Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 50 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 50

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 50

"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"( पार्ट -५०)

शुभम की दोनों बेटीयां मार्केट में शोपिंग करने के लिए जाती है। दोनों ने पापा शुभम की शादी रूपा से करवाना चाहते हैं और उसके लिए सब प्लानिंग की थी।
शादी से पहले डॉक्टर शुभम और रूपा मार्केट में शोपिंग के लिए जाते हैं।
और अपनी अपनी पसंद की शोपिंग करते हैं।

अब आगे....

शुभम और रूपा खाना खाने के लिए होटल में जाते हैं।

डॉ. शुभम और रूपा के खाना खाने के बाद रूपा कहती हैं कि वह कार चलायेंगी।
और कार चलाने के लिए बैठ जाती है।

डॉक्टर शुभम:-'अब कहां घुमाने ले जाना है? कार धीरे से चलाना, वैसे तुम बहुत फ़ास्ट चलाती हो।'

रूपा:-" मुझ से ज्यादा तुम कार फ़ास्ट चलाते हो। मैंने तुमको बार बार टोंका है। अब मैं ही कार चलाऊंगी।आप देख रहे हैं। थोड़ी लंबी ड्राइव पर..न ज्यादा दूर और न ज्यादा करीब। हम दोनों... बस हम दोनों।"

रूपा कार को हाईवे पर ले गई।
एक रोमांटिक गाना शुरू किया।

गाड़ी शहर से चार-पाँच किलोमीटर दूर गई होगी और डॉक्टर शुभम ने कहा-'चलो अब बच्चे भी घर आ गए होंगे।  हमारा इंतजार कर रहे होंगे।'

रूपा:-'थोड़ा पांच किलोमीटर और चलकर आएँगे।  लड़कियां जानती हैं कि हम साथ हैं। और हमारे बच्चे बड़े हो गए है। साथ में गये है तो साथ में आयेंगे ऐसा उनको मालूम है।'

जब वे कार में बात कर रहे थे, तभी एक बाइक तेजी से उनकी कार के करीब आ गई।
डॉक्टर शुभम:-'ओह..कितनी तेज बाइक चलाते हैं। हमारी कार से टकरा जाती तो खामखां पुलिस केस हो जाता और हमें देरी हो जाती। और बाइक पलट जाती तो उसकी मृत्यु भी हो सकती थी।'

उसी समय एक अन्य बाइक भी ओवरटेक कर गुजर रही थी, तभी डॉक्टर शुभम की  नजर बाइक पर पड़ी ।एक युवक बाइक चला रहा था और उसके पीछे मनस्वी को देखा।

मनस्वी मनोरोगी पेशेन्ट जो अस्पताल से भाग गई थी और गुनहगार भी थी।

डॉक्टर शुभम:- 'रूपा गाड़ी तेजी से चलाओ।  मनस्वी उस बाइक के पीछे बैठी दिख रही है।'

रूपा:-'मेरा मजाक मत उड़ाओ।  आप कह रहे थे कि मनस्वी ने आत्महत्या कर ली है। आपने कैसे जान लिया कि मनस्वी ही पीछे बैठी है? बाइक तेजी से गई इसलिए आपको ऐसा लगा होगा। आपके दिमाग में पेशेन्ट मनस्वी के विचार घुम रहे हैं।'

डॉक्टर शुभम:-' रूपा, मैं सच कह रहा हूं। अभी बताने का समय नहीं है।पीछे मनस्वी ही थी।मुझे कार चलाने दो या तेज चलाने दो।  बाइक अभी भी दिख रही है।'

रूपा ने कार की स्पीड बढ़ा दी लेकिन बाइक तक पहुंचने से पहले ही कार नियंत्रण से बाहर हो गई।  रूपा ने कार को संभालने की कोशिश की लेकिन कार में ब्रेक नहीं लग रही थी।
शायद ब्रेक फेल हो गई थी।

आगे देखा तो दो ट्रक दिखाई दे रही थी।

रूपा:-'शुभम,  मेरे कंट्रोल में कार नहीं होगी, ब्रेक भी फेल हो गई है।दो ट्रक आगे समानांतर चल रही हैं। निकलने के लिए जगह नहीं है।कार ट्रक से टकरा जाएगी या सड़क के किनारे दुर्घटनाग्रस्त हो जाएगी।  तुम कार से बाहर कूदो। अब हम बच नहीं सकते। मेरी चिंता मत करो। दोनों बच्चियों के बारे में सोचों। मेरे पास टाइम नहीं है। कार कंट्रोल में नहीं है।जल्दी करो। बाहर कूद पड़ो, मेरे प्यार की कसम।'

रूपा की आवाज में घबराहट थी।

डॉक्टर शुभम:- 'आप जरा हटिए।  मैं कार को कंट्रोल कर सकूंगा।मैं इसे धीरे-धीरे पकड़ने और नियंत्रित करने की कोशिश करता हूं।  अगर हमें मरना ही है तो हम साथ मरेंगे।'

रूपा:- ट्रक मेरे बहुत करीब है।  तुम दरवाज़ा खोलो और कूद जाओ।  हालाँकि, आपके ऊपर दो बेटियों की ज़िम्मेदारी है, हम में से एक को जीवित रहना होगा। मेरी तरफ से दोनों बेटीयां को माता का प्यार देना। अलविदा शुभम।'

डॉक्टर शुभम बहुत आनाकानी कर रहा था, रूपा ने अपनी कसम दी और शुभम को धक्का दे दिया।
डॉक्टर शुभम ने कार का दरवाज़ा खोला जब उन्होंने देखा कि कार ट्रक से टकराने वाली है तो शुभम कार से बाहर कूद गये। कूदते कूदते बोलें रूपा तुम भी कार से कूद पड़ो।
टकराने की आवाज आई और कार ट्रक से जोर से टकरा गई।
-------
दो दिन बाद...
जब डॉक्टर शुभम को होश आया तो वह अस्पताल में बिस्तर पर थे।

शुभम को बदन में दर्द हो रहा था।
डॉक्टर होते हुए उसे मालूम था कि ऐसी हालत में ऐसा ही होता है।

भयानक अकस्मात सोचकर निराश हो गया था।
उसे रूपा की चिंता सता रही थी।

शुभम को शरीर बहुत कमज़ोर लग रहा था‌  पूरा शरीर जख्मी था। दिव्या पास ही बैठी थी।

डॉक्टर शुभम धीरे से बोले:-'क्या हुआ?  रूपा कहाँ है?  वह ठीक है, है ना!'

दिव्या कुछ नहीं बोल पाई।

उसकी आंखों से आंसु बह रहे थे।

डॉक्टर शुभम को चिंता हो गई।

डॉक्टर शुभम:- 'रूपा कहाँ है?  मैं उसके पास जाना चाहता हूं। मेरी प्रांजल नहीं आई?'

डॉक्टर शुभम ने बिस्तर से उठने की कोशिश की लेकिन हिल नहीं सके।

डॉक्टर शुभम ने दिव्या को रोते हुए देखा।

डॉक्टर शुभम:- 'दिव्या, तुम कुछ तो बोलो।  आपकी माँ कहाँ हैं  मैं उसके पास जाना चाहता हूं।मैं हिल नहीं सकता। शायद मेरे पैरों में ज्यादा लगा है।मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरे पैर हिल नहीं सकते।'
( क्या अकस्मात में रूपा बच पायेगी? डॉक्टर शुभम की जिंदगी में अब क्या होगा? अपाहिज शुभम कैसे जी सकेंगे? जानने के लिए पढ़िए मेरी धारावाहिक कहानी शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल" का अंतिम पार्ट)
- कौशिक दवे