मेरी सखी हमेशा से हंसमुख और जिंदादिल रही है। उसे हर नए दिन का इंतजार रहता था, नई उम्मीदों और सपनों के साथ। लेकिन अचानक कोविड हुआ। उससे कोई तकलीफ नहीं हुई, पर शायद वह अपने साथ कुछ छोड़ गया। कुछ महीनों बाद सीने में अजीब सी थरथराहट या धड़कन जैसी हलचल महसूस हुई। जब डॉक्टर को दिखाया तो किसी ने ऐंग्ज़ायटी (Anxiety) कहा, तो किसी ने क्लस्टर हेडेक (Cluster Headache)। फिर शुरू हुआ दवाइयों का सिलसिला। जो तकलीफ 15 दिनों में ठीक हो गई थी, उसकी दवाइयाँ 6 महीने तक चलती रहीं।
शायद उन्हीं दवाइयों का असर था, या किस्मत का खेल, करीब डेढ़ साल बाद जब टेस्ट कराए, तो रिपोर्ट में एक ऐसी बीमारी का नाम था जिससे लोग घबरा जाते हैं। पर मेरी सखी घबराई नहीं। उसने सोचा – अगर भगवान का साथ है और मेरी सोच सकारात्मक है, तो जो होगा अच्छा ही होगा। उसने उस बीमारी का कभी नाम तक नहीं लिया, न किसी से उसकी चर्चा की। सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया और फिर एक लंबा इलाज शुरू हो गया।
इसके बाद अस्पताल के चक्कर शुरू हो गए। कभी टेस्ट, कभी इलाज, कभी दवाइयाँ—यह सिलसिला चलता रहा। लेकिन उसने इसे अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उसने अपने खाने-पीने का पूरा ध्यान रखा। ना मिर्च, ना मसाले, सिर्फ सादा और पौष्टिक भोजन। मन को शांत रखने के लिए मंत्रों का सहारा लिया। उसने सिर्फ उन चीजों पर ध्यान दिया, जो जीने की उम्मीद बनाए रखें। और यही उसकी सबसे बड़ी ताकत बनी।
जब भी मन भारी होता, तो वह हिंदी के शांत-सुकूनदायक गीत सुनती थी। उसे ऐसे गाने पसंद थे जो मन को शांति दें, जो धीरज और सकारात्मकता बढ़ाएँ। संगीत उसकी दुनिया में खुशियाँ भर देता था। वह मानती थी कि एक अच्छा गाना भी इंसान की सोच को सकारात्मक बना सकता है। जब भी मन उदास होता, वह अपने पसंदीदा गाने सुन लेती और उसकी सोच फिर से मजबूत हो जाती।
परिस्थितियाँ आसान नहीं थीं, लेकिन उसने कभी शिकायत नहीं की। उसने खुद को मानसिक रूप से इतना मजबूत कर लिया था कि अस्पताल की दीवारें भी उसे हरा नहीं सकीं। उसे एहसास हुआ कि शरीर से ज्यादा, मन की ताकत मायने रखती है। उसने हर परिस्थिति में खुद को संतुलित रखना सीख लिया।
धीरे-धीरे उसकी दुनिया फिर से संवरने लगी। उसने खुद को एक नई रोशनी में देखा। अब उसकी सोच पहले से भी ज्यादा गहरी हो गई थी। वह छोटी-छोटी खुशियों को महसूस करने लगी—सूरज की पहली किरण, बारिश की हल्की फुहार, किसी पुराने दोस्त का फोन, एक कप गर्म चाय... और सबसे ज्यादा, अपना पसंदीदा शांत-सुकूनदायक हिंदी गीत सुनना।
"सकारात्मक सोच से हर मुश्किल आसान हो जाती है," यह अब उसकी सोच बन चुकी थी। वह जान चुकी थी कि हालात चाहे जैसे भी हों, जीने का जज़्बा कभी खत्म नहीं होना चाहिए।
आज मेरी सखी फिर से अपनी नई राह पर चल पड़ी है, पहले से कहीं ज्यादा मजबूत, पहले से कहीं ज्यादा निडर। अब वह हर दिन को एक तोहफे की तरह जीती है, हर लम्हे को पूरी तरह महसूस करती है। उसने खुद को नए सिरे से पाया है, और यही उसकी सबसे बड़ी जीत है।
एक अंधेरा जो आया था, वो अब पूरी तरह मिट चुका है। उसके जीवन में एक नया सवेरा आ गया है। 🌅✨