Jununiyat si Ishq - 20 in Hindi Love Stories by Mira Sharma books and stories PDF | ...जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 20

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...जुन्नूनियत..सी..इश्क.. (साजिशी इश्क़) - 20

...!!जय महाकाल!!...

अब आगे...!!

सात्विक उनकी बात सुन द्रक्षता को देखने लगा.....जो सुरुचि से बात कर रही थी.....
फिर धर्म जी से बोला:मैं अपनी जिम्मेदारियों को निभाना बखूबी जानता हु.....मैं अपने ट्रिप से आने के बाद.....जरूर उसके साथ समय बिताऊंगा.....लेकिन फिलहाल मेरा वहां होना बहुत जरूरी है.....और आप अब मुझे नहीं रोकेंगे.....क्योंकि आप ये अच्छे से जानते है.....की मेरे लिए मेरा काम कितना इंपॉर्टेंस रखता है.....!!
धर्म जी इस पर कुछ ना बोल सके.....वोह सात्विक के इस बिहेवियर को बहुत अच्छे से जानते थे.....की चाहे जो हो जाए.....सात्विक अपने मन की ही करेगा.....उनका उसे रोकने की कोई भी कोशिश सफल नहीं होगी.....
सात्विक उन्हें एक नजर देख अपने कमरे में चला गया.....
द्रक्षता जो थोड़ी दूर खड़ी सुरुचि से बात कर रही थी.....सात्विक को रूम में जाता देख.....वो भी कुछ टाइम बाद रूम में चली गई.....क्योंकि उसे सात्विक से कुछ बात करना था.....
रूम में सात्विक अपनी कुछ फाइल्स ढूंढ रहा था.....जिससे उसने द्रक्षता भी रूम में है.....इस पर ध्यान नहीं दिया.....
द्रक्षता उसे कुछ करता देख.....एक साइड चुपचाप खड़ी हो गई.....सात्विक की बैक उसके तरफ थी.....जब वो मुड़ा उसकी नजर सीधा द्रक्षता से मिल गई.....
सात्विक उसे अपनी तरफ देखता देख.....उसके पास खुद आ गया.....
उसे देखते हुए बोला:कुछ कहना है तुम्हे.....!!
द्रक्षता थोड़ा हकलाती हुई:हां.....!!
सात्विक ठंडे स्वभाव से:बोलो.....!!
द्रक्षता:मुझे कॉलेज फिर से ज्वाइन करना है.....!!
सात्विक और ठंडे भाव से:मैने तुम्हे नहीं रोका है.....और ना ही कभी तुम्हारे एजुकेशन के बीच रुकावट बनूंगा.....!!
द्रक्षता अब सर झुका कर खड़ी हो गई.....
सात्विक उसके बेहद करीब आ गया..... द्रक्षता को उसके कमर से पकड़ अपने सीने से लगा लिया.....सात्विक को ना जाने क्या खुशी मिलती थी.....उसके पास रहने से.....ये तो वही जाने.....
द्रक्षता सकुचाती हुई.....उसके और करीब आ गई.....सात्विक ने अपना सर उसके गर्दन में घुसा दिया.....और उसकी बॉडी की फ्रेंगनेस को महसूस करने लगा.....कुछ देर ऐसे ही खड़े रहने के बाद.....अपना चेहरे को उसके चेहरे से टिका लिया.....
फिर उसकी आंखों में देखते हुए बोला:मुझे कुछ दिनों के लिए.....अपने बिजनेस ट्रिप पर फॉरेन जाना है.....!!
द्रक्षता अपनी नजरे उठा कर उसी पूछी:कितना टाइम लगेगा.....!!
सात्विक:टाइम नहीं.....वीक.....टू वीक्स के लिए जाना है.....और अगर ज्यादा प्रॉब्लम हुआ.....तोह और टाइम लग सकता है.....!!
द्रक्षता इस पर कुछ ना बोल सकी.....उसे समझ नहीं आ रहा था.....कुछ.....
कुछ देर सात्विक उसे अलग हो गया.....और उसकी आंखों में देखते हुए.....
उससे बोला:तुम सच में काफी खूबसूरत हो.....पहली बार तुम्हे देखा था.....तब भी.....और आज तो उससे भी कहीं ज्यादा.....!!
उसकी बातों को सुन.....द्रक्षता के चेहरे का रंग लाल होने लगा.....उसे शर्माते देख.....सात्विक अपने हाथ से उसके गालों को सहलाने लगा.....जिससे वो और शर्माने लग गई.....
सात्विक उसे गाल सहलाने के बाद.....वहां से अपने फाइल लिए चला गया.....
इसी तरह कुछ तीन दिन बीते.....जहां सात्विक यू एस में था.....और द्रक्षता राजपूत मैंशन में.....कभी कभार द्रक्षता अपने घर जाकर सब से मिल लेती.....सात्विक और द्रक्षता की बीच बीच में फोन कॉल पर बात हो जाया करती थी.....
ऐसे ही एक दिन द्रक्षता अलमीरा में अपने कपड़े सेट कर रही थी.....जब एक डायरी गिरी.....वोह डायरी दिखने में ही काफी एक्सपेंसिव लग रहा था.....
द्रक्षता उसे उठा कर वापस रखने लगी.....तब उसका ध्यान उस डायरी के कवर पर गया.....जिसमें बहुत खूबसूरत इंग्लिश अक्षरों में सात्विक सिंह राजपूत लिखा हुआ था.....
द्रक्षता की क्यूरियोसिटी जाग गई.....उसने खोल कर देखा.....तो कर्सिव राइटिंग से सारे पेजेस भरे हुए थे.....वो किसी के द्वारा लिखा गया था.....
द्रक्षता समझ गई यह सात्विक ने ही लिखा है.....उसने पढ़ा तो इसमें सात्विक ने अपने गोल्स को लिख रखा था.....और जो जो उसने अचीव कर लिया था.....उसने कैसे किया उसके बारे में लिखा हुआ था.....
द्रक्षता यह सब पढ़ कर सात्विक से काफी इंप्रेस हो गई.....वो मन ही मन सोची.....
"कितने मेहनती है यह.....इतने पड़ावों को पार कर आज इस मुकाम पर है.....मुझे ऐसा पति देने के लिए.....थैंक्स.....कान्हा जी.....!!"
फिर कुछ पेज उलट पलट कर रखने लगी.....तब उसमें से एक तस्वीर नीचे गिरी.....जो किसी बच्चे की थी.....द्रक्षता फोटो को देख हैरान थी.....क्योंकि सात्विक की बचपन की फोटो उसने देख रखी थी.....वोह बचपन में ऐसा नहीं दिखता था.....
द्रक्षता ये सोच कर कि शायद.....सात्विक के किसी रिलेटिव का हो सकता है.....डायरी को उसने उसकी जगह वापस रख दिया.....
वो अपने काम में फिर से लग गई.....तभी उसके डोर पर किसी ने नॉक किया.....दरवाजा खोलने पर.....सामने आर्या थी.....उसने अपने हाथ में बुक और कॉपी पकड़ी हुई थी.....
आर्या द्रक्षता से बोली:भाभी.....आपका इंग्लिश ग्रामर बहुत अच्छा है.....आप मुझे सिखा दो ना.....कुछ दिनों बाद से मेरे एग्जाम्स है.....!!
द्रक्षता उसे अंदर बुला कर:क्यों नहीं आर्या.....आप भी बैठे.....मैं भी अपने बुक्स लेकर आऊ.....साथ में रिविजन हो जाएगा मेरा.....!!
फिर दोनों साथ में पढ़ने लगी.....
ऐसे ही यह दिन भी बीत गया.....

अगले दिन...!!

सुबह...!!

राजपूत मैंशन...!!

पूरा परिवार एक साथ बैठा हुआ था.....तभी बाहर कुछ गाड़ियों के रुकने की आवाज आई.....सभी उठ कर मेन डोर के पास खड़े हो गए.....
गाड़ी से एक 46 साल की एक औरत बाहर आई.....दूसरे साइड से एक इक्कीस साल की लड़की निकली.....दोनों का चेहरा घमंड से चूर था.....दोनों के साथ एक पचास साल का आदमी भी निकला.....जो सौम्य स्वभाव का था.....
राम्या उन्हें देख सुरुचि से बोली:दीदी.....ये दोनों अब क्या कलेश करने आई है.....यहां.....!!(ये बात उन्होंने उन लेडिस के लिए बोली थी)
सुरुचि उसे आंख दिखा कर चुप कर दी.....
तीनों ने वहां आकर सब को ग्रीट किया.....वो औरत जिसका नाम शालिनी था.....
वो सुरुचि से बोली:भाभी.....इतने दिनों बाद आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई.....सात्विक की शादी पर.....कुछ जरूरी काम की वजह से.....मैं आ नहीं पाई.....तो सोचा अभी जाकर मिल लेती हु.....नई बहु से मिल भी लूंगी.....!!
राम्या उसे देख मन में:हां क्यों नहीं.....फिर द्रक्षता के लिए षडयंत्र भी रचेंगी.....बहुत अच्छे से जानती हूं.....इन लोगों को.....सालों पहले मेरे और दीदी के लिए मुसीबतें खड़ी करती थी.....और अब द्रक्षता के लिए फिर आ गई है.....लेकिन अब मैं पहली वाली राम्या नहीं हु.....अगर ज्यादा कुछ बोलेंगी.....तो मुझे भी चुप कराना आता है.....!!
सुरुचि सब को अंदर बुलाती है.....सभी बैठ कर बाते करने लग जाते है.....
तभी शालिनी इधर उधर देखते हुए:अरे भाभी.....अभी तक आपकी बहु कहीं नजर नहीं आई.....उसे पता नहीं है क्या.....मेहमानों के आने पर कमरे में बंद नहीं रहते है.....!!
सुरुचि:शालिनी.....उसकी तबियत थोड़ी खराब लगी मुझे.....इसलिए मैने ही उसे कमरे में आराम करने के लिए कहा है.....तुम चिंता मत करो.....कुछ देर बाद खुद नीचे आ जाएगी.....!!
शालिनी थोड़ी नाराजगी से बोली:लेकिन भाभी.....अगर आप अभी से उसे इतनी छूट देंगी.....तोह बाद में कहीं आपके छूट का गलत फायदा न उठाने लग जाए.....!!
सुरुचि उसके बात को टालते हुए:नहीं.....शालिनी.....द्रक्षता ऐसी नहीं है.....देखना कुछ देर बाद वो खुद आ जाएगी यहां.....!!
सुरुचि ने इतना कहा ही था.....की द्रक्षता उसे निचे आती दिखी.....
तब उसने शालिनी से कहा:लो आ गई मेरी बहु.....!!
द्रक्षता उसकी बात सुन समझ गई.....कि कोई आया हुआ है.....तोह जो उसके लिए अनजाने चेहरे थे.....उसने उनके पैर छू लिए.....
सुरुचि उससे पूछी:अब तुम्हे अच्छा लग रहा है.....जो यहां आ गई.....और इनसे मिलो.....(शालिनी की तरफ इशारा कर)ये मेरी नन्द और तुम्हारी बुआ सास है.....और वो तुम्हारी नन्द है(शालिनी की बेटी दिव्या की तरफ इशारा कर).....और ये इस घर के दामाद है.....तो तुम्हारे फूफा ससुर हुए.....!!
द्रक्षता हां में सिर हिलाते हुए:मां.....मेरी तबियत खराब ही कब हुई.....वो आपने ही मुझे बेमतलब का रूम में भेज दिया.....!!
सुरुचि ने उसकी बात पर शालिनी को देखती है.....तो उसकी बोलती बंद हो गई.....
शालिनी अब द्रक्षता को अपने पास.....बैठा कर तरह तरह के सवाल पूछने लगी.....जैसे:खाना बनाना आता है या नहीं?,,कोई टैलेंट है?,,स्टडी करती है या नहीं?,,ऐसे ही पर्सनल लाइफ के सारे क्वेश्चंस उससे पूछ डाले थे.....
द्रक्षता को अब उससे डर लगने लगा था.....की वोह उसके सवालों का क्या जवाब दे.....लेकिन जैसे तैसे उसने अच्छे बिहेवियर के साथ उसके आंसर्स दिए.....
सुरुचि शालिनी को द्रक्षता से इतने सवाल करते देख.....उसे रोकते हुए बोली:अरे शालिनी.....हो भी गया.....उस बच्ची को अभी कितने ही दिन हुए है.....इस परिवार से जुड़े हुए.....उसे ऐसे भी मत डराओ.....!!
शालिनी उसकी बात पर खिसियानी मुस्कान दे देती है.....लेकिन कही न कही उसे सुरुचि से जलन हो रही थी.....की द्रक्षता जितनी इतनी अच्छी बहु सुरुचि को मिली.....

...!!जय महाकाल!!...

क्रमशः...!!