सुबह का समय,
सिद्धांत और यश हँसी मजाक करते हुए अपनी बाइक से आगे बढ़ रहे थे कि इतने में सिद्धांत की नजर रास्ते पर पड़ी जो उसके घर की ओर नहीं जा रहा था ।
उसने यश से सवाल करते हुए कहा, " ये कहां चल रहे हो तुम ? "
यश ने कहा, " पहुंचने पर खुद ही पता चल जाएगा । "
सिद्धांत ने तुरंत कहा, " यश, सीधे - सीधे बताओ कि तुम हमें कहां ले चल रहे हो ? "
यश ने सामने देखते हुए ही कहा, " देखो, इस वक्त घर तो तुम जाते नहीं हो और वैसे भी जिम में तुम सिर्फ आधे घंटे के लिए ही रुके हुए थे ।
सिद्धांत ने अपनी भौंहें उठा कर कहा, " हां, तो ! "
यश ने कहा, " तो अभी तुम मार्शल आर्ट्स क्लासेज भी नहीं जा सकते हो । "
सिद्धांत ने चिढ़ कर कहा, " साफ साफ बोलो कि कहना क्या चाहते हो ! "
यश ने कहा," जब तक तुम्हारे मार्शल आर्ट्स क्लासेज जाने का समय नहीं हो जाता... "
लेकिन इससे पहले कि वो अपनी बात पूरी कर पाता, सिद्धांत ने कहा, " एक मिनट ! "
यश ने कहा, " क्या हुआ ? "
सिद्धांत ने उससे सवाल करते हुए कहा, " तुम्हें कैसे पता कि हमें मार्शल आर्ट्स क्लासेज के लिए जाना है ? "
यश ने कहा, " आंटी ने बताया कि जब तुम्हें कॉलेज नहीं जाना होता है तो तुम जिम से निकल कर सीधे मार्शल आर्ट्स क्लासेज के लिए जाते हो । "
सिद्धांत ने कहा, " लेकिन कब ? "
यश ने कहा, " जब तुम अंदर गए हुए थे तब ! "
सिद्धांत ने कहा, " ओह, तो क्या कह रहे थे तुम ! "
यश ने कहा, " यही कि जब तक तुम्हारे मार्शल आर्ट्स क्लासेज जाने का समय नहीं हो जाता तब तक हम थोड़ा घूम - फिर लेते हैं । "
सिद्धांत ने कहा, " और कहां घूमना है तुम्हें ! "
यश ने कहा, " तुम चलो तो सही, खुद ब खुद पता चल जाएगा । "
सिद्धांत ने अपना सिर ना में हिला दिया और अपने कानों में हेडफोन लगा कर म्यूजिक सुनने लगा । म्यूजिक सुनते हुए ही न जाने कब उसे नींद आ गई और वो अपना सिर यश के कंधे पर टिका कर सो गया ।
ये देख कर यश मुस्करा दिया लेकिन एक बात उसने नोटिस की और वो ये कि नींद में भी सिद्धांत के माथे पर टेंशन की लकीरें साफ दिख रही थीं लेकिन अभी उसने सिद्धांत से कुछ भी पूछना ठीक नहीं समझा ।
सुबह का समय होने की वजह से उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं हुई और लगभग पैंतीस से चालीस मिनट में उनकी बाइक अपनी मंजिल पर पहुंच गई । यश ने एक नजर सिद्धांत पर डाली तो वो अभी भी सो रहा था ।
यश ने धीरे से उसके गालों को थपथपा कर कहा, " सिड, उठो हम पहुंच गए हैं । "
सिद्धांत अपनी आंखें मलते हुए सीधे होकर बैठ गया । उसने आस पास देखा तो यश उसे बुढ़िया माई मंदिर लेकर आया था ।
सिद्धांत ने आस पास देख कर कहा, " तुम्हें सबसे अच्छी जगह यही लगी ! "
यश ने उसकी ओर देख कर कहा, " क्यों ? तुम्हें पसंद नहीं आया ! "
सिद्धांत ने उतरते हुए कहा, " नहीं, ऐसी बात नहीं है बल्कि यहां आना तो हमें बहुत पसंद है । "
यश ने उसका हाथ पकड़ कर कहा, " तो चलो, अंदर चलते हैं । "
उन दोनों ने अंदर जाकर हाथ मुंह धुला और फिर मंदिर में जाकर पूजा की और फिर बाहर आ गए । वो दोनों बाहर निकल कर मंदिर का प्रांगण घूमने लगें ।
इतने में यश की नजर नदी पर पड़ी जिसके आस पास लोगों की भीड़ थी । उस नदी के पास कुछ पौधे भी थें जिनमें लगे फूलों से भीनी भीनी खुशबू आ रही थीं ।
सिद्धांत की नजर जैसे ही उन फूलों पर पड़ी, वो उनकी ओर बढ़ गया । यश भी उसके पास चला गया । सिद्धांत बड़े ही शिद्दत से उन फूलों को देख रहा था । इस वक्त उसकी आंखों में हल्की सी नमी थी ।
यश ने उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रख दिया तो सिद्धांत ने अपने हाथ में पकड़े हुए फूल की ओर इशारा करके यश से कहा, " ये देख रहे हो, यश ! "
यश ने देखा तो सिद्धांत के हाथ में काले गुलाब थे । यश ने उन्हें देख कर कहा, " तुम्हें काले गुलाब पसंद हैं । "
सिद्धांत ने हां में सिर हिलाते हुए कहा, " हां ! "
यश ने कहा, " पर क्यों ? आई मीन इन्हें कोई पसंद नहीं करता है । "
सिद्धांत ने हल्के से हंस कर कहा, " इसीलिए तो ये हमें पसंद हैं । "
यश के मुंह से निकला, " हां ! "
सिद्धांत ने कहा, " पता है यश, जब हम छोटे थे तो पापा के साथ यहां आते थे । तब यहां ये काले गुलाब नहीं थे । हर रंग के फूल थे लेकिन कोई भी काला फूल नहीं । तब हमने पापा से पूछा कि यहां कोई काला फूल क्यों नहीं है । "
यश ने उसके पास बैठ कर कहा, " फिर ! "
सिद्धांत ने कहा, " पापा ने बताया कि काला रंग सबको पसंद नहीं होता है इसलिए यहां काले फूल नहीं है । "
यश ने कहा, " तो तुमने क्या किया ? "
सिद्धांत ने हल्के से हंस कर कहा, " हमने, ये सारे काले फूलों के पौधे हमने ही तो लगाए हैं । "
यश ने वहां लगे हुए पौधों को देखते हुए हैरानी के साथ कहा, " रियली ! "
सिद्धांत ने कहा, " हां ! "
इसके बाद उसने कुछ नहीं कहा और ना ही यश ने । सिद्धांत अपने पिता की यादों में खोया हुआ था । यश ने उसे उन यादों से बाहर लाने के लिए कहा, " सिड, नदी घूमोगे ! "
सिद्धांत ने कहा, " हम्म ! "
और फिर वो दोनों आगे बढ़ गए । कुछ देर बाद वो दोनों भी नदी में घूम रहे थे जहां सिद्धांत अपना एक हाथ नदी में डाले उस पानी को महसूस कर रहा था ।
वो बोट के किनारे पर अपना सिर टिका कर बैठा था । उसकी आँखें बंद थीं और चेहरे ली सुकून साफ झलक रहा था ।
मास्क की वजह से यश को उसका चेहरा भले ही नहीं दिख रहा था लेकिन उसे पता था कि यहां पर सिद्धांत को सुकून मिल रहा है ।
वो एकटक सिद्धांत को देखे जा रहा था और साथ में उसकी विडियोज भी बना रहा था । सैर से वापस आने के बाद वो दोनों बाहर आ गए । वहां का मौसम बहुत ही सुहाना था ।
बिल्कुल हल्की हल्की धूप थी और आसमान में बादल छाए हुए थे । चारों ओर बड़े बड़े पेड़ और उन पेड़ों पर इधर से उधर उछलते - कूदते बंदर ।
इस सबके साथ मंद मंद बहती ठंडी हवाएं मन को और ज्यादा मोहने वाली थीं । सिद्धांत को ये सब देख कर बहुत अच्छा लग रहा था ।
उसने यश का हाथ पकड़ कर एक ओर इशारा करके कहा, " यश, चलो वहां बैठते हैं । "
यश ने उस ओर देखा तो वो मंदिर से कुछ दूर एक जगह थी जहां नाम मात्र लोग थे । उसने सिद्धांत से कहा, " वहां क्या है ? "
सिद्धांत ने कहा, " कुछ नहीं, बस हमें शांति से वहां बैठना है । "
यश ने अपनी भौंहें उठा कर कहा, " सच में ! "
सिद्धांत ने कहा, " हां ! "
यश ने एक गहरी सांस लेकर कहा, " चलो । "
वो दोनों भीड़ से दूर जाकर उन पेड़ों के पीछे बैठ गए जहां की मिट्टी थोड़ी नीचे थी । वो दोनों कुछ देर तक वहां चुपचाप बैठे रहे ।
फिर यश ने कहा, " सिड ! "
सिद्धांत ने कहा " हम्म ! "
यश ने कहा, " तुम्हें ये जगह पसंद है न ! "
सिद्धांत ने कहा, " बहुत ज्यादा ! "
यश ने कहा, " कोई खास वजह ! "
सिद्धांत ने कहा, " ऐसी कोई खास वजह नहीं है और ना ही इस जगह में कोई अलग बात है । इट्स जस्ट लाइक कि हमें एकांत और शांत जगह बहुत पसंद है जहां हमें कोई डिस्टर्ब ना करे । अब शहर की भीड़भाड़ में तो ऐसी शांति और एकांत मिलना ऑलमोस्ट इंपॉसिबल है । "
यश ने कहा, " हम्म ! बात तो तुम्हारी सही है । "
उसने इतना ही कहा था कि तभी सिद्धांत का फोन बज उठा । उसने फोन निकाल कर देखा तो मार्शल आर्ट्स क्लासेज से कॉल था । उसने कॉल आंसर करके कान से लगा लिया ।
सामने से कुछ कहा गया जिसे सुन कर सिद्धांत ने कहा, " ओ के, सर ! "
और फोन रख दिया ।
यश ने कहा, " क्या हुआ सिड ? किसका कॉल था ? "
सिद्धांत ने कहा, " मार्शल आर्ट्स क्लासेज नहीं जाना है । उन्होंने कहा है कि हम पूरी तरह ठीक होकर ही वहां पहुंचें । "
यश ने कहा, " ये तो अच्छी बात है न ! "
सिद्धांत ने कहा, " हम्म ! " और सामने देखने लगा । वहीं यश ने समय देखा तो साढ़े आठ बज रहे थे ।
उसने सिद्धांत का हाथ पकड़ कर कहा, " सिड, लेट्स गो । "
सिद्धांत में नासमझी से कहा, " क्यों ? क्या हो गया ? "
यश ने खड़े होते हुए कहा, " समय देखा है तुमने ! तुम्हारी दवाइयों का समय हो गया है और तुमने नाश्ता तक नहीं किया है । "
सिद्धांत ने मुंह बना कर कहा, " क्या यार, तुम भी खाने को लेकर हमारे पीछे पड़ गए । "
यश ने उसकी बातों को पूरी तरह से नजरंदाज करके कहा, " सिड ! हमने कहा, उठो । "
सिद्धांत ने खड़े होकर कहा, " तुम्हें नहीं लगता है कि तुम हमारी दोस्ती का कुछ ज्यादा ही फायदा उठा रहे हो ! "
यश ने आराम से कहा, " अब अगर दोस्त तुम्हारे जैसा हो तो हमारे जैसे इंसान को ये करना ही पड़ेगा । "
सिद्धांत ने कहा, " बस - बस ! अपने मुंह मियां मिट्ठू बनने की जरूरत नहीं है । "
यश ने कहा, " तो फिर चुपचाप चलो न ! "
सिद्धांत ने आगे बढ़ते हुए कहा, " चलो यार । "
इसके बाद वो दोनों वहां से चल दिए । कुछ देर में वो दोनों एक रेस्टोरेंट के सामन पहुंचे ।
सिद्धांत ने उसे देख कर कहा, " चलो, कम से कम अब तो कुछ ढंग का खाने को मिलेगा ! "
यश ने कहा, " अब अंदर चलें, महाशय या बाहर ही खड़े होकर ख्याली पुलाव खाने हैं ! "
सिद्धांत ने कहा, " तुम्हें रुकना है तो रुक जाओ, हम तो जा रहे हैं क्योंकि ख्याली पुलाव तो हम बनाते ही नहीं हैं, खाना तो बहुत दूर की बात है । "
इतना बोल कर सिद्धांत अंदर चला गया तो वहीं यश का मुंह खुला का खुला रह गया ।
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क्या सिद्धांत और यश इसी तरह खुश रह पाएंगे ?
या इनकी खुशियों को लगने वाली है किसी की नजर ?
इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ते रहिए,
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लेखक : देव श्रीवास्तव