सूरज सुधा के पास जाकर बैठ गया और उसके चेहरे को देखने लगा और अपने हाथों को उसके चेहरे के पास ले जाने लगा... लेकिन उसके हाथ आगे बढ़ ही नहीं रहे थे बस उसके आंखों से आंसू निकल रहे थे..सूरज को ऐसे देख माधव उसके पास आया और अपना हाथ सूरज के कंधों पर रखा... जब सूरज को एहसास हुआ कि उसके पास उसके दोस्त भी हैं तो उसने अपना आपको रोका और गहरी सांस लेने लगा.अपने हाथों से अपने आंसू पोंछे और खड़ा हो गया....उसकी नजर अभी भी सुधा को देख रही थी...तब उसके कानों में माधव की आवाज आई जिस से उसका ध्यान टूटा और उसने माधव की तरफ मुड़कर देखा .........
माधव ने पूछा... तुम ठीक हो? सुरज थोड़ा इमोशनल होता हुआ बोला......मैंने कभी बताया ही नहीं कि मैं इसे..फिर कुछ देर रुककर.....लेकिन मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं कभी इसको ऐसी हालत में भी देखूंगा .......
फिर गहरी सांस लेते हुए माधव ने कहा...इनके साथ क्या हुआ है इसका जवाब तो सिर्फ सुधा ही दे सकती है .....तभी विशाल आगे आया और बोला... मीरा की हालत को देखकर तो बिल्कुल ही समझ नहीं आ रहा कि क्या हुआ है कहीं इसके ससुराल वालों ने इसको घर से भगा तो नहीं दिया .......लेकिन ऐसी हालत में क्यों कोई ऐसा करेगा जबकी वो उनके घर के बच्चे को जन्म देने वाली है..........
ये सुन माधव ने सर उठाकर विशाल की तरफ देखा...,उसके देखते ही विशाल एकदम शांत हो गया .......तभी सागर ने कहा...... हमें शायद कहीं और चल के बात करनी चाहिए ......इस बात पर सभी ने अपनी हामी भरी और बाहर की तरफ चलने लगे .....वो लोग बाहर आए ऐसे ही चलते चलते उसी बेंच पर आ बैठे जहां पहले माधव बैठा था .... सभी वहां पहुंचे माधव ने सूरज, विशाल और सागर को बैठने का इशारा किया .... वो लोग बैठे उन मेंसे सूरज ने माधव की तरफ देखा और बोला...... माधव तुम मीरा से प्यार करते थे ये तो हमें पता है लेकिन मीरा भी करती थी तुमसे क्या उसने कभी तुमसे कुछ कहा था...
ये सवाल सुन माधव ने सूरज की तरफ देखा और बोला... हा सूरज उसने मुझसे कहा था एक बार मुझे याद है शाम जब हम अपनी ट्रेनिंग से वापस आये थे ......ये कहते हुए वो सभी को बताने लगा...
6 साल पहले........
विश्वविद्यालय, उदयपुर .....
मीरा अपने कॉलेज के कमरे में जहां वो हमेशा ही अपने डांस की प्रैक्टिस करती है आज फिर वो अपने डांस की प्रैक्टिस कर रही थी वो अपने हाथों को हवा में लहरा रही थी। ..पीले रंग के अनारकली सूट पहने चुन्नी को कंधे से लटकाये हुए कमर पर बांधा हुआ था ........अपनी ही धुन में नाच जा रही थी...अपने पेरो को कथक की ताल पर घुमा कर अपने पेरो को रोका और हाथो को कमर पर रख कर लम्बी लम्बी सांसे लेने लगी .....हवाये उसके बालो से खेल रही थी .....उसके झुमके भी उसके गालों को चूम रहे ...वो चलकर अपने बैग के पास चली गई और अपनी चुन्नी से अपने चेहरे को पोछने लगी....फिर अपनी बोतल से पानी पीने ही जा रही थी कि उसको किसी की आहट सुनाई दी.. वो रुकी और जहां से उसको आहट महसूस हुई थी उसकी तरफ देखने लगी...वहा देखने पर कोई नहीं था मीरा उस्को इग्नोर कर पानी पीने लगी...जैसी ही उसने पानी की बोतल को बंद करके बैग में रखा कि उसकी नजर खिड़की पर गई उसको लगा जैसे वहा कोई हैं इसलिए वो चलकर वहा जाने लगी वहा पहुंचने पर देखा कि उस जगह पर कोई नहीं था लेकिन जैसी ही उसने खिड़की से बाहर झाक कर देखा तो उसको एक जानी पहचानी एक फिगर नजर आई ........पहले उसको लगा कि वो उसका वहम है लेकिन जब उसने दोबारा वहां देखा तो वो परछाई सच में थी। लेकिन मीरा उसको ध्यान से देख पाती उससे पहले वो वहां से गायब हो गई ..........मीरा भी उसके पीछे चलने लगी......उस परछाई ने इंडियन आर्मी की यूनिफॉर्म पहनी हुई थी ....इसलिए मीरा को लगा शायद वो माधव है और वो उसे कोई मज़ाक कर रहा हैं........वो उसके पीछे-पीछे चली जा रही थी वो जब भी उस परछाई तक पहुंचती ने कोशिश करती है उससे पहले वो परछाई गायब हो जाती है ......
मीरा उसका पीछा करती हुई युनिवर्सिटी के काफी पीछे आ चुकी थी जहां ज्यादा लोगो का आना जाना नहीं था और वहा कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा था .......धीरे-धीरे मीरा कंट्रूक्शन वाली जगह की 6 फ्लोर पर पहुंच गई चलने लगी कि अचानक उसका पैर फ़िसला और वो नीचे गिरने लगी.....
यहा दूसरी तरफ सुधा सारे कॉलेज में मीरा को ढूंढ रही थी ......वो कॉलेज के गार्डन एरिया में इधर उधर अपनी नजरें दोडाये चल रही थी कि अचानक उसके सामने कोई आया बूउउउउउउ.......ये सुन उसने सुधा काफी डर गई और उसने अपने हाथों से अपना मुंह छुपा लिया ........ये और कोई नहीं बल्की माधव और उसके 3 दोस्त। सूरज, सागर और विशाल। ....उन्होने सुधा को डरा दिया था अचानक और अब उसको ऐसे डरा हुआ देखा सारे जोर जोर से हंसने लगे .....सबकी हंसी सुनके सुधा ने अपने चेहरे से अपने हाथ हटाये और सर उठा कर देखा तो सामने माधव और उसके दोस्त हंस रहे थे........उनको देख सुधा ने गुस्सा होते हुए सबको देखकर बोली......
तुम लोग पागल हो ऐसे कोन डराता है ?.......उसकी बात सुन माधव ने सुधा छेड़ते हुए मुंह बना कर कहा। ......ओह तुम्हें डर भी लगता है हमें लगा बस दूसरो को डराती हो .......ये कह कर फिर से सब हंसने लगे... सुधा ने गुस्से में फिर से कहा... तुम लोग पागल हो क्या एक तो मैं ऐसे ही परेशान हूं और ऊपर से तुम लोग...
उसकी इस बात पर सूरज ने कहा...अरे अरे शांत हो जाओ गुस्सा मत हो ........माधव ने इस बात पर हामी भरी और बोला... हा यार तुम तो हर बात पर सीरियस ही हो जाती हो अच्छा छोड़ो ये बताओ मीरा कहा हैं मुझे उससे मिलना है कितने दिन हो गए उसको सामने से देखे .........
इसके जवाब में सुधा परेशान होकर बोली......मुझे नहीं पता मीरा कहा है। मैं तो उसको कब से ढूंढ रही हूं लेकिन ना जाने कहा है .......उसकी इस बात को भी माधव ने मजाक में लिया और बोला... अरे सुधा मजाक मत करो ना बता दो। कब से बेचैन हूं मैं उससे मिलने के लिए...
माधव की बात पर चिढ़ते हुए उसने गुस्से में माधव से कहा.......पागल हो क्या मैं कोई मजाक नहीं कर रही हूं समझे। मैं खुद मीरा को कितनी देर से ढूंढ रही हूं लेकिन वो मुझे कहीं नहीं दिखी। यहां तक जहां उसके होने की उम्मीद है वो आज वहां भी नहीं है लाइब्रेरी, उसकी प्रैक्टिस वाली जगह लेकिन वो कहीं नहीं मिली . बस वहा उसका फोन और बाकी सामान मिल गया लेकिन वो कहा है पता नहीं .... मुझे अब उसकी बहुत फिकर हो रही है ......उसने मीरा का सामान दिखाते कहा
सुधा की पूरी बात सुनकर अब माधव और उसके दोस्त भी सिरियस हो गए .....माधव ने सुधा से पूछा ...... किसी से पूछा तुमने कि उसको किसी ने यहां आस पास देखा हो बाहर गई हो वॉशरूम में चेक किया तुमने ..........
उसके जवाब में सुधा ने परेशान होते हुए कहा...हा मैंने हर जगह देख लिया जहां उसकी होने की उम्मीद थी वो हर जगह लेकिन वो कहीं नहीं दिखी ....मैंने काफी लोगो से पूछा लेकिन किसी ने देखा......सुधा की बात सुन माधव के चेहरे पर अब परेशानी के भाव आने लगे कुछ सोचते हुए उसने सुधा से कहा...सुधा चिंता मत करो हम फिर ढूंढते हैं मिल जाएगी यहीं कहीं होगी ठीक आओ ......
उन लोगों से सुधा के साथ मीरा को फिर से ढूंढना शुरू किया .....करीब आधे घंटे हो चुका था लेकिन उन्हें कुछ पता नहीं चला। अब तक कॉलेज भी धीरे-धीरे खाली होने लगा था। और आसमान में काले बादल आने लगे..जिसे देख सभी बोलने लगे...लगता है बहुत तेज़ बारिश होने वाली है...मौसम देखकर सुधा का दिल भी बैठा जा रहा था उसको और भी ज्यादा चिंता होने लगी उसने घबराते हुए कहा......कहा हो मीरा ना जाने कहा होगी। मुझसे उसकी बहुत फिकर हो रही है माधव कहीं उसके साथ कुछ ....इतना कहकर सुधा रुक गई .....
इस बात पर माधव ने सुधा से कहा ......चुप कुछ नहीं होगा मीरा को...हमे ढूंढते रहना होगा...अच्छा यहां पर सीसीटीवी है क्या शायद हमें उससे कुछ पता चल सके मीरा के बारे में........
सुधा ने कुछ सोचते हुए कहा.... हा हा सीसीटीवी है आओ मेरे साथ .......इतना कहकर वो लोग जैसे ही चलने लगे तभी उनके सामने वहा एक गार्ड आ गया .....और उसने सुधा से कहा...सुधा मैडम आप मीरा मैडम को ढूंढ रही हो क्या ?....
.सुधा ने गार्ड की बात में अपना सर हा में हिलाया ......मैंने उन्हें कॉलेज के पीछे जाते हुए देखा था जहां कंस्ट्रक्शन काम चल रहा है शायद हमें वहा ढूंढ़ना चाहिए .......मुझे पहले नहीं पता चला .वो तो किसी के मुंह से मैंने सुना तो मैं आ गया .......
गार्ड की बात सुन माधव और बाकी सब ने एक दूसरे की तरफ देखा सुधा गार्ड के पास गई और उसने पूछा .
.....कहा देखा ले चलो अंकल हमें वहा ......सुधा की बात सुन गार्ड ने अपने पीछे आने का इशारा किया तो सभी उसके पीछे-पीछे चलने लगे .....कुछ ही देर में वो लोग कंस्ट्रक्शन वाली जगह पहुंच गए...अब तक बारिश भी शुरू हो चुकी थी। अंधेरा भी होने लगा था...सर्द हवाएं चल रही थी.... सभी भीगी हुई हालत में मीरा को खोज रहे थे ....सभी लोग मीरा को आवाज लगा रहे थे...उन्हें काफी देर हो गई लेकिन अभी तक किसी को भी मीरा नजर नहीं आई...तो सभी एक जगह आकर खड़े हो गए। सभी एक दूसरे को देखकर पूछने लगे लेकिन सबका जवाब सिर्फ एक ही था...अब सभी के चेहरे पर परेशानी साफ नजर आ रही थी.. लेकिन सुधा की हालत तो खराब हो होती जा रही थी उसकी आंखों में आंसू आ गए और रोते हुए कहने लगी..
मीरा कहाँ हो . मेरी ही गलती है मुझे तुम्हारे साथ रहना चाहिए पता नहीं क्या हुआ है उसके साथ ....माधव कुछ करो मीरा को ले लाओ ......सुधा की हालत देख सूरज उसके पास आया और चुप करने लगा....माधव और बाकी सारे कुछ सोचने लगे....तभी विशाल ने माधव की तरफ देखा और हेरान होते हुए माधव से बोला....
माधव तुझे कहीं चोट लगी है क्या?...विशाल की बात सुन माधव ने कहा...नहीं तो मुझे तो कोई चोट नहीं लगी क्यू?...
माधव की बात सुन विशाल उसके पास आया और उसके सर पोंछ कर माधव को दिखाते हुए बोला...... तो फिर ये खून कहां से आ रहा है तुम्हे देखने दो एक बार...काही कोई चोट .....
ये कहकर विशाल माधव के सर को छूने लगा .....बाकी सब ने भी ये देखा और गोर से माधव को देखने लगे कि कहीं उसको कोई चोट ना आई हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं था.... तभी माधव ने भी अपने सर पर हाथ रखा और जैसा ही उसने अपना हाथ देखा .वो दंग रह गया..वो खुद हेरान था कि उसको कहीं भी चोट नहीं लगी फिर ये कहां से आ गया है .तभी उसने कुछ सोचा और अपनी गर्दन ऊपर की तरफ उठाया और जैसे ही उसकी नजर ऊपर के नजारे पर पड़ी उसकी आंखें बड़ी हो गई और चेहरे पर गंभीर भाव आ गए....उसके चेहरे को देख सभी ने उसकी तरफ देखा जहां माधव देख रहा था तो सभी की आंखे हेरानी से बड़ी हो गई .....इतनी तेज बारिश में भी सभी की आंखें खुली हुई थीं...बारिश की बूंदें उन सभी के चेहरे पर पड़ रही थीं...चारो तरफ सिर्फ बारिश की आवाज आ रही थी...की अचानक हर तरफ सुधा की आवाज गूंज गई .......मीरा !............
वो सभी एक बिल्डिंग की तरफ देख रहे थे.... जिसकी रेलिंग पर मीरा लटकी हुई थी. उसने अपने हाथों से रेलिंग को पकड़ा हुआ था... उसके हाथों से ल गातार खून बह रहा था और उससे हो रहे दर्द से उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे .....वो दोपहर से वहा लटकी हुई थी ....उसको सबकी आवाज सुनाई दे रही थी लेकिन उसकी आवाज किसी के कानो तक नहीं पहुंच पाई थी...मीरा को इस तरह बिल्डिंग की रेलिंग पर लटका हुआ देख माधव बिना कुछ समझे दोडता हुआ बिल्डिंग की तरफ बढ़ने लगा .....उसके पीछे सभी भागने लगे .......सभी धीरे-धीरे अब 6 फ्लोर पर आ पहुंचे .....
अब धीरे-धीरे मीरा की हिम्मत भी जवाब देने लगी थी उसको चक्कर आने लगा...आंखो में आंसू और बारिश की वजह से उसको कुछ ठीक से दिख भी नहीं रहा था चेहरे पर थकान साफ नजर आ रही थी...तभी अचानक उसका हाथ छूट गया और वो नीचे गिरने लगी.....मीरा को गिरते देख सभी जो आगे चलकर आ रहे थे. माधव की नजर मीरा पर गई उसकी पकड़ छूट गई।माधव बिना कुछ सोचे समझे वो उसको तरफ बढ़ा ..मीरा गिरती उससे पहले तभी माधव ने मीरा का हाथ पकड़ लिया ....और माधव ना गिर जाए इसलिए उसके दोस्तों ने माधव को पकड़ लिया ...माधव ने मीरा का हाथ पकड़ा...मीरा ने अपनी थकी हुई आंख से माधव की तरफ देखा लेकिन कोई रेसपोन्स दे सके इतनी शक्ति उसके शरीर में नहीं थी ....उसका शरीर बेजान सा मालूम पड़ रहा था....माधव ने अपनी पूरी ताकत लगाकर मीरा को ऊपर की तरफ खींचा....बाकी सबने भी उसकी बहुत मदद की..मीरा को जैसे तैसे ऊपर लाया गया...मीरा कोबेजान सी देख माधव ने मीरा को होश में लाने की कोशिश की वो कभी उसके गालो पर थपथपाता ....कभी उसके कंधे से पकड़ कर हिलाता...
वही पास खडी सुधा जब मीरा के पास जाने लगी तो सूरज ने उसको रोका लिया और शांत रहने के लिए कहा और वापस से माधव की तरफ देखा ...... सुधा ने भी माधव मीरा की तरफ देखा ....... अब तक माधव ने जितनी हिम्मत बांधी थी मीरा को देखते ही सब टूट गइ और उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे....उसने मीरा को गले लगाया और उसके हाथों की तरफ देखा...मीरा ने रेलिंग को पकड़ा था लोहे की रोड थी जिसके उसके हाथों में घाव बन गया था ......उन घावो को देखकर वो सोचने लगा की शायद आज अगर वो लोग थोड़ा भी लेट होते तो मीरा के साथ ना जाने क्या हो जाता...ये सोच कर ही माधव को और भी डर लगने लगा और उसने अपनी आंखे जोर से बंद कर ली और मीरा को कस के गले लगा लिया ........
थोड़ी देर में मीरा अपने सेंसज में आई और उसने जैसे तैसे अपने आपको माधव से अलग किया और अपनी थकी हुई आंख से माधव को देखने लगी.... माधव को अपनी आंख के सामने देख उसकी आंख से आंसू छूट गए और माधव के चेहरे को पकड़ के जोर जोर से रोने लगी ......क्योंकि उसका हाथ उस रेलिंग से छूटा तो उसको लगा कि शायद आज वो बच नहीं पाएगी और आज के बाद कभी सुधा और माधव को नहीं देख पाएगी....लेकिन माधव को देखकर वो खुश थी इसलिए वो माधव को देखकर रोने लगी...उसने माधव जोर से गले लगा लिया...शायद आज वो माधव से अलग नहीं होना चाहती थी......माधव के अंदर ही समा जाना चाहती थी......माधव ने भी मीरा से कुछ नहीं कहा वो भी इस पल को जीना चाह रहा था ..,..
दूर खड़े सभी लोग और सुधा ये देख आज खुश हो रही थी. ना जाने क्यों सुधा ने आज तक मीरा को रोका माधव के करीब जाने से लेकिन आज उसको मीरा के लिए दिल से खुशी हो रही थी.......कुछ देर तक माधव और मीरा एक दूसरे से लिपटे रहे फिर माधव ने धीरे से मीरा को अपने से अलग किया और उसके चेहरे को ध्यान से देखने लगा फिर उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर देखने लगा। ऐसा लग रहा था मानो मीरा के जख्म देखकर माधव को दर्द महसूस हो रहा था... माधव ने अपने एक घुटने जमीं से टिकाया और एक को मोड़कर जमीं पर रखा और मीरा को अपनी बाहों में उठा लिया...मीरा भी थकी हुई थी उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया बस माधव के कंधे पर अपना सर रख लिया ....माधव के पीछे सभी चलने लगे... सभी पूरी तरह से भीग चुके थे ......माधव मीरा को आर्मी एकेडमी में मेडिकल लेने ले आये ....वहा डॉक्टर उसका ट्रिटमेंट कर रहा था. मीरा अब तक बेहोश हो चुकी थी वो सर से पाव तक भीगी हुई थी .... अब तक अँधेरा हो चला था सर्दी का मौसम था .सुधा ने मीरा को देखा और बोली....एम्म में मीरा के कपडे ले आती हु ज्यादा देर ऐसी ही रही तो इसकी तबियत पर असर पड़ेगा ......
मीरा की बात सुन माधव ने सुधा को देखा और बोला... हा तुम भी बदल लो वरना तुम भी बीमार पड़ जाओगी। फिर तुम मीरा को कैसे संभालोगी........सुधा ने माधव की बात सुनी और बोली...मैं कपडे ले आती हूं...ये बोलकर वो वहा से चली गई।सुधा को जाता देखा सूरज भी उसके पीछे चला गया .........सुधा ने सूरज को अपने पीछे आते देखा और बोली......तुम मेरे पीछे क्यों आ रहे हो?...
सुधा की बात सुन सूरज अटकते हुए बोला......वो क्या है की,...बारिश काफी है और अंधेरा भी हो गया है तो मैंने सोचा की ....तुम अकेले!...मैंने सोचा कि तुम्हारा अकेले जाना सही नहीं तो इसलीये मैं.....सूरज ने अपने सर पर खुजली कर रहा था और अटकते हुए बोल रहा था ...उसकी बात सुन सुधा ने कुछ नहीं कहा और बस अपने रास्ते वापस चलने लगी......सूरज ने छाता ले रखा था जैसी ही सुधा बाहर निकली वैसे ही उसके सर पर सूरज ने छाता रख दिया जिस से बारिश उस पर नहीं गिर रही थी .जिसे पहले सुधा ने नोटिस नहीं किया फिर जब उसको महसूस हुआ तो उसने अपना सर उठा कर ऊपर देखा तो वो हेरान हो गई और फिर सूरज की तरफ देखने लगी ......सूरज उसकी तरफ देख रहा था। सुधा ने फिर से सूरज से पूछा...
ये क्या का रह हो तुम?...... सूरज उसकी तरफ देखते हुए बोला....... आपको बारिश में भीगने से बचा रहा हूं।.....सूरज की बात सुन सुधा ने अपने आपको ऊपर से नीचे देखा और फिर सूरज से बोली...... तुम मुझे भिगने से बचा रहे हो लेकिन मैं तो पहले से भीगी हूं तो ये छाते लगाने का क्या फ़ायदा?.......ये बात कह कर वो आगे चलने लगी...उसके पीछे चलते हुए सूरज ने बोला.....
अरे वो क्या है ना कि आपका सर ज्यादा भीगेगा तो आप सर्दी लग जायेगी। मैं तो इसलिए कह रहा था... सूरज की बात सुन सुधा रुकी....... उसको रुका देखा सूरज भी रुका और उसकी तरफ देखने लगा। सुधा ने सूरज को देखा और बोली...ऐसे तो आपका सर भी भीगा हुआ है तो क्या आपको सर्दी नहीं लगेगी?...