आंखों में अनगिनत दर्द और नफरत लिए विराट फोन पर तपस्या के हंसते हुए तस्वीर को गौर से देखते हुए दबे आवाज में बोला,
"गुमशुदा लम्हों को खोजते हुए,
अक्सर शायद जिक्र हमारा भी हो रहा उधर ।
यूं शिद्दत से हमें याद ना कर ए बेखबर ,
आपकी यादों से अब ये दिल हो चला है बेअसर।
विराट की आंखों पर एक डार्क एक्सप्रेशन के साथ दर्द भरी स्माइल आ जाती है ।उसके वो दर्द और दिल दहला देने वाला एक्सप्रेशन और भी डार्क हो जाती है जब बाहर से एक दर्द से कराह ती हुई आवाज उसके कान में गूंज ती है।
"छोड़ दो मुझे ।मैंने कहा छोड़ दो। वीर प्लीज रोको इन लोगों को ।बहुत दर्द हो रहा है । Virrrr बोलो न इन लोगों को,....प्लीज छोड़ दो मुझे यहां से जाना है वीर।"
बाहर से आ रही ये चीख लगातार विराट के कानों में गूंज रही थी । वो अपने हाथों से अपने कानों को बंद कर देता है ।और आंखें जोर से मूंद कर आखिरी हद तक कोशिश करता है कि उस आवाज को इग्नोर करे।पर खुद से हार मानकर वो उठकर कमरे से बाहर जाने लगा। इससे पहले कि वो कमरे से बाहर जा पाता श्लोक उसे दरवाजे के पास ही रोक लेता है।
"इस वक्त मेरे सामने से हट जा श्लोक । दी को मेरी जरूरत है। देख वो मुझे बुला रही हैं।"गुस्से से श्लोक की तरफ देख ,विराट ने कहा और उसे धक्का देकर बाहर जाने लगा।
"इस वक्त परी दी को आपकी नहीं डॉक्टर और फिजियोथेरेपिस्ट की जरूरत है ।थेरेपी नहीं लेने से दी की बॉडी अकड़ जाएगी, भाई। और फिर वापस से दर्द उनको ही होगा। बस थोड़ी देर के बाद वो ठीक हो जाएंगी।अब बस थोड़ी देर सब्र कर लीजिए ।डॉक्टर इंजेक्शन देकर सुला देंगे उन्हें ।"श्लोक उसके कंधे को कसकर थामे हुए बोला।
विराट गुस्से से श्लोक को देखने लगा ।उसकी आंखों में देखकर कुछ पल के लिए श्लोक भी सहन जाता है। उसकी आंखें इस वक्त इतनी लाल थी मानो खून उतर आए हो। श्लोक अन्दर से सहमे हुए था ।फिर भी वो अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ। विराट गुस्से से अपने हाथों की मुट्ठी बना लेता है ।और गुस्से से कांपते हुए तेजी से श्लोक के चेहरे के तरफ उठाने लगता है। श्लोक कसकर अपनी आंखें बंद कर देता है ।
लेकिन कुछ सेकंड्स के बाद अपने एक आंख खोल कर विराट को देखता है ,जो उसके सिर के ऊपर दीवार को घूर रहा था। श्लोक अपने हाथों से अपने चेहरे को छूकर उसके सलामत होने की तसल्ली करता है। और फिर उसके बाद पीछे मुड़कर दीवार को देखता है ।दीवार पर क्रैक आ चुका था। और विराट के उंगलियों पर भी। और साथ ही साथ खून की धारा छूटने लगी थी । विराट गुस्से से कांपते हुए दीवार को घूरे जा रहा था। जेसे उसके सबसे बड़े दुश्मन को घूर रहा हो।
वो विराट के खून से लथपथ हाथों को अपने हाथों में भरकर फिक्र और गुस्से बोला ,
"पागलपन के एक अलग लेबल तक पहुंच चुके हैं आप भाई ।लगता है की परि दी को छोड़कर डॉक्टर को आपके ट्रीटमेंट करनी चाहिए।"वो इतना ही बोला था कि विराट के चीखने से वो सहम कर खामोश हो जाता है।
"पागल नहीं है वो।बस दर्द में है। सदमे में है वो ।पागल नहीं है। ठीक हो जाएगी समझा तू।"
गुस्से और दर्द से पागलों की तरह बडबडाते हुए वो अपने चोट लगी हाथ को दूसरे हाथ से थाम कर वॉशरूम के अंदर चला गया।
वहीं श्लोक गिल्टी फील करते हुए अपने हाथों की मुठिया कसकर खुद पर ही गुस्सा करते हुए बोला ,"सॉरी भाई मेरे कहने का वो मतलब नहीं था ।sorry परी दी आई एम रियली सॉरी ।"
खुद से ही झल्ला ते हुए वो कमरे से बाहर निकल गया।
अब तक डॉक्टर और फिजियोथैरेपिस्ट भी अपने थेरेपी सेशंस खत्म करके बाहर आ चुके थे ।अब जोर की चीखें हल्की सिसकियों में बदल चुकी थीं।
परिणीति का कमरा सबसे ऊपर थर्ड फ्लोर पर था। जहां दो नर्सेज हमेशा उसके साथ रहती थी ।और वहां किसी का भी आना जाना मना था। ज्यादा सोर सरावा और आवाज से वो या तो सहम जाती थी या फिर हाइपर हो जाति थी।
श्लोक सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए डॉक्टर को तरफ़ उम्मेद भरी नजर से देखता हे। डॉ प्रिया जो पिछले 5 साल से परिणीति का ट्रीटमेंट कर रही थी , फिजियोथैरेपिस्ट को जाने केलिए बोलकर श्लोक के पास आती है ।और उसके कंधा थपथपा कर बोली,
"श्लोक अगर तुम हिम्मत हार जाओगे तो में विराट को भला क्या समझा पाऊंगी?"
श्लोक मायूसी भरी भाव से dr प्रिया की तरफ़ देख कर,
"जानता हूं मैं डाक्टर । बस भाई को समझा पाना मुश्किल हो रहा है ।और परि दी की हालत देखकर उन्हें संभाल पाना भी बहुत मुश्किल है ।"
उसकी बात सुनकर डॉक्टर प्रिया थोड़ा सीरियस लेहेजे में,
"गैंग रैप हुआ था परिणिती का श्लोक , और ये कोई ऐसा दर्द नहीं हे जो काउंसिलिंग और मेडिसिन से भर जाए। उसका दिमाग उस रात से बाहर आ ही नहीं पा रहा। या फ़िर ये बोलूं के वो उस दर्द से बाहर आना ही नहीं चाहती।"
उनकी बात सुनकर श्लोक अपनी नज़रें झुका देता हे। और थोडा झिझक के साथ पूछा,
"तो क्या परी दी कभी नॉर्मल...
वो आगे कुछ बोल नहीं पाया। और ख़ामोश खडा रहा।
Dr प्रिया उसके बातों को समझ कर हल्का मुस्कुराते हुए,
"किसने कहा के ठीक नहीं होंगी। में तो बस ये कहे रही हुं के वो खुद ठीक नहीं होना चाहती ।इसलिए बस थोडी देर हो रही हे।"
ये बोलते हुए वो सिर टेढ़ा किए श्लोक को देखती हैं। जो अभि तक नज़रें झुकाए फ्लोर को ही देख राहा था।
"इतनी भी मायूस होने की जरूरत नहीं हे श्लोक। मानती हूं रिकवरी स्लो जरूर हे लिकिन हो रहि हे। "
श्लोक को समझते हुए वो बोलीं और उसके कुछ कहे ने का वेट करने लगी।
"क्या पीहू को परी दी से मिलवा सकते हे।"
Dr प्रिया के तरफ़ देख कर श्लोक ने थोडा झिजक के साथ पुछा।
"पीहू दूर से तो देख सकती हैं, लिकिन जबतक पीहू को देखकर वो नार्मल बिहेव नहीं करती तब तक....
"मम्मा हमे देखकर नार्मल बिहेव करे या ना करें चलेगा। वो बस जल्दी से ठीक हो जाएं।"
आवाज सुनकर श्लोक और dr प्रिया सीढ़ियों के तरफ़ देखते हैं तो ,पीहू मुस्कुराते हुए बोलकर उनके तरफ़ ही आ रही थी।
"केसे हो आप बच्चा?"
Dr प्रिया उसके गाल पिंच करते हुए बोलीं।
"आई एम फाइन डॉक्टर आंटी। मम्मा कैसी हैं?"
उसकी बात सुनकर श्लोक और प्रिया दोनों उसे देखने लगे।dr प्रिया घुटनों के बल बैठकर पीहू के दोनों हाथ पकड़ते हुए बोले ,
"बच्चा अभी आप बड़ी हो गईं हो और अपने पार्टनर(विराट )से ज़्यादा समझदार भी। तो आप से कुछ बातें शेयर कर सकते हे।"
"Doctor!!!"
डॉक्टर प्रिया की बात सुनकर श्लोक उन्हे रोकने के भाव से बोला।
डाक्टर प्रिया उसे अपने नज़रों से ही शांत करते हुए, पीहू के तरफ़ देख कर बोले ,
"अभि आप थोडा थोडा करके अपने मम्मा से मिल सकते हैं। ज़्यादा नहीं, क्यों के फिर वो हाइपर हो जाएंगी तो उन्हें संभाल ना मुस्किल हो जाएगा।"
फिर रुककर कुछ सोचते हुए बोली,
"में ,आप के पार्टनर और आपके श्लोक मामू तो ट्राय कर ही रहे हैं। अब आप भी हमारे साथ जुड़ जाएंगी तो, हमारी टीम और भी स्ट्रॉन्ग होजाएगी। फिर हम सब मिलकर जल्दी से आप के मम्मा को ठीक कर देंगे।।"
कहते हुए डाक्टर प्रिया हाई फाइव केलिए पीहू के और हाथ बढ़ा देती हैं। पीहू भी मुसकुराते हुए उनका साथ देती है।
अनुपमा जी सीडीओ से ऊपर आती है ।और पीहू को खुश देखकर श्लोक को इशारों में ,"क्या हुआ?" पूछती हैं।
क्योंकि पहले जब भी परिणीति के सेशन्स होते थे विराट और पीहू को संभाल पाना मुश्किल हो जाता था। जहां एक तरफ रायचंद की तरफ विराट का नफरत और गुस्सा इस वक्त सारी हदें पार कर जाता था ,वही पीहू के सब्र भी हदें पार कर जाते थे।। इस वक्त भी विराट के केस में ऐसा ही हुआ था। लेकिन इस बार पीहू शायद समझदार होने लगी थी । वो कहते हैं ना बेटियां जल्दी बड़ी हो जाति हैं।
अनुपमा जी पीहू के माथे को सहलाते हुए श्लोक के और देख धीरे से बोले ,
"तू जा विराट के पास ।में परी के पास जाती हूं ।"
अनुपमा जी की बात सुनकर श्लोक कुछ बोलने को था के पीहू बीच में डॉक्टर प्रिया की तरफ देखकर बोली,
"डॉक्टर आंटी आपने अभि कहा ना कि हम मम्मा से थोड़ा-थोड़ा मिल सकते हैं? तो हम अभी मिले? अभी तो मम्मा भी सो रही होंगी। वो हाइपर भी नहीं होगी ।"
कहते हुए वो उम्मीद भरी नजरों से डॉक्टर प्रिया की ओर देखने लगी ।श्लोक और अनुपम जी भी डॉक्टर प्रिया की ओर देख रहे थे ।सबको अपने और देखा ता हुआ पाकर डॉक्टर प्रिया एक गहरी सांस लेकर कुछ सोचते हुए बोलि,
"हम्ममम",....ओके फाइन । तो जब तक आपकी मम्मा नींद में है उनके पास रहे सकती हैं आप।"
ये सुनते ही पीहू खुशी से उछल पड़ी। और बोली ,
"Yeee "
कहते हुए वो डॉक्टर प्रिया से कसकर लिपट जाती है। श्लोक उसके गालों में किस्स करते हुए बोला ,
"प्रिंसेस आप अपने मम्मा को संभालिए।मैं आप के अड़ियल पार्टनर को संभालता हूं ।"
कहते हुए श्लोक विराट के कमरे की तरफ बढ़ गया।
आगे पढ़ते रहें ❤️रिव्यू और कमेंट देना न भूलें ❤️ इतने सारे रीडर्स पढ़ते हो और किसीको भी एक लाइक देने का मन नहीं करता!!! हद है यार!! जायदाद थोड़े ही मांग रही हूं 😔