Nafrat e Ishq - 46 in Hindi Love Stories by Sony books and stories PDF | नफ़रत-ए-इश्क - 46

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नफ़रत-ए-इश्क - 46

सुबह का वक्त ,अग्निहोत्री हाउस

सुबह 6:00 बजे विराट अपने कमरे में आया और आते ही उसकी नजर बेड पर पड़ी जहां पीहू और तपस्या दोनों ही बेफिक्र सो रहे थे। दोनों को देखकर बरबस ही उसके होठों पर एक सुकून भरी मुस्कान तैर गई।

तपस्या पूरी दिन दुनिया से बेखबर पीहू से ब्लैंकेट खींचकर खुद के इर्दगिर्द लिपटकर सो रही थी। और वहीं पर पीहू हल्की सर्दी में कसमसा रही थी। उसने सिर हिलाया और बेड के पास जाकर तपस्या और पीहू दोनों को ही ब्लैंकेट से ठीक से कवर कर लिया और वहीं खड़ा कुछ पल के लिए दोनों के मासूम चेहरे को निहारने लगा।

वैसे भी तो वो हमेशा पीहू के बचपने में उसके मासूम चेहरे में उसके हर अंदाज में तपस्या को देख लिया करता था लेकिन आज दोनों को एक साथ एक जगह देखना उसके लिए सचमुच सुकून से भरा हुआ था। पीहू और तपस्या दोनों ही दिखने में ...एटीट्यूड में.. मासूमियत  में और आदतों में काफी हद तक एक जैसे ही थे और हो भी क्यों ना दोनों के ही अंदर रायचंद खानदान का रॉयल खून दौड़ रहा था। जिद और गुरुर तो दोनों में आने ही थे।

वो वही बेड के पास झुका और बारी बारी तपस्या और पीहू की माथे को चूम लिया। उसकी नजर अनायास ही तपस्या के चेहरे पर ठहर गई। मांग में भरी हुई वो लाल सिंदूर उसके गोरे बेदाग चेहरे पर फब रहे थे। ऊपर से वो गुलाबी रंग की साड़ी जो तपस्या ने इस वक्त पहन रखे थे उसकी खूबसूरती पर चार चांद लग रही थी। और अस्त व्यस्त होकर उसे बहका रहे थे। उसने अपने बगावत पर तुले दिल को संभाला और तपस्या को पूरी तरह इग्नोर कर वॉशरूम के अंदर घुश गया।

रायचंद हाउस

"घर एक दम सुना ही पड़ गया है ।"डायनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट सर्वे करते हुए चित्रा जी ने मुरझाई हुई आवाज में बोले।

"आप भी क्या ही बात कर रही है मां!! आप की बेटी पिछले 12 साल से इस घर और अपने परिवार से दूर थी। आप को तो अब तक आदत पड़ ही जानी चाहिए।" अभय तंजिया अंदाज में बोला।

यशवर्धन जी जो दलिया खा रहे थे गुस्से से अभय को घूर ने लगे। हमेशा की तरह अभय को कोई फर्क नहीं पड़ा।

" मंगनी टूटने की वजह किसीने  पूछा अपने सुपुत्र से??".. यशवर्धन जी चित्रा जी के ओर देख सर्द आवाज में बोले।

"जी पापा जी वो प्रिया ने ही खुद ....

"अपने बेटे की करतूत पर कब तक पर्दा  डलेंगी बहु!!! प्रिया मना नहीं करती तो और क्या करती!! पिछले 3 साल से आपके सुपुत्र  मंगनी के नाम पर उन्हें बीच मझधार में लटकाए रखे थे। और वो भी उस दो टके की ड्राइवर की बेटी

"परिणीति!! परिणीति नाम है उनका... और हां करते है हम प्यार उनसे... आखरी सांस तक करते रहेंगे। चाहे वो हमारी जिंदगी में हो या न हो। हम अपना नाम उनके साथ जोड़ चुके है ...किसी और के साथ आप लोग आगे से जोड़ने की कोशिश ना करें वरना ना ही हमे इस घर से कोई मतलब है और नाही इस बिजनेस से।"यशवर्धन जी को अभय ने बीच में ही टोक दिया। सर्द और सपाट लहजे में कह कर वो  ब्रेकफास्ट टेबल से उठ खड़ा हुआ।

"विराट जी के घरवालों से बात कर लीजिए मां अनजान जगह है छोटी केलिए कहीं वो नर्वस न हो जाए अगर घर लाना है तो हम पिक करने जाएंगे... और इसी बहाने उनके ससुराल के लोगों से भी मिल लेंगे। " अपने मां के तरफ देख बोल कर वो बाहर निकल गया। और उस जगह  अब बस सन्नाटा ही पसरा हुआ था।

अग्निहोत्री हाउस

विराट वॉशरूम से फ्रेश हो कर निकला तो तपस्या पर उसकी नजर गई जो बेड पर बैठ उनींदी नजरों से उसे ही देख रही थी।"गुड मॉर्निंग प्रिंसेस"वो एक हल्की नजर तपस्या पर डाल कर बोला और मिरर के सामने खड़ा हो गया। तपस्या की नज़रें उसे बुरी तरह से घूर ने लगी।

"कल हमारी शादी हुई और आप हमें बिना बताए रात भर गायब रहे। सुबह एक फॉर्मल सा गुड मॉर्निंग!!" तपस्या विराट को घूरते हुए बोली।

"कल थोड़ी प्रॉब्लम हो गई थी प्रिंसेस आई होप श्लोक ने आपको उतना तो बता ही दिया होगा जितना आप को जानने की जरूरत है!!"विराट मिरर में से ही तपस्या को देखते हुए बोला।

"बताया तो था लेकिन श्लोक ने नहीं पीहू ने।"तपस्या ने एक नजर पीहू के ओर देखा जो आराम से उसी के बगल में सो रही थीं । वो बेड से उठकर आई और पीछे से ही विराट को बाहों में भरकर उसकी पीठ में सिर टिका कर आंखें मूंद लिए। कल से बेचैन विराट के दिल को जैसे अब जाकर ठंडक पहुंची थी।  उसने अपनी हाथों से तपस्या के हाथों को थाम लिया जो उसी के सीने के पास कसे हुए थे।लेकिन दूसरे की पल उसे कल रात की परिणीति की हालत याद आई उसने खुद को संभाला और एक लंबी गहरी सांस भरते हुए तपस्या के हाथों को अपने सीने से हटाया और पलट कर उसे बिना किसी भाव के देखने लगा।

"क्या हुआ विराट आप हमें इतनी बदले हुए क्यों नजर आ रहे हैं हमसे कोई गलती हो गई है क्या?? हम जानते हैं आप अपनी बड़ी बहन की वजह से परेशान है लेकिन

"उनके बारे में आपको  सोचने की जरूरत नहीं है आप जल्दी से फ्रेश हो जाइए मैं मां को बोलता हूं आपके लिए  ब्रेकफास्ट रेडी करें कल रात भी आपने कुछ नहीं खाया था भूख लगी होगी आपको।"कहकर को तपस्या से दो कदम पीछे दूर हट गया।

"कहीं आप कल रात उस जानवी के पास तो नहीं गए थे ना??".. विराट के बदले हुए अजीब बिहेवियर को देख तपस्या शक भरी आवाज में  पूछी। उसकी बात सुनकर विराट गुस्से से उसे देखने लगा लेकिन इससे पहले कि वो कुछ बोल पाता बेड पर सोई पीहू पर उसकी नजर पड़ी जो अब उठकर बैठ चुकी थी।

"अगर आपको ऐसा लग रहा है तो मैं आपको कोई सफाई देना जरूर नहीं समझता।" विराट  सर्द आवाज में बोलकर पीहू की तरफ चला गया और उसे प्यार से गोद में उठाकर बाहर चला गया । तपस्या वही खड़ी आंखों में भर भर आंसू लिए विराट को देख रही थी।

विराट पीहू को अपने रूम में छोड़कर स्कूल जाने के लिए रेडी होने के लिए बोल नीचे डाइनिंग हॉल की तरफ चला आया जहां श्लोक पहले से ही डाइनिंग टेबल पर बैठ उसका इंतजार कर रहे थे।

"भाई कल ही रात आप भाभी को शादी करके इस घर में लेकर आए हैं । ये घर... हम सब उनके लिए अजनबी हैं। अगर वो किसी के भी भरोसे इस घर में आए हैं तो वो सिर्फ आप हैं और आप है कि कल रात से ही गायब थे। पता है आपको भाभी कितना रोई है ??"विराट को देखते ही श्लोक उसे पर बरस पड़ा था।

"कल रात एक ही साथ लाइट चली जाना सीसीटीवी कैमरा के एक्सेस बंद हो जाना और जनरेटर खराब हो जाना कोई कोइंसिडेंस नहीं हो सकता। पता लगाओ क्यों और कैसे हुआ।"शोक की बातों को पूरी तरह से इग्नोर करते हुए विराट ठंडी आवाज में बोला और चेयर पर बैठ खुद के लिए ग्लास में जूस निकालने लगा।

"पता किया भाई और ऐसा लग तो रहा है कि कोइंसिडेंस है लेकिन फिर भी आपकी तरह मुझे भी यकीन नहीं है कि यह बस एक कोइंसिडेंस हो सकता है वैसे क्या आपको किसी पर शक है??"श्लोक भी परेशान होकर बोला।

"अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज के साथ-साथ अग्निहोत्री हाउस के सारे सीसीटीवी और सिक्योरिटी के बारे में तुम्हारे और मेरे अलावा बस  जानवी पता लगा सकती है।"विराट शक नहीं बल्कि पूरे यकीन के साथ शोक की तरफ देख बोला। श्लोक शॉक्ड होकर उसे देखने लगा।

"लेकिन भाई मुझे नहीं लगता कि  वो छिपकली आपको या आप से जुड़ी हुई किसी भी इंसान को हार्म पहुंचाने की कोशिश कर सकती है।".. ये बात तो श्लोक भी मानता था की जानवी कभी विराट को दर्द या चोट पहुंचाने की सोच भी नहीं सकती।

"उसकी पागलपन के हद को मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता। तुम बस पता लगाओ बिना कोई सबूत मैं उससे उलझन नहीं चाहता।"

"अगर बातचीत हो गई हो तो दोनों ढंग से नाश्ता कर लो और मैं चलती हूं तपस्या को बुलाकर लाती हूं उन्हें पहली रसोई की रस्म भी निभाई है शादी हड़बड़ी में हुई और कोई रस्म भी

" पहली रसोई की कोई जरूरत नहीं है मां ..... प्रिंसेस को किचन से दूर ही रखें। वो कभी जिंदगी में पानी का ग्लास भी खुद से उठा कर पी नहीं हैं ।"विराट अनुपमा जी की तरफ देख सीधे लफ्जों में बोला।

"आप बताइए ना हमें क्या-क्या और  कौन कौन सी रस्म निभानी है हम सारी रस्में निभाएंगे और पहली रसोई की भी।"विराट की बात सुनकर तपस्या जो अपनी साढ़ी संभालते हुए सीडीओ से नीचे उतर रही थी गुस्से से बोली गुस्से से ज्यादा उसकी आवाज में नाराजगी थी । जाहिर तौर पर वो विराट से ही नाराज थी।

"एक बार मना किया ना प्रिंसेस आप किचन में नहीं जाएंगी तो मतलब नहीं जाएंगी।"विराट तेज आवाज में बोला  जिसे सुनकर सर्वेंट के साथ-साथ श्लोक और अनुपमा जी भी कुछ पल केलिए सहम गई लेकिन तपस्या को रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ा। वो अपनी साढ़ी संभाल कर तेजी से सीढ़ियां उतरी हुई आई और विराट को पूरी तरह अवॉइड कर अनुपमा जी के पास चली गई।

"आप हमें बताइए मां हमें क्या-क्या करना है हम अच्छी तरह से कर लेंगे और बहुत टेस्टी हलवा भी बनाएंगे जिन्हें खाना  है खाएंगे और जिन्हें नहीं खाना न खाएं।"तपस्या विराट के ओर देख मुंह बना कर बोली। विराट बस सिर हिला दिया।

"मुझे ऑफिस केलिए लेट हो रहा है मां.. ... आप सर्वेंट से बोल कर कुछ भी मीठा बना लीजिए प्रिंसेस बस हाथ लगा लेंगी।" विराट अनुपमा जी के साथ साथ सारे सर्वेंट्स को भी वार्निंग भरी लुक देते हुए बोला तो सब सकपका गए।

"ठीक है बेटा.. वैसे भी यही सही रहेगा।"अनुपमा जी कभी विराट को तो कभी तपस्या को देख रहे थे और तपस्या उन्हें ही गुस्से से घूर रही थी। और वहीं अनुपमा जी बेटे और बहु के बीच बुरे फंसी हुई थी।

"तुम कहो तो तुम्हारी पहली रसोई के लिए मीठा मैं बना दूं मुझे विराट  का टेस्ट बिल्कुल अच्छी तरह से पता है".. दरवाजे के पास से आवाज आई तो सब उस दिशा में देखने लगे जहां से जानवी हाथों में एक रेड रोज का फ्लावर बुके पकड़ कर उन सब की तरफ ही चली आ रही थी।

"लंगर लगी नहीं पहले से ही भिखारी आ पहुंचे।" जानवी को अचानक यूं देख कर तपस्या दांत भींच कर बोली। और उसकी बात पर श्लोक के मुंह से जूस बाहर उछल आया। जानवी गुस्से से कभी श्लोक को तो कभी जानवी को जलती नजरों से घूर ने लगी।

"सुबह सुबह यहां क्यों आई हो??"विराट उस पर एक सरसरी सी नजर डाल कर बोला।

"मेरा घर है कभी भी आ सकती हूं..... है न आंटी!! वैसे भी शादी में तो बुलाया नहीं तू ने सोचा पहली रसोई में ही मिल लूं तेरी बीवी से और उसकी पहली रसोई भी चख लूंगी".. जानवी जान बुझ पर तपस्या के आगे विराट के घर और घर वालों से अपनापन जताए हुए बोली और अनुपमा जी से लिपट गई। अनुपमा जी भी बे मन ही मुस्कुरा दिए।

"जहां तक हमें पता है पहली रसोई घर की बहु घर के लोगों केलिए ही बनाती है। बाकी सबका तो सही है लेकिन तुम कौन हो जो हम तुम्हारे लिए मीठा बनाएं??" तपस्या उसके सामने ही हाथ बांध कर खड़ी हो गई।

कहानी आगे जारी है ❤️