Shubham - Kahi Deep Jale Kahi Dil - 3 in Hindi Moral Stories by Kaushik Dave books and stories PDF | शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 3

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शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल - पार्ट 3

"शुभम - कहीं दीप जले कहीं दिल"
( Part -3)



डोक्टर शुभम मेन्टल हेल्थ सेंटर में काम करता है।
अपने बच्चों को याद कर रहा था।
उसके बाद अपने जीवन में युक्ति कैसे आईं वह याद कर रहा था।
अब आगे...

वह पहली बार था जब युक्ति यही मेंटल हेल्थ केयर में मिली थी।

डॉक्टर शुभम की नई नई नौकरी थी।
पहले दिन काम करना थोड़ा अजीब सा लगा था।

दूसरे दिन, जब शुभम अपने केबिन में बैठे थे, एक वार्ड बॉय घबराता हुआ शुभम के केबिन में आया।
झट से बोला कि साहब, एक मरीज ने अस्पताल में हंगामा मचा दिया है, आप जल्दी जाइये।

डॉक्टर शुभम जल्दी से मरीज के पास गए।
वो मरीज़ कोई और नहीं युक्ति थी।

यादों से वापस आ कर मोबाइल देखने लगा।

डॉक्टर शुभम अपने मोबाइल में युक्ति की फोटो देखने लगे।
शुभम को याद है कि वह युक्ति से पहली बार कहां और कब मिला था।

मानसिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र में काम का एक और दिन था।
अचानक एक वार्ड बॉय हाँफता हुआ उनके केबिन में आया।
बोले... सर, एक मरीज ने अस्पताल में हंगामा कर दिया है, आप जल्दी जाइए।

डॉक्टर शुभम जल्दी से मरीज के पास गए।
मरीज का नाम युक्ति है।

पहली बार युक्ति को देखा था। युक्ति का स्वरूप थोड़ा डरा हुआ लग रहा था।  उसके सिर के बाल बिखरे हुए थे,
चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था, कमरा अस्त-व्यस्त था.  कुछ सामान टूट गया था। वैसे ऐसे मरीज का रवैया ऐसा भी हो सकता है।

ये देखकर डॉक्टर शुभम डरे नहीं।
शुभम ने मन में सोचा कि ऐसे मरीज से ज्यादा सख्ती से पेश आना नहीं करनी चाहिए।
वार्ड ब्वॉय डॉक्टर के पास आया और एक इंजेक्शन डोक्टर को दिया।
बोले.. सर, ऐसे मरीज को एक इंजेक्शन देना होगा और उसे कुछ देर आराम करना होगा।  आप नए हैं, फिर आपकी मर्जी।

डॉक्टर शुभम ने कहा कि नहीं..नहीं..इंजेक्शन कोई स्थायी समाधान नहीं है। ऐसे मरीज से सख्ती नहीं करनी चाहिए। बिना वजह इंजेक्शन देना अच्छा नहीं लगता।
मैं इसे अपने तरीके से शांत रखने की कोशिश करता हूं।'

युक्ति यह सब देख रही थी। युक्ति का हाव-भाव बदल रहा था।युक्ति ने हाथ में पानी का गिलास लिया और डॉ. शुभम की ओर मारा।
शुभम खिसक गया, पानी का गिलास पीछे की दीवार से जाकर गीर गया।

डॉक्टर शुभम ने गिलास हाथ में लिया.
कहा.. इस तरह किसी का स्वागत नहीं करना चाहिए।  एक गिलास पानी से भरा देना चाहिए। थोड़ा शांत हो जाओ  अपने मन को शांत करने के लिए अपनी आँखें बंद करें और कुछ याद करें। धीरे धीरे मन शांत हो जाएगा।

डॉक्टर शुभम युक्ति की यादों में था।

डॉक्टर शुभम अपने मोबाइल पर युक्ति की फोटो देखते हुए अतीत में खोये हुए थे तभी डॉक्टर शुभम के मोबाइल की घंटी बजी।

युक्ति से अपनी पहली मुलाकात की यादों से विचलित होकर शुभम ने अपने मोबाइल फोन की ओर देखा तो वह रूपा का फोन था।

शुभम मन ही मन बुदबुदाया... तो नेटवर्क आ गया..
रूपा अचानक क्यों कोल कर रही है?

फोन डॉक्टर शुभम ने उठाया.
बोला:- "हैलो रूपा, मैं शुभम हूं। यहां नेटवर्क की समस्या है। मैं तुम्हें कॉल करने ही वाला था।"

रूपा डॉक्टर शुभम की कॉलेज फ्रेंड है।

रूपा:-" हेलो शुभम, क्या हो रहा है? आपकी तबीयत तो ठीक है ना! आप इस तरह अकेले कैसे जीवन जी सकते हैं?"

डॉक्टर शुभम्:-" सब ठीक चल रहा है। मेरा समय कट रहा है। मरीजों की सेवा ही भगवान की सेवा है। मैं बस याद कर रहा था। प्रांजल ने कुछ मिनट पहले फोन किया था। लेकिन   नेटवर्क चला गया। क्या बात है ?" क्या कोई खास बात है?"

रूपा:-"बस याद आ गया। तुम्हारी याद मैं कैसे भूल सकती हूं।अब मैंने काम भी कम कर दिया है। प्रांजल और परितोष मजे कर रहे हैं?"

डॉक्टर शुभम:- "हां, प्रांजल से बातचीत हो गई ।परितोष को मैसेज के जरिए बात कर रहा हूं। उसे पढ़ाई से समय नहीं मिलता है। लेकिन दोनों अपने-अपने तरीके से मेहनत कर रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं।"

रूपा:-"क्या आपको अपने कॉलेज के दिन याद हैं? खैर जाने दो। अब याद करने का कोई फायदा नहीं। युक्ति से तुमने शादी कर ली थी तो तुम याद क्यूं करोगे?मैं आपसे अक्सर यह नहीं पूछूंगी  कि आपने युक्ति से शादी क्यों की? लेकिन मुझे पता है कि आप युक्ति के कारण एक खुशहाल जीवन नहीं जी सके। आपने अपने बच्चों को माता-पिता का प्यार देकर लालन पालन किया है।आपके जैसा प्यार करने वाला व्यक्ति बहुत ही कम होता है और निःस्वार्थ भाव से सेवा  करते हो।"
( आने वाले पार्ट में डोक्टर शुभम और रुपा ने क्यूं शादी नहीं की थी? और शुभम ने युक्ति जैसी मानसिक मरीज से क्यूं शादी की?)
- कौशिक दवे