Bhoot Lok - 9 in Hindi Horror Stories by Rakesh books and stories PDF | भूत लोक - 9

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भूत लोक - 9

सुबह के 8 बजे तांत्रिक भैरवनाथ  जी अपने कमरे से निकलते हैं और बाकी सभी को उठाते हैं। राज  और बाकी सभी नित्य क्रिया पूरी करके हॉल में जमा हो जाते हैं पर इस सब में सभी ने इस बात का पूरा ध्यान रखा की एक न एक व्यक्ति सुरेश  के पास जरूर मौजूद रहे। अब तांत्रिक भैरवनाथ  जी सभी को एक जगह बैठा कर अपनी आगे की योजना के बारे में विस्तार से बताने लगे।
भैरवनाथ  जी बोले “इतने समय तक ध्यान में रह कर, में अंगारा  को मुक्ति दिलाने और हमेशा- हमेशा के लिए उसे अपने लोक में भेजने के लिए किसी उपाय की तलाश कर रहा था और अंत में मुझे एक अत्यंत प्राचीन और कठिन उपाय पता लगा और यही एक मात्र रास्ता है जिससे हम इस भूत  से मुक्त हो सकते हैं”।
“परंतु ये उपाय में तुम सब को कहूँ इससे पहले तुम सब को एक बात और बताना चाहता हूँ की इस रास्ते में जान का जोखिम बहुत अधिक है पर इसके अलावा कोई और रास्ता हमारे पास नहीं है, तो अब तुम सब बताओ की क्या तुम सब इस रास्ते पर चल पाओगे क्योंकि जो इस रास्ते पर नहीं चलना चाहता उसे में ये उपाय नहीं बता सकता।“
राज  तुरंत हाँ में सर हिलाकर भैरवनाथ  जी को अपनी सहमति देता है और बाकी सभी को देखता है, विशाल  और मुकेश  भी उसी तरीके से अपनी सहमति प्रदान करते हैं और भैरवनाथ  जी को आगे की योजना विस्तार से कहने के लिए कहते हैं।
भैरवनाथ  जी बोले “मुझे तुम सब से यही उम्मीद थी, अब क्योंकि तुम सब पूर्ण रूप से इस कार्य के लिए तैयार हो तो सुनो, किन्नर जाति का होने की वजह से अंगारा  को अपने जीवन काल में कभी किसी से सम्मान नहीं मिला और न ही कभी किसी ने उसे इज्जत की नज़रों से देखा, सिर्फ युवराज दक्ष  से उसे वो सब कुछ मिला, पर लोगों ने उसे भी उससे छीन लिया जिससे उसके मन में गुस्सा और नफरत कूट-कूट कर भर गया और अब इतने सालों बाद उसे एक शरीर मिला है जिससे वो अपने अपमान का बदला भी ले सके और इतने समय से अंदर भड़क रही क्रोध की आग को भी शांत कर सके”।
“हमें युवराज दक्ष  की आत्मा को किसी भी तरीके से यहाँ लेकर आना होगा और फिर भूत  अंगारा  के सामने ले जाना होगा, अगर सब कुछ सही रहा तो अचिंतन की आत्मा अंगारा  को अपने साथ लेकर चली जाएगी, पर उसके लिए हमें युवराज दक्ष  की कोई न कोई ऐसी चीज़ की जरूरत होगी जिसे उसने अपने जीवन काल में उपयोग किया हो” इतना कह कर भैरवनाथ  जी ने सभी को देखा।
राज  जैसे तांत्रिक भैरवनाथ  जी के शांत होने का ही इंतज़ार कर रहा था वो बोला “भैरवनाथ  जी आपने जो कहा वो सुनने में तो सरल है पर वास्तविकता में अगर बात करें तो, युवराज दक्ष  का उपयोग किया सामान हमें कैसे मिलेगा, क्योंकि उनके खानदान को ख़त्म हुए तो सालों हो चुके हैं, और अगर मान लो की किसी तरह वो मिल भी जाये तो युवराज दक्ष  की आत्मा इतने सालों बाद क्या हमारे बुलाने पर आएगी और क्या भरोसा की वो अंगारा  भूत  को साथ ले जाने में सफल हो पाएगी या नहीं”।
तांत्रिक भैरवनाथ  जी ने राज  से कहा “मैंने पहले ही कहा था की ये आसान नहीं है और इसमें जान का जोखिम भी है, क्योंकि अंगारा  कोई आम भूत  नहीं है, युवराज दक्ष  की किसी वस्तु को पाना भी आसान काम नहीं है उसके लिए हमें रात के समय में नोएडा  किले में जाना होगा, या अगर कहीं और भी जहाँ पर भी हमें कुछ मिल सके, और अचिंतन के आने के बाद भी अंगारा  आसानी से उसके साथ चला जायेगा या नहीं मैं ये भी नहीं कह सकता”।
इस उपाय में खतरा बहुत अधिक है पर फिर भी सभी इसको करने के लिए तैयार हो जाते हैं और उसी शाम को नोएडा  किले में जाने का तय होता है, ये भी तय होता है की राज  और मुकेश  किले में जायेंगे। विशाल  – सुरेश  के साथ रहेगा और उसका ख्याल रखेगा, भैरवनाथ  जी किसी एक भूत  को इस घर की सुरक्षा में भी लगा कर जायेंगे, खुद भैरवनाथ  जी राज  और मुकेश  के साथ किले में रहेंगे और युवराज दक्ष  की किसी वस्तु की तलाश करेंगे।
रात के ११:०० बज रहे हैं इस समय नीचे से देखने पर नोएडा  किले को साफ़-साफ़ देखना बहुत मुश्किल है, राज  और मुकेश  तारों की बाड़ को पार करते हुए पहाड़ी के ऊपर चढ़ना शुरू करते हैं। रात ढलती जा रही है यहाँ से देखने पर किले का नज़ारा बहुत ही भयानक दिख रहा है, आस-पास से झींगुर और बहुत से अलग-अलग कीट-पतंगों की आवाज आ रही है, कभी लगता की जैसे अभी- अभी कोई बिलकुल सामने से निकला है, पहाड़ के पत्थर और झाड़ियाँ मिलकर इस तरह से आकर बना लेती हैं जिसे देख कर ऐसा लगता है जैसे कोई बैठा हो, सच्चाई तभी पता लगती है जब आप उस जगह तक पहुँच जाते हो।
कुछ समय तक चलते रहने के बाद अचानक लगा जैसे ठंड बहुत अधिक बढ़ गई है न सिर्फ बढ़ गई है बल्कि धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है, आसमान लाल होने लगा पूरा किला धुएँ के कोहरे में कहीं गुम सा हो गया, आगे क्या है कुछ दिखाई नहीं दे रहा है, और जब राज  ने मुकेश  को देखा तो वो डर से कांप गया क्योंकि मुकेश  बहुत ही डरावना दिखाई दे रहा है, उसके कान बहुत बड़े हैं, आंखें पुरे तरह से अंदर धसी हुई हैं, नाक की जगह पर सिर्फ दो छेद हैं, उसके होंठ नहीं है, दांत बहुत नुकीले हैं और बाहर की ओर निकले हुए है।
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