..before the new dawn.. in Hindi Short Stories by kanchan books and stories PDF | ..नये सवेरे से पहले..

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..नये सवेरे से पहले..

लगभग 40 साल पहले की कहानी..,एक शर्मा परिवार की … खुशहाल और संपन्न। माता-पिता खुले विचारों वाले, खुशमिजाज इंसान थे, जिन्होंने अपनी तीन बेटियों—नीति, रीति, और प्रीति—को  अच्छे स्कूल मे शिक्षा और अच्छे संस्कार दिए। उन्होंने  दो बड़ी बेटियों की शादी दसवी पूरी होते ही कर दी , ताकि वे अपने जीवन में खुश रह सकें।नीति और रीति की शादी धूमधाम से हुई|  एक तरफ नीति का पति ठीकठाक कमाने वाला था… फिर भी नीति अपने परिवार के साथ खुश रहने की कोशिश करती रहती थी… और  दुसरी तरफ ,कुछही समय बाद ससुराल वालों की वजह से रीति का तलाक हो गया। इस घटना ने माँ को अंदर तक तोड़ दिया। उसे गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया। बीमारी से जूझते हुए भी, उन्होंने रीति की दोबारा शादी करवाने का साहसिक निर्णय लिया। माँ के मायके से एक करीबी रिश्तेदार, राजेश, ने रीति का हाथ थामा।हालांकि, राजेश की माँ ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया, जिससे रीति को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। ससुराल में उसे अपनाने के बजाय, उसे घर और जायदाद से बेदखल कर दिया गया। रिश्तेदारों ने उसे अपमानित किया और यहाँ तक कि पुलिस केस तक करवा दिए ताकि राजेश रीति को छोड़ दे… पर दोनों ने वो शहर छोड़ दिया।माँ-पापा ने रीति का पूरा साथ दिया और नीति ने उन्हें अपने शहर में आकर बसने का सुझाव दिया। रीति ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और  अब उसने समाज के तानों की परवाह किए बिना अपने भविष्य को संवारना शुरू किया। ये सब तनाव से बाबा भी बीमार रहने लगे |इस बीच, माँ ने प्रीति पर विशेष ध्यान देना शुरू किया। उन्होंने प्रीति को उच्च शिक्षा दिलाई और उसके लिए एक उपयुक्त जीवनसाथी की तलाश में जुट गईं। अपने बच्चों को सेटल कराने तक जिंदा रहने की माँ की मजबूत इच्छाशक्ति और सकारात्मक दृष्टिकोण, साथ ही में एक अच्छी लाइफस्टाइल और भगवान की दया ने उन्हें गंभीर बीमारी से उबरने में मदद की।प्रीति की उम्र बढ़ती जा रही थी, और माँ की चिंता को देखते हुए, प्रीति ने शादी के लिए हाँ कर दी। प्रीति का ससुराल न तो बहुत अच्छा था, न ही बहुत बुरा। जीवन सामान्य रूप से चल रहा था, और प्रीति अपनी माँ की खुशियों में ही अपनी खुशी समझती थी। तीनों बहनें अपनी ज़िंदगी में खुश रहने की कोशिश करते-करते लगभग 17…18 साल बिता चुकी थीं। इन 17-18 सालों में सबकी जिंदगी में बहुत कुछ होता रहा |समय बीतता गया, और लगभग 17-18 साल बाद, प्रीति की जिंदगी में भी वही गंभीर बीमारी आयी, जो 30-32 साल पहले उसकी माँ के जीवन में आयी थी | फिर वही बड़ा डर..फिर 1..2 साल का संघर्ष....आज, दो साल बाद, प्रीति उस बीमारी से उबर चुकी है। न तो उसने, न ही उसकी माँ ने कभी किसी के साथ कभी बुरा किया… पर भगवान को समझना मुश्किल है; कभी-कभी अच्छे लोगों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पर शायद किसी-किसी पर भगवान को दया आती होगी और वह फिर जीने का एक और मौका देता है… आज, प्रीति—मेरी सहेली—की जिंदगी में फिर से नया सवेरा आया है। उसने जिंदगी से हार नहीं मानी, सकारात्मक सोच और अद्भुत शक्ति की दया के सहारे खुद को फिर से खड़ा किया।यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न आएँ, हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। नीति ने कम कमाई से ही अपना घर जैसे तैसे सम्भाला..रीति ने खुद को मुश्किल हालतों से उभरकर पढ़ाया, और  अपने परिवार  की जिम्मेदारी उठाई, और आत्मनिर्भर बनी। वहीं, प्रीति ने  अपनी बीमारी का सामना, भगवान पर अटूट विश्वास, और अलोपॅथी और हर्बल रेमेडीज से किया, और अंततः एक नये सवेरे  का स्वागत किया।ये कहानी, ये दर्शाती है की  हर माँ अपने परिवार के लिए किस्मत की हर मुश्किल से लड़ती है |