सुबह की हल्की धूप खिड़की के पर्दों से छनकर कमरे में बिखर रही थी। सहदेव अपनी नींद से जागते ही खुद को पहले से ज्यादा तरोताजा और हल्का महसूस कर रहा था। आज सुबह कुछ अलग थी। मन में एक अजीब-सी खुशी थी, और चेहरे पर हल्की मुस्कान। जैसे ही वह बाथरूम की ओर बढ़ा, हल्की-फुल्की धुन गुनगुनाने लगा।
"आज फिर जीने की तमन्ना है... आज फिर मरने का इरादा नहीं..."
पता नहीं कितने महीनों बाद उसने अपने चेहरे की ठीक से देखभाल की थी। शेव करने के बाद उसने फेशियल क्रीम लगाई और हल्के हाथों से मसाज करने लगा। आईने में अपनी चमकती हुई त्वचा देखकर उसे खुद पर गर्व महसूस हुआ।
"बंदा एकदम फाड़ू लग रहा है!" उसने खुद से कहा और ठहाका लगाकर हंस पड़ा।
फ्रेश होने के बाद उसने अलमारी खोली और अपने कपड़ों को बड़े ध्यान से देखने लगा। कोई भी आउटफिट लेने से पहले वह एक बार सोचता, फिर उसे वापस रख देता।
"आज कुछ अलग पहनना चाहिए… कुछ ऐसा जो मेरी पर्सनालिटी को हाईलाइट करे।"
कुछ देर की माथापच्ची के बाद उसने एक क्लासी नेवी ब्लू शर्ट और ब्लैक पैंट को चुना। यह एक परफेक्ट कॉम्बिनेशन था जो उसकी हाइट और फिजीक पर शानदार लग रहा था। जब उसने आईने में खुद को देखा, तो हल्के से बालों में हाथ फेरा और मुस्कुराया।
"बॉस लग रहा हूं!"
सहदेव नाश्ते के लिए मेस में गया। वहां हमेशा की तरह हल्की-फुल्की चहल-पहल थी।
"और सोंटी भाई, क्या खास बना है आज?" उसने किचन में खड़े शेफ से पूछा।
"खास कुछ नहीं... लेकिन तेरे लिए एक्स्ट्रा मक्खन वाली पराठे और दही लाया हूं!" सोंटी ने मुस्कुराते हुए कहा।
"भाई, तेरा एहसान रहेगा!" सहदेव ने हंसते हुए कहा और गरमागरम पराठों पर टूट पड़ा।
खाना खत्म करने के बाद उसने जल्दी से अपना बैग उठाया और पीजी से निकल पड़ा। बाहर हल्की ठंडी हवा बह रही थी, और वह बड़े मस्त मूड में था।
ऑफिस पहुंचते ही सहदेव को माहौल कुछ बदला हुआ लगा। चारों तरफ लोग खुश नजर आ रहे थे, कुछ ग्रुप में खड़े होकर चर्चा कर रहे थे, तो कुछ अपने फोन में बिजी थे।
"जरूर कोई बड़ी बात हुई है..."
उसे जल्द ही इस बदलाव के तीन बड़े कारण पता चले—
1. HR सोनिया का बर्थडे था, और पूरी टीम उसके लिए सरप्राइज पार्टी प्लान कर रही थी।
2. कंपनी को एक बड़ी क्लाइंट से ऐडवर्टाइजमेंट का डील मिला था, और प्रोजेक्ट लीडर सहदेव को ही बनाया गया था।
3. कंपनी ने अनाउंस किया था कि जो भी इस महीने सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट्स में योगदान देगा, उसे प्रमोशन मिलेगा।
तीनों खबरें ही शानदार थीं, और हर कोई किसी न किसी वजह से खुश था।
"भाई, आज तो पार्टी ही पार्टी है!" सहदेव ने मन ही मन सोचा और अपनी सीट पर जाकर बैठ गया।
तभी उसका दोस्त मनोज आ गया, चेहरे पर थोड़ी टेंशन थी।
"यार, एक काम कर देगा?"
"बता ना!" सहदेव ने पूछा।
"यह कॉन्टेंट का एक पीस है, देख तो सही इसमें कोई गलती तो नहीं।" मनोज ने एक पेपर उसकी टेबल पर रख दिया।
"अरे, तू खुद का कॉन्टेंट राइटर क्यों नहीं पकड़ता?"
"है तो सही, लेकिन भाई, चार बार ऐसी मिस्टेक कर चुका है कि मुझे मैनेजर से डांट खानी पड़ी। अब भरोसा नहीं रहा उस पर!"
"समझ सकता हूं..." सहदेव ने सिर हिलाते हुए पेपर उठा लिया। "देखता हूं, अभी!"
मनोज ने राहत की सांस ली और वहां से चला गया।
तभी फाइनेंस डिपार्टमेंट की कविता उसके पास आई।
"तो, कितने बजे पहुंच रहे हो?"
"कहां?" सहदेव थोड़ा कंफ्यूज हो गया।
"अरे, सोनिया की बर्थडे पार्टी में!" कविता ने आंखें घुमाते हुए कहा।
"ओह, वो! देख भाई, मैं तो चाहता हूं कि सीधे केक कटिंग के टाइम पर एंट्री मारूं, ताकि बस खाना मिले और बर्थडे विश करके निकल जाऊं!"
"तू कभी नहीं सुधर सकता!" कविता हंस पड़ी।
"अरे, सच कहूं तो बर्थडे विश करने का असली मजा तब है, जब सबके सामने जोर से गाने लगे— 'तुम जियो हजारों साल...' और फिर फ्री के स्नैक्स भी मिल जाएं!"
कविता ने उसे घूरा और हंसते हुए बोली, "बिल्कुल मुफ्तखोर टाइप इंसान हो!"
"सही पकड़ी है!" सहदेव ने हंसते हुए कहा और फिर लैपटॉप खोलकर काम में लग गया।
वहीं दूसरी तरफ,
मैनेजर मनीषा की केबिन में एक गंभीर माहौल था। सामने बैठी HR हेड सोनिया, सिक्योरिटी ऑफिसर अंजू, और सीनियर मैनेजर शालिनी, तीनों की निगाहें मनीषा पर टिकी थीं। कमरे में एक अजीब सा तनाव पसरा हुआ था।
मनीषा ने अपनी फाइल टेबल पर रखी और एक गहरी सांस लेते हुए कहा, "क्या हमने सही किया सहदेव को इस प्रोजेक्ट का लीडर बनाकर?".
उसकी आवाज में एक असमंजस था, या शायद एक दिखावा।
कुछ पलों की चुप्पी के बाद, उसने फिर से कहना शुरू किया, "तुम्हें पता है कि यह प्रोजेक्ट कितना बड़ा है? यह हमारी एजेंसी की ग्रोथ को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। अगर इसमें कोई गलती हुई, तो हमें बहुत बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा।"
शालिनी ने एक शांत लहजे में जवाब दिया, "मैं आपकी चिंता समझ सकती हूं, लेकिन हमने सहदेव को पूरे प्रोजेक्ट का सिंगल टीम लीडर नहीं बनाया है।".
सोनिया ने उसकी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "हां, हम जानते हैं कि प्रोजेक्ट बहुत बड़ा है, इसलिए इसे चार यूनिट्स में डिवाइड किया गया है। हर यूनिट का एक अलग टीम लीडर होगा। कोई भी लीडर दूसरे के काम में इंटरफेयर नहीं करेगा, क्योंकि हर यूनिट का काम अलग-अलग है।"
अंजू, जो अब तक चुप थी, गंभीरता से बोली, "और सबसे जरूरी बात यह है कि कोई भी टीम एक-दूसरे की हेल्प तब तक नहीं करेगी जब तक सभी यूनिट्स अपने हिस्से को सही ऑर्डर में कंप्लीट नहीं कर लेतीं। तभी जाकर यह प्रोजेक्ट सफल होगा।"
मनीषा ने अपनी कुर्सी की बैकरेस्ट से टेक लगाई, एक गहरी सांस ली और अपनी उंगलियों को टेबल पर हल्के-हल्के थपथपाने लगी।
"देखो, मैंने सहदेव की फाइल पढ़ी है," उसने धीमी, लेकिन गंभीर आवाज में कहा, "उसके पास लीडरशिप का कोई एक्सपीरियंस नहीं है। यह मेरा कोई निजी मामला नहीं है, मैं सिर्फ एक प्रोफेशनल नजरिए से बात कर रही हूं।"
उसका चेहरा भले ही शांत था, लेकिन अंदर उसकी धड़कनें तेज थीं। अगर किसी ने ध्यान दिया होता, तो शायद उसकी उंगलियों की हल्की कंपकंपी को भी पकड़ सकता था।
सोनिया ने ध्यान से मनीषा को देखा। उसके चेहरे पर संदेह की हल्की लकीरें थीं।
"तो फिर आपकी इतनी चिंता सिर्फ सहदेव को लेकर ही क्यों है?".सोनिया ने ठहरते हुए पूछा। "बाकी तीन लीडर्स को लेकर तो आप इतनी परेशान नहीं दिख रही हैं?"
मनीषा का गला थोड़ा सूख गया, लेकिन उसने तुरंत खुद को संभाला।
"क्योंकि यह प्रोजेक्ट उसके बस की बात नहीं है," मनीषा ने तुरंत जवाब दिया, "अगर वह इसे ठीक से हैंडल नहीं कर पाया, तो पूरा प्रोजेक्ट खतरे में पड़ सकता है।"
शालिनी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "लेकिन सहदेव की रिपोर्ट कहती है कि वह एक एक्सीलेंट क्रिएटिव स्ट्रेटेजिस्ट है। अगर उसके पास टीम लीडरशिप का एक्सपीरियंस नहीं है, तो क्या पता यही प्रोजेक्ट उसे वह अनुभव दे दे?"
मनीषा के पास इसका कोई ठोस जवाब नहीं था।