Bhoot Lok - 8 in Hindi Horror Stories by Rakesh books and stories PDF | भूत लोक - 8

The Author
Featured Books
Categories
Share

भूत लोक - 8

भैरवनाथ  जी ने पास ही रखे सिंदूर को उठने की कोशिश करने लगे पर अपने सूक्ष्म रूप में होने की वजह से वो उस सिंदूर को नहीं उठा पाए ये देख कर भूत  अंगारा  बहुत जोर से हंसा और उड़ता हुआ सीधे कमरे की छत से सर को मार देता है, छत से टकराते ही सुरेश  का शरीर एक जोर कि आवाज के साथ फर्श पर आकर गिरता है, ठीक इसी समय तांत्रिक भैरवनाथ  राज  को इशारा कर के कुछ कहते हैं, और राज  फुर्ती से सिंदूर को उठा के सुरेश  के माथे पर लगा देता है और साथ ही साथ उसी सिंदूर का घेरा सुरेश  के चारों ओर कर देता है।
तांत्रिक भैरवनाथ  कुछ मंत्र पढ़ते हुए उँगली से इशारा करते हैं और सुरेश  के माथे का सिंदूर चमकने लगता है ठीक वैसा ही सिंदूर के घेरे के साथ होता है, उसी समय एक काला साया उस पूरे कमरे के चक्कर काटने लगता है, जोर- जोर से हँसने और रोने की आवाज आ रही है, वो काली परछाई बार- बार सुरेश  के पास जाने का प्रयास कर रही है पर सिंदूर के घेरे के कारण वो सुरेश  तक पहुँच नहीं पा रही है।
वो काली परछाई और किसी की नहीं बल्कि उसी अंगारा  भूत  की है जिसने सुरेश  का शरीर तब छोड़ा था जब उसने सुरेश  को कमरे की छत से टकराया था, उसके दर्द को देखने और उसकी चीख को सुनने के लिए उसने उसका शरीर छोड़ा था पर उसी समय भैरवनाथ  के इशारे पर राज  ने सुरेश  के माथे और उसके चारों और सिंदूर लगा दिया था जिसे भैरवनाथ  ने अपनी मंत्र शक्ति से अभिमंत्रित कर दिया था, इसी वजह से वो भूत  अब सुरेश  तक नहीं पहुँच पा रहा और गुस्से में पुरे कमरे में घूम रहा है।
एक बार फिर राज  तांत्रिक भैरवनाथ  के इशारे पर वही सिंदूर सभी के माथे पर लगा देता है और न जाने क्यों पर वो उस सिंदूर को गुलाल की तरह पुरे कमरे में उड़ा भी देता है, अब तो अंगारा  भूत  की आवाज बहुत ही भयानक हो गई क्योंकि राज  जहाँ- जहाँ सिंदूर लगाता जा रहा था उसी समय तांत्रिक भैरवनाथ  भी उस सिंदूर को अभिमंत्रित करते जा रहे थे पर उन्हें भी नहीं पता था की राज  उस सिंदूर को कमरे में उड़ा देगा, कुछ देर और अंगारा  भूत  की डरावनी आवाज आती रही और फिर धीरे- धीरे बंद हो गई, अब वहां का वातावरण भी काफी हल्का हो गया था।
तांत्रिक भैरवनाथ  ने राज  से कहा “अभी तो वो भूत  चला गया पर उसे हमेशा के लिए यहाँ से भेजने के लिए हमें अभी बहुत कुछ करना पड़ेगा, पर राज  तुम एक बात बताओ की तुम्हें वो सिंदूर उड़ाने का विचार कहाँ से आया, अगर उससे वो भूत  और अधिक उत्तेजित हो जाता तो”।
“भैरवनाथ  जी मुझे नहीं पता पर मुझे उस समय ऐसा लगा की शायद इस तरह से हम उसे कमरे से बाहर कर सकते हैं क्योंकि जहाँ पर भी अभिमंत्रित सिंदूर था वहां पर वो अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं कर पा रहा था तो मैंने सोचा अगर पुरे कमरे में ही सिंदूर होगा तो वो शायद निकल जाये और हुआ भी वही, पर उस समय में भूल गया था की हमारे मदद के लिए जो भूत  आया है उसे भी इस बात से परेशानी हो सकती है” राज  ने कहा।
भैरवनाथ  जी मुस्करा कर बोले “अच्छा किया ये बात तो मुझे भी नहीं सूझ पाई और रही बात उस भूत  की तो वो तो अंगारा  के आते ही चला गया था, शायद उसे अंगारा  का खौफ तुम लोगों से भी ज्यादा है पर तुमने बहुत बहादुरी का काम किया”
भैरवनाथ  जी चेहरे को गंभीर करते हुए बोले “पर वो लोट कर जरूर आएगा वो इतनी आसानी से पीछा नहीं छोड़ेगा, वो फिर से आये उसके पहले हमें बहुत से काम करने हैं जैसे की मुझे कुछ समय के लिए ध्यान में बैठना होगा क्योंकि मुझे इसी सूक्ष्म शरीर में रहते हुए वो सारी शक्तियां भी चाहिए जो मेरे मानव शरीर में थीं वरना हम उससे लड़ नहीं पाएंगे। उसके लिए मुझे एकांत की आवश्यकता होगी, विशाल  वाला कमरा में अपने उपयोग में ले रहा हूँ, अब सुबह होने वाली है तो तुम सब भी थोड़ा आराम कर लो, वो तुम्हें और मुझे परेशान न करे इसके लिए में इस पुरे घर को अभिमंत्रित कर देता हूँ, राज  तुम्हें मेरी मदद करनी होगी”।
राज  की सहायता से घर को अभिमंत्रित करके भैरवनाथ  जी सभी को कुछ देर आराम करने का कह कर विशाल  के कमरे में जा कर ध्यान में लीन हो गए, यहाँ राज , मुकेश  और विशाल  सुरेश  को उसी सुरक्षा घेरे में रहने देते हैं और हॉल में ही लेट जाते हैं, पर नींद किसको आने वाली थी, कुछ देर तक लेते रहने के बाद भी सभी जाग रहें हैं और अपने ऊपर आई इस मुसीबत के बारे में ही सोच रहें हैं।
यहाँ अंगारा  भूत  अब भी घर के पास ही एक पेड़ पर बैठकर सुरक्षा घेरे के कमजोर होने का इंतजार कर रहा है, उसकी नकारात्मक ऊर्जा की वजह से न तो कोई पक्षी और न ही कोई जानवर उस ओर आ रहा है पूरा इलाके में मनहूस और काली परछाई फैली हुई है, इस समय ऐसा लग रहा है मानो आस-पास के सभी लोग या तो मर चुके हैं या फिर वहां कोई नहीं रहता, श्मशान के जैसा सन्नाटा फैला हुआ है । सिर्फ एक घर के ऊपर इस काली परछाई का कोई असर नहीं है जहाँ तांत्रिक भैरवनाथ  और वो चारों दोस्त हैं इस समय।
राज  लेते हुए सोच रहा है की आखिर किस तरह इस अंगारा  भूत  से मुक्त हुआ जाये साथ ही उसका जिज्ञासु मन तांत्रिक भैरवनाथ  के बारे में भी जानना चाहता है क्योंकि राज  तांत्रिक भैरवनाथ  से बहुत प्रभावित है और जानना चाहता है की वो आखिर हैं कौन एक तांत्रिक या अघोरी या एक अघोरी तांत्रिक, और वो हज़ार साल से समाधि में क्यों हैं, सोचते- सोचते उसकी कब आँख लग गई पता ही नहीं चला।
अगला भाग