Meera Prem ka Arth - 7 in Hindi Classic Stories by sunita maurya books and stories PDF | मीरा प्रेम का अर्थ - 7 - मीरा की किडनैपिंग

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मीरा प्रेम का अर्थ - 7 - मीरा की किडनैपिंग

आसमान में सूरज आ चूका था...हर तरफ चिड़ियां की चहचाहट गूंज रही थी....मौसम में थोड़ी सर्दी का एहसास होना शुरू हो चुका था...जिसका मतलब था की सर्दियों का मौसम आने वाला है..... कॉलेज हॉस्टल में मीरा का कमरा....

बाथरूम का दरवाजा खुला और उसमें से मीरा नहाकर निकली....जिसकी वजह से उसके गोरे गाल टमाटर की तरह लाल हो गए थे...उसकी आंखे भी हल्की लाल थी उसकी आंखो की घनी पलके बेहद ख़ूबसूरत और आकर्षक लग रही थी .....वो चलकर कमरे के बीचोबीच आ गयी मीरा ने एक सफ़ेद रंग का सिंपल सा सलवार सूट डाला हुआ था ......कमरे में हल्का अँधेरा था ..उसने अपने बाल जो तोलिये में लिपटे हुए थे उन्हें अपने कंधे के एक तरफ किया और सामने की तरफ देखने लगी... उसकी कुछ गीले बाल उसके गालों को छू रहे थे...तभी उसकी नजर सामने बिस्तर पर गई . सामने देखकर उसने परेशान होते हुए अपनी आंखे गोल घुमाई और फिर लंबी सांस छोड़ी और फिर चलकर। बालकनी के पास गई उसने स्लाइंडिंग डोर के आगे से बड़े-बड़े पर्दे हटाए। जिसे सूरज की किरने कमरे में आ गई और कमरे में हर तरफ उजाला हो गया...

और एक रोशनी बिस्तर पर लेटी सुधा के चेहरे पर गई... उसने अपनी आंखों पर जोर डाला और अपना एक हाथ अपने चेहरे पर रख लिया .....इसी तरह मीरा ने दूसरा पर्दा भी हटा दिया जिसे सारी धूप सुधा के चेहरे पर पड़ने लगी...जिससे इरिटेट होके सुधा ने अपनी आंखें बंद किये हुए ही अपना एक हाथ कंबल की तरफ बढ़ाया और कंबल को अपने हाथ में लेके सरकाते हुए उसको अपने चेहरे तक ले आई और आपने आपको पूरा ढक लिया .......उसको ऐसे करते देख मीरा ने अपने कमर पर हाथ रख के सुधा को देखने लगी और फिर चलकर उसके पास आई। मीरा ने अपने एक हाथ से कम्बल में ढके उसके सिर पर टैप किया। 3 4 बार करने के बाद भी उसने कोई रिप्लाई नहीं दिया....वहीं कंबल के अंदर लेटी सुधा के चेहरे पर परेशानी साफ नजर आ रही थी.... उसको समझ नहीं आ रहा था कि वो मीरा से कैसे बात करे और उसको कैसे रोके कॉलेज जाने से .....क्योंकि अगर मीरा कॉलेज जाती तो उसको कोई ना कोई बर्थडे विश कर देता। और वो ये नहीं चाहती थी. क्योंकि माधव ने मीरा के लिए एक सरप्राइज प्लान किया था। और उसने साफ मना किया था कि वो मीरा को नहीं बताये ...माधव ने कहा था कि वो खुद कॉल कर देगा 1 बजे तक लेकिन सुधा के लिए मुसीबत ये थी कि वो मीरा को कैसे रोके और दूसरा की वो झूठ कैसे बोले। उसने आज तक मीरा से कोई बात नहीं छुपाई। सुधा ये सब सोच ही रही थी मीरा ने उसका कंबल जोर से पकड़ा और हटा दिया.. ये देख सुधा ने अपनी आंखे जोर से बंद कर ली.... और फिर एक्टिंग करते हुए सोई हुई आवाज में अंगड़ाई लेते हुए आंखे खोली.... सामने मीरा गुस्से से सुधा को देख रही थी ......

सुधा ने मीरा के एक्सप्रेसन देख लिए थे तबी मीरा उसके पास उसके बिस्तर पर बैठ गई और इशारे में पूछने लगी... अरे क्या हुआ है तुमको आज रोज तो जल्दी उठती हो आज इतनी देर कैसे उठने में.तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?...ये कहकर मीरा एक हाथ से सुधा के माथे और गर्दन छूने लगती है......

मीरा को ऐसा करते देख सुधा को एक बहाना मिल जाता है देर से उठने के लिए... तो वो हा में हा मिलाते हुए बोलती है.... हा....हा मीरा दरसल मेरी तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मुझे उठने में देर हो गई...

मीरा ने सुधा की बात सुनी और इशारे में फिर से पूछी....तुम्हें बुखार तो नहीं लग रहा है.. क्या हुआ है...मीरा का स्वाल का जवाब देते हुए सुधा ने अपने पेट पर हाथ रखा और दर्द होने की एक्टिंग करते हुए बोली... अरे वो मेरे पेट में हेडएक हो रहा है.....

सुधा की बिमारी सुनके मीरा कन्फ्यूज हो गई और कुछ पल के लिए कुछ सोचने लगी... सुधा ने क्या कहा था उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था... सुधा की तरफ कन्फुज होकर मीरा ने सुधा से इशारे में पुछा .....सुधा पेट में सर दर्द तुम्हें ये कौन सी नई बिमारी हो गई है ?......मीरा की बात सुन सुधा को एहसास हुआ कि उसने कुछ गलत बोल दिया है। फिर अपनी बात को सही करते हुए बोली... अरे मेरा मतलब है कि मीरा मेरे सर और पेट दोनो में दर्द हो रहा है .....

सुधा की बात सुन मीरा कुछ सोचती हुई हा मैं सर हिलाया और इशारे से बोली ......अच्छा!....शायद तुमने कुछ गलत खा लिया होगा रात में। फिर कुछ सोचते हुए मीरा बोली... लेकिन तुमने भी तो वही खाया था रात में जो मैंने और बाकी सब ने खाया था तो फ़िर कैसे तुम्हारा पेट दर्द हो रहा है .....मीरा ने उसको अपनी शक़ की नज़रों से देखते हुए कहा.... सुधा मन ही मन घबराते हुए कुछ सोचने लगी और फिर मीरा की तरफ देखते हुए बोली... अरे यार मेरा मेटाब्लिज्म तुम्हारे मेटाबोलिज्म की तरह मजबूत थोड़ी है ... और फिर मौसम भी तो बदल रहा है ना। इसलिए शायद और मुझसे थोड़ा बुखार भी लग रहा है अंदर से .........

मीरा सुधा की मौसम बदलने वाली बात पर हामी भरते हुए इशारे में अपनी सर हिलाया और बोली... हा हो सकता है मौसम बदल रहा हो उसकी वजह से हो.. और फिर सुधा के चेहरे पर प्यार से हाथ फ़ेरते हुए बोली... ठीक है तुम आराम करो .......ऐसे कहकर मीरा वहा से उठकर जाने लगी तो सुधा ने मीरा का हाथ पकड़ लिया... सुधा को ऐसा करते देख मीरा ने मुड़कर सुधा को देखा और इशारे से पूछने लगी.... क्या हुआ ?......

सुधा ने फिर प्यार से बड़ी बड़ी आंखें करके मीरा से कहा...मीरा तुम कॉलेज जाने वाली हो क्या?...मीरा ने अपना सर हा में हिलाया....ये सुन सुधा मन ही मन सोचने लगी कि अगर वो कॉलेज जाएगी तो कोई ना कोई उसको बर्थडे विश कर देगा। और उसका और माधव का सारा प्लान फेल हो जाएगा। अपने होठों को दांत तले दबाकर कुछ सोचने लगी....मीरा को कॉलेज जाने से कैसे रोकें...ये सोचते हुए उसने मीरा की तरफ देखा....मीरा सुधा को बड़े ध्यान से देख रही थी...तभी अपने हाव भाव बदलते हुए सुधा ने मीरा से कहा... ... मीरा क्या आज तुम मेरे साथ रुकोगी मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा है .. मेरी तबीयत भी ठीक नहीं .... फिर भोला सा चेहरा बना के मीरा को अपनी बड़ी बड़ी आंखों से देखते हुए बोली .....तुम मेरी बहन जैसी हो ना क्या तुम मुझे ऐसे बीमार हालत में छोड़ कर कॉलेज जाओगी। तुम तो चली जाओगी फिर मेरा मन कैसे लगेगा .मैं अकेले यहां बोर हो जाऊंगी .....फिर अपने दोनो हाथ को मीरा की बाजू में डालते हुए उसके कंधे पर अपने सर रख के मीरा को मस्का लगाते हुए बोली...मीरा आज मत जाओ ना मेरे साथ रह जाओ। आख़िर क्या हो जायेगा एक दिन में.........

सुधा को ऐसा करते देख मीरा को सुधा की फ़िकर होने लगती है लेकिन फिर भी वो मुस्कुराते हुए सुधा के गालों पर हाथ रखती है और फिर उसको कंधे से पकड़ के अपने से हल्के से दूर कर रही है फ़िर इशारों से कहती है... अच्छा अच्छा! ठीक है मैं नहीं जा रही आज कॉलेज ठीक है खुश अब। मैं तुम्हारे पास ही रुकुंगी.लेकिन तुम फ्रेश होके नाश्ता करोगी ही ना उसके बाद दवा ले लेना.....फिर आराम कर लेना ठीक है......मीरा ने प्यार से सुधा के गालो पर हाथ फेरा और वहा से खड़ी होके बालकनी में चली गई.....

मीरा के जाते ही सुधा ने राहत की सांसें ली और सोचने लगीं अभी तो उसने मीरा को बाहर जाने से रोक लिया लेकिन दोपहर तक कैसे रुकेगी अभी तो सिर्फ सुबह के 8 बजे थे .... ये सोचते हुए सुधा ने माधव को मैसेज किया ......तुम्हें जो भी करना है थोड़ा जल्दी करो जयादा उसे नहीं रोक पाऊंगी....

माधव अपने कमरे में तैयार होके बाहर जाने वाला ही था कि उसके फोन में सुधा का मैसेज पॉपअप हुआ ...माधव ने अपना फोन चेक किया... मैसेज पढ़ने के बाद सुधा को मैसेज भेजा... ठीक है मैं कोशिश करता हूं थोड़ी जल्दी करने की... तब तक मेरे कॉल का इंतजार करो .......

यहां सुधा ने माधव का संदेश पढ़ा और फिर मीरा को देखने लगी......सुधा ने मीरा का फोन भी छुपा लिया था। ताकी उसके फोन पर आने वाले मेसेज या कॉल मीरा ना देख पाए .....सुधा ने थोड़ी देर इधर उधर किया फिर फ्रेश होके आई। और अपने कमरे में ही मीरा और अपने लिए नाश्ता मंगवा लिया... मीरा एक बहुत अच्छी लड़की थी। सबकी मदद करती थी...लोग उसकी खूबसुरती और उसके अच्छे व्यवहार की वजह से उसे बहुत प्यार करते थे...और बाकी सबके दिल में भी मीरा के लिए बहुत प्यार था। इसी का फ़ायदा उठा के सुधा ने मीरा और अपने लिए खाना अपने कमरे में मंगवा लिया था.... क्योंकि वो मीरा को बाहर जाने नहीं देना चाहती थी उन दोनो ने अपना खाना खाया और मीरा ने सुधा को कुछ दवा दी। और आराम करने के लिए बोलके मीरा अपनी स्टडी टेबल पर चली गई.... सुधा ने आस पास से कोई भी ऐसी चीज़ जिस पर कोई डेट लिखी हो उसको हटा दी थी...ऐसा ही कुछ वक्त बीत गया... सुधा का ध्यान बस फोन पर था वो माधव के कॉल का इंतजार कर रही थी.....

तभी सुधा के फोन पर कॉल आया। जिसे देख वो सुधा ने फोन अपने हाथ में लिया और लेकर सुधा बालकनी में चली गई...... सुधा ने कॉल उठाई इसे पहले कि वो कुछ बोलती थी उसके कानो में माधव की आवाज पड़ी .....सुधा फोन कहा था तुम्हारा इतने देर से कॉल कर रहा हूं उठाती क्यू नहीं .......माधव के मुँह से ये सुन सुधा ने अपना फोन चेक किया लेकिन उसपर तो कोई भी कॉल नहीं आई थी... तो सुधा ने माधव से कहा... अरे तुम्हारा एक भी कॉल नहीं आया है मेरे पास... ...

सुधा की ये बात सुन माधव गुस्सा हो गया और बोला.... अच्छा तो तुम अब मुझसे बहस करोगी। तुम कहना चाहती हो मैं झूठ बोल रहा हूँ। अब मैं तुम्हें दिखाऊंगा कि मैंने तुम्हें कितनी कॉल की है। एक भी नहीं उठाइ तुमने. जबकी मैंने तुम्हें बोला था कि फोन अपना पास ही रखना...... माधव की बात सुन अब सुधा भी इरिटेट होने लगी थी उसको भी गुस्सा आने लगा...वो माधव को कुछ कहती थी उसने पहले ही माधव ने कहा ..छोड़ो ये सब अभी टाइम नहीं है हमारे पास तुम एक काम करो मीरा को लेके आजाओ मैं तुम्हें लोकेशन भेज रहा हूं ठीक है और देर मत करना .....ये कहकर माधव ने कॉल कट कर दिया.......सुधा को माधव ये व्यवहार बिल्कुल अच्छा नहीं लगा एक तो गलती उसकी थी भी नहीं उसके लिए भी सुधा को माधव से चारे बाते सुन्नी पड़ी... सुधा ये सब सोचते हुए कमरे की तरफ आ रही थी कि उसकी नजर मीरा पर गई.... वो खड़ी होकर उसकी तरफ ही आ रही थी.....मीरा सुधा के पास आई मीरा कुछ पूछती उसने पहले ही सुधा ने मीरा से कहा...... मीरा हम कहीं बाहर चलते हैं... वैसे भी यहाँ बैठे-बैठे बोर हो रहे हैं। ....

मीरा ने सुधा की बात सुनी और कन्फ्यूज होकर सुधा को देखने लगी फिर उसके माथे पर अपना एक हाथ रख के चेक करते हुए हुए इशारे में बोली... तुम ठीक तो हो तुमने तो कहा था। तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं आज कहीं नहीं जाना तुम्हें, खाना भी कमरे में मंगवाया। अब आराम करने की बजाय तुम्हें बाहर जाना है। क्यू?......

मीरा की बात का जवाब देते हुए सुधा ने कहा....अरे बताया तो बहुत बोर हो रहा है. सोच रही बाहर की ताजी हवा लू तो क्या पता जल्दी ठीक हो जाऊ। वैसे मुझे अब काफी अच्छा लग रहा है। सुधा फ़िर मीरा का हाथ पकड़ के बिस्तर के पास ले आई और अलमारी खोलकर उस्मे से मीरा के लिए एक ड्रेस सेलेक्ट की और मीरा को पक़डाते हुए बोली... अब जाओ इसे पहन के तैयार हो जाओ। जाओ जाओ जल्दी....सुधा ने मीरा को कांधे से पकड़ के उल्टा कर दिया उसका चेहरा वॉशरूम की तरफ कर दिया और कांधे पर जरा-जरा सा धक्का देते हुए उसको वॉशरूम में जाने के लिए कहने लगी...तभी मीरा रुकी.. जिसके पीछे चल रही सुधा के हाथ मीरा के सीने पर जा लगे और फिर मीरा ने सुधा हाथ पकड़े और इशारों में ही उसकी दी हुई ड्रेस की तरफ देखते हुए मीरा ने कहा... तुम्हें नहीं लगता सिर्फ बाहर घुमने जाने के लिए ये ड्रेस ज्यादा चमकीली है... मैं इसे नहीं पहनूंगी...मीरा ड्रेस को लेके वापस अपनी अलमारी के पास आई और उस्मे कुछ एक ड्रेस सिलेक्ट की और उसको सुधा को दिखाते हुए इशारों में ही बोली... मैं इसको पहनूंगी.... उसके बाद सुधा चल के वॉशरूम में चली गई .........कुछ देर बाद मीरा अपने वॉशरूम से बाहर आई... तब तक सुधा ने भी चेंज कर लिया था...

थोड़ी देर इधर उधर करने के बाद सुधा मीरा को लेके कमरे से निकल गई.... कुछ देर बाद ही पैदल दूरी पर माधव की भेजी हुई लोकेशन थी.... सुधा और मीरा लोकेशन पर पहुंचे गए......वो कॉलेज से थोड़ी दूर पर एक जगह पर जाकर रुक गए ..काफ़ी धूप हो रही थी....सुधा इधर उधर देख रही थी लेकिन माधव कहीं नज़र नहीं आ रहा था...तब मीरा ने सुधा के कंधों पर हाथ रखा और इशारे में बोली...ये कहा लेके आई हो। यहा क्या काम है तुम्हारा यहाँ पर ... घुमने के लिए हम कहीं और भी चल सकते हैं .....तुम्हें ये भीड़-भाड़ वाले इलाके ही पसंद आया.....सुधा ने मीरा की बात तो सुनी लेकिन वो यही सोच रही थी कि वो मीरा को क्या बोले इस बारे में ..... तभी दोनों के कानो में बाइक की आवाज आई... कुछ बाइक उनके पास आके रुकी ......सुधा और मीरा दोनों घबरा गई और दोनों की आंखे बड़ी करके एक दूसरे को देखी और फिर उन बाइक वाले लड़के को जिन्होंने हेलमेट पहना हुआ था ......तभी मीरा आगे आई और सुधा को अपने दोनो हाथो से पकड़ के उसको अपने पीछे कर लिया .और खुद आगे खड़ी हो गई। जैसे वो उसको प्रोटेक्ट कर रही हो मीरा सबको ध्यान से देख रही थी.....तभी उनमें से एक ने अपना हेलमेट हटाते हुए अपनी बाइक से उतरने लगा...ये देख मीरा ने जल्दी से सुधा को अपने पीछे किया और उसके सामने अपना हाथ फेला लिया... यहां जैसे ही उस लड़के ने अपना हेलमेट हटाया मीरा के चेहरे के एक्सप्रेशन अचानक डर से हेरानी ने बदल गय....वो लड़का और कोई बलकी माधव था....

माधव ने अपना हेलमेट उतारा. मुस्कुराते हुए उसकी नज़र सुधा मीरा पर गई .. जैसे ही माधव की नज़र मीरा की नजरो से टकराई। माधव उसकी कत्थई आंखो में खो गया .....वो आज काफी खुबसूरत लग रही थी... मीरा ने सफेद रंग का सिफॉन का एक लंबा अनारकली सूट पहना हुआ था जिसकी बाजू लंबी चूड़ीदार और नेट की थी ....सूट के ऊपर उसने एक छोटी सी जयपुरी कोटि पहनी थी। जिसपर राजस्थानी काम हो रखा था.... जो काले रंग का था उसपर कुछ लाल और पीले रंग के धागो से डिजाइन बना हुआ था। उसपर शीशो का काम हो रखा था .. सामने से डोरी लटक रही थी ....आँखों में काजल और मस्कारा लगाया हुआ था। माथे पर एक छोटी सिल्वर रंग की बिंदी।कानो में झुमके ,,, बाल खुले और लम्बे जो हवा में लहरा रहे थे ....माधव उस को हर रोज देखता था फिर भी वो मीरा को जब भी देखता था उसको मीरा हर बार मीरा और भी ज्यादा खुबसूरत नजर आती थी.... उसको हर रोज मीरा से प्यार हो जाता था.... मीरा को देखते ही नाजाने क्यू माधव की नजर उसपर से हटती ही नहीं थी। उसके शरीर में अलग ही नशा छाने लगता था.... ऐसा लगता मानो जमीन अपनी जगह रुक गई। उसके आस-पास सब कुछ रुक गया हो। सिर्फ वो और मीरा ही है आमने सामने....

माधव अपने ख्यालों से बाहर आया और अपने हाथ हवा में लहराते हुए मीरा को शांत करता हुआ बोला....मीरा घबराओ मत मैं हूं माधव शांत हो जाओ....

मीरा ने माधव को देखा फिर घबराते हुए एक्सप्रेशन के साथ- उसके साथ आए सभी लड़कों की तरफ देखा... माधव ने उसकी आंखों के इशारों को समझ लिया और मीरा को शांत कराते हुए बोला... अरे मीरा डरो मत ये मेरे साथ ही हैं मेरे आर्मी कॉलेज के दोस्त हैं... आज मेरे साथ आये हैं......माधव आगे कुछ बोलता उसके पहले ही उनके बीच में सुधा गुस्सा होते हुए बोली.... ओए तुम पागल हो इस तरह से हमें डराने की क्या जरूरत थी.. और तुमने तो कहा था कि तुम अकेले आओगे तो फिर ये अपनी बटालियन को लाने की क्या जरूरी थी.......यही सरप्राइज़ तुम मीरा को देना चाहते थे....ये बोलते हुए सुधा एक बार रुकी और कुछ सोचते हुए और गुस्से होते हुए बोली....आ कहीं तुम मीरा को किडनैप तो नहीं करना चाहते थे। हाय मैं कैसे इस्की बातो में आगई ..............