childishness in Hindi Short Stories by kanchan books and stories PDF | बचपना

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बचपना

बचपन की 14-15 साल की उम्र कितनी प्यारी होती है, जब न दुनिया की फिक्र होती है, न पढ़ाई का ज्यादा तनाव। बस खुद को सँवारने, आईने में निहारने और नए-नए एहसासों में खो जाने का समय होता है।

नीला और उसकी सहेलियाँ भी कुछ ऐसी ही थीं—मस्ती, शरारत और थोड़ी-बहुत पढ़ाई। सभी साइकिल से स्कूल आती-जाती थीं, और स्कूल के लड़के भी कम शरारती नहीं थे। हर लड़की के पीछे कोई न कोई दीवाना था, लेकिन वो प्यार बस नाम का था, जिम्मेदारियों से कोसों दूर| वैसे वो उम्र ही छोटी थी |

नीला की सहेलियाँ उसे अक्सर छेड़तीं, "अरे, तुझे अर्जुन पसंद है ना?" नीला हंसकर टाल देती, "कुछ भी बोलती हो!" लेकिन एक दिन सहेलियों ने शरारत में कहा, "चल, अर्जुन के बैग में चिट्ठी डाल दे, मज़ा आएगा!"

नीला ने पहले मना किया, लेकिन फिर शरारत में आकर एक छोटी-सी चिट्ठी लिख दी:

"मुझे नहीं पता ये क्या है, लेकिन जब तुम सामने आते हो, दिल अजीब-सा धड़कने लगता है।"

लंच ब्रेक में मौका देखकर उसने अर्जुन के बैग में चिट्ठी डाल दी और सहेलियों के साथ दूर जाकर बैठ गई। दिल धड़क रहा था, चेहरे पर हल्की घबराहट थी, लेकिन अंदर से रोमांच भी महसूस हो रहा था।

अर्जुन ने बैग खोला और उसमें से चिट्ठी निकाली। जैसे ही उसने पढ़ा, उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने चारों तरफ देखा और फिर नीला की तरफ गहरी नज़रों से देखा।

नीला असहज महसूस करने लगी और तुरंत दूसरी तरफ देखने लगी, लेकिन अर्जुन सीधे उसकी ओर बढ़ा और पूरी क्लास के सामने चिट्ठी लहराकर बोला:

"ये बचकाना हरकत किसने की?"

नीला का कलेजा कांप गया। उसे लगा था कि यह एक छोटा-सा मज़ाक रहेगा, लेकिन अर्जुन की प्रतिक्रिया सोची से बिल्कुल उलट थी।

"अगर किसी ने ये लिखा है तो सामने आओ!" अर्जुन की आवाज़ गूंज रही थी।

सहेलियाँ कोने में खड़ी होकर मजाक में हंस रही थीं, लेकिन नीला की तो हालत खराब हो गई थी। अर्जुन ने गुस्से में चिट्ठी को ज़मीन पर फेंक दिया |

इसके बाद नीला और अर्जुन कभी बात नहीं कर पाए। स्कूल खत्म हुआ, कॉलेज की नई ज़िंदगी शुरू हुई। नीला ने उस घटना को पीछे छोड़ दिया, लेकिन सहेलियाँ उसे भूलने नहीं देती थीं।हर वक़्त बस मज़ाक में चिढ़ाते रहती थी और नीला भी एन्जॉय करती थी |

कॉलेज में नीला को राहुल नाम का लड़का मिला। राहुल हर तरह से अर्जुन से अलग था—हंसमुख, केयरिंग और नीला पर जान छिड़कने वाला। नीला खूबसूरत थी, तो कॉलेज में कई लड़कों की नज़रें उस पर रहती थीं। मगर राहुल तो उसका दीवाना बन गया था।

नीला ने पहले तो उसे नज़रअंदाज किया, लेकिन धीरे-धीरे राहुल की सादगी और अपनापन उसे पसंद आने लगा। कॉलेज खत्म होते-होते दोनों का प्यार पक्का हो चुका था।

राहुल को जब पता चला कि स्कूल में एक बार नीला ने किसी अर्जुन के लिए चिट्ठी लिखी थी, तो वह हंसा और बोला:"अच्छा! तो स्कूल में भी तुम इतनी शरारती थीं?"नीला मुस्कुराई और बोली, "बस एक बचपना था!"राहुल ने भी हल्की मुस्कान दी| और कहा ,"अच्छा हुआ अर्जुन ने नहीं कहा | वर्ना तुम मुझे कैसे मिलती |"नीला ने उसकी ओर देखा और सोचा—सच में, अर्जुन की जगह अगर राहुल न मिला होता, तो क्या वो इतनी खुश होती?

अब नीला शादीशुदा थी, राहुल उसका पति था। एक दिन स्कूल के पुराने ग्रुप का रीयूनियन हुआ।नीला ने सोचा, "क्या अर्जुन भी आएगा?"रीयूनियन में सब मिले, पुरानी बातें हुईं। और फिर, अचानक अर्जुन भी वहां आ गया।अर्जुन अब भी स्मार्ट था, लेकिन अकड़ थोड़ी कम हो गई थी।नीला ने मुस्कुराकर देखा, अर्जुन ने भी स्माइल दी  लेकिन कुछ नहीं बोल पाया।

अर्जुन के एक पुराने दोस्त ने हंसकर कहा:"अर्जुन, याद है? बैग में चिट्ठी मिली थी?"अर्जुन ने हल्की मुस्कान के साथ कहा:"हां, पर तब मैं बेवकूफ था ".....