भूत के चले जाने के बाद राज और मुकेश तांत्रिक भैरवनाथ की ओर देखते हुए बोले, “भैरवनाथ जी आपसे निवेदन है की आप आपकी पूरी कहानी हमें बताएं क्योंकि अभी- अभी जो कुछ भी भूत ने हमें बताया वो सुनकर हमें आपके बारे में जानने की इच्छा हो रही है”
तांत्रिक भैरवनाथ कुछ समय तक यहाँ वहां टहलते रहे और फिर राज से बोले “बच्चा में तुम्हारी सारी इच्छाओं को पूरा करूँगा पर ये समय मेरी कहानी की सुनने का नहीं है बल्कि इस समय हमें किसी भी तरीके से सुरेश को बचाना है और न सिर्फ सुरेश को बल्कि तुम दोनों को भी” राज और मुकेश अपनी गर्दन हिलाकर तांत्रिक भैरवनाथ की बात को सहमति देते हैं।
कुछ समय बाद भैरवनाथ का भेजा हुआ भूत अपना काम करके वापस आ जाता है और तांत्रिक भैरवनाथ के सामने जाकर कहना शुरू करता है “तांत्रिक महाराज जैसा की आपने चाहा था में आपके मतलब की सारी जानकारी लेकर आ गया हूँ पर भूत स्वभाव की वजह से में बिना कुछ लिए इन लड़कों को कुछ भी नहीं बता सकता” तांत्रिक भैरवनाथ राज और मुकेश की ओर प्रश्नवाचक नज़रों से देखते हैं।
भूत : भैरवनाथ जी एक तो आपके कहने से में अपनी ही बिरादरी के खिलाफ गया मैंने वो काम किया जो मुझे नहीं करना चाहिए था, इस काम से मेरी ही बिरादरी के भूत मुझे अपने से दूर कर देंगे और हो सकता है की वो मुझे किसी मीनार या गुफा में कैद कर दें, मेरी तो आजादी ही खत्म हो जाएगी। आप मेरा मेहनताना निश्चित कर दो उसके बाद ही में जानकारी दे पाऊंगा।
राज : तुम्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है तुम्हारे लिए जो हमने सोच कर रखा है उसके बाद तुम्हें न तो तुम्हारी बिरादरी और न ही किसी और बात की फिक्र होगी, तुम पूरे रूप से आजाद हो जाओगे, अभी जैसे हो अगर तुम इसे आजादी कहते हो तो सुनो इसे आजादी नहीं कहते और अगर तुम अभी आजाद हो तो तांत्रिक भैरवनाथ के बुलाने से कैसे आ गए, कोई न कोई बंधन तो है जो अभी भी तुम्हें बांधे हुए है पर अब नहीं तुम हमारा साथ दो हम तुम्हें आजाद करने के लिए अपनी सारी ताकत लगा देंगे और उस आजादी का मतलब तुम्हारी मुक्ति होगा इस भूत योनि से हमेशा-हमेशा के लिए, कहो तुम्हें मंजूर है या नहीं?
भूत राज की बातों को सुनकर समझ नहीं पा रहा है की क्या कहे कभी वो राज को तो कभी तांत्रिक भैरवनाथ को देख रहा है क्योंकि वो ये बात बहुत अच्छे से जानता है की उसकी मुक्ति केवल एक ही व्यक्ति कर सकता है और वो हैं तांत्रिक भैरवनाथ , उनकी मर्जी के बिना इस संसार में कोई और दूसरा नहीं है जो उसे मुक्त कर पाए इसलिए वो यही बात उनके मुख से सुनना चाहता है पर वो उनके डर की वजह से सीधे उनसे कुछ कह नहीं सकता सिर्फ देख रहा है।
तांत्रिक भैरवनाथ भी राज का बात का समर्थन करते हुए भूत से कहते हैं “तुम्हें किसी से डरने या परेशान होने की जरूरत नहीं है जब तक में यहाँ हूँ और राज ने जो कुछ भी कहा है वो एकदम सच है में खुद तुम्हें मुक्ति दिलाऊंगा और इसके बाद कभी भी तुम्हें किसी के लिए कुछ भी करने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि में खुद तुम्हें भूत योनि से मुक्त करवाऊंगा।“
तांत्रिक भैरवनाथ और राज की बातों को सुनकर भूत खुश हो गया और अब वो निश्चिंत हो कर सुरेश के साथ आये भूत के बारे में जानकारी देने लगा उसने कहा “ जो भूत आपके दोस्त के साथ यहाँ तक आया उसका नाम अंगारा है वो एक किन्नर था उसकी मृत्यु नोएडा के किले की एक भूल-भुलैया में हुई जहाँ इसे धोके से मार दिया गया और इसका शरीर किले के पास के तालाब में फेंक दिया, अपनी अकाल मृत्यु और अधूरी इच्छाओं की वजह से अंगारा एक भूत बन गया और किले की भूल-भुलैया के दरवाजे के अंदर इस प्रतीक्षा के साथ रहने लगा की कभी कोई जब इस भूल-भुलैया के अंदर आएगा तब वो उसके शरीर का उपयोग करके अपनी इच्छाओं की पूर्ति करेगा।“
“उस दिन जब तुम लोग नोएडा के किले में घूमने गए थे उस दिन अमावस्या थी और उसी दिन अंगारा की मौत हुई थी, तुम्हारे दोस्त सुरेश ने सालों से बंद भूल-भुलैया के रास्ते को जबरन खोल दिया और उसमें घूमने अंदर चला गया वहीं से दो सौ सालों से अपने लिए शरीर की तलाश में बैठा अंगारा इसके साथ आ गया और तुम सब को परेशान करने लगा, अभी भी वो इस घर के ऊपर ही बैठा हुआ है और सही समय की तलाश में है”।
सुरेश जो अब तक बेहोश था वो उठ कर बैठ गया और अपने पास ही मौजूद भूत की काली परछाई को देख कर डर से कांपने लगा, उसे देख कर मुकेश उठ कर सुरेश के पास आया और उसे शांत रहने के लिए इशारा करके उसके पास ही बैठ गया।
राज ने भूत से कहा “अंगारा जो की एक किन्नर उसकी मौत कैसे हुई किसने उसे मारा और उसकी कौन सी इच्छाएं है जो अब तक पूरी नहीं हो पाई हैं उसके बारे में कुछ पता किया तुमने?”
भूत ने राज से कहा “आज से लगभग दो सौ साल पहले नोएडा किले पर एक हिन्दू राजा का शासन हुआ करता था, वो अपनी रानियों और महल की महिलाओं की सुरक्षा के लिए अधिकतर हिन्दू राजाओं की तरह ही किन्नर को नियुक्त किया करता था, अंगारा उन सभी किन्नरों का सरदार था ये जवान और खूबसूरत होने के साथ-साथ अक्लमंद और ताकतवर भी था।
“राजा अंगारा की वजह से अपनी रानियों की सुरक्षा से पूरी तरह संतुष्ट था, अंगारा को देख कर कोई भी नहीं कह सकता था की वो एक किन्नर है उसकी खूबसूरती और शरीर की बनावट की वजह से वो राजा के सिपाहियों, दरबारियों और कुछ मंत्रियों की भी पहली पसंद था, हर कोई जो उसे देख लेता था उसे पाने की कामना करने लगता था, इनमें से एक था राजा का इकलौता लड़का युवराज दक्ष ।
राजकुमार, अंगारा के रूप का दीवाना था और अंगारा भी दिल ही दिल राजकुमार को पसंद करता था दोनों को कई बार राजा के मंत्रियों और सिपाहियों ने प्रेम मिलाप करते हुए देखा था और इनमें से ही कई लोगों ने राजा को इस बारे में बताना भी चाहा पर राजा अंगारा पर अटूट विश्वास किया करता था जिस वजह से उसने कभी भी इन बातों पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि वो जानता था की उसके साथ के कई लोग मन ही मन अंगारा से जलते थे।“
“एक दिन राजा महल की सैर कर रहा था तब उसे राजकुमार और अंगारा भूल-भुलैया में जाते दिखाई दिए, वो तुरंत ही आठ दस अपने विश्वसनीय सैनिकों के साथ भूल-भुलैया की तरफ़ गया तब उसने वहां राजकुमार और अंगारा को आपत्तिजनक हालात में पाया उस समय रजा के इशारे पर उसके एक सैनिक ने अंगारा को पीछे से चाकू मार दिया और हत्या कर दी राजकुमार को इस मामले में शांत रहने को कहा गया, उसी समय अंगारा के शरीर को महल के अंदर बने तालाब में फेंक दिया गया।“
“अंगारा ने मरते समय राजा से कहा था की उसकी वासना तृप्त हुए बिना उसकी मौत हो रही है तो वो अतृप्त है, वो जब तक तृप्त नहीं हो जाता तब तक यहीं रहेगा और राजा या राजा की आने वाली संतानों को तृप्त नहीं होने देगा और जिस उम्र में उसकी मृत्यु हुई है उसी उम्र से अधिक उसके वंश का कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं रहेगा”
भूत की बात को सुनकर तांत्रिक भैरवनाथ , राज , मुकेश और सुरेश एक दूसरे को देखते रह जाते हैं और राज तांत्रिक भैरवनाथ से कहता है की “भैरवनाथ जी अब हम किस तरह से इसे यहाँ से दूर करेंगे, ये एक किन्नर है वो भी काम का भूखा उसके लिए सुरेश एक सही शिकार है”
अगला भाग क्रमशः