। लेकिन आज माधव के इतने करीब होकर  उसका तो जैसा दिमाग ही काम करना बंद हो गया। वो बस माधव को ही देखे जा रही थी.... एक बार को मीरा का दिल हुआ कि वो आगे बढ़े और माधव के गालों को चूम ले।  दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए वही अहसास था लेकिन अभी तक खुद को रोका हुआ था...माधव और मीरा एक दूसरे में पूरी तरह से गुम थे तभी माधव ने मीरा के चेहरे से बाल हटाते हुए मुस्कुराते हुए बेहद ही रोमांटिक अंदाज़ में बोला......

मीरा तुम्हें कितनी बार कहा हैं मुझे इस तरह से मत देखा करो..तुम नहीं जानती मुझपर क्या असर होता है। मेरे दिल की धड़कने बुलट ट्रेन से भी तेज़ चलने लगती है और मेरे पेट में अजीब सी गुदगुदी होती है ऐसा मानो जैसे ढेर सारी तितलियां उड़ रही हो। और मेरे पैर तो जमीन पर ही नहीं रहते, ऐसा लगता है जैसे हवा में उड़ रहा हूं...  तुम्हारे सिर्फ देखने भर से ये हाल होता है मेरा सोचो आज क्या हालत मे है  तो मेरा क्या ही हाल हो रहा होगा........इसके आगे उसने कुछ नहीं बोला.... बस एक शरारती मुस्कान दे रहा था। .......

मीरा ने माधव की बात सुनी और फिर जाके उसको आस पास  का क्या हो रहा है इसका एहसास हुआ कि वो किस हाल में और कहा है  .......ये देख और हड़बड़ी के उठने लगी लेकिन तभी अपने सर के पीछे पकड़ के चिल्लाई। आह.......         

क्योंकि मीरा के  कुछ बाल माधव से लिपटे हुए थे वो अचानक खिंच गए जिसकी वजह से मीरा की चीख निकली। माधव ने अपना हाथ मीरा की कमर से हटा कर मीरा को शांत रहने के लिया बोला और खुद मीरा के बालों को अपने ऊपर से हटा कर मीरा के  कंधे के एक तरफ किया और मीरा को बाजू से पकड़ के सहारा देते हुए  उसको खड़ा कर दिया और साथ ही खुद भी खड़ा हो गया... मीरा के खड़े होते हुए सुधा भाग कर उसके पास आई और पूछने लगी.... तुम ठीक हो ना कहीं चोट तो नहीं आई ना तुमको .......मीरा ने उसको इशारे में समझा कि उसको कुछ नहीं हुआ वो ठीक है......

माधव अपने ऊपर मिट्टी हटा रहा था कि तभी सुधा ने बोला शुरू किया... ए तुम ठीक से खड़े भी नहीं हो सकते क्या। तुम्हारी वजह से मीरा गयी उसको चोट लग जाती तो.......हर बार कुछ ना कुछ करते रहे हो मीरा को परेशान करने के लिए......

माधव इरिटेट होके उसको बात का जवाब देते हुए बोला... तुम बोल तो ऐसे रही हो जैसे मीरा अकेली जमीन पर गिरी थी अरे उसके साथ में भी तो गिरा था ना।  मैं ठीक हूं या नहीं, इसका जरा भी ध्यान नहीं.... फिर अपने चेहरे पर एक प्यारी लेकिन शरारती मुस्कान लाते हुए बोला...वैसे थेंकस!.........

सुधा ने मीरा की तरफ कंफ्यूज होकर देखा और फिर माधव की तरफ देखते हुए बोली......क्यों?......

फिर माधव मुस्कुराते हुए बोला....अरे तुम मुझसे लड़ी. गुस्से में और मैं तुम्हारी तरफ बढ़ा मुझसे शांत करने के लिए मीरा मेरी तरफ बढ़ी और हमारा एक प्यारा सा मोमेंट बना .सिर्फ तुम्हारी वजह से. इसलिए बोला थेन्क.....ये कहते हुए उसने मीरा की तरफ देखा.... उसकी बाते सुन मीरा के गाल शरम से लाल हो गए.......

तभी माधव के साथ आये उसके दोस्तों ने एक ने कहा... अरे ये सब छोड़ो अब ये बताओ चलना है या नहीं?...... तीनो ने ये बात सुनी और फिर माधव ने भी सुधा और मीरा से दोबारा पुछा .... बोलो अब सरप्राइज भी सरप्राइज रहा नहीं, अब तो चलो अब तो मैंने बताया भी दिया......मीरा और सुधा ने पहले एक दूसरे को देखा और आँखों ही आँखों में एक दूसरे से सवाल किया फिर मीरा ने माधव की तरफ देखा और अपना सर हा मैंने हिला दिया...... ये देख माधव और भी ज्यादा एक्साइटेड हो गया और बोला.... याह अब आएगा ना मजा। मीरा तुम मेरे साथ बैठ जाओ। सुधा तुम इनमें से किसी के साथ बैठ जाओ... सुधा और मीरा बाइक पर बैठ गए और वो वहां से चल दिए...

करीब आधा घंटा बाइक चलाने के बाद वो लोग उदयपुर के प्रसिद्ध जगहो में से एक  सिटी पैलेस पहुंच गए....उदयपुर जिसे झील का शहर उदयपुर का सिटी पैलेस एक ऐतिहासिक और स्थापत्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है, जो राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह पैलेस महाराणा उदय सिंह द्वारा 1559 में बनवाया गया था और बाद में महाराणा प्रताप द्वारा इसका विस्तार किया गया।.......उन लोगों ने अंदर जाने के लिए टिकट की और  एंटर कर लिया है......मीरा को उस जगह पहुंच कर बहुत ही खुशी हो रही थी। जैसे जैसे वो जगह के अंदर जा रही थी वैसे उसके चेहरे की मुस्कान बड़ी होती जा रही थी... वो शुरू से इस शहर में रह रही है लेकिन उसने आज तक अपने शहर को ही पूरी तरह से नहीं देखा था।  लेकिन आज वो उस जगह को देखने आई थी जिसे उसने सिर्फ तस्वीर में देखा था ......जैसे जैसे वो आगे बड़ी रही थी उसकी आँखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान बढ़ती जा रही थी...उसने सुधा का हाथ पकड़ा और अपने कदमों की रफ़्तार को बढ़ाते हुए चलने लगी... वो लोग चलकर पैलेस के गार्डन एरिया में आ गए.... जो काफी बड़ा और शानदार था...पैलेस के अंदर कई सुंदर बाग़ हैं, जिनमें फूलों की विभिन्न प्रजातियाँ हैं।पैलेस के पास एक विशाल जलाशय है, जो पिछोला झील के नाम से जाना जाता है

माधव के पास एक कैमरा था जिसे वो मीरा के साथ पलो को केद कर रहा था जिसमें वो दिल से खुश थी...इस बात की खबर मीरा को नहीं थी...ऐसे ही घुमते हुए वो लोग पैलेस के अंदर चले गए ..पैलेस की स्थापत्य शैली राजस्थानी और मुगल शैली का मिश्रण है, जिसमें जालीदार दरवाजे, बारीक काम वाले पर्दे और विशाल हॉल हैं। पैलेस में एक संग्रहालय है, जिसमें राजस्थान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है।महल की अंदर की दीवार संगमरमर की पत्थरों से बनी थी.. और शीशे का काम हो रखा था.... जो देखने में बहुत अच्छा लग रहा था .......वहा पर भी माधव ने मीरा की काफी सारी तस्वीर ली। कभी वो किसी खिड़की के पास खड़ी होती.... कभी वो उन संगमरमर की दीवारों को हाथ लगाती...ऐसी हो घूमते हुए वो लोग पैलेस के बीच की जगह थी जिसे एक छोटा गार्डन एरिया में पहुन्चे... वहा चारो तरफ पेड़ लगे थे। और उसके बीचो बीच एक पानी का फव्वारा था जिसमें पानी बह रहा था ........  वहा कुछ लेडिज राजस्थानी लिबास में थी और अपनी ही भाषा में कुछ गा रही थी ...और सर्कल बना के नाच रही थी....और साथ ही कुछ आदमी ढोल बजा रहे थे...उनको देख सभी खुश रह रहे थे...और कुछ लोग आगे बढ़ के उनके साथ ही नाच रहे थे ......तभी उन्हें से कुछ औरतों ने मीरा और सुधा का हाथ पकड़ा और कुछ ने माधव और उसके दोस्तों को और साथ में नाचने के लिए कहने लगी... वो लोग भी उनके साथ नाचने लगे.......मीरा भी काफी खुश हुए नाच रही थी.... ये देख माधव खुश हुआ और धीरे-धीरे नाचते हुए सर्कल से बाहर आ गया ........और मीरा की तस्वीर लेने लगा ....... मीरा भी हंसते हुए मुस्कुराती हुई ताली बजाते हुए माधव के पास आई और हाथ बढ़ाके अपने साथ एन्जॉय करने के लिए बुलाने लगी ...... माधव ने पहले तो मना किया लेकिन फिर आगे बढ़ा और उसने मीरा का हाथ पकड़ा लेकिन उसके साथ नहीं गया... उसने मीरा का हाथ पकड़ा और उसका हाथ ऊपर ले जाते हुए उसको घुमा दिया और फिर ऐसे घुमाते हुए छोड़ दिया .......जैसी ही मीरा घूमी उसके ऊपर फुलो की बारिश होने लगी..........मीरा को जब ये एहसास हुआ कि उसके ऊपर फूलो की बारिश हो रही है तो उसने अपने चेहरे को उठाकर ऊपर की तरफ देखना शुरू किया...फुलो का हवा में लहराते हुए देख पहले तो मीरा को काफी हेरानी हुई लेकिन धीरे धीरे ये हेरानी उसकी मुस्कुराहट में बदल गयी......